तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 सितंबर 2015
नारियल तेल यूं लगाने से, फिर आ सकते हैं जवानी में गिरे बाल
बाल झडऩा तो एक आम समस्या है, लेकिन कम उम्र में हद से ज्यादा बाल
झडऩा जिसे आम बोलचाल की भाषा में बाल उड़ना भी कहा जाता है। किसी के लिए भी
तनाव का कारण बन सकते हैं। बालों की समय से पहले गिरने की समस्या यदि
आनुवांशिक हो तो उसे एंड्रोजेनिक एलोपेसिया कहा जाता है।
इस समस्या से परेशान पुरुषों में बाल गिरने की समस्या किशोरावस्था से
ही हो सकती है, जबकि महिलाओं में इस प्रकार बाल गिरने की समस्या 30 के बाद
पैदा होती है। इसके अलावा खान-पान और पर्यावरण प्रदूषण व दवाई के रिएक्शन व
कई अन्य कारणों की वजह से कम उम्र में गंजेपन की समस्या हो सकती है। यदि
आप भी कम उम्र में गंजेपन की समस्या से जूझ रहे हैं तो आज हम आपको बताने जा
रहे हैं गंजापन दूर करने के कुछ घरेलू उपाय....
1. जटामांसी की जड़ों को नारियल के तेल के साथ उबालकर ठंडा
होने के बाद रोजाना रात को सोने से पहले बालों में लगाएं। इससे असमय बालों
का पकना और झड़ऩा रुक जाता है।
2. नमक का अधिक सेवन करने से गंजापन आ जाता है। नमक, काली
मिर्च एक-एक चम्मच व नारियल का तेल पांच चम्मच मिलाकर गंजेपन वाले स्थान पर
लगाने से बाल आ जाते हैं।
3. हल्के गर्म जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक
चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा
लें। 15 मिनट बाद बाल गुनगुने पानी से सिर को धोएं। कुछ ही दिनों बाल
झड़ने की समस्या दूर हो जाएगी।
4. आंवला का चूर्ण दही में मिलाकर हल्के-हल्के हाथों
से सिर पर मालिश करें और 5 मिनट बाद गुनगुने पानी से बालों को साफ कर लें।
कुछ दिनों तक ऐसा करने से बाल स्वस्थ हो जाते हैं और डेंड्रफ भी दूर हो
जाता है।
5. कलौंजी को पीसकर पानी में मिला लें। इस पानी से
बालों को कुछ दिनों तक धोने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं और घने होना शुरू
हो जाते हैं।
6. नीम की पत्तियों और आंवले के चूर्ण को पानी में
डालकर उबाल लें।सप्ताह में कम से कम एक बार इस पानी से सिर को धोएं। ऐसा
करने से कुछ ही समय में बाल झड़ना बंद हो जाता है।
7. गेंदे के फूलों का रस नारियल तेल के साथ मिलाकर
उससे हल्की-हल्की मालिश करके नहा लें। ऐसा करने से सिर में हुए किसी भी तरह
के संक्रमण, फोड़े- फुंसियों में आराम मिल जाता है।
8. बहेड़ा के चूर्ण को नारियल या जैतून के तेल में
मिलाकर गर्म किया जाए और इस तेल को बालों पर लगाया जाए तो बाल चमकदार हो
जाते हैं। बालों की जड़ें भी मजबूत हो जाती हैं। बालों की समस्याओं में
हर्बल जानकारों के अनुसार त्रिफला का सेवन बेहतर माना गया है।
9. गुड़हल के रस को नहाने से 10 मिनिट पहले सिर पर
लगाया जाए तो इससे बालों के काला होने में मदद मिलती है। यह एक बेहतरीन
कंडीशनर की तरह काम करता है।
जो मुझे समुद्र में फेंक दे, वहां से पहाड़ पर बैठा दे, फिर उड़ने को छोड़ दे; वही मेरा शिक्षक
एक साल की सोच हो तो - बीज बोइए।
दस साल की सोच हो तो - पेड़ उगाइए।
सौ साल की सोच हो तो - शिक्षक बन जाइए।
-प्राचीन कहावत, जिस पर चीन ने दावा जता रखा है
सौ साल की सोच हो तो - शिक्षक बन जाइए।
-प्राचीन कहावत, जिस पर चीन ने दावा जता रखा है
मैं, शास्त्री।
मां पहचान नहीं पाईं। हिचक। दरवाजे पर खड़ी रहीं। उनके चेहरे पर प्रश्न बना रहा। प्रवीण है? मैं शास्त्री। उसे पढ़ाता हूं। स्कूल में।
जी... जी। आइए। वो अंदर है। बैठिए। चाय लेंगे? ‘जी, नहीं। प्रवीण को भेज दीजिए। बस्ता लेकर।’ और शास्त्रीजी स्वयं से बैठक कक्ष के साथ वाले कमरे में चले गए। मेज़ पर किताबें थीं। घबराता-दौड़ता बच्चा आया। प्रणाम...। ‘शुरू करते हैं, बैठो। कल का पाठ सीखेंगे।’
कोई कुछ समझ ही नहीं पा रहा था। किन्तु शास्त्रीजी बस टूट पड़े।
मां चाय लाईं। उन्होंने आंखों से ही मना कर दिया। एक घण्टा। दो घण्टे। पिताजी आने वाले होंगे। भीतर से शास्त्रीजी की कड़क आवाज़, कड़कड़ा रही थी। मां, देखने के बहाने पानी लेकर गई तो पाया बेटा उत्तर नहीं दे पा रहा था। कान मरोड़ दिया। फिर टूट पड़े। पिता आए। मां ने सब बताया। आश्चर्यचकित हो, भीतर गए। ‘मैं, शास्त्री।’ फिर टूट पड़े।
रात दो बजे भूखा-प्यासा बच्चा बाहर आया। ‘अगले हफ्ते अाऊंगा... या क्यों? आना ही क्यों पड़े? दरवाजे पर पिता खड़े थे। ‘नमस्ते।’ मैं, शास्त्री। सीख चुका है। अच्छा बच्चा है।’
दूसरे दिन शास्त्रीजी स्कूल नहीं आए। तीन बच्चों को पाठ समझ में नहीं
आया था। प्रवीण। नावेद (होता नवेद है पर बोलते नावेद थे) और जसबीर। तीनों
विफल रहे थे जब पूछा गया था। नावेद भी आज नहीं आया।
‘मैं, शास्त्री…।’ सुबह नावेद के घर यही कहते पाए गए। एेसे थे वैष्णव स्कूल के शास्त्रीजी।
जब तक हर बच्चा, हर पाठ सीख-समझ नहीं लेता - शिक्षक का काम पूरा नहीं होता।
***
शर्माजी की आवाज़ शूल की तरह चुभती थी। इतनी नुकीली थी। किन्तु उससे
कहीं अधिक उनकी वो बंद मुट्ठी थी - जिसे हथौड़े की तरह वे ऊपर-नीचे करते
चले जाते। उंगलिया हवा में जैसे कील की तरह गड़ाते। जब गरजते हुए कहते :
जीवन गणित है। गणित ही जीवन है। गणित के बिना कुछ नहीं होता। एक गांव था। उसमें दो भाई रहते थे। ‘एक’ गांव। ‘दो’ भाई। ये गणित है।
सैनिक चारों ओर फैल गए। दुश्मन राज्य ने घेराबन्दी कर रखी थी। एक गुप्तचर चक्कर लगा कर आया। ‘चारों’, ‘घेरा’,‘एक’ और ‘चक्कर’ सब गणित है। फिर शर्माजी, जो तैल-ताप से दमकते थे मुख्य सभागार के मंच से दहाड़ते। कहते गणित ही है जिसमें सब कुछ भीतर ही है। सभी सवालों के जवाब अंदर छुपे हैं।
‘वहीं है।’ वहीं पर इतना इतना जोर देते कि बच्चों काे लगता हमारे दिमाग में ही है। वे बाेलते जाते : माना कि मूलधन सौ है। क्यों मानूं? क्योंकि केवल मानने से काम नहीं बनता। मानते मात्र इसलिए हैं कि एक बार मान कर देख लेते हैं - उत्तर आया है या नहीं। मानने का अर्थ है आरंभिक विश्वास। पूर्ण विश्वास, सही उत्तर पर ही। जीवन में भी यही है। कोई कहता है मान लीजिए। तो हम उतना ही विश्वास करते हैं जितना कि शुरुआती। इसी तरह फॉर्मूले हाेते हैं। जीवन में भी हम फॉर्मूले ही तो ढूंढते-लागू करते रहते हैं। ‘वहीं हैं, सारे उत्तर।’
बस ढूंढने के लिए ‘माना कि मूलधन सौ है।’ तो जीवन की हर समस्या का हल भी ‘वहीं हैं’, और जानने के लिए मानना आवश्यक है। आपका घर, आपकी लंबाई, सड़क की चौड़ाई, देश की जनसंख्या, सारे समीकरण - सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक - सब गणित है।
जब तक हर बच्चा, पढ़ाई को जीवन से सीधे-सीधे नहीं जोड़ लेता - शिक्षक का काम पूरा नहीं होता।
***
मां, पहली शिक्षक होती है। पिता भी होते पहले हैं पर दूसरे क्रम पर
आते हैं। किन्तु माता-पिता के प्रति हमारे कर्तव्य क्या हैं - यह बताने
वाला शिक्षक, घर के बाहर, पहला शिक्षक होता है।
***
मैं कौन हूं?
यह संसार के हर व्यक्ति का पहला प्रश्न होता है। चाहे वह इसे ऐसा कह पाए या नहीं।
यह संसार के हर व्यक्ति का पहला प्रश्न होता है। चाहे वह इसे ऐसा कह पाए या नहीं।
अंत तक अनुत्तरित रहने से, यहीं अंतिम प्रश्न भी हो जाता है।
जो पता लगा सके कि आप कौन हैं - वह आपका पहला शिक्षक।
***
जीवन के सबसे बड़े शिक्षक निम्न छह हैं :
क्या, कहां, कब, कैसे, कौन और क्यों।
किन्तु ये छह हमारे शिक्षक हैं -
क्या, कहां, कब, कैसे, कौन और क्यों।
किन्तु ये छह हमारे शिक्षक हैं -
यह बताने-समझाने-लागू करने-परिणाम दिखा कर सिद्ध करने वाला सिद्ध विद्वान ही हमारा दूसरा शिक्षक है।
***
‘उत्साह’ संसार में सर्वाधिक बलशाली है। जिसमें उत्साह है, उसे किसी और विधा, विद्या, विषय, विशेषता की आवश्यकता ही नहीं।
जीवन का यह महत्वपूर्ण, तथ्यपूर्ण, तर्कपूर्ण और अर्थपूर्ण भेद बताने वाला हमारा तीसरा शिक्षक है।
***
इसके प्रकार समझाने, इसके कारण गिनाने और उत्साह को ऊर्जा में
क्रमबद्ध परिवर्तित करने वाला हमारा तीसरा शिक्षक, प्रकारांतर से हमारा
पहला शिक्षक हो जाता है। क्योंकि उत्साह से ही माता-पिता का सच्चा कर्तव्य
निभाया जा सकता है।
उत्साह से ही ‘मैं कौन हूं’ जाना जा सकता है।
***
संसार की, जीवन की सबसे विकट समस्या है - हर बात का ‘कठिन होना।’
जन्म कठिन।
जन्म कठिन।
जन्म लेते ही बीमारी का डर। बीमारियों का उपचार कठिन।
फिर पालन-पोषण कठिन। पलना-बढ़ना-पढ़ना-गढ़ना-चढ़ना। सब कुछ कठिन।
जो कठिन को सरल बना दे।
वह सर्वोच्च शिक्षक।
***
ईसा मसीह का एक शिष्य था : टॉमा। नाम उसका थॉमस था - किन्तु बाइबल की
कहानियों में टाॅमा नाम से ही उच्चारित है। जो यीशू कहते, टॉमा नहीं मानता।
वह कहता - हे, ईश्वर, कृपया सिद्ध कीजिए कि जो आप कह रहे हैं - वही
वास्तविक जीवन में भी सही है। सारे शिष्य क्रुद्ध होते। किन्तु ईसा उन्हें
अगले ही क्षण कहीं गांव में ले जाते - और एक-दो दिन रहकर उदाहरणों से सिद्ध
करते। टॉमा, तब जाकर मानता। वर्ष के अंत में जब सर्वश्रेष्ठ की घोषणा होने
वाली थी - तो टॉमा का नाम लेकर उन्होंने सबको चौंका दिया।
‘इसके कारण अब मैं अपनी हर बात, कहने से पहले सोचता हूं। कि सिद्ध कैसे होगी। उदाहरण क्या होंगे। प्रश्न क्या-कैसे होंगे?’
आज ‘डाउटिंग टॉमा’ जो मुहावरा है, उसके मूल में वही टॉमा है।
***
आजीवन शिक्षा ग्रहण करने वाला ही शिक्षक होता है।
दूसरों को शिक्षित करते-करते स्वयं शिक्षित होते रहने वाला शिक्षक होता है।
‘टॉप्सी टर्वी वर्ल्ड’ में कहा गया है न कि क्या हो जाता यदि तितली,
मधुमक्खी से प्रेम करने उसके निकट पहंुच जाती, चर्च समुद्र में बनाए जाते;
पुरुष, स्त्री हो जाते, एक का तीन गुना नौ हो जाता?! कोई डेढ़-दो सौ वर्ष
पहले लिखी इस बच्चों की कविता में कवि अल्बर्ट मिडलेन - जो कि मूलत: एक
शिक्षक थे -ने दो गहरे अर्थ समझाए हैं- पहला : कि जीवन आनंद में जीना
चाहिए। क्योंकि, दूसरा: प्रकृति या ईश्वर जो भी नाम दें - ने सबकुछ
नियमानुसार रच रखा है।
जैसा ‘हितोपदेश’ की भूमिका में अनुवादक पंडित कहते हैं :
पक्षियों का नियत समय पर जागना,
कठोर परिश्रम कर नीड़ बनाना
कोकिल का मधुर संगीत
कौए का चैतन्य, खरगोश का चातुर्य
शिक्षा ही तो है।
***
अंधकार, अंधेरे, अंधेर से मुक्ति दे, ऐसा होता है शिक्षक।
अहंकार, अहं, असत्य से मुक्त कर दे, ऐसा होता है शिक्षक।
कर्म को ही धर्म के रूप में स्थापित कर दे, ऐसा है हमारा शिक्षक।
शिक्षक का ऋण उतार सकें, असंभव है। किन्तु उतारना ही होगा।
मस्तिष्क की हर नस में उस शिक्षा को रचा-बसा कर, जीवन में लागू कर हम उऋण हो सकते हैं। शिक्षक, शिष्य की श्रेष्ठता से ही अभीभूत होते हैं।
शिक्षक हमें जीवन में समुद्र-रूपी गहराइयों में फेंक कर परीक्षा लेते हैं। फिर वहां से खींच कर धरती पर लाते हैं। पहाड़ पर बैठा देते हैं। तब, तपा कर, दौड़ने बल्कि उड़ने के लिए तैयार कर, स्वतंत्र कर देते हैं। नमन्।
कल्पेश याग्निक
- (लेखक दैनिक भास्कर के ग्रुप एडिटर हैं।)
ऐसा दिखता है नया 125 रुपए का सिक्का, पीएम मोदी ने किया रिलीज
पीएम मोदी ने 125 रुपए का सिक्का जारी किया।
नई दिल्ली. टीचर्स डे से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने पूर्व
राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में 125 रुपए का सिक्का जारी किया।
पीएम मोदी ने 'शिक्षक दिवस' से एक दिन पहले दिल्ली में छात्रों के साथ बात
करते हुए यह सिक्का जारी किया। पीएम ने 125 रुपए के अलावा 10 रुपए का भी
विशेष सिक्का जारी किया है। इस मौके पर कला व उत्सव की वेबसाइट भी लांच की
गई।
पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ
था, जो भारत में 'शिक्षक दिवस' के रुप में मनाया जाता है। टीचर्स डे से एक
दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के मानेक शॉ आडिटोरियम से देश के हर
कोने के बच्चों से बात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों को याद
कराया कि कल डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का भी और भगवान श्रीकृष्ण का भी
जन्मदिवस है।
व्यापमं: दो आरोपियों को मिली जमानत 90 दिन में नही पेश हुआ चालान... पुराना तरीका जमानत दिलवाने का...
व्यापमं घोटाले में आरोपी डीमेट के पूर्व कोषाध्यक्ष डॉ. योगेश चंद्र उपरीत और डॉ. एमएस जौहरी को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. ग्वालियर में जेएमएफसी कोर्ट ने आरोपी योगेश उपरीत सहित एमएस जौहरी को जमानत दे दी है. दरसअल, आरोपियों की गिरफ्तारी के 90 दिनों बाद भी एसआईटी ने चालान पेश नहीं किया था. इस आधार पर आरोपियों ने कोर्ट से जमानत दी गई है. उल्लेखनीय है कि, विधि के अनुसार आरोपियों की गिरफ्तारी के 90 दिन के भीतर चालान पेश करने का नियम है, लेकिन एसआईटी व्यापमं घोटाले के आरोपी उपरीत और एमएस जौहरी के खिलाफ चालान पेश नहीं कर पाई, जबकि 2 सितंबर को उसके 90 दिन पूरे हो चुके हैं. जिसको आधार बनाकर आरोपियों के वकील ने कोर्ट में जमानत याचिका पेश की थी. याचिका में कहा गया था कि चालान पेश नहीं होने से आरोपी अब जमानत के हकदार हो गए हैं. इस मामले में पूर्व एसआईटी और एएसपी प्रभारी वीरेंद्र जैन का कहना है कि, एसआईटी एक महीने पहले ही पूरा केस सीबीआई को सौंप चुकी है, इसलिए अब सीबीआई ही कार्रवाई करेगी. उल्लेखनीय है कि व्यापमं में प्री-पीजी फर्जीवाड़े के आरोपी योगेश चंद्र उपरीत को एसआईटी ने तीन जून को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद एसआईटी ने पहली बार आरोपी को चार जून को कोर्ट में पेश किया और दो दिन के रिमांड पर लिया था.वहीं, दुबारा छह जून को कोर्ट में पेश कर 11 जून को रिमांड में लिया था. तब से आरोपी ग्वालियर जेल में बंद था. गिरफ्तार होने के बाद आरोपी उपरीत ने कुबूल किया था कि, उसने 25 लाख रुपए लेकर जबलपुर के प्रमुख न्यूरोलोजिस्ट डॉ. एमएस जौहरी की बेटी डॉ. ऋचा जौहरी का प्री-पीजी में गोले काले कर सिलेक्शन कराया था. जिसके चलते एसटीएफ ने डॉ. ऋचा के पिता डॉ. एमएस जौहरी को गिरफ्तार किया गया था. जिन्हें भी जमानत मिल गई है.
रोज घटता है श्रीकृष्ण का गोवर्धन पर्वत, क्या है इसकी कहानी, जानिए अभी
गोवर्धन पर्वत।
जयपुर. गोवर्धन पर्वत की कहानी बेहद रोचक है। यह वही पर्वत है
जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी एक अंगुली पर उठा लिया था और लोगों की रक्षा
की थी। माना जाता है कि 5000 साल पहले यह पर्वत 30 हजार मीटर ऊंचा हुआ करता
था। अब इसकी ऊंचाई बहुत कम हो गई है। इसके रोज घटने के पीछे भी एक रोचक
कहानी है। कहा जाता है कि पुलस्त्य ऋषि के शाप के कारण यह पर्वत एक मुट्ठी
रोज कम होता जा रहा है।
दो राज्यों में है यह पर्वत
इस पर्वत की प्ररिक्रमा कर लोग भगवान श्रीकृष्ण की अराधना करते हैं। इसकी परिक्रमा के दौरान 7 किमी का हिस्सा राजस्थान में आता है और बाकी का हिस्सा उत्तर प्रदेश में है। रोज घटता है श्रीकृष्ण का ये पहाड़, क्या है इसके पीछे की कहानी,
इस पर्वत की प्ररिक्रमा कर लोग भगवान श्रीकृष्ण की अराधना करते हैं। इसकी परिक्रमा के दौरान 7 किमी का हिस्सा राजस्थान में आता है और बाकी का हिस्सा उत्तर प्रदेश में है। रोज घटता है श्रीकृष्ण का ये पहाड़, क्या है इसके पीछे की कहानी,
क्यों दिया था ऋषि ने पर्वत को रोज कम होने का शाप
बेहद पुरानी मान्यता है कि गिरिराजजी की सुंदरता को देख पुलस्त्य ऋषि
बेहद खुश हुए। उन्होंने इन्हें द्रौणाचल पर्वत से उठाया और अपने यहां ले
जाने लगे। उठाने से पहले गिरिराजजी ने कहा था कि आप मुझे जहां भी पहली बार
रखेंगे मैं वहीं स्थापित हो जाउंगा। रास्ते में साधना के लिए ऋषि ने पर्वत
को नीचे रख दिया। ऋषि की लाख कोशिशों के बाद भी पर्वत हिला नहीं। इसके बाद
गुस्से में ऋषि ने पर्वत को शाप दिया कि वह रोज कम होगा। माना जाता है कि
उसी समय से गिरिराज जी वहां हैं और कम होते जा रहे हैं। दूसरी मान्यता यह
भी है कि जब रामसेतुबंध का कार्य चल रहा था तो हनुमानजी इस पर्वत को
उत्तराखंड से ला रहे थे, लेकिन तभी देव वाणी हुई की सेतुबंध का कार्य पूरा
हो गया है, यह सुनकर हनुमानजी इस पर्वत को ब्रज में स्थापित कर दक्षिण की
ओर पुन: लौट गए।
क्यों उठाया गोवर्धन पर्वत
इस पर्वत को भगवान कृष्ण ने अपनी एक अंगुली से उठा लिया था। कारण यह
था कि मथुरा, गोकुल, वृंदावन आदि के लोगों को वह घनघोर बारिश से बचाना
चाहते थे। नगरवासियों ने इस पर्वत के नीचे इकठ्ठा होकर अपनी जान बचाई। यह
बारिश इंद्र ने करावाई थी। लोग इंद्र से डरते थे और डर के मारे सभी इंद्र
की पूजा करते थे, तभी कृष्ण ने कहा था कि आप डरना छोड़ दे...मैं हूं ना।
परिक्रमा का महत्व
इस पर्वत की परिक्रमा का लोगों में महत्व है। वल्लभ सम्प्रदाय के
वैष्णवमार्गी लोग तो इसकी परिक्रमा अवश्य ही करते हैं क्योंकि वल्लभ
संप्रदाय में भगवान कृष्ण के उस स्वरूप की आराधना की जाती है जिसमें
उन्होंने बाएं हाथ से गोवर्धन पर्वत उठा रखा है और उनका दायां हाथ कमर पर
है। इस पर्वत की परिक्रमा के लिए समूचे विश्व से कृष्णभक्त, वैष्णवजन और
वल्लभ संप्रदाय के लोग आते हैं। यह पूरी परिक्रमा 7 कोस अर्थात लगभग 21
किलोमीटर है।
महाराष्ट्र सरकार ने जारी किया सर्कुलर, नेताओं के खिलाफ बोलने पर होगी जेल
नई दिल्ली. महाराष्ट्र
में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ टिप्पणी करने वाले पर देशद्रोह का केस दर्ज
होगा। शुक्रवार को राज्य सरकार ने इस बारे में सर्कुलर जारी कर दिया है।
महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए ऐसे मामलों में
कार्रवाई के लिए सर्कुलर जारी किया है। सर्कुलर के मुताबिक कोई भी व्यक्ति
लिखकर, बोलकर, संकेतों के जरिए, चित्रों या किसी भी दूसरे तरीके से सरकार
के प्रतिनिधि या जन प्रतिनिधि के खिलाफ नफरत, अपमान, अलगाव, दुश्मनी,
असंतोष, विद्रोह या हिंसा का भाव पैदा करता है या ऐसा करने की कोशिश करता
है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए के तहत कार्रवाई हो सकती है।
इनके खिलाफ 'बोलने' पर होगी सजा
महाराष्ट्र सरकार के इस नए आदेश में मंत्रियों, सांसदों, विधायकों के
अलावा जिला परिषद अध्यक्षों और पार्षदों को भी जन-प्रतिनिधि माना गया है।
यानी इन सभी के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी देशद्रोह के दायरे में आएगी।
सरकार के सर्कुलर में आईपीसी की जिस धारा 124ए का जिक्र किया गया है, वो
देशद्रोह के मामले में लागू होती है।क्या कहता है देशद्रोह का कानून?
इंडियन पीनल कोड के आर्टिकल 124 A के मुताबिक अगर कोई अपने भाषण या लेख या दूसरे किसी भी तरीके से सरकार के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश करता है तो उसे तीन साल तक की कैद हो सकती है। कुछ विषेश मामलों में ये सजा उम्रकैद तक हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने हटाई थी धारा 66 ए
अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2015 में आईटी एक्ट की धारा 66ए के बेजा इस्तेमाल पर उसे तो निरस्त कर दिया था। हालांकि कोर्ट ने यह साफ किया था कि इसका मतलब ये नहीं है कि किसी को कुछ भी कहने या लिखने की आजादी है। संविधान भले ही हर नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी देता है लेकिन संविधान ने उसकी सीमाएं भी तय कर रखी है। उन सीमाओं से बाहर जाकर कही या लिखी गई बातों के लिए कानून की उचित धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है। कोर्ट के इस फैसले से सोशल मीडिया पर लिखने-बोलने वालों ने राहत की सांस ली थी लेकिन तब भी ये साफ था कि कुछ भी लिखने की छूट नहीं है। लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार कोर्ट के दिशा-निर्देश के जरिए बोलने वालों की आजादी पर लगाम लगाना चाहता है।
RSS-BJP को-ऑर्डिनेशन मीटिंग: पीएम बोले स्वयंसेवक होने पर गर्व, जल्द दिखेंगे नतीजे
फोटो- मध्यांचल भवन से निकलते हुए पीएम मोदी शाम 6:40 बदे
नई दिल्ली. RSS-BJP को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक के आखिरी दिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी RSS नेताओं से मुलाकात करने मध्यांचल पहुंचे।
यहां नेताओं की मौजूदगी में पीएम का 15 मिनिट का भाषण भी हुआ जिसमें मोदी
ने कहा कि उनकी सरकार बड़े बदलावों के लिए काम कर रही है। पीएम ने कहा कि
सरकार के कामकाज के नतीजे जल्द ही दिखाई देने लगेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी के
भाषण के बाद लगभग 45 मिनिट तक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी अपना भाषण
दिया। भागवत ने अपने भाषण में सरकार के कामकाज की तारीख की और कहा कि मोदी
सरकार सही दिशा में काम कर रही है।
पीएम ने दिया को-ऑडिनेशन मीटिंग में भाषण
पीएम ने अपने भाषण में कहा कि उन्हें आरएसएस का स्वंय सेवक होने पर
गर्व। उन्होंने कहा कि यह संघ के संस्कारों का ही नतीजा है जो वे आज यहां
हैं। मोदी ने अपनी सरकार के कामकाज पर बोलते हुए कहा कि उनकी सरकार देश में
बड़े बदलावों के लिए काम कर रही है और उसके नतीजे जल्द ही दिखाई देने
लगेंगे। 15 मिनिट के अपने भाषण में पीएम ने कहा कि जब उनकी सरकार को देश की
बागडोर मिली थी तब देश के हालात अच्छे नहीं थे। पीएम ने कहा कि उनकी सरकार
के कामकाज के नतीजे आने में समय लगेगा लेकिन नतीजे जल्द ही दिखाई देने
लगेंगे। पीएम के भाषण के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत और 100 से ज्यादा
पदाधिकारी मौजूद थे।
आरएसएस ने दिए कई सुझाव
तीन दिनों की को-ऑर्डिनेशन मीटिंग के बाद शुक्रवार की शाम मध्यांचल
में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर संघ के नेताओं ने बताया कि मीटिंग में किन मुद्दों
पर विचार किया गया। संघ के नेता दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, "संघ को सरकार
से किसी तरह का अनुदान नहीं मिलता, लेकिन संघ समाज की ताकत से काम करता
है। संघ के विचार से प्रेरणा लिए हुए लोग सत्ता संभाल रहे हैं, तो हमारा
दायित्व बनता है कि हम सरकार को उसके कामकाज को लेकर बताएं। तीन दिनों में
आतंरिक सुरक्षा और सीमाओं की सुरक्षा पर बात हुई। देश की कैपैबिलिटी बढ़ाने
के लिए आंतरिक सुरक्षा के सबंध में शासन को सही नीति अपनाने के सुक्षाव
दिए गए हैं। आर्थिक मोर्चे पर भी भारतीय चिंतन और विचार के आधार पर आधुनिक
समय में हम अपने मॉडल को विकसित करें। पश्चिम के कई मॉडल फेल हो चुके हैं,
यह हमें समझना चाहिए। पर्यावरण का ध्यान रखते हुए विकास का मॉडल बनाया जाए।
गांव को लोग कमाई, पढ़ाई और दवाई की वजह से छोड़ रहे हैं। गांवों में इन
सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए सुझाव दिए गए हैं।"
शिक्षा पर भी हुआ मंथन
होसबोले ने कहा, "शिक्षा के भारतीयकरण और आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय
मूल्यों का ध्यान रखने वाली शिक्षा व्यवस्था को विकसित करना चाहिए। शिक्षा
के दायरे से कोई बाहर नहीं रहे। आने वाले 5 सालों में 100 फीसदी साक्षरता
हासिल करने के लिए उपाए किए जाने चाहिए। सार्क देशों के सदस्य होने के नाते
पड़ोसी देशों से बेहतर संबंध रखने होंगे। पड़ोसी देशों के साथ अपने
सांस्कृतिक संबंध और अच्छे कैसे हो सकते हैं, इस पर भी विचार हुआ। शोषित,
वंचित और दलितों को स्वाभिमान की जीवन देने के लिए भी ऐसी योजनाओं पर जोर
दिया गया है। यह सरकार की समीक्षा बैठक नहीं थी, सिर्फ समन्वय पर बात हुई।
यहां निर्णय लेने जैसी कोई बात नहीं हुई। धार्मिक जनगणना पर हमारे
कार्यकर्ता अध्यन करके रिपोर्ट बनाएंगे। उसमें इस विषय पर बात हो सकती है।"
हर ज़ोर ज़ुल्म के संघर्ष के खिलाफ सबसे पहली आवाज़ क्रांतिकारी बन कर उठाना जिसका स्वभाव हो उसी का नाम क्रान्ति तिवारी है
सभी के दुःख दर्दों में शामिल होना ,,हर ज़ोर ज़ुल्म के संघर्ष के खिलाफ
सबसे पहली आवाज़ क्रांतिकारी बन कर उठाना जिसका स्वभाव हो उसी का नाम
क्रान्ति तिवारी है ,,,जी हाँ दोस्तों क्रांति तिवारी प्रदेश कांग्रेस
कमेटी में यूँ तो कोटा में प्रदेश में सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व कर
रहे है ,,,लेकिन ज़ुल्म ,,अत्याचार ,,नाइंसाफी ,,,समस्याओ के समाधान मामले
में इनके संघर्ष के स्वभाव ने लोगों की इंसाफ की लड़ाई ने इन्हे इनके नाम
के मुताबिक़ क्रन्तिकारी बना दिया है ,,, भाई क्रांति तिवारी दलगत
राजनीति से ऊपर उठकर सामाजिक न्याय के हर मामले में उसके संघर्ष का हिस्सा
बनते है ,,,हर घटना ,,हर मुद्दे पर सक्रिय होकर क्रांतितिवारी ने कांग्रेस
में खुद को अधिकतम सक्रिय साबित कर दिखाया है ,,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
सचिन पायलेट की टीम के प्रमुख सदस्यों में शामिल होकर कोटा सहित राजस्थान
के हर हिस्से में क्रांतितिवारी कांग्रेस को मज़बूत और सक्रिय कर ज़िंदाबाद
करने में जुटे है ,,,,क्रान्ति तिवारी को अभी हाल ही में जनता नगरपालिका
चुनाव क्षेत्र का प्रभारी बनाया था ,,कठिन काम था एक तो मुख्यमंत्री
वसुंधरा का क्षेत्र उनके पुत्र सांसद दुष्यंत का संसदीय क्षेत्र भाजपा के
मंत्री प्रभुलाल सैनी का विधानसभा क्षेत्र भाजपा की लहर उसके बाद भी
क्रान्ति तिवारी के पर्यवेक्षण में इनकी निगरानी में कार्यकर्ताओं में
इन्होने जान फूंकी ,,सक्रिय चुनावी मैनेजमेंट का ही नतीजा था के विकट
परिस्थितियों के बावजूद भी इनके नेतृत्व के अंता नगरपालिका क्षेत्र में
कांग्रेस ज़िंदाबाद हुई ,,,,,,,,,,,,क्रान्ति तिवारी कल उर्दू के हमदर्दो
के साथ रैली में अपने दल बल के साथ उर्दू के हमदर्दो के संघर्ष शील
जांबाजों का अपने अंदाज़ में होसला अफ़ज़ाई कर रहे थे ,,,,,,,क्रांतितिवारी के
लगातार जनता से जुड़ाव ,,कार्यकर्ताओं के संघर्ष के स्वभाव ने चाहे जन
आनदोलन प्रदर्शनों के तहत उनके खिलाफ कई मुक़दमे दर्ज करवा दिए हो लेकिन
क्रान्ति तिवारी कोटा के आम कार्यकर्ता ,,कोटा की कांग्रेस ,,कोटा के शोषित
उत्पीड़ित लोगों की ज़रूरत बनते जा रहे है जो खामोश रहकर ,,खुद बिन बुलाये
,समस्या के पास जाते है और अपने साथियों के साथ मिलकर उस समस्या का समाधान
करने का कामयाब प्रयास कर दिखाते है ,,कोटा के कांग्रेस कार्यर्ताओं को
उनसे बहुत उम्मीदे है उनका मानना है के कांग्रेस हाईकमान ने अगर उन्हें
कोटा कांग्रेस के नेतृत्व की ज़िम्मेदारी सौंपी तो कोटा क्षेत्र में
कांग्रेस राजस्थान की सभी कांग्रेस इकाइयों में मुखर और अव्वल रहेगी
,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
दोस्तों पांच सितमबर जन्माष्टमी और गुरु दिवस यानी शिक्षक दिवस
दोस्तों पांच सितमबर जन्माष्टमी और गुरु दिवस यानी शिक्षक दिवस भी है
,,,राजस्थान सरकार में शिक्षा विभाग के पूरी तरह से फेल्योर हो जाने के
कारण शिक्षक दिवस मज़ाक बनकर रहगया है ,,शिक्षा विभाग के अपरिपक्व
,,,अव्यवहारिक ,,तुगलकी आदेशो के खिलाफ राजस्थान भर के शिक्षक गुस्से में
है ,,उनकी नाराज़गी अलग ,,अलग रैलियों के नाम पर सड़को पर गुस्से के रूप में
देखी गई है ,,राजस्थान सरकार के इस शैक्षणिक अव्यवस्थित कार्यकाल में पहली
बार अराजकता ,,निराशा ,,हताशा का माहोल है ,,,,,उर्दू के शिक्षक अपने
अस्तित्व को उर्दू के अस्तित्व को बचाने के लिए सडको पर लाखो की तादाद में
है तो सरकार के रवय्ये से नाराज़ गुरु परिवार सड़को पर सरकार की आलोचना करता
नज़र आ रहा है ,,रामगंजमंडी की अमर्यादित अपराधिक मानसिकता की लेडी
प्रिसिपल ने तो हद ही कर दी उसने देश के सभी मुसलमानो को आतंकवादी क़रार
देकर स्कूल में नफरत का माहोल बना दिया ,,रामगंजमंडी में इस शिक्षक
प्रिंसिपल के खिलाफ इनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर इन्ही शिक्षिका के चेले
सड़को पर है ,,तो दोस्तों यह राजस्थान है यहां राजस्थान जल रहा है और
शिक्षा मंत्री ,,मुख्यमंत्री ,,नीरो की तरह बंसी बजा रहे है ,,,ऐसे शिक्षक
दिवस की परिकल्पना राजस्थान में शायद किसी एक शिक्षक ने भी नहीं की होगी
,,, सभी शिक्षक सियासी गुलाम मानसिकता को हटाकर ज़रा अपने दिल पर हाथ रखकर
दिल से पूंछे और बताये क्या इस सरकार में शिक्षक सुरक्षित है ,,क्या इस
सरकार में शिक्षक दिवस पर शिक्षको का सम्मान है ,,प्लीज़ जो भी भाव हो
बताइये ज़रूर ,,इन्तिज़ार रहेगा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
जैसलमेर के जाट बाहुल्य गाँव गोटला गोदारा की शान समझे जाने वाले कोटा पुलिस अधीक्षक सवाई सिंह गोदारा
राजस्थान में जैसलमेर के जाट बाहुल्य गाँव गोटला गोदारा की शान समझे
जाने वाले कोटा पुलिस अधीक्षक सवाई सिंह गोदारा सोशल मिडिया एंटी करप्शन
एक्टिविस्ट के सर्वेक्षण में सर्वाधिक ईमानदार शख्सियत माने गए है ,,इनके
विरुद्ध ढूंढने पर भी कोई अनियमितता या भ्रष्टाचार का मामला नहीं मिल पाने
के कारण सोशल मिडिया ऐंटीकरप्शन एक्टिविस्टों ने सवाई सिंह गोदारा को एक
आदर्श मॉडल पुलिस अधिकारी माना है ,,,,बाराह जुलाई उन्नीस सो तिरेसठ में
जन्मे सवाई सिंह गोदारा की प्रारम्भिक शिक्षा जैलसमेर में होने के बाद
इन्होने वाणिज्य में मास्टर डिग्री एम कॉम किया ,,फिर राजस्थान पुलिस
सेवा में चयनित होने के बाद वोह पूरी महनत और ईमानदारी के साथ पुलिस सेवा
में जुट गए ,,अपराध नियंत्रण का दर्शन इन्हे पढ़ने और क्रियान्वित करने का
शोक रहने से पुलिस सेवा मेंइनकी ,,ईमानदार ,,निर्भीक ,,अपराध नियंत्रक ,,,
की छवि बनाने के लिए काफी था ,,,दूसरे पुलिस अधिकारीयों से अलग कार्यशैली
,,सभी अधीनस्थों की सुनवाई ,,ईमानदारी में उनकी मदद और बुराई की शिकायत आने
पर उनके खिलाफ पहले समझाइश फिर सख्त कार्यवाही ने उन्हें ईमानदार और
कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी कर्मचारियों में अपनी विशिष्ठ पहचान बनाई है
,,,अपराध नियंत्रण और अंधी अपराध गुत्थियाँ सुलझाने के मामले मे सवाई सिंह
गोदारा का अनुकरणीय फार्मूला है वोह पहले अपराध की प्रक्रिया समझते है
,,वैज्ञानिक तरीके के अनुसंधान पर ज़ोर देते है फिर अपनी निजी मुखबीरी
प्रणाली से पुष्टी कर विवेकाधिकार का सकारात्मक उपयोग करते है और क़ानून के
हाथ अपराधी तक पहुंच जाने के बाद अपराधी जेल की सलाखों में होता है ,,
अपराध नियंत्रण मामले में कोई समझोता नहीं बेखौफ होकर निष्पक्षता से
अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही और निर्दोषो की रिहाई इनकी पहचान है ,,,,सवाई
सिंह गोदारा वर्ष दो हज़ार दस में भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए यह
बाड़मेर ,,सवाईमाधोपुर सफलतापूर्वक पुलिस अधीक्षक का काम कर चुके है ,,,कोटा
पुलिस अधीक्षक का पद इनके लिए चुनौती पूर्ण है लेकिन कोटा की सियासत
,,कोटा की पत्रकारिता ,,,कोटा के अपराधियो के तोर तरीके ,,,अपराध
नियंत्रण के फार्मूले ,,मुखबीर प्रणाली ,,,थाना क्षेत्रो में अपराध शैली
,,,घटनाओ कीपूर्व सुचना एकत्रीकरण ,,घटनाओ और अपराध के पीछे की बुनियाद को
सवाई सिंह पुलिस अधीक्षक ने जांचा है परखा है और यही कारन है के इनके
कार्यकाल में पिछले अपराध में भी अभियुक्त नामज़द किये जाकर पकड़े गए है
,,जबकि अपेक्षाकृत अपराध नियंत्रण और अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्यवाही
होने लगी है ,,आम जनता की सुनवाई ,,पुलिस अपराध के खिलाफ सुनवाई ,,,पुलिस
के मान सम्मान के खिलाफ अपराध की सुनवाई ,,पुलिस की निजी परेशानियों की
सुनवाई उनका निष्पक्षता से निराकरण ,,अधीनस्थ अधिकारीयों के क्षेत्राधिकार
में कोई दखल अंदाज़ी नहीं ,, प्रशासन में खासकर जिला मजिस्ट्रेट से सूचनाओ
का आदान प्रदान ,,आपसी चर्चा के बाद कोटा में क़ानून व्यवस्था नियंत्रण
मामले में सकारात्मक परिणाम मिलते है ,,,हाल ही में कोटा में जेन समाज का
जुलुस निकाला गया ,, छात्र संघ के चुनाव हुए ,,,कई धरने ,,कई आक्रामक
प्रदर्शन हुए ,,,उर्दू के हमदर्दो की ऐतिहासिक रैली निकाली गई लेकिन सभी
प्रदर्शनकारियों के लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा करते हुए उनकी प्रदर्शन
आज़ादी के साथ आम जनता के हित संरक्षण का पूरा ज़िम्मेदारी से ख़याल रखा गया
,,जुलुस नियंत्रण शांतिपूर्ण कामयाब रहा ,,,,,और पुलिस अधीक्षक सवाई सिंह
का प्रबंधन ऐतिहासिक बन गया ,,ऐसे टीम भाव से काम करने वाले सजग ,,सतर्क
,,अनुशासित ,,निर्भीक ,,निष्पक्ष ईमानदार पुलिस अधिकारी को सलाम ,,सेल्यूट
,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
धार्मिक मान्यता के अनुसार, निधिवन के अंदर बने 'रंग महल' में रोज रात को कन्हैया आते हैं। रंग महल में राधा और कन्हैया के लिए रखे गए चंदन के पलंग को शाम सात बजे से पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है।
निधिवन की भूमि इतनी पवित्र है कि यहां लगे पेड़ों की डालें ऊपर की तरफ बढ़ने की बजाए जमीन की ओर अपना रुख मोड़ लेती हैं। इस बारे में भीख चंद्र गोस्वामी कहते हैं कि यहां नंद गोपाल के चरणों में सिर्फ भक्त ही नहीं, बल्कि पेड़-पौधे भी उनकी मिट्टी में समा जाना चाहते हैं। इसलिए ये पेड़ हमेशा आसमान की ओर नहीं,बल्कि जमीन की ओर बढ़ते हैं। आलम अब ये चुका है कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडे के सहारे रोका गया है।
गोसाईं भीख चंद्र गोस्वामी एक वाकया याद करते हुए बताते हैं कि करीब 10 साल पहले संतराम नामक एक राधा-कृष्ण का भक्त था। वह जयपुर से आया था। वह भगवान की भक्ति में इतना लीन हो गया कि उसने रासलीला देखने की ठान ली और चुपके से निधिवन में छिपकर बैठ गया। सुबह जब मंदिर के पट खुले तो वह बेहोश था। संतराम जब होश में आया तो वह अपना मानसिक संतुलन खो चुका था।
संतराम को उसके परिवार के पास जयपुर भिजवाने वाले वृंदावन के स्थानीय निवासी कृष्णा शर्मा ने कहा, 'ऐसी कई घटनाएं मैंने भी सुनी हैं, लेकिन संतराम के साथ जो हुआ उसका मैं प्रत्यक्ष गवाह हूं। वह कहते हैं कि करीब पांच साल बाद संतराम ठीक होकर फिर वृंदावन आया था। जैसे ही वह निधिवन की ओर बढ़ा, एक बार फिर वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठा।'
सुबह पांच बजे जब 'रंग महल' के पट खुलते हैं तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। ऐसी मान्यता है कि रात के समय जब कन्हैया आते हैं तो राधा जी 'रंग महल' में श्रृंगार करती हैं। चंदन के पलंग पर कन्हैया आराम करते हैं। उसके बाद राधा जी के संग 'रंग महल' के पास बने 'रास मंडल' में रास रचाते हैं।
खास बात ये है कि इस निधिवन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में तब्दील हो जाती हैं।