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14 सितंबर 2015

गंदगी देख महिला कलेक्टर ने उठाया कचरा फिर लगाई दुकानदारों की क्लास

बाएं कलेक्टर की आज की फोटो। दाएं जब (9 दिसंबर, 2014) उन्होंने अपने सफाई अभियान के कारण सुर्खियां बटोरी थीं।
बाएं कलेक्टर की आज की फोटो। दाएं जब (9 दिसंबर, 2014) उन्होंने अपने सफाई अभियान के कारण सुर्खियां बटोरी थीं।
पुष्कर. अजमेर की कलेक्टर डॉ. आरुषि ए. मलिक सफाई को लेकर हमेशा सुर्खियों में रही हैं। वो पुष्कर मेले की व्यवस्था देखने दौरे पर निकली थीं। हैरिटेज वॉक के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर को अव्यवस्थाओं से रूबरू होना पड़ा। जगह-जगह गंदगी बिखरी मिली तो कलेक्टर ने अपने हाथों से ही सड़कों पर बिखरा कचरा उठाया, लेकिन उन्हें कचरा डालने के लिए कहीं कचरा पात्र नहीं दिखाई दिया। मेला स्थल पर हर जगह गंदगी देख खुद उसकी सफाई में लग गईं। लेकिन उन्हें कचरा डालने के लिए कहीं कचरा पात्र नहीं दिखाई दिया। सफाई के बाद उन्होंने वहां के दुकानदारों को फटकार लगाई फिर ईओ को अभियान चलाकर सफाई कराने तथा गंदगी फैलाने वाले दुकानदारों को आर्थिक दंड से दंडित करने के निर्देश दिए।
क्लीन सिटी बने पुष्कर
बैठक को संबोधित करते हुए कलेक्टर ने कहा कि उनकी मंशा है कि तीर्थ नगरी पुष्कर जिले की सबसे क्लीन सिटी बने। इसके लिए उन्होंने पालिका प्रशासन के साथ-साथ कस्बे के सभी पार्षदों व नगरवासियों से सहयोग की अपेक्षा की।
पहले भी अपने सफाई अभियान को लेकर बटोर चुकी हैं सुर्खियां
महिला कलेक्टर मलिक पहले भी अपने सफाई अभियान के कारण चर्चा बटोर चुकी हैं। जब पूरे भारत में नेता और अभिनेता फोटो खिंचवाने के लिए दिखावे के सफाई अभियान में लगे थे तब कलेक्टर डॉ. आरुषि ए. मलिक अपने कर्मचारियों संग मिलकर ऐसी सफाई की थी कि उनका चेहरा भी काला हो गया था। उस समय उन्होंने पहले झाड़ू लगाया था फिर फावड़े कचरे को इक्कठा कर उसे डस्टबीन में डाला था।

प्रिंसिपल ने बताया- अटलजी नहीं रहे, टीचर ने स्कूल में की श्रद्धांजलि सभा, छुट्टी dainikbhaskar.com Sep 14, 2015, 17:06 PM IST Print Decrease Font Increase Font Email Google Plus Twitter Facebook COMMENTS 1 प्रिंसिपल ने बताया- अटलजी नहीं रहे, टीचर ने स्कूल में की श्रद्धांजलि सभा, छुट्टी नई दिल्ली. ओडिशा के बालासोर में एक स्कूल के प्रिंसिपल कमलकांत दास ने फोन कर अपने टीचर को बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी नहीं रहे। इसलिए स्कूल को बंद कर स्टूडेंट्स को एक दिन की छुट्टी दे दी जाए। प्रिंसिपल के फोन के बाद स्कूल में छुट्टी तो कर ही दी गई, इससे पहले श्रद्धांजलि सभा भी हुई। ऐसा शुक्रवार को ओपाडा ब्लॉक में बुढाकुंटा अपग्रेडेट प्राइमरी स्कूल में हुआ। कलेक्‍टर ने तीन दिन में मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। प्रिंसिपल ने क्यों किया फोन? प्रिंसिपल ने कहा कि उन्हें एक दूसरे स्कूल में टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान जानकारी मिली। वहां दूसरे सहयोगी टीचर्स से ने बताया कि वाजपेयी जी की मौत हो गई है। प्रिंसिपल ने कहा कि इससे वे काफी दुखी हुए और फोन कर स्कूल में छुट्टी देने के लिए कह दिया। झारखंड की शिक्षा मंत्री ने कलाम को दे दी थी श्रद्धांजलि इसी तरह का एक मामला पिछले दिनों झारखंड में भी सामने आया था। वहां राज्य की शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की तस्‍वीर पर माला चढ़ा कर उन्‍हें श्रद्धांजिल दे दी थी। इसके कुछ दिन बाद ही पूर्व राष्ट्रपति का निधन हो गया था।


प्रिंसिपल ने बताया- अटलजी नहीं रहे, टीचर ने स्कूल में की श्रद्धांजलि सभा, छुट्टी
 
नई दिल्ली. ओडिशा के बालासोर में एक स्कूल के प्रिंसिपल कमलकांत दास ने फोन कर अपने टीचर को बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी नहीं रहे। इसलिए स्कूल को बंद कर स्टूडेंट्स को एक दिन की छुट्टी दे दी जाए। प्रिंसिपल के फोन के बाद स्कूल में छुट्टी तो कर ही दी गई, इससे पहले श्रद्धांजलि सभा भी हुई। ऐसा शुक्रवार को ओपाडा ब्लॉक में बुढाकुंटा अपग्रेडेट प्राइमरी स्कूल में हुआ। कलेक्‍टर ने तीन दिन में मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
प्रिंसिपल ने क्यों किया फोन?
प्रिंसिपल ने कहा कि उन्हें एक दूसरे स्कूल में टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान जानकारी मिली। वहां दूसरे सहयोगी टीचर्स से ने बताया कि वाजपेयी जी की मौत हो गई है। प्रिंसिपल ने कहा कि इससे वे काफी दुखी हुए और फोन कर स्कूल में छुट्टी देने के लिए कह दिया।
झारखंड की शिक्षा मंत्री ने कलाम को दे दी थी श्रद्धांजलि
इसी तरह का एक मामला पिछले दिनों झारखंड में भी सामने आया था। वहां राज्य की शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की तस्‍वीर पर माला चढ़ा कर उन्‍हें श्रद्धांजिल दे दी थी। इसके कुछ दिन बाद ही पूर्व राष्ट्रपति का निधन हो गया था।

उर्दू में लिखा ज्ञापन लेने से इनकार कर दिया

लखनऊ।केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के तेवर सोमवार को उन्हें फिर चर्चा में ले आए। वजह ये थी कि उन्होंने उर्दू में लिखा ज्ञापन लेने से इनकार कर दिया।स्मृति जब शिक्षा नीति पर सेंट्रल जोन की बैठक के बाद डॉ. राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय से निकल रही थीं उसी वक्त उर्दू को त्रिभाषा में स्थान दिलाने के लिए 25 साल से जंग लड़ रहे अब्दुल नसीर नासिर ने अपना ज्ञापन देना चाहा।इसे देखते ही स्मृति का मिजाज तल्ख हो गया।
उर्दू के लिए सरकारी तंत्र से लड़ाई लड़ रहे नासिर की ‘गनी तालीमी मरकज’ नाम से संस्था भी है।उन्होंने इसी संस्था के लेटर हेड पर स्मृति को ज्ञापन देने की कोशिश की थी।अब्दुल के मुताबिक स्मृति ने उनका ज्ञापन बाकायदा फेंक दिया और साफ लफ्जों में कहा कि वह उर्दू में लिखा ज्ञापन नहीं लेंगी।इस पर अब्दुल ने मंत्री को बताया कि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि किसी भी भारतीय भाषा में आवेदन दिया जा सकता है लेकिन स्मृति ने इसके बावजूद ज्ञापन लेने से मना कर दिया।
अब्दुल नसीर नासिर का कहना है कि उर्दू को त्रिभाषा फॉर्म्युला में जगह दिलाने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा लड़ा।इसमें उन्हें जीत भी मिली। अदालत के फैसले को लागू कराने के लिए ही वह स्मृति ईरानी से मिले थे।उनकी ये मांग भी है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी का नाम मौलवी मोहम्मद बकर के नाम पर कर दिया जाए।बता दें कि साल 1857 में मौलवी बकर ने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारियों में अलख जगाई थी।बाद में उन्हें गिरफ्तार कर तोप से बांधकर उड़ा दिया गया था।
भगवाकरण का लगाया आरोप-अब्दुल ने आरोप लगाया कि मानव संसाधन विकास मंत्री शिक्षा का भगवाकरण करने पर उतारू हैं।उन्होंने कहा कि उर्दू में ज्ञापन न लेकर उसे फेंक देने से ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं होगा।उन्होंने कहा कि स्मृति के पास ही खड़े यूपी के माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली ने कहा कि ज्ञापन दे दो, मैं ट्रांसलेट कराकर भेज दूंगा।इस पर अब्दुल ने उनसे कहा कि ये एचआरडी मिनिस्ट्री का मामला है और इसमें आप कुछ नहीं कर सकते।
अब पोस्ट के जरिए भेजेंगे ज्ञापन
अब्दुल नसीर नासिर ने कहा कि स्मृति ने भले ही उर्दू में लिखा ज्ञापन लेने से मना कर दिया, लेकिन अब वह डाक के जरिए ये ज्ञापन मंत्री को भेजेंगे। साथ ही उन्होंने ये कहा कि जान रहने तक उर्दू को मान्यता दिलाने के लिए काम करते रहेंगे और हर स्तर पर अपने अभियान को ले जाएंगे...

सहारा ग्रुप को बड़ा झटका, पैसे डिपॉजिट करने वाली कंपनी का सर्टिफिकेट रद्द

फाइल फोटो: सहारा चीफ सुब्रत रॉय।
फाइल फोटो: सहारा चीफ सुब्रत रॉय।
नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ने सहारा की पैराबैंकिंग कंपनी सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉरपोरेशन (SIFC) के NBFC सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है। यह खबर पीटीआई के हवाले से आई है।
सहारा ग्रुप की यह कंपनी आम लोगों से रोजाना पैसे इकट्ठा करने के लिए जानी जाती है। रिजर्व बैंक के इस कदम से सहारा ग्रुप की यह कंपनी लोगों से पैसे डिपॉजिट नहीं कर पाएगी। एक्सपर्ट सहारा के लिए इसे बड़ा झटका मान रहे हैं।
जेल में बंद हैं सहारा चीफ
इस ग्रुप के चीफ सुब्रत रॉय दिल्ली की तिहाड़ जेल में करीब डेढ़ साल से बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सहारा अपने इन्वेस्टर्स को 36 हजार करोड़ रुपए दे। इस रकम को सहारा को 18 महीने में 9 किश्तों में जमा करना है।

तुम चाहो न चाहो

तुम चाहो न चाहो
अब कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ता
क्यूंकि तुम्हारी फ़िक्र
तुम्हारी तड़पन की वजह से
अब मोत मुझे चाहने लगी है ,,,अख्तर

मेने कोनसा

दिन रात
तुम्हे चाहकर भी
मेने कोनसा
कमाल किया
देखो
मोत ने
एक पल को चाहा
और में
हमेशा के लिए
उसका हो गया ,,,अख्तर

इधर मेरी मोत

इधर मेरी मोत
उधर तुम्हारे उदास
चेहरे पर ख़ुशी
इधर तुम्हारा गुमसुम सा रहना
उधर मेरी मोत की खबर से
तुम्हारा चहकना ,,
तुम्हारा इठलाना
मुझे खबर होती अगर
मेरी मोत
तुम्हारी पसंद है
सच में कमबख्त मोत को
कभी का गले लगा लेता
सिर्फ तुम्हारी ख़ुशी के खातिर ,,अख्तर

बिहार विधानसभा चुनाव

नई दिल्ली. बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी 160, एलजेपी 40, आरएलएसपी 23 और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बीजेपी हेडक्वॉर्टर्स में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह एलान किया। उन्होंने कहा, 'उनकी पार्टी के सिंबल (कमल निशान) पर मांझी जी की पार्टी के कुछ कैंडिडेट चुनाव लड़ेंगे। यह कितने सीटों पर होगा, यह मांझी तय करेंगे।' शाह के साथ बिहार में एनडीए के सभी नेता मौजूद रहे। इससे पहले सुबह को हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के जीतन राम मांझी ने बीजेपी प्रेसिडेंट से उनके घर जाकर मुलाकात की थी। इसके बाद शाह ने मांझी को मिठाई खिलाई थी।
किसको कितनी सीटें?
कुल- 243 सीट
बीजेपी-160
एलजेपी (पासवान)-40
आरएलएसपी (कुशवाहा)-23
हम (मांझी)-20 सीट

रॉबर्ट वाड्रा ने कहा-VIP लिस्ट से हटने के लिए खुद अपने नाम पर लगाऊंगा टेप

फाइल फोटो- सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा।
फाइल फोटो- सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा।
नई दिल्ली. कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने एयरपोर्ट पर उन्हें मिलने वाले वीआईपी ट्रीटमेंट को बंद करने के लिए सोशल साइट फेसबुक का सहारा लिया है। वाड्रा ने लिखा है, ''मैं कोई वीवीआईपी या वीआईपी नहीं हूं, बल्कि भारत का एक आम नागरिक हूं। पहले भी कई बार संबंधित अथॉरिटी को एयरपोर्ट की वीआईपी लिस्ट से मेरा नाम हटाने के लिए लिख चुका हूं, लेकिन सरकार ने अब तक मेरा नाम नहीं हटाया। अब देश के हर एयरपोर्ट पर जाकर खुद लिस्ट में लिखे अपने नाम पर टेप चिपकाऊंगा। मेरे साथ आम नागरिकों की तरफ बिहैव किया जाना चाहिए।''
वाड्रा के VIP स्टेटस को लेकर क्यों है विवाद?
कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा एयरपोर्ट पर मिलने वाली सिक्युरिटी चेक में छूट को लेकर विवादों में रहे हैं। विरोधी पार्टियां कई मौके पर सवाल उठाती रही हैं कि आखिर क्यों रॉबर्ट वाड्रा को एयरपोर्ट पर वीआईपी माना जाए? इस बीच, मोदी सरकार के एविएशन मिनिस्टर ने साफ किया था कि एयरपोर्ट की वीआईपी लिस्ट से वाड्रा का नाम हटाने का उनका कोई इरादा नहीं है। लेकिन अब रॉबर्ट वाड्रा खुद एयरपोर्ट्स की वीआईपी लिस्ट से अपना नाम हटाने पर अड़ गए हैं।

अल्लाह का शुक्र व अहसान हे

मोहतरम हजरात।अस्सलामु अलैकुम।।।। अल्लाह का शुक्र व अहसान हे की उसने हमे उम्मते मुस्लिमाँ बनाया ।जिसके ऊपर उसने फलाह और खैर की जिम्मेदारी डाली ।हमे अदब और तहजीब और तहजीब वाले ऐसे गिरोह से जोड़ा जो जमीन पर बिना फ़र्क़ भेदभाव किये सिर्फ इंसान हक़ का पैरोकार बन कर उस की तब्लीग करे।। यही वजह रही की जब हमारे सूबे में अदब और तहजीब की जबा उर्दू के खिलाफ साजिश की बू आने लगी तो शहर के पांच लाख लोगो ने उर्दू की हिमायत में सदा बुलंद कर लब्बेक का नारा लगाया।। आज अल फलाह एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी इन तमाम उर्दू हमियों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हे और इनकी हिमायत को एजाज़ के क़ाबिल समझती हे। साथ अल फलाह एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी उर्दू से जुड़े तमाम मर्द ख़वातीन टीचरो से अपील करती हे की वे अपने आस पास रहने वाले मर्द ,औरत,बूढे ,बच्चे और जवानो को उर्दू की तालीम् दे। उर्दू सिखाये ।उनकी जिंदगी में अदब और तहजीब की तरह पेवस्त करें। उन्हें बताएं उर्दू किस तरह उनके किरदार को बुलंदी तक पहुंचा सकती हे ।और उन्हें इज्जत सम्मान दिला सकती हे ।। उम्मीद हे आप खैर फलाह की इस मुहीम में अल फलाह एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी को ताव्वून देकर उर्दू की हिमायत कर बेहतरीन शहरी होने का सबूत देंगे।।।। शुक्रिया। अतीक अहमद अंसारी।।।.
Rafiq beliyam

क़ुरआन का सन्देश

  
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