आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

18 सितंबर 2015

61 लाख रुपए का बकरा: AC कमरा, घूमता है कार में

61 लाख रुपए कीमत वाले बकरे के साथ उसके मालिक गोविंद चौधरी।
61 लाख रुपए कीमत वाले बकरे के साथ उसके मालिक गोविंद चौधरी।
भरतपुर/भीलवाड़ा. 25 सितंबर को बकरीद से पहले राजस्थान में एक स्पेशल बकरे को खरीदने को लेकर होड़ मची हुई है। इसे खरीदने के लिए 48 लाख रुपए तक की बोली लग चुकी है। लेकिन बकरे के मालिक गोविंद चौधरी इसे 61 लाख रुपए से कम में बेचने के लिए तैयार नहीं हैं। बकरे का ट्रीटमेंट आलीशान है। इसके मालिक इसे कार से लेकर आते-जाते हैं। जबकि, इसे खाने में सिर्फ ड्राई फ्रूट ही दिया जाता है।
क्यों लगी इतनी बोली?
लोगों को यह बकरा एक खास कारण से लुभा रहा है। दरअसल, इसके कान पर कुछ ऐसी आकृतियां बनी हैं, जिन्‍हें देख कर लगता है कि 'यासीन' (कुरआन की एक आयत) और 'मुहम्‍म्‍द' जैसे शब्‍द उकेरे हुए हों। इसलिए बकरीद पर कुर्बानी देने के मकसद से बकरा खरीदने वाले लोग इसके लिए ऊंची बोली लगा रहे हैं। बकरे के मालिक गोविंद को यकीन है कि उन्हें इसकी और ज्यादा कीमत मिलेगी।
एयरकंडीशंड कमरे में रखा जाता है बकरा
भरतपुर जिले के मूल निवासी गोविंद फिलहाल भीलवाड़ा में रहते हैं। यहां उन्‍होंने अपने बकरे के खाने-रहने का बेहद खास इंतजाम किया हुआ है।
17 महीने के इस बकरे को एयरकंडीशंड कमरे में रखा जाता है। गोविंद ने इसे 9.50 लाख रुपए में खरीदा था।
गोविंद को उम्‍मीद है कि बकरीद के मौके पर उन्‍हें बकरे का अच्‍छा दाम मिल जाएगा। इन दिनों बकरे की बिक्री खूब बढ़ जाती है। इस बार तो ऑनलाइन भी बिक्री हो रही है और इस पर धार्मिक बहस भी छिड़ गई है।

अदर वर्ल्ड किंगडम: यहां महिलाएं समझती हैं पुरुषों को जानवर, कराती हैं गुलामी

महारानी की गाड़ी को खीचता पुरुष गुलाम। (देश के बारे में बनाई गई एक डॉक्युमेंट्री से यह दृश्य लिया गया है।)
महारानी की गाड़ी को खीचता पुरुष गुलाम। (देश के बारे में बनाई गई एक डॉक्युमेंट्री से यह दृश्य लिया गया है।)
इंटरनेशनल डेस्क। 21वीं सदी में कोई भी किसी की गुलामी नहीं करना चाहता। भारत जैसे देश में आमतौर पर महिलाओं को गुलामी सहनी पड़ती है। लेकिन दुनिया में एक ऐसा देश है, जहां पुरुष महिलाओं की गुलामी करते हैं। हैरत की बात तो यह है कि यहां महिलाएं पुरुषों को गुलामी के लिए ही रखती हैं।
'वुमन ओवर मेन' मोटो वाले इस देश का शासन भी महिला के हाथ में है। यह देश 'अदर वर्ल्ड किंगडम' है, जो 1996 में यूरोपियन देश चेक रिपब्लिक से बना था। इस देश की रानी पैट्रिसिया-1 है, जिसका यहां एकछत्र राज चलता है। हालांकि, इसे अन्य राष्ट्रों ने देश का दर्जा नहीं दिया है। इस देश की राजधानी ब्लैक सिटी है।
चेक रिपब्लिक में स्थित इस देश का अपना झंडा, करेंसी, पासपोर्ट और पुलिस फोर्स है। यहां की मूल नागरिक सिर्फ महिलाएं हैं। यहां पुरुषों को जानवर ही समझा जाता है। पुरुष गुलामों से ऊपर कुछ भी नहीं माने जाते हैं। इस देश के निर्माण में दो मिलियन डॉलर (12 करोड़ रुपए) की लागत आई थी।
महारानी के लिए कुर्सी
इस अनोखे देश में दूसरे देश से आने वाले पुरुषों को रानी के लिए सोफा या कुर्सी बनानी पड़ती है, जिस पर वह बैठती हैं। यहां गुलाम को अगर शराब पीने को मिलती है तो वह मा‍लकिन के पैरों पर डाली जाती है और इसके बाद ही गुलाम इसे पी पाता है।
महारानी पैट्रिसिया-1 को ही देश के कानून में परिवर्तन करने का अधिकार है। उन्होंने इस देश की नागरिकता चाहने वाली महिलाओं के लिए कुछ नियम बनाए हैं।
- कोई भी अपनी सहमति से संबंध बनाने की उम्र तक पहुंच गई हो।
- उसके पास कम से कम एक पुरुष नौकर होना चाहिए।
- अदर वर्ल्ड किंगडम के सभी नियमों का पालन करने वाली होनी चाहिए।
- महिला को कम से कम पांच दिन महारानी के महल में बिताने होंगे।
क्या सुविधाएं हैं...
तीन हेक्टयर यानी 7.4 एकड़ की भूमि पर बने देश में कई इमारते हैं। 250 मीटर का ओवल ट्रैक, छोटी झील और घास के मैदान हैं। यहां मुख्य इमारत महारानी का महल है। यहीं से पूरे देश का शासन चलता है। यहां दावत हॉल, लाइब्रेरी, दरबार, यातना गृह, स्कूल रूम, जिम और कैदियों को रखने वाले जेल तहखाने हैं। इसके अलावा यहां स्विमिंग पूल, रेस्टोरेंट और वांडा नाइटक्लब भी हैं।

एक एक

एक एक
करके
अब तो
सभी मुझे
छोड़ कर
चले गए ,,
ऐ मोत
अब तो आजा
मुझे तू
यूँ ही क्यों
सताती है ,,,,,अख्तर

गले लगकर सोने का नया बिजनेस, एक घंटे में कमा लेती हैं 3 हजार रुपए

अपने कस्टमर के साथ जैकी सैमुअल।
अपने कस्टमर के साथ जैकी सैमुअल।
रॉचेस्टर। नींद का मजा लेते ये दोनों किसी आम कपल के जैसे ही नजर आ रहे हैं, लेकिन घंटे भर बाद ये तस्वीर बदल भी सकती है। हो सकता है कि एक घंटे बाद जैकी सैमुअल किसी दूसरे पुरुष के साथ ये बेड शेयर कर रही हों। दरअसल, न्यूयॉर्क के रॉचेस्टर की रहने वाली 32 वर्षीय जैकी सैमुअल एक प्रोफेशनल कडलर (गले लगाने वाली) हैं। वो इस तरह अनजान मर्दों की स्नगलिंग (लिपटकर सोना) के जरिए मदद कर अपनी पढ़ाई और बेटे का खर्च उठा रही हैं। वो रोजाना यूं सोने के बदले में 360 डॉलर (करीब 14 हजार रु.) और एक घंटे के 60 डॉलर (करीब साढ़े 3 हजार रु.) लेती हैं।
पढ़ाई का निकाल रहीं खर्च
पैसों की कमी के चलते जैकी ने स्नगलिंग (लिपटकर सोना) के इस प्रोफेशन को अपनाया। उनका कहना है कि इसमें कुछ भी बुरा नहीं है। मुझे अपनी पढ़ाई और अपने बच्चे के लिए यह काम करना पसंद है। जैकी एक हफ्ते में सैनिकों से लेकर पेंशनर तक तकरीबन 30 पुरुषों के साथ इस तरह वक्त बिताती हैं। कई बार आने वालों में महिलाएं भी होती हैं।
प्रोफेशन को बुरा मानते हैं लोग
जैकी के अनुसार, इस दौरान किसी भी तरह की अश्लील हरकत पर पाबंदी है। साथ ही, अंडरगारमेंट्स से ढके शरीर के किसी भी हिस्से को छूने पर पाबंदी है, लेकिन फिर भी लोग इस पेशे को बुरा मानते हैं। हालांकि, मेरे बिजनेस से ज्यादातर लोग बेखबर हैं, लेकिन इस प्रोफेशन के चलते कॉलेज से उसे निकाले जाने की धमकी भी मिली थी। वहीं, उसके क्लासमेट्स उसे वेश्या तक बुलाते हैं।
ऑनलाइन करती हैं प्रचार
जैकी बताती हैं कि उसके कुछ पुराने कस्टमर ऐसे हैं, जिनकी पत्नियों की मौत हो चुकी है। कुछ ऐसे भी हैं, जो पहली बार लड़की के साथ सोना का अनुभव लेना चाहते हैं। कुछ अपनी घरेलू परेशानियों से घिरे हैं। जैकी अपनी सर्विस का ऑनलाइन प्रचार भी करती हैं। उनका कहना है कि प्रोस्टीट्यूशन का बिजनेस इससे कहीं ज्यादा आसान है, क्योंकि कडलर में अपने को ज्यादा केंद्रित करना होता है।

दुआ कीजिये

दुआ कीजिये
मेरी दुआएं मुकम्मल
पूरी होने तक
नहीं तो
कमसे कम
मेरे ब्लॉग की
पन्द्राह हज़ार पोस्ट
पूरी होने
तक मेरी साँसें
चलती रहें ,,,,अख्तर

तुमने दस्तक दी

तुमने दस्तक दी
मेरी खुशहाल ज़िंदगी में
मुझ हरे भरे को
सुखा अकाल किया
और मुस्कुराते हुए चल दिए
तुम्हारी यह अदा
लाजवाब है लाजवाब है ,अख्तर

पत्रकारों पर हमले को लेकर प्रशासन से शिकायत

कोटा में पत्रकारों पर रिपोर्टिंग के दौरान लगातार दमनकारी नीति के खिलाफ आज कोटा प्रेस क्लब के पदाधिकारियों ने जिला कलेक्टर और पुलिस महानिरीक्षक कोटा रेंज के नाम ज्ञापन सौंप कर पत्रकारों की सुरक्षा की मांग की ,,,,,,पुलिस महानिरीक्षक कोटा रेंज विशाल बंसल ने पत्रकारों की सभी शिकायते धैर्य और संयम से सुनी और आश्वस्त किया के भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति न हो इसका ध्यान रखा जाएगा ,,,,आई जी विशाल बंसल ने कहा के मेले दशहरे सहित कई कार्यक्रमों में पत्रकारों की सुरक्षा को कोई सद्भाविक कार्ययोजना तय्यार की जायेगी ,,उन्होंने पत्रकारों को बताया के किशोरपुरा नगरनिगम के खिलाफ कांग्रेस आंदोलन के वक़्त पत्रकार के चोटिल होने के मामले में जांच चल रही है जिसकी जांच रिपोर्ट आने पर आपको भी दी जायेगी ताकि कोई आपत्ति हो तो सुनवाई की जा सके ,,हाल ही महापौर के नवनिर्माणाधीन भवन की रिपोर्टिंग फोटोग्राफ के वक़्त पत्रकार वसीम और साथी को बंधक बनाने के मामले में कैमरा छीनने की शिकायत होने पर भी इस संबंध में अपराध नहीं बनाने पर भी चर्चा हुई ,,जबकि पत्रकार के खिलाफ दर्ज झूंठे मुक़दमे में भी निष्पक्ष जांच का आश्वासन आई जी विशाल बंसल ने दिया ,,,,,,,,,,,,पत्रकारों पर हमले के मामले में आचार संहिता निर्देश जारी करने के मामले में पत्रकार आज अतिरिक्त जिला कलेक्टर श्रीमती सुनीता डागा से जिला कलकटर की अनुपस्थिति में मिले और कोटा पुलिस सहित सभी संबंधित अधिकारियो को पत्रकारों को रिपोर्टिंग के दौरान सुरक्षा और सहयोग देने की मांग करते हुए पत्रकारों के खिलाफ हमला करने वाले के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की ,,,पत्रकारों के शिष्ठ मंडल में प्रेस क्लब अध्यक्ष धीरज गुप्ता तेज ,,महासचिव हरिमोहन शर्मा ,,,,उपाध्यक्ष जितेंद्र शर्मा ,,कार्यकारिणी सदस्य अख्तर खान अकेला ,,प्रताप सिंह तोमर ,,गिरीश गुप्ता ,,हिमांशु भाई ,,वसीम भाई ,ओमेन्द्र सक्सेना ,,पंडित बद्री प्रसाद गौतम सहित कई पत्रकार साथी शामिल थे ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

नेताजी ही नहीं, उनके खजाने को लेकर भी सस्पेंस बरकरार, क्या उठेगा पर्दा?



नेताजी ही नहीं, उनके खजाने को लेकर भी सस्पेंस बरकरार, क्या उठेगा पर्दा?
नई दिल्ली. नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़ीं 64 फाइलें पश्चिम बंगाल सरकार ने सार्वजनिक कर दी हैं। उम्मीद है कि इन फाइलों के जरिए नेताजी की मौत के राज से पर्दा उठ सकेगा। लेकिन सिर्फ नेताजी ही नहीं, बल्कि उनके पास तब मौजूद रहे खजाने को लेकर भी सस्पेंस बरकरार है। पीएमओ और विदेश मंत्रालय के पास मौजूद कुछ गोपनीय फाइलें बताती हैं कि नेताजी के पास 1945 में 2 करोड़ रुपए कैश और 80 किलोग्राम सोना था। इसकी वैल्यू मौजूदा दौर के हिसाब से 700 करोड़ रुपए थी। 20वीं शताब्दी में आजादी के लिए लड़ रहे किसी भारतीय नेता के पास यह सबसे बड़ा खजाना था। लेकिन आरोप है कि प्लेन क्रैश में नेताजी की संदिग्ध मौत के बाद इस खजाने को कुछ लोगों ने गायब कर दिया। इस राज से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है। dainikbhaskar.com आपको बता रहा है उस खजाने की कहानी...।
नेताजी के पास कैसे इकट्ठा हुआ था खजाना?
अंग्रेजों से भारत को आजाद करने के लिए नेताजी देश के बाहर से लड़ाई लड़ रहे थे। उन्होंने जापान की मदद से आजाद हिंद फौज भी बना ली थी। तभी दूसरा वर्ल्ड वॉर छिड़ चुका था। नेताजी चाहते थे कि अगले कुछ साल उन्हें पैसों के लिए किसी सरकार का सहारा न लेना पड़े। जनवरी 1945 में नेताजी के जन्मदिन पर बर्मा में कई लोगों ने खुलकर दान दिया। इस दान में भारतीय महिलाओं ने ज्वेलरी दी थी। कई अमीर उद्योगपतियों ने पैसा और सोना आजाद हिंद फौज के लिए दिया था।
नेताजी ने खजाना अपने पास क्यों रखा था?

अगस्त 1945 में सेकंड वर्ल्ड वॉर के वक्त जापान ने अलाइड फोर्सेस के आगे घुटने टेक दिए। नेताजी की फौज के 40 हजार जवानों को भी सरेंडर करना पड़ा। 1945 में ब्रिटिश पीएम विंस्टन चर्चिल नेताजी को देखते ही दीवार के सहारे खड़ाकर गोली मार देने का ऑर्डर जारी कर चुके थे। इस वजह से नेताजी अपना बेस शिफ्ट करना चाहते थे। यही कारण है कि वे रंगून से ताइवान जा रहे थे। ताइवान से उनकी रूस जाने की प्लानिंग थी। आगे की प्लानिंग के मकसद से नेताजी ने 1956 में अपनी बनाई आजाद हिंद बैंक से 1 करोड़ रुपए कैश निकाला और 17 सीलबंद बक्सों में सोने की ईंटें निकालकर अपने पास रखी थीं।
1945 में ताइवान क्यों जा रहे थे नेताजी?
इंडिया टुडे ग्रुप ने नेताजी से जुड़ीं पीएमओ और विदेश मंत्रालय की फाइलें एक्सेस की थीं। अपनी रिपोर्ट में इंडिया टुडे ने दावा किया कि नेताजी 1945 में रंगून में थे। यहां उनकी बनाई इंडियन नेशनल आर्मी का हेडक्वार्टर था। इसे आजाद हिंद फौज भी कहते थे। अगस्त 1945 में नेताजी यहां से खजाना साथ लेकर रवाना हुए। वे पहले बैंकॉक गए। फिर वहां से सड़क के रास्ते ही सिंगापुर गए। सिंगापुर में वे कुछ महीने रुके। उनके साथ सोना था, जो भारतीयों ने उन्हें देश की आजादी की लड़ाई में मदद के लिए दिया था। नेताजी ने बाद में वियतनाम के सायगॉन में खजाने का बड़ा हिस्सा छोड़ दिया। इसके बाद वे डा नेंग से ताइवान के लिए प्लेन में रवाना हुए। लेकिन दावा किया जाता है कि रास्ते में उनका प्लेन क्रैश हो गया। उनके साथ प्लेन में 18 इंच की दो सूटकेस थीं। बताया जाता है कि इसमें सोना था।
कितना था नेताजी के पास खजाना? मौत के बाद कितना मिला?
जनवरी 1945 में बर्मा में नेताजी के जन्मदिन पर आजाद हिंद फौज के लिए भारतीयों ने दिल खोलकर दान दिया था। एस ए अय्यर और रामा मूर्ति को नेताजी की मौत के बाद में यह सोना मिला।
80 किलोग्राम सोना और 2 करोड़ रुपए कैश नेताजी के पास था। नेताजी की मौत के बाद सिर्फ 11 किलोग्राम सोना पाया गया।
इसमें ज्वेलरी, सोने के सिक्के और ईंटें भी शामिल थीं। यह सब आजाद हिंद बैंक में जमा कराया गया था। इसमें जली हुई अंगूठियां, पिनें और गले के कुछ हार थे।
मौजूदा दौर के मुताबिक इस खजाने की वैल्यू 700 करोड़ रुपए मानी गई है। अय्यर और मूर्ति पर नेताजी के खजाने की हेराफेरी का आरोप था।
किस पर था नेताजी के खजाने को लूटने का शक?
1. एसए अय्यर, नेताजी की आजाद हिंद गवर्नमेंट में पब्लिसिटी मिनिस्टर रहे।
2. एम रामा मूर्ति, टोक्यो में इंडियन इंडिपेंडेंस लीग के हेड, नेताजी के करीबी।
सितंबर 1945 में अय्यर और मूर्ति को ही आखिरी रस्म के तौर पर नेताजी की अस्थियां दी गई थीं। दावा है कि इसी के साथ उन्हें वह सोना भी सौंपा गया था जो आखिरी वक्त में नेताजी के पास था। अय्यर के बेटे और आर्मी से रिटायर्ड ब्रिगेडियर ए. त्यागराजन का कहना है कि उनके पिता पर लगे खजाने की हेराफेरी के आरोप बेबुनियाद हैं। उनके पिता के पास नेताजी से जुड़ा कोई सोना नहीं था। वहीं, मूर्ति के भाई जे. मूर्ति के बेटे आनंद मूर्ति भी आरोपों से इनकार करते हैं।
1947 के बाद नेताजी के खजाने को लेकर क्या हुए थे दावे?

नेताजी के खजाने से जुड़ी कहानी ताइवान प्लेन क्रैश पर ही खत्म नहीं हुई। कई डिप्लोमैट्स ने तब की नेहरू सरकार को खत लिखे और आरोप लगाया कि नेताजी के कुछ करीबी लोगों ने ही उनके खजाने के साथ हेराफेरी की है।
- नवंबर 1947 : टोक्यो में भारत के पहले इंडियन लायसन मिशन के हेड रहे बेनेगल रामा राव ने नेहरू सरकार को खत लिखा। उन्होंने आरोप लगाया कि नेताजी के खजाने और उनके साथ आखिरी वक्त तक मौजूद रहे बेशकीमती सामान के साथ रामा मूर्ति ने हेराफेरी की है।

- मई 1951 : टोक्यो में ही इंडियन लायसन मिशन के हेड रहे के.के. चेट्टूर ने लिखा कि नेताजी के खजाने के अचानक गायब हो जाने में उनके करीबी रहे रामा मूर्ति और अय्यर की कोई न कोई भूमिका है।

- 1952 : दिल्ली में विदेश मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी रहे आरडी साठे ने नेहरू सरकार को बताया कि नेताजी के पास जो खजाना था, वह उनके अपने वजन से ज्यादा था। ऐसे में उनकी मौत के बाद उनके खजाने के बाद क्या हुआ होगा, यह राज है। इसकी जांच होनी चाहिए।

- 1955 : टोक्यो में भारत के राजदूत रहे एके डार ने नेहरू सरकार को भेजे लेटर में कहा- सरकार को सार्वजनिक तरीके से यह जांच करानी चाहिए कि नेताजी के खजाने को गायब करने वाले लोग कौन हैं? उन्होंने कहा कि 10 साल भारत ने गंवा दिए।

- 1956 : नेताजी के लापता होने की जांच के लिए बनी शाहनवाज कमेटी ने आजाद हिंद फौज के गायब हुए खजाने के लिए अलग से जांच कराने की सिफारिश की।

- 1957 : बैंकाॅक में इंडियन इंडिपेंडेंस लीग के हेड रहे देवनाथ दास ने शाहनवाज कमेटी को बताया कि नेताजी ने 1956 में आजाद हिंद बैंक से 1 करोड़ रुपए कैश और 17 सीलबंद बक्सों में सोने की ईंटें निकालकर अपने पास रखी थीं।

- 1971 : नेताजी से जुड़े राज की जांच के लिए बने जस्टिस जीडी खोसला के कमिशन के सामने दो गोपनीय लोगों ने गवाही दी। उन्होंने बताया कि नेताजी का खजाना उनकी मौत के तुरंत बाद हड़प लिया गया था। इसमें रामा मूर्ति अौर उनके भाई जे. मूर्ति की भूमिका हो सकती है।

- 1978 : मोरारजी देसाई की सरकार ने 18 पेज का सीक्रेट नोट तैयार किया था। इसमें नेताजी के करीबी कुंदन सिंह के हवाले से बताया गया था कि नेताजी के पास चार बड़े बक्सों में ज्वेलरी थी जो भारतीय महिलाओं ने उन्हें अंग्रेजों से जंग लड़ने के लिए दान में दी थी।
नेहरू सरकार पर क्या लगे आरोप?
- मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि डिप्लोमैट्स की जानकारी को पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नजरअंदाज कर दिया था।
- 1952 में नेहरू यह एलान भी कर दिया कि ताइवान में प्लेन हादसे में नेताजी की मौत हो चुकी है।
- यही नहीं, 1953 में अय्यर को नेहरू सरकार की पंचवर्षीय योजना में पब्लिसिटी एडवाइजर अपॉइंट किया गया।
- डिक्लाइसिफाई होने के बाद नेशनल आर्काइव्स में रखी गईं फाइल्स बताती हैं कि नेहरू सरकार ने 1947 से 1968 तक नेताजी के परिवार की जासूसी भी करवाई।
नेताजी की फाइलों को लेकर क्या है स्थिति?

- नेताजी से जुड़ी 37 सीक्रेट फाइल्स पीएमओ में हैं।
- नेताजी के पड़पोते सूर्य कुमार बोस का दावा है कि 1945 से लेकर अब तक नेताजी से जुड़ी 150 से ज्यादा सीक्रेट फाइल्स सरकार के पास हैँ जिन्हें जानबूझकर पब्लिक नहीं किया जा रहा है। नेताजी के परिवार का कहना है कि अगर ये फाइलें पब्लिक हो जाएं तो आजाद भारत के गुनगहारों का पर्दाफाश हो जाएगा।
- पश्चिम बंगाल सरकार ने उसके पास मौजूद 64 फाइलें शुक्रवार को पब्लिक की हैं।

एसपी ऑफिस जाना भुला दूंगा


एएसपी से फरयाद की तो..... थानाधिकारी ने फरयादी के पुरे परिवार को किया बंद
कोटा 18 सितम्बर किशोरपुरा थाना क्षेत्र के साजी देवड़ा में बुधवार सुबह को पडोसीयों में कहा सुनी के बाद पड़ोस में रहने वाले युवक ईमरान ने पड़ोस में रहने वाली शकीला व उनकी पुत्री रुक्सार पर घर में घुस कर कपडे धोने वाले धोना से हमला कर दिया जिस से शकीला के सरीर पर कई जगह व रुक्सार के दायें हाथ की कोनी में हड्डी टूट गई व दोनों को चोटें आई है इसकी शिकायत लेकर जब पीड़ित महिला व उसकी पुत्री किशोरपुरा थाने पहुंची तो थानाधिकारी सवाई सिंह रतनु ने उन्हें रिपोर्ट लिख कर लाने को कहा वे जब रिपोर्ट लेकर पहुंची तो उन पर हमला करने वाले युवक की माँ पहले से थाने पर मौजूद थी शकीला ने रिपोर्ट दी तो थाना अधिकारी ने उन्हें एंव उनकी पुत्री को ही बंद कर दिया इसकी सुचना जब शकीला के पति अब्दुल खालिक को लगी तो वे थाने पहुंचे और दोषी ईमरान के बजाये उनके परिवार को बंद करने की वजह जाननी चाही तो थाना अधिकारी ने उन्हें थाने से भगा दिया जिसके बाद खालिक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सांतनु कुमार से मिले और उचित कार्यवाही की गुहार लगाई एएसपी ने फरयादी की सिकायत पत्र पर लिख कर किशोरपुरा थाने जाकर बताने को कहा जब खालिक थाना अधिकारी से दोबारा मिला और एएसपी द्वारा दिए कागज को दिखाया तो थानाधिकारी को इतना गुस्सा आया की उसने पूरे परिवार को शांतिभंग में बंद कर दिया और कहा की एसपी ऑफिस जाना भुला दूंगा गुरूवार साम तीनों ने जमानत कराई जिस के बाद पुलिस ने मेडिकल कराया तब जाकर रुक्सार के हाथ में प्लास्टर बंधा गया और थाना अधिकारी की मेहरबानी व मिलीभगत के चलते घर में घुस कर मारपीट करने वाले युवक ईमरान पर अब तक कोई कर्येवाही नहीं हो सकी ईस मामले का पता चलने पर स्थानीय पार्षद मोहम्मद हुसैन ने कहा की थाना अधिकारी की आये दिन लोगो को नजाएज परेसान करने की शिकायतें आ रही है इस संम्बंध में पहले भी पुलिस अधीक्षक प्रथम राजेन्द्र ओझा से मिलकर औगत कराया था पर अब तक थाना अधिकारी सवाई सिंह रतनु पर कोई कार्यवाही नहीं की गई वे सोमवार को कोटा एसपी से मिलकर थाना अधिकारी व खालिक के परिवार के साथ मारपीट करने वाले पर कारवाही की एंव थाना अधिकारी द्वारा पद का दुरूपयोग करने की शिकायत देंगे

पेशावर एयरफोर्स कैंप पर हमला: नमाज पढ़ रहे 16 लोगों को भूना, 13 आतंकी ढेर

पेशावर. पाकिस्तान के पेशावर में आर्मी स्कूल पर हमले के ठीक 9 महीने बाद तहरीक-ए-तालिबान ने फिर बड़ा हमला किया है। शुक्रवार सुबह पेशावर के इंकलाब रोड पर एयरफोर्स कैम्प के अंदर कई तालिबान आतंकी घुस गए। सुरक्षा बलों ने 13 आतंकी ढेर कर दिए। लेकिन आतंकियों ने कैम्‍प के पास मस्जिद पर धावा बोल कर वहां नमाज पढ़ रहे 17 लोगों को मार दिया। सेना और सुरक्षा बल के तीन लोग भी मारे गए। आठ सैनिक औ दो सीनियर आर्मी ऑफिसर्स सहित 22 लोग घायल भी हुए।
कैसे हुआ हमला
आर्मी प्रवक्ता मेजर जनरल असीम बाजवा ने बताया कि आतंकी ग्रुप बनाकर दो जगह से कैंप में घुसे, जहां सिक्युरिटी फोर्स से उनकी मुठभेड़ हुई।
विस्‍फोटक भरे जैकेट पहन कर और मोर्टार, एके-47 से लैस आतंकियों ने सबसे पहले बड़ाबेर एयरबेस के गार्डरूम पर हमला बोला। जवाबी हमले में सुरक्षा बलों ने 13 आतंकियों को मार गिराया। लेकिन आतंकियों ने भी पास की मस्जिद में धावा बोल कर 17 लोगों की जान ले ली।
हमला करने कितने आतंकी आए?
इंटर सर्विसेस पब्लिक रिलेशन के डायरेक्टर जनरल मेजर जनरल असीम बाजवा ने ट्वीट करके बताया कि आतंकियों ने सबसे पहले गार्ड रूम पर हमला किया। क्विक रिएक्शन फोर्स (QRF) मौके पर पहुंच गई और एरिया को सील कर दिया। इस्लामाबाद से आर्मी चीफ जनरल राहिल शरीफ भी पेशावर पहुंच गए।
चश्मदीद ने क्या कहा?
एयरफोर्स कैम्प के पास ही रहने वाले मुकम्मल शाह ने कहा, "हम अब तक करीब 12 धमाकों की आवाज सुन चुके हैं। लगातार ब्लास्ट हो रहे हैं और फायरिंग चल रही है। पेशावर पुलिस ने भी ब्लास्ट होने की पुष्टि की है।"
किसने ली जिम्मेदारी?
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के स्पोक्सपर्सन मोहम्मद खुरासानी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। खुरासानी ने जर्नलिस्ट्स को ईमेल भेजकर यह दावा किया।
कहां है एयरफोर्स का यह कैम्प?
पाकिस्तानी एयरफोर्स का यह कैम्प इंकलाब रोड पर बड़ाबेर के पास है। यह सेमी ऑटोनोमस फ्रंटियर रीजन है जो पेशावर और कोहट के बीच स्थित है। यहां इसलिए तनाव रहता है, क्योंकि कबाइली इलाकों और बाकी रिहाइशी इलाकों के बीच बफर जोन को लेकर विवाद होते रहते हैं। बड़ाबेर एयरबेस फिलहाल मिलिट्री ऑपरेशन के लिए इस्‍तेमाल नहीं किया जाता है। इस इलाके में सेना के कर्मचारियों और अफसरों की रिहाइश है।
एयरफोर्स या एयरपोर्ट को पहले कब निशाना बनाया गया?
16 अगस्त, 2012 को कामरा स्थित पाकिस्तान एयरफोर्स बेस पर आतंकियों ने रॉकेट, ग्रेनेड और ऑटोमैटिक वेपन्स से हमला कर दिया था। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान ने ली थी।
पिछले महीने हथियारों से लैस आतंकियों ने बलूचिस्तान प्रांत में ऐरोड्रम पर हमला कर दिया था। इस हमले में दो इंजीनियर्स की मौत हो गई थी और रडार सिस्टम तबाह हो गया था।
आतंकियों ने पिछले साल जून में कराची के जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हमला किया था, जिसमें 36 लोग मारे गए थे। इसमें 10 आतंकियों की भी मौत हो गई थी।
इससे पहले कब हुआ था बड़ा हमला?
- पेशावर के आर्मी स्कूल पर अटैक के 9 महीने बाद यह हमला हुआ है। 16 दिसंबर, 2014 को यहां के आर्मी स्कूल पर हुए अटैक में स्कूल में पढ़ने आए 132 मासूमों की जान चली गई थी। कुल 145 मौतें हुई थीं। तहरीक-ए-तालिबान के 7 फिदायीन आतंकियों ने यह हमला किया था।
- इसी साल फरवरी में भारी हथियारों से लैस तालिबानी आतंकियों ने यहां एक शिया मस्जिद पर हमला कर दिया, जिसमें 21 लोग मारे गए थे।
क्या पाकिस्तानी आर्मी का यह अभियान है हमले की वजह?
पाकिस्तानी आर्मी उत्तरी वजीरिस्तान में 15 जून, 2014 से ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब चला रही है। पाकिस्तानी सरकार ने इसके लिए आर्मी को 26 अरब रुपए की मदद दी है। इस वजह से 10 लाख लोगों को घर छोड़ने पड़े हैं। यह पूरा कबाइली इलाका है। ये कबीले तालिबान के खिलाफ आर्मी की मदद कर रहे हैं। इस अभियान से तालिबान को बड़ा नुकसान पहुंचा है। 15 महीने उसके 3000 से ज्यादा आतंकी मारे गए हैं। आर्मी ने इस इलाके में ऐसा ही ऑपरेशन 2009 में भी चलाया था। लेकिन कुछ वक्त बाद तहरीक-ए-तालिबान वहां फिर मजबूत हो गया। इसी अभियान के खिलाफ दिसंबर में तहरीक-ए-तालिबान ने स्कूल पर हमला किया था।
पेशावर की हिफाजत करने में कितनी आ रही हैं मुश्किलें?
पाकिस्तान के लिए जर्ब-ए-अज्ब अभियान काफी महंगा साबित हो रहा है। तालिबान के खतरे के कारण पाकिस्तान को सिर्फ पेशावर में स्कूलों की हिफाजत के लिए 11 हजार सैनिकों की टुकड़ी तैयार करनी पड़ी है। पाकिस्तान के फाइनेंस मिनिस्टर इशाक डार ने हाल ही में दावा किया था कि तालिबान के खिलाफ अभियान की लागत 1.75 अरब डॉलर आएगी। 80 करोड़ डॉलर तो सिर्फ बेघर हुए लोगों को बसाने पर खर्च हो जाएंगे। पाकिस्तान ने अमेरिका से मदद को 15 फीसदी बढ़ाने की गुजारिश की है। अमेरिका पिछले 12 साल में पाकिस्तान को पहले ही 28 अरब डॉलर की मदद दे चुका है।

आधुनिक कोटा के शिल्पकार ,,अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज़ बहुमुखी प्रतीभा के धनी रहे महाराव भीमसिंह द्वितीय बहादुर की जयंती चोवदाह सितमबर को कोटा नगर विकास न्यास उनका सम्मान नहीं कर सकी

आधुनिक कोटा के शिल्पकार ,,अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज़ बहुमुखी प्रतीभा के धनी रहे महाराव भीमसिंह द्वितीय बहादुर की जयंती चोवदाह सितमबर को कोटा नगर विकास न्यास उनका सम्मान नहीं कर सकी ,,कई वर्षो से लाखो रूपये की लागत से बनी उनकी यादगार मूर्ति जो कपड़े से ढकी हुई है वोह लोकार्पण के लिए बाँट जोहती रही ,,लेकिन राजपुताना कोटा में किसी भी वंशज या प्रशंसक ने इस मामले में कोई आवाज़ नहीं उठाई ,,,,महाराव भीमसिंघ द्वितीय कोटा में राजस्थान यूनियन ऑफ़ स्टेट के पहले राजप्रमुख थे जबकि राजस्थान निर्माण में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी ,,कोटा में इनके कार्यकाल में अस्पताल ,,खेल मैदान ,,नगर विस्तार ,,,उद्यान ,,पर्यावरण ,,उद्योग ,,शिक्षण संस्थाओ सहित कई महत्वपूर्ण कार्य हुए ,, महाराव भीमसिंह अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बहतरीन निशानेबाज़ थे ,,वोह खुद अपना वाहन चलाते थे और आम लोगों से राज महाराजाओ के ठसके के साथ नहीं बल्कि मित्रवत मुस्कुराते हुए पेश आते थे ,,लोगो के दुःख दर्द में हमेशा साथ रहने वाले महाराव भीम सिंह जिन्होंने राजपूत समाज को एकजुट करने की अलख जगाई उनकी प्रतिमा दो सालो से सिर्फ और सिर्फ लोकार्पण का इन्तिज़ार करती रहे और यह मूर्ति का अनावरण नहीं किया जा सके ,,अजीब बात है ,,कोटा में राजपूत विधायक ,,पूर्व मंत्री ,,पूर्व सांसद ,,,,सहित कई समाजसेवी संस्थाए है ,,खुद मुख्यमंत्री राजपूत है लेकिन अफ़सोस बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस महापुरुष की मूर्ति लोकार्पण को नगर विकास न्यास कोटा सहित सत्ता में बैठे पूर्व और वर्तमान नताओं ने तमाशा बना दिया ,,पिछले दिनों लगातार मूर्ति लोकार्पण की गुहार लगाने के बाद जब मूर्ति का लोकार्पण नहीं हुआ तो स्टेशन निवासी एक सतेंद्र चतुर्वेदी ने अठाईस मार्च दो हज़ार पन्द्राह को इस प्रतिमा का खुद लोकार्पण कर दिया और अख़बार में खबर प्रकाशित करवा दी ,,,,,सतेंद्र चतुर्वेदी ने मूर्ति अनावरण पत्र में लिखा था ,,,आज अठाईस मार्च दो हज़ार पन्द्राह को आप जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया रामलला द्वारा ,,,,आपजी जिन्हे भाभाशाह कहना चाहिए जिनकी जीवनी और स्वरूप का सभी को ज्ञान हो सके ,,इसलिए प्रतिमा का अनावरण किया गया ,,नयापुरा थाना क्षेत्र के पुलिस अधिकारी ने इस लोकार्पण को विद्रूपित अधिनियम का अपराध माना और सतेंद्र चतुर्वेदी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर दिया वोह इस मामले में तारीख पेशी तो भुगत रहे है ,,लेकिन आज भी वोह अफ़सोस के साथ कहते है के डेढ़ वर्षो से शहर के व्यस्ततम इलाक़े अंटाघर चौराहे पर जे डी बी कॉलेज के पास तीन परतो के आवरण में लिपटी ,,आप जी की प्रतिमा आज भी सिर्फ ढकी है और लोकार्पण की बाँट जोह रही है ,,,,,,,,,,,,,,,नयापुरा पुलिस ने इस मूर्ति को सरकारी सम्पत्ति बताकर सतेंद्र के खिलाफ जब विद्रूपित अधिनियम का मुक़दमा दर्ज किया तो सतेंद्र डरे नहीं उनका कहना था के आपजी के सम्मान की रक्षा के लिए ऐसे झूंठे मुकदमो की उन्हें परवाह नहीं ,,सतेंद्र ने नगर विकास न्यास में इस मूर्ति के बारे में समस्त जानकारी बजट ,,प्रस्ताव ,,मूर्ति बनाने वाले ठेकेदार का नाम पता ,,,टेंडर ,,,कितना खर्च हुआ और भविष्य में इस मूर्ति को कितने समय बाद लोकार्पित किया जाएगा ,,को लेकर विधिवत सुचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधान के तहत प्रार्थना पत्र पेश किया ,,शुल्क जमा कराया ,,छ महीनो में सत्येन्द्र ने सुचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधान के तहत इस विधिक सुचना प्राप्त करने के लिए नगर विकास न्यास के दफ्तर के चक्कर लगाते लगाते कई जूते चप्पल घिस दिए लेकिन उन्हें सुचना नहीं मिली ,,सत्येन्द्र इस मामले में अब सुचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधान के तहत नगर विकास न्यास अध्यक्ष कलेक्टर को अपील करेंगे ,,,ताज्जुब है के पत्रकारों के इस शहर में ,,समाजसेवकों के इस शहर में जहा राजपूती आनबान शान की अपनी पहचान है वहां एक तय्यार मूर्ति जो कई सालो से लोकार्पण की बाँट जोहती रहे और किसी को कोई ऐतराज़ ना हो ,,अख़बार ,,मिडिया में यह खबर न हो ,,,,,,,सड़को पर इस मूर्ति के लोकार्पण के लिए कई प्रदर्शन न हो समझ से बाहर की बात लगती है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अजीब सी बस्ती में ठिकाना है

अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जहाँ लोग मिलते कम झांकते ज़्यादा है
बात मुक्कदर पे आ के रुकी है वर्ना, कोई कसर तो न छोड़ी थी तुझे चाहने में !
किसी को क्या बताये की कितने मजबूर है हम.. चाहा था सिर्फ एक तुमको और अब तुम से ही दूर है हम।
वहां तक तो साथ चलो जहाँ तक साथ मुमकिन है, जहाँ हालात बदलेंगे वहां तुम भी बदल जाना.
हम ना बदलेंगे वक्त की रफ़्तार के साथ, हम जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा !! नजर चाहती है दीदार करना दिल चाहता है प्यार करना
क्या बताऊँ इस दिल का आलम नसीब में लिखा है इंतज़ार करना
अधूरी मोहब्बत मिली तो नींदें भी रूठ गयी…! गुमनाम ज़िन्दगी थी तो कितने सकून से सोया करते थे…!!
अरे कितना झुठ बोलते हो तुम खुश हो और कह रहे हो मोहब्बत भी की है
सुनो… तुम ही रख लो अपना बना कर.. औरों ने तो छोड़ दिया तुम्हारा समझकर..!!
कागज़ों पे लिख कर ज़ाया कर दूं मै वो शख़्स नही वो शायर हुँ जिसे दिलों पे लिखने का हुनर आता है
झूठ बोलने का रियाज़ करता हूँ सुबह और शाम मैं सच बोलने की अदा ने हमसे कई अजीज़ यार छीन लिये|
निकली थी बिना नकाब आज वो घर से मौसम का दिल मचला लोगोँ ने भूकम्प कह दिया
अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा तो हम तुमसे नही तुम हमसे मोहब्बत करते
अमीरों के लिए बेशक तमाशा है ये जलजला, गरीब के सर पे तो आसमान टुटा होगा.
नफरत ना करना पगली हमे बुरा लगेगा. . . बस प्यार से कह देना अब तेरी जरुरत नही है. .
कुछ इसलिये भी ख्वाइशो को मार देता हूँ माँ कहती है घर की जिम्मेदारी है तुझ पर
नफरत ना करना पगली हमे बुरा लगेगा. . . . बस प्यार से कह देना अब तेरी जरुरत नही है. .
जो मेरे बुरे वक्त में मेरे साथ है मे उन्हें वादा करती हूँ मेरा अच्छा वक्त सिर्फ उनके लिए होगा
ये जो छोटे होते है ना दुकानों पर होटलों पर और वर्कशॉप पर दरअसल ये बच्चे अपने घर के बड़े होते है
कुछ लोग आए थे मेरा दुख बाँटने मैं जब खुश हुआ तो खफा होकर चल दिये
मोत से तो दुनिया मरती हैं आशीक तो बस प्यार से ही मर जाता हैं
दिल टूटने पर भी जो शख्स आपसे शिकायत तक न कर सके… उस शख्स से ज्यादा मोहब्बत आपको कोई और नही कर सकता
बिक रहे हैं ताज महल सड़क-चौराहों पर आज भी.. मोहब्बत साबित करने के लिए बादशाह होना जरुरी नहीं..!!
डूबे हुओं को हमने बिठाया था अपनी कश्ती में यारो, और फिर कश्ती का बोझ कहकर, हमें ही उतारा गया।

पाकिस्‍तानी NSA की धमकी- LOC पर कभी भी बेकाबू हो सकते हैं हालात

फाइल फोटो।
फाइल फोटो।
जम्मू/इस्लामाबाद: पाकिस्तान सेना की ओर से सीजफायर का लगातार उल्लंघन जारी है। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर गुरुवार रात भारतीय चौकियों के साथ ही आम नागरिकों को भी निशाना बनाकर गोलाबारी की गई। इसमें एक जवान और दो नागरिक घायल हो गए। शुक्रवार को पाकिस्‍तान की ओर से समुद्र में भी फायरिंग हुई, जिसमें एक मछुआरे की मौत हो गई। शुक्रवार को एलओसी पर पाकिस्‍तान से घुसपैठ की भी कोशिश की गई। इसमें पांच आतंकी मार गिराए गए। इन सबके बावजूद, उल्‍टे पाकिस्‍तान ने भारत के डिप्‍टी हाई कमिश्‍नर को तलब कर लिया और पाकिस्‍तानी नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर (एनएसए) ने तो धमकी तक दे डाली कि एलओसी पर हालात बेकाबू हो सकते हैं। उन्होंने भारत के खिलाफ उसके अंदरुनी मामलों में दखल देने का आरोप लगाया।
क्या कहा अजीज ने
सरताज अजीज ने पाक संसद की सीनेट के मेंबर्स से कहा
>अमेरिका को यह पहले ही बताया जा चुका है कि भारत एलओसी पर अपना अटैक जारी रखे हुए है, जिसके निगेटिव रिजल्ट हो सकते हैं। पाकिस्तान ने भारत की दखल के खिलाफ डोजियर तैयार किया है, जिसे यूएन भेजा जा रहा है।
>भारत यह कहता है कि उसके यहां पाकिस्तानी सरकार से इतर लोग आतंकवादी गतिविधियां चला रहे हैं। अब हमारा यह कहना है कि भारत हमारे यहां इस तरह की एक्टिविटीज में शामिल है।
>पाकिस्तान रेंजर्स तथा भारत के बीएसएफ की हाल की बातचीत अच्छे माहौल में हुई और दोनों पक्ष जानकारियों के लेन-देन पर राजी हुए। दोनों पक्षों ने सीमा पर मुठभेड़ के बारे में राय-मशविरा किया लेकिन सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं जारी हैं।
भारतीय डिप्टी हाई कमिश्नर को भी तलब किया
पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि हाल ही में लाइन ऑफ कंट्रोल पर बिना उकसावे के भारत की ओर से की गई फायरिंग में उसके तीन नागरिकों की मौत हो गई। पाक विदेश मंत्रालय ने इंडियन डिप्टी हाई कमिश्नर को तलब करके इस बारे में 'विरोध' जताया।
एलओसी पर क्या हुआ
भारतीय सेना के प्रवक्ता का जिम्मा देख रहे एस एन आचार्या ने बताया कि पाकिस्तान सेना ने पुंछ जिले के बालाकोट, हमीरपुर और मेंढर सेक्टरों में गुरुवार शाम छह बजकर बीस मिनट से रात करीब साढ़े ग्यारह बजे तक आरपीजी और मोर्टार से गोले बरसाए। उसने सेना की चौकियों के साथ ही नागरिक ठिकानों को भी निशाना बनाया। भारतीय सेना ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए मुंहतोड़ जवाब दिया।

जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,

जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है, उसी पल से आपकी पहचान एक "बॉडी" बन जाती है।
अरे
"बॉडी" लेकर आइये,
"बॉडी" को उठाइये,
"बॉडी" को सूलाइये
ऐसे शब्दो से आपको पूकारा जाता है, वे लोग भी आपको आपके नाम से नही पुकारते ,
जिन्हे प्रभावित करने के लिये आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी।

इसीलिए निर्मिती" को नही
निर्माता" को प्रभावित करने के लिये जीवन जियो।
जीवन मे आने वाले हर चूनौती को स्वीकार करे।......
अपनी पसंद की चिजो के लिये खर्चा किजिये।......
इतना हंसिये के पेट दर्द हो जाये।....
आप कितना भी बूरा नाचते हो ,
फिर भी नाचिये।......
उस खूशी को महसूस किजिये।......
फोटोज् के लिये पागलों वाली पोज् दिजिये।......
बिलकुल छोटे बच्चे बन जायिये।
क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है।
लॉस तो वो है
के आप जिंदा होकर भी आपके अंदर जिंदगी जीने की आस खत्म हो चूकी है।.....
हर पल को खूशी से जीने को ही जिंदगी कहते है।
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,
"काम में खुश हूं," आराम में खुश हू,
"आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं,
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं,
"दोस्तों का साथ नहीं," अकेला ही खुश हूं,
"आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं,
"जिस को देख नहीं सकता," उसकी आवाज से ही खुश हूं,
"जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूं,
"बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूं,
"आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं,
"हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूं,
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,
अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना,
वरना बिना जवाब के भी खुश हूं..

"आज मैं छूट गया होता...!!

श्रीमती जी की रात के दो बजे अचानक नींद खुली तो पाया कि पति बिस्तर पे नहीं है।
जिज्ञासावश उठीं, खोजा,...
तो देखा डाइनिंग टेबल पर बैठे
पति जी कॉफी
का कप हाथ में ले कर,
विचारमग्न, दीवार को घूर रहे हैं।

पत्नी चुपचाप पति को कॉफी की चुस्की लेते हुए बीच-बीच में आँख से
आँसू पोंछते देखती रही।
फिर पति के पास गई और बोलीं, “क्या बात है, डियर? तुम इतनी रात
गए यहाँ क्या कर रहे हो..?”
पति जी ने कॉफी से नज़र उठाई। “तुम्हें याद है, 14 साल पहले जब
तुम सिर्फ 18 साल की थीं?”
पति बड़ी गम्भीरता से बोला..।
पत्नी पति के प्यार को देख कर भाव
विभोर हो गई, बोली, “हाँ, याद
है..।”
कुछ रुक कर पति जी बोले “याद है जब तुम्हारे जज पिता जी ने हमें
मेरी कार मे घुमते हुए देख लिया था' । पत्नी हाँ हाँ.. याद है..।”
“याद है कैसे उन्होंने मेरी कनपटी पर
बन्दूक रख कर कहा था,
“या तो इस से शादी कर लो, या 14 साल के लिए अन्दर कर दूँगा..।”
“हाँ.. हाँ.. वह भी याद है।”
अपनी आँख से एक और आँसू पोंछते हुए पति बोला.. “
…"आज मैं छूट गया होता...!!

क़ुरआन का सन्देश

 
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...