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21 सितंबर 2015

रामदेव जी राजस्थान के एक लोक देवता


























रामदेव जी राजस्थान के एक लोक देवता हैं। 15वी. शताब्दी के आरम्भ में भारत में लूट खसोट, छुआछूत, हिंदू-मुस्लिम झगडों आदि के कारण स्थितियाँ बड़ी अराजक बनी हुई थीं। ऐसे विकट समय में पश्चिम राजस्थान के पोकरण नामक प्रसिद्ध नगर के पास रुणिचा नामक स्थान में तोमर वंशीय राजपूत और रुणिचा के शासक अजमाल जी के घर भादो शुक्ल पक्ष दूज के दिन वि•स• 1409 को बाबा रामदेव पीर अवतरित हुए (द्वारकानाथ ने राजा अजमल जी के घर अवतार लिया, जिन्होंने लोक में व्याप्त अत्याचार, वैर-द्वेष, छुआछूत का विरोध कर अछूतोद्धार का सफल आन्दोलन चलाया।

परिचय

हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक बाबा रामदेव ने अपने अल्प जीवन के तेंतीस वर्षों में वह कार्य कर दिखाया जो सैकडो वर्षों में भी होना सम्भव नही था। सभी प्रकार के भेद-भाव को मिटाने एवं सभी वर्गों में एकता स्थापित करने की पुनीत प्रेरणा के कारण बाबा रामदेव जहाँ हिन्दुओ के देव है तो मुस्लिम भाईयों के लिए रामसा पीर। मुस्लिम भक्त बाबा को रामसा पीर कह कर पुकारते हैं। वैसे भी राजस्थान के जनमानस में पॉँच पीरों की प्रतिष्ठा है जिनमे बाबा रामसा पीर का विशेष स्थान है।
पाबू हडू रामदे ए माँगाळिया मेहा।
पांचू पीर पधारजौ ए गोगाजी जेहा।।
बाबा रामदेव ने छुआछूत के खिलाफ कार्य कर सिर्फ़ दलितों का पक्ष ही नही लिया वरन उन्होंने दलित समाज की सेवा भी की। डाली बाई नामक एक दलित कन्या का उन्होंने अपने घर बहन-बेटी की तरह रख कर पालन-पोषण भी किया। यही कारण है आज बाबा के भक्तो में एक बहुत बड़ी संख्या दलित भक्तों की है। बाबा रामदेव पोकरण के शासक भी रहे लेकिन उन्होंने राजा बनकर नही अपितु जनसेवक बनकर गरीबों, दलितों, असाध्य रोगग्रस्त रोगियों व जरुरत मंदों की सेवा भी की। यही नही उन्होंने पोकरण की जनता को भैरव राक्षक के आतंक से भी मुक्त कराया। प्रसिद्ध इतिहासकार मुंहता नैनसी ने भी अपने ग्रन्थ "मारवाड़ रा परगना री विगत" में इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है- भैरव राक्षस ने पोकरण नगर आतंक से सुना कर दिया था लेकिन बाबा रामदेव के अदभूत एवं दिव्य व्यक्तित्व के कारण राक्षस ने उनके आगे आत्म-समर्पण कर दिया था और बाद में उनकी आज्ञा अनुसार वह मारवाड़ छोड़ कर चला गया। बाबा रामदेव ने अपने जीवन काल के दौरान और समाधि लेने के बाद कई चमत्कार दिखाए जिन्हें लोक भाषा में परचा देना कहते है। इतिहास व लोक कथाओं में बाबा द्वारा दिए ढेर सारे परचों का जिक्र है। जनश्रुति के अनुसार मक्का के मौलवियों ने अपने पूज्य पीरों को जब बाबा की ख्याति और उनके अलौकिक चमत्कार के बारे में बताया तो वे पीर बाबा की शक्ति को परखने के लिए मक्का से रुणिचा आए। बाबा के घर जब पांचो पीर खाना खाने बैठे तब उन्होंने बाबा से कहा की वे अपने खाने के बर्तन (सीपियाँ) मक्का ही छोड़ आए है और उनका प्रण है कि वे खाना उन सीपियों में खाते है तब बाबा रामदेव ने उन्हें विनयपूर्वक कहा कि उनका भी प्रण है कि घर आए अतिथि को बिना भोजन कराये नही जाने देते और इसके साथ ही बाबा ने अलौकिक चमत्कार दिखाया जो सीपी जिस पीर कि थी वो उसके सम्मुख रखी मिली।
इस चमत्कार (परचा) से वे पीर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने बाबा को पीरों का पीर स्वीकार किया। आख़िर जन-जन की सेवा के साथ सभी को एकता का पाठ पढाते बाबा रामदेव ने भाद्रपद शुक्ला एकादशी वि.स . 1442 को जीवित समाधी ले ली। श्री बाबा रामदेव जी की समाधी संवत् 1442 को रामदेव जी ने अपने हाथ से श्रीफल लेकर सब बड़े बुढ़ों को प्रणाम किया तथा सबने पत्र पुष्प् चढ़ाकर रामदेव जी का हार्दिक तन मन व श्रद्धा से अन्तिम पूजन किया। रामदेव जी ने समाधी में खड़े होकर सब के प्रति अपने अन्तिम उपदेश देते हुए कहा 'प्रति माह की शुक्ल पक्ष की दूज को पूजा पाठ, भजन कीर्तन करके पर्वोत्सव मनाना, रात्रि जागरण करना। प्रतिवर्ष मेरे जन्मोत्सव के उपलक्ष में तथा अन्तर्ध्यान समाधि होने की स्मृति में मेरे समाधि स्तर पर मेला लगेगा। मेरे समाधी पूजन में भ्रान्ति व भेद भाव मत रखना। मैं सदैव अपने भक्तों के साथ रहूँगा। इस प्रकार श्री रामदेव जी महाराज ने समाधि ली।' आज भी बाबा रामदेव के भक्त दूर- दूर से रुणिचा उनके दर्शनार्थ और अराधना करने आते है। वे अपने भक्तों के दु:ख दूर करते हैं, मुराद पूरी करते हैं। हर साल लगने मेले में तो लाखों की तादात में जुटी उनके भक्तो की भीड़ से उनकी महत्ता व उनके प्रति जन समुदाय की श्रद्धा का आकलन आसानी से किया जा सकता है।

जन्म

राजा अजमल जी द्वारकानाथ के परमभक्त होते हुए भी उनको दु:ख था कि इस तंवर कुल की रोशनी के लिये कोई पुत्र नहीं था और वे एक बांझपन थे। दूसरा दु:ख था कि उनके ही राजरू में पड़ने वाले पोकरण से ३ मील उत्तर दिशा में भैरव राक्षस ने परेशान कर रखा था। इस कारण राजा रानी हमेशा उदास ही रहते थे। श्री रामदेव जी का जन्‍म bhadra चैत सुदी पंचम को विक्रम संवत् 1409 को सोमवार के दिन हुआ जिसका प्रमाण श्री रामदेव जी के श्रीमुख से कहे गये प्रमाणों में है जिसमें लिखा है सम्‍वत चतुर्दश साल नवम चैत सुदी पंचम आप श्री मुख गायै भणे राजा रामदेव चैत सुदी पंचम को अजमल के घर मैं आयों जो कि तुवंर वंश की बही भाट पर राजा अजमल द्वारा खुद अपने हाथो से लिखवाया गया था जो कि प्रमाणित है और गोकुलदास द्वारा कृत श्री रामदेव चौबीस प्रमाण में भी प्रमाणित है (अखे प्रमाण श्री रामदेव जी) अमन घटोडा
सन्तान ही माता-पिता के जीवन का सुख है। राजा अजमल जी पुत्र प्राप्ति के लिये दान पुण्य करते, साधू सन्तों को भोजन कराते, यज्ञ कराते, नित्य ही द्वारकानाथ की पूजा करते थे। इस प्रकार राजा अजमल जी भैरव राक्षस को मारने का उपाय सोचते हुए द्वारका जी पहुंचे। जहां अजमल जी को भगवान के साक्षात दर्शन हुए, राजा के आखों में आंसू देखकर भगवान में अपने पिताम्बर से आंसू पोछकर कहा, हे भक्तराज रो मत मैं तुम्हारा सारा दु:ख जानता हूँ। मैं तेरी भक्ती देखकर बहुत प्रसन्न हूँ, माँगो क्या चाहिये तुम्हें मैं तेरी हर इच्छायें पूर्ण करूँगा।
भगवान की असीम कृपा से प्रसन्न होकर बोले हे प्रभु अगर आप मेरी भक्ति से प्रसन्न हैं तो मुझे आपके समान पुत्र चाहिये याने आपको मेरे घर पुत्र बनकर आना पड़ेगा और राक्षस को मारकर धर्म की स्थापना करनी पड़ेगी। तब भगवान द्वारकानाथ ने कहा- हे भक्त! जाओ मैं तुम्हे वचन देता हूँ कि पहले तेरे पुत्र विरमदेव होगा तब अजमल जी बोले हे भगवान एक पुत्र का क्या छोटा और क्या बड़ा तो भगवान ने कहा- दूसरा मैं स्वयं आपके घर आउंगा। अजमल जी बोले हे प्रभू आप मेरे घर आओगे तो हमें क्या मालूम पड़ेगा कि भगवान मेरे धर पधारे हैं, तो द्वारकानाथ ने कहा कि जिस रात मैं घर पर आउंगा उस रात आपके राज्य के जितने भी मंदिर है उसमें अपने आप घंटियां बजने लग जायेगी, महल में जो भी पानी होगा (रसोईघर में) वह दूध बन जाएगा तथा मुख्य द्वार से जन्म स्थान तक कुमकुम के पैर नजर आयेंगे वह मेरी आकाशवाणी भी सुनाई देगी और में अवतार के नाम से प्रसिद्ध हो जाउँगा।
श्री रामदेव जी का जन्म संवत् १४०९ में भाद्र मास की दूज को राजा अजमल जी के घर हुआ। उस समय सभी मंदिरों में घंटियां बजने लगीं, तेज प्रकाश से सारा नगर जगमगाने लगा। महल में जितना भी पानी था वह दूध में बदल गया, महल के मुख्य द्वार से लेकर पालने तक कुम कुम के पैरों के पदचिन्ह बन गए, महल के मंदिर में रखा संख स्वत: बज उठा। उसी समय राजा अजमल जी को भगवान द्वारकानाथ के दिये हुए वचन याद आये और एक बार पुन: द्वारकानाथ की जय बोली। इस प्रकार ने द्वारकानाथ ने राजा अजमल जी के घर अवतार लिया। बाल लीला में माता को परचा
भगवान नें जन्म लेकर अपनी बाल लीला शुरू की। एक दिन भगवान रामदेव व विरमदेव अपनी माता की गोद में खेल रहे थे, माता मैणादे उन दोनों बालकों का रूप निहार रहीं थीं। प्रात:काल का मनोहरी दृश्य और भी सुन्दरता बढ़ा रहा था। उधर दासी गाय का दूध निकाल कर लायी तथा माता मैणादे के हाथों में बर्तन देते हुए इन्हीं बालकों के क्रीड़ा क्रिया में रम गई। माता बालकों को दूध पिलाने के लिये दूध को चूल्हे पर चढ़ाने के लिये जाती है। माता ज्यों ही दूध को बर्तन में डालकर चूल्हे पर चढ़ाती है। उधर रामदेव जी अपनी माता को चमत्कार दिखाने के लिये विरमदेव जी के गाल पर चुमटी भरते हैं इससे विरमदेव को क्रोध आ जाता है तथा विरमदेव बदले की भावना से रामदेव जी को धक्का मार देते हैं। जिससे रामदेव जी गिर जाते हैं और रोने लगते हैं। रामदेव जी के रोने की आवाज सुनकर माता मैणादे दूध को चुल्हे पर ही छोड़कर आती है और रामदेव जी को गोद में लेकर बैठ जाती है। उधर दूध गर्म होन के कारण गिरने लगता है, माता मैणादे ज्यांही दूध गिरता देखती है वह रामदेवजी को गोदी से नीचे उतारना चाहती है उतने में ही रामदेवजी अपना हाथ दूध की ओर करके अपनी देव शक्ति से उस बर्तन को चूल्हे से नीचे धर देते हैं। यह चमत्कार देखकर माता मैणादे व वहीं बैठे अजमल जी व दासी सभी द्वारकानाथ की जय जयकार करते हैं।

बाल लीला में कपड़े के घोड़े को आकाश में उड़ाना

एक बार बालक रामदेव ने खिलोने वाले घोड़े की जिद करने पर राजा अजमल उसे खिलोने वाले के पास् लेकर गये एवं खिलोने बनाने को कहा। राजा अजमल ने चन्दन और मखमली कपडे का घोड़ा बनाने को कहा। यह सब देखकर खिलोने वाला लालच में आ ग़या और उसने बहुत सारा कपडा अपनी पत्नी के लिये रख लिया और उस में से कुछ ही कपडा काम में लिया। जब बालक रामदेव घोड़े पर बैठे तो घोड़ा उन्हें लेकर आकाश में चला ग़या। राजा खिलोने वाले पर गुस्सा हुए तथा उसे जेल में डालने के आदेश दे दिये। कुछ समय पश्चात, बालक रामदेव वापस घोड़े के साथ आये। खिलोने वाले ने अपनी गलती स्वीकारी तथा बचने के लिये रामदेव से गुहार की। बाबा रामदेव ने दया दिखाते हुए उसे माफ़ किया। अभी भी, कपडे वाला घोड़ा बाबा रामदेव की खास चढ़ावा माना जाता है।

रूणिचा की स्थापना

संवत् १४२५ में रामदेव जी महाराज ने पोकरण से १२ कि०मी० उत्तर दिशा में एक गांव की स्थापना की जिसका नाम रूणिचा रखा। लोग आकर रूणिचा में बसने लगे। रूणिचा गांव बड़ा सुन्दर और रमणीय बन गया। भगवान रामदेव जी अतिथियों की सेवा में ही अपना धर्म समझते थे। अंधे, लूले-लंगड़े, कोढ़ी व दुखियों को हमेशा हृदय से लगाकर रखते थे।

बोहिता को परचा व परचा बावड़ी

एक समय रामदेव जी ने दरबार बैठाया और निजीया धर्म का झण्डा गाड़कर उँच नीच, छुआ छूत को जड़ से उखाड़कर फैंकने का संकल्प किया तब उसी दरबार में एक सेठ बोहिताराज वहां बैठा दरबार में प्रभू के गुणगान गाता तब भगवान रामदेव जी अपने पास बुलाया और हे सेठ तुम प्रदेश जाओ और माया लेकर आओ। प्रभू के वचन सुनकर बोहिताराज घबराने लगा तो भगवान रामदेव जी बोले हे भक्त जब भी तेरे पर संकट आवे तब मैं तेरे हर संकट में मदद करूंगा। तब सेठ रूणिचा से रवाना हुए और प्रदेश पहुँचे और प्रभू की कृपा से बहुत धन कमाया। एक वर्ष में सेठ हीरो का बहुत बड़ा जौहरी बन गया। कुछ समय बाद सेठ को अपने बच्चों की याद आयी और वह अपने गांव रूणिचा आने की तैयारी करने लगा। सेठजी ने सोचा रूणिचा जाउंगा तो रामदेवजी पूछेंगे कि मेरे लिये प्रदेश से क्या लाये तब सेठ जी ने प्रभू के लिये हीरों का हार खरीदा और नौकरों को आदेश दिया कि सारे हीरा पन्ना जेवरात सब कुछ नाव में भर दो, मैं अपने देश जाउंगा और सेठ सारा सामान लेकर रवाना हुआ। सेठ जी ने सोचा कि यह हार बड़ा कीमती है भगवान रामदेव जी इस हार का क्या करेंगे, उसके मन में लालच आया और विचार करने लगा कि रूणिचा एक छोटा गांव है वहां रहकर क्या करूंगा, किसी बड़े शहर में रहुँगा और एक बड़ा सा महल बनाउंगा। इतने में ही समुद्र में जोर का तुफान आने लगा, नाव चलाने वाला बोला सेठ जी तुफान बहुत भयंकर है नाव का परदा भी फट गया है। अब नाव चल नहीं सकती नाव तो डूबेगी ही। यह माया आपके किस काम की हम दोनों मरेंगे।
सेठ बोहिताराज भी धीरज खो बैठा। अनेक देवी देवताओं को याद करने लगा लेकिन सब बेकार, किसी भी देवता ने उसकी मदद नहीं की तब सेठजी को श्री रामदेव जी का वचन का ध्यान आया और सेठ प्रभू को करूणा भरी आवाज से पुकारने लगा। हे भगवान मुझसे कोई गलती हुयी हो जो मुझे माफ कर दीजिये। इस प्रकार सेठजी दरिया में भगवान श्री रामदेव जी को पुकार रहे थे। उधर भगवान श्री रामदेव जी रूणिचा में अपने भाई विरमदेव जी के साथ बैठे थे और उन्होंने बोहिताराज की पुकार सुनी। भगवान रामदेव जी ने अपनी भुजा पसारी और बोहिताराज सेठ की जो नाव डूब रही थी उसको किनारे ले लिया। यह काम इतनी शीघ्रता से हुआ कि पास में बैठे भई वीरमदेव को भी पता तक नहीं पड़ने दिया। रामदेव जी के हाथ समुद्र के पानी से भीग गए थे।
बोहिताराज सेठ ने सोचा कि नाव अचानक किनारे कैसे लग गई। इतने भयंकर तुफान सेठ से बचकर सेठ के खुशी की सीमा नहीं रही। मल्लाह भी सोच में पड़ गया कि नाव इतनी जल्दी तुफान से कैसे निकल गई, ये सब किसी देवता की कृपा से हुआ है। सेठ बोहिताराज ने कहा कि जिसकी रक्षा करने वाले भगवान श्री रामदेव जी है उसका कोई बाल बांका नहीं कर सकता। तब मल्लाहों ने भी श्री रामदेव जी को अपना इष्ट देव माना। गांव पहुंचकर सेठ ने सारी बात गांव वालांे को बतायी। सेठ दरबार में जाकर श्री रामदेव जी से मिला और कहने लगा कि मैं माया देखकर आपको भूल गया था मेरे मन में लालच आ गया था। मुझे क्षमा करें और आदेश करें कि मैं इस माया को कहाँ खर्च करूँ। तब श्री रामदेव जी ने कहा कि तुम रूणिचा में एक बावड़ी खुदवा दो और उस बावड़ी का पानी मीठा होगा तथा लोग इसे परचा बावड़ी के नाम से पुकारेंगे व इसका जल गंगा के समान पवित्र होगा। इस प्रकार रामदेवरा (रूणिचा) मे आज भी यह परचा बावड़ी बनी हुयी है।

पांच पीरों से मिलन व परचा

चमत्कार होने से लोग गांव-गांव से रूणिचा आने लगे। यह बात मौलवियों और पीरों को भी पता चली। भगवान श्री रामदेव जी घर घर जाते और लोगों को उपदेश देते कि उँच-नीच, जात-पात कुछ नहीं है, हर जाति को बराबर अधिकार मिलना चाहिये। पीरों ने श्री रामदेव जी को परखने का विचार किया कि अपने से बड़े पीर जो मक्का में रहते हैं उनको खबर दी कि हिन्दुओं में एक महान पीर पैदा हुए हैं जो मरे हुए प्राणी को जिन्दा कर देते हैं, अन्धे को आँखे देते हैं, अतिथियों की सेवा करना ही अपना धर्म समझते हैं , उनकी परीक्षा ली जाए। यह खबर जब मक्का पहुँची तो पाँच पीर मक्का से रवाना हुए। कुछ दिनों में वे पीर रूणिचा की ओर पहुँचे। पांचों पीरों ने भगवान रामदेव जी से पूछा कि हे भाई रूणिचा यहां से कितनी दूर है, तब भगवान रामदेवजी ने कहा कि यह जो गांव सामने दिखाई दे रहा है वही रूणिचा है, क्या मैं आपके रूणिचा आने का कारण पूछ सकता हूँ ? तब उन पाँचों में से एक पीर बोले हमें यहां रामदेव जी से मिलना है। तब प्रभु बोले हे पीरजी मैं ही रामदेव हूँ आपके समाने खड़ा हूँ कहिये मेरे योग्य क्या सेवा है।
श्री रामदेव जी के वचन सुनकर पाँचों पीर प्रभु के साथ हो लिए। रामदेवजी ने पाँचों पीरों का बहुत सेवा सत्कार किया। प्रभू पांचों पीरों को लेकर महल पधारे, वहां पर गद्दी, तकिया और जाजम बिछाई गई और पीरजी गद्दी तकियों पर विराजे मगर श्री रामदेव जी जाजम पर बैठ गए और बोले हे पीरजी आप हमारे मेहमान हैं, हमारे घर पधारे हैं आप हमारे यहां भोजन करके ही पधारना। इतना सुनकर पीरों ने कहा कि हे रामदेव भोजन करने वाले कटोरे हम मक्का में ही भूलकर आ गए हैं। हम उसी कटोरे में ही भोजन करते हैं दूसरा बर्तन वर्जित है। आपको भोजन कराना है तो वो ही कटोरा जो हम मक्का में भूलकर आये हैं मंगवा दीजिये तो हम भोजन कर सकते हैं वरना हम भोजन नहीं करेंगे। तब रामदेव जी ने कहा कि हे पीर जी अगर ऐसा है तो मैं आपके कटोरे मंगा देता हूँ। ऐसा कहकर भगवान रामदेव जी ने अपना हाथ लम्बा किया और एक ही पल में पाँचों कटोरे पीरों के सामने रख दिये और कहा पीर जी अब आप इस कटोरे को पहचान लो और भोजन करो। जब पीरों ने पाँचों कटोरे मक्का वाले देखे तो पाँचों पीरों को श्री रामदेव जी महानता पर विश्वास हुआ और उनके विचारों और आचरण से बहुत प्रभावित हुए और कहने लगे हम पीर हैं मगर आप महान पीर हैं। आज से आपको दुनिया रामापीर के नाम से जानेगी। इस तरह से पीरों ने भोजन किया और श्री रामदेवजी को पीर की पदवी मिली और रामसापीर, रामापीर कहलाए।

विवाह

बाबा रामदेव जी ने संवत् १४२५ में रूणिचा बसाकर अपने माता पिता की सेवा में जुट गए इधर रामदेव जी की माता मैणादे एक दिन अपने पति राजा अजमल जी से कहने लगी कि अपना राजकुमार बड़ा हो गया है अब इसकी सगाई कर दीजिये ताकि हम भी पुत्रवधु देख सकें। जब बाबा रामदेव जी (द्वारकानाथ) ने जन्म (अवतार) लिया था उस समय रूक्मणी को वचन देकर आये थे कि मैं तेरे साथ विवाह रचाउंगा। संवत् १४२६ में अमर कोट के ठाकुर दल जी सोढ़ की पुत्री नैतलदे के साथ श्री रामदेव जी का विवाह हुआ।

समाधी

संवत् १४४२ को रामदेव जी ने अपने हाथ से श्रीफल लेकर सब बड़े बुढ़ों को प्रणाम किया तथा सबने पत्र पुष्प् चढ़ाकर रामदेव जी का हार्दिक तन मन व श्रद्धा से अन्तिम पूजन किया। रामदेव जी ने समाधी में खड़े होकर सब के प्रति अपने अन्तिम उपदेश देते हुए कहा प्रति माह की शुक्ल पक्ष की दूज को पूजा पाठ, भजन कीर्तन करके पर्वोत्सव मनाना, रात्रि जागरण करना। प्रतिवर्ष मेरे जन्मोत्सव के उपलक्ष में तथा अन्तर्ध्यान समाधि होने की स्मृति में मेरे समाधि स्तर पर मेला लगेगा। मेरे समाधी पूजन में भ्रान्ति व भेद भाव मत रखना। मैं सदैव अपने भक्तों के साथ रहुँगा। इस प्रकार श्री रामदेव जी महाराज ने समाधी ली।

हज की पाक शुरुआत आज से, सबसे ज्यादा भारत से पहुंचे मुसलमान

काबा शरीफ पर हज यात्री।
काबा शरीफ पर हज यात्री।
मीना। पूरी दुनिया से हज करने के लिए मुसलमान मक्का पहुंच चुके हैं। सोमवार शाम यह यात्रा शुरू होगी। इस बार करीब 30 लाख हाजियों के आने की उम्मीद है। इनमें से ज्यादातर मीना शहर के बाहरी इलाके में रुके हैं। इन्हें यहां आधुनिक टेंटों में ठहराया गया है। क्रेन हादसे से सबक लेते हुए एथॉरिटी ने सुरक्षा चाक-चौबंद की है। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। पूरी दुनिया से हज करने के लिए मुसलमान दुनिया के केंद्र मक्का आते हैं। यही कारण है कि चारों दिशाओं के मुसलमान हाजिर हूं, ऐ अल्लाह मैं हाजिर हूं, कहते हुए दरबार में पहुंचते हैं। मक्का पहुंचकर खाना-ए-काबा की परिक्रमा करते हैं। हज की प्रक्रिया पांच दिन तक चलती है।

सुरक्षा ऐसी कि परिंदा भी पर न मार सके
> 1.1 लाख लोगों को तैनात किया गया, सुरक्षा ऐसी परिंदा भी पर न मार सके।
> 5000 कैमरे लगाए गए है, ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके।
> 1.36 लाख लोग भारत से हज करने के लिए गए हैं, किसी देश से सबसे ज्यादा।
पहली बार मक्का यात्रा पर आईएस का खतरा
छह महीने में आईएस के तीन बड़े हमले, 80 लोगों की मौत
पिछले छह महीने में सऊदी अरब में आतंकी संगठन आईएसआईएस की घुसपैठ बढ़ी है। पिछले पांच महीने में मस्जिद में हुए आतंकी हमले में 53 लोग मारे गए हैं। अगस्त में मक्का से 560 किमी की दूरी पर आभा में हुए आतंकी हमले में 15 लोग मारे गए थे।
अमेरिका और इजरायल की सिक्युरिटी एजेंसी हायर की
इससे निपटने के लिए सऊदी अरब की सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी है। एक लाख जवानों को तैनात किया गया है। करीब पांच हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। कंट्रोल रूम से नजर रखी जा रही है। जवानों की दर्जनों मॉक ड्रिल कराई गई है। इजरायल और अमेरिका की हाई प्रोफाइल सुरक्षा एजेंसियों को हायर किया गया है।
क्रेन हादसे का असर नहीं
ग्रैंड मस्जिद के क्षतिग्रस्त हिस्से को बंद कर दिया गया गया। मस्जिद के निर्माण में लगी मशीनों को एहतियात के तौर पर हटा लिया गया है। काम भी रोक दिया गया है। तेज हवा और आंधी के चलते यहां निर्माण कार्य में लगी एक क्रेन गिर गई थी। हादसे में 11 भारतीय समेत 107 की मौत हो गई थी।

भारत में हर दिन होते हैं 100 से अधिक रेप, सबसे अधिक मध्य प्रदेश में

भारत में हर दिन होते हैं 100 से अधिक रेप, सबसे अधिक मध्य प्रदेश में
नई दिल्ली। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने देशभर में 2014 में हुए कुल अपराधों के आंकड़े जारी कर दिए हैं। जारी आंकड़ों के अनुसार एक बार फिर मध्य प्रदेश रेप के मामलों में पहले नंबर पर है। इसके साथ ही कुल अपराध (आईपीसी) में भी उसका स्थान पहला है। हत्या और अपहरण के मामलों में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर हैं वहीं चोरी के मामलों में दिल्ली ने दूसरे प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया है।
भले ही अपराधों के मामलों में दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश का नाम सुर्खियों में रहता हो पर एनसीआरबी के ताजा आंकड़े और ही कहानी बयां कर रहे हैं। बीते सालों की तुलना में सबसे ज्यादा अपराध मध्य प्रदेश में हुए हैं। इनकी बढ़ोतरी दर 358 प्रतिशत रही है। भले ही दिल्ली को रेप कैपिटल कहा जाता हो पर एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार बीते साल में मध्य प्रदेश में 5,076 रेप की घटनाएं हुई। यानी हर दिन करीब 14 रेप इस प्रदेश में हुए। रेप के मामले में दूसरे नंबर पर राजस्थान है यहां 3759 और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है जहां 3461 इस तरह के मामले दर्ज किए गए। दिल्ली में 2,096 ही दर्ज किए गए। दिल्ली के मुकाबले मध्य प्रदेश में इसकी दर दोगुनी है। सबसे कम रेप के मामले नागालैंड से है यहां एक साल में कुल 30 प्रकरण सामने आए हैं। 2013 में महाराष्ट्र में 4335 और महाराष्ट्र में 3065 मामले सामने आए थे।
उत्तर प्रदेश भले जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा प्रदेश हो पर रेप के मामलों में तीसरे नंबर आता है। लेकिन हत्या और अपहरण के मामले में ये अव्वल नंबर पर है। यहां थाने में दर्ज किए गए अपराध का स्तर 358 है। बीते साल देश में 33, 981 हत्या हुईं। इसमें सबसे ज्यादा 5,150 उत्तर प्रदेश में हुईं। इसी तरह देश में अपहरण और भगा ले जाने के 77, 237 प्रकरण सामने आए इसमें उत्तर प्रदेश में 12,361 मामले उत्तर प्रदेश के हैं। लूट के मामलों में महाराष्ट्र देश में पहले नंबर पर है। बीते साल देश में चोरी की 4,40,915 घटनाएं हुई इसमें दिल्ली में 78,753 चोरियां दिल्ली में हुईं। इसी तरह छोटे बड़े अपराध 28,51,563 पूरे देश में हुए इसमें अकेले मध्य प्रदेश में 2,72,423 हुए।

गैंगरेप की शिकार टीचर ने की थी BJP MLA की हत्या, कहा इंतकाम पूरा

फाइल फोटो- रूपम पाठक, राज किशोर केसरी।
फाइल फोटो- रूपम पाठक, राज किशोर केसरी।
पटना। बिहार चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है। dainikbhaskar.com 'बिहार फ्लैशबैक' सीरीज के तहत आपको बता रहा है बिहार के प्रमुख घटनाक्रम के बारे में। इसी कड़ी में आज बता रहे हैं बिहार 4 जनवरी 2011 की एक सनसनीखेज घटना के बारे में जब बिहार के बीजेपी एमएलए राजकिशोर केसरी की एक स्कूल टीचर ने हत्या कर दी थी। इस एमएलए पर गैंगरेप का आरोप था। हत्या की आरोपी रूपम ने अस्पताल में कहा था कि उसे अब कोई गम नहीं मेरा इंतकाम पूरा हो गया है। अब मुझे फांसी पर भी चढ़ा दिया जाए तो कोई गम नहीं।
बिहार की पूर्णिया विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक राजकिशोर केसरी तथा उनके साथियों पर तीन साल से गैंगरेप का आरोप लगाती आ रही रूपम पाठक नामक महिला ने 4 जनवरी 2011 की सुबह केसरी के घर में चाकू घोंपकर हत्या कर दी थी। रूपम ने विधायक पर आरोप लगाते हुए कहा था कि तीन साल से विधायक उसके साथ बलात्कार कर रहे थे, तथा विधायक अपने दोस्तों से भी उसके साथ सामूहिक बलात्कार कराता था।
रूपम ने कहा कमरे में चलो
घटना वाले दिन जब विधायक अपने घर जनता दरबार में जनता की समस्या सुन रहे थे, तभी रूपम उनके पास पहुंची और उसने विधायक से कमरे के भीतर चलने की बात कही। कमरे के अंदर आते ही महिला ने विधायक पर एक बड़े चाकू से हमला कर दिया। चाकू विधायक के लिवर में घुस गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। रूपम एक स्कूल का संचालन करती है। तीन वर्ष पूर्व स्कूल के ही एक कार्यक्रम में रूपम की पहचान केसरी से हुई थी। विधायक अकसर उससे मिलने स्कूल जाते और स्कूल के कार्यक्रमों में बतौर चीफ गेस्ट भाग लेते थे।
लोगों ने की रूपम की पिटाई
घटना के बाद रूपम को गिरफ्तार कर लिया गया। हत्या से गुस्साई भीड़ ने रूपम की जोरदार पिटाई की, जिससे उसको गंभीर हालात में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। घटना के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले में जांच के आदेश दिए थे। पटना से तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पुर्णिया गए थे। 

रेप पीड़िता मां से रोज पूछती है- मैं 13 साल की हूं, अभी मां क्यों बनूं...?

गेट पर बेटी से मिलने का इंतजार करते हैं पिता
गेट पर बेटी से मिलने का इंतजार करते हैं पिता
लखनऊ. बाराबंकी की रेप पीड़ित 13 साल की बच्ची लखनऊ के क्वींस मैरी मेडिकल कॉलेज में कैदी-सी बन गई है। 10 सितंबर से। और शायद अगले एक-डेढ़ महीने उसे यहीं रहना होगा। न वो यहां किसी से बात कर सकती है, न मर्जी से उठकर कहीं जा सकती है। हिलने-डुलने तक पर रोक है। नाम भी उसका अब पीड़िता हो गया है। अस्पताल में इसी नाम से उसे जानते और पुकारते हैं। उसके पिता को भी उससे मिलने की इजाजत नहीं है।

मैं किसी और से मिलने के बहाने अस्पताल में दाखिल हुई। फर्स्ट फ्लोर पर आईसीयू था। यहां 6-7 पलंग पर महिलाएं थीं। हर एक के पास जाकर पूछना पड़ा कि क्या आपका नाम...है? नर्स या डॉक्टर से पूछ नहीं सकती थी। वरना मिले बिना बाहर जाना पड़ता। तभी मेरी नजर आईसीयू में एक अलग से दिखने वाले रूम पर गई। वहां पलंग पर बच्ची सोई थी। नीचे पन्नी बिछाकर उसकी मां लेटी थी। मैंने उनका नाम पुकारा तो सकपका गईं। मैंने कहा घबराइए मत, आपके पति से मिलकर आई हूं। तो कुछ नॉर्मल हुईं। मैं कुछ पूछती, उससे पहले ही वो कहने लगीं- 17 फरवरी की बात है। गांव में भागवत कथा हो रही थी। रात 11:30 बजे कथा खत्म हुई तो बेटी मंदिर के पीछे बाथरूम करने चली गई। वहां उस लड़के (लड़का भी नाबालिग है, इसलिए नाम नहीं छाप सकते) ने उसे पकड़ लिया और मुंह दबाकर गलत काम किया। फिर धमकी दी कि किसी को बताया तो मां-बाबा को मार डालेगा।

धमकी से डरकर चुप रह गई बच्ची
वो गांव के एक सबसे रईस का बेटा था। बेटी उसकी धमकी से डर गई। हमें तो 8 जुलाई को पता चला, जब बेटी की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। उसे खूब उल्टियां हो रही थीं। हम मुजफ्फरनगर महौली से उसे बाराबंकी ले गए। डॉक्टरों ने सोनोग्राफी की तो पता चला वो तो गर्भ से है। तब जाकर पता चला कि इतना बड़ा हादसा हो गया। हमने पुलिस में शिकायत कराई। फिर इसके बाबा गर्भपात की इजाजत लेने 13 अगस्त को बाराबंकी मजिस्ट्रेट कोर्ट गए। लेकिन वहां कहा गया कि जिला अस्पताल जाओ। 18 को सीएमओ से मिले तो उन्होंने कोर्ट जाने को कह दिया। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे। लेकिन 7 सितंबर को कोर्ट ने कहा कि पहले मेडिकल जांच कराओ। जांच के बाद डॉक्टरों की टीम ने ये कहकर इजाजत देने से मना कर दिया कि गर्भ साढ़े सात महीने का हो चुका है। बच्ची की जान जा सकती है।

टपकने लगे बच्ची के आंसू
बात चल ही रही थी कि आईसीयू में कुछ महिलाओं के चीखने की आवाज आई। मेरी नजर बच्ची पर गई तो वो डरी सी दिखी। उसकी मां ने कहा- इसे तो मालूम भी नहीं कि बच्चा पैदा कैसे होता है। बेचारी जब परेशान हो जाती है तो गुस्से में चीखती है। कहती है जिसकी वजह से मेरा पेट दुखता है और उल्टियां होती हैं, वो सामने आ जाए तो मैं उसे मार डालूंगी। रोज पूछती है कि मां, मै तो 13 साल की हूं। मैं अभी मां क्यों बनूं? काश, वो पहले ही सबकुछ बता देती तो ये दिन नहीं देखना पड़ता। पलंग पर लेटी उस बच्ची से जब मैंने कुछ पूछना चाहा। मेरा सवाल भी पूरा नहीं हुआ था कि उसके आंसू टपकने लगे। इतने में उसकी मां फिर कहने लगी-वो बहुत डरी हुई है। कोई उसकी तरफ प्यार से भी देख ले तो घबरा जाती है। हमें यूं बात करते देख कुछ दायी और नर्सें आ गईं। पूछने लगीं-आप कौन हो? क्या बातें कर रही हो? क्या लगती हो इसकी? जाओ, बाहर निकलो। मैं बाहर आ गई।
सीढ़ियां उतर रही थी कि गेट पर खड़े उसके पिता मेरी ओर बढ़े। पूछने लगे-कैसी है मेरी बेटी? फिर कहने लगे- हमारे गांव की कुंआरी बेटी तो किसी महिला अस्पताल में किसी से मिलने भी नहीं जाती। ठीक नहीं माना जाता। लेकिन अब...कैसे जाएंगे गांव? क्या कहेंगे? घर में दो बेटी, एक बेटा और हैं। परिवार की थोड़ी बहुत जो जमीन है उसी पर खेती कर गुजर बसर करते हैं। यूं लखनऊ में रहकर इलाज करवाना वो भी महीनेभर उनके लिए मुमकिन नहीं। यह मिहला अस्पताल है, इसलिए उसे भीतर जाने की मनाही है। इसीलिए कोर्ट से एबॉर्शन की अनुमति मांगी थी। परमिशन मिली भी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। हमें भी उसका नाम लेना मना है। उसकी पहचान भी छिपाकर रखनी है, इसलिए उसका फोटो भी नहीं खींच सकते। हां उसके पिता उसके दो पासपोर्ट साइज फोटो अपने बटुए में लिए घूम रहे हैं। चार दिन पहले वह कुछ कागज लेने घर गए थे। तभी बेटी का पिछली दिवाली पर खिंचवाया फोटो अपने साथ ले आए। पिता बेचैन से अस्पताल के दरवाजे पर सुबह से शाम खड़े रहते हैं। थक जाते हैं तो वहीं जमीन पर बैठ जाते हैं। रात अस्पताल के बरामदे में ही काट लेते हैं। फिर सुबह बेटी को भीतर चाय बिस्कुट पहुंचा देते हैं, चौकीदार के हाथ। 5-6 दिन पहले तक उन्हें दिन में एक दो बार बेटी के पास जाने को मिलता था। लेकिन फिर कुछ एनजीओ वाले यहां आए और हंगामा हो गया। तब से पहरेदारी कड़ी कर दी गई है।
दलीलें सभी के पास, दर्द बच्ची के पास
मां की चिंता; वो किसी महिला को दर्द में देख सिहर जाती है, खुद कैसे सहन करेगी?
पिता का गम; डिलेवरी के बाद बेटी और उसके बच्चे को कहां ले जाएंगे?
डॉक्टर के दावे; अबॉर्शन हो या डिलीवरी, अब ऑपरेशन ही विकल्प है। बच्ची कमजोर है। उसकी साइकोलॉजी पर भी असर होगा। -डॉ. सुनीता मित्तल, गायनीकोलॉजिस्ट, पूर्व एचओडी एम्स
वकील के तर्क; पीड़िता नाबालिग है। कोर्ट ज्यादा से ज्यादा उसे हर्जाना दिला सकता है। उसके बच्चे को किसी शैल्टर होम में भेजा जा सकता है। -आभा सिंह, सीनियर एडवोकेट
...और बच्ची; मैं कब घर जाऊंगी, सहेलियों के साथ कब खेलूंगी...? यहां मुझे किसी से बात नहीं करने देते ...क्यों?
17 साल का आरोपी बाल सुधारगृह में है।

यूएस में हो सकता है मोदी का विरोध, 30 हजार पटेलों को जुटाने की तैयारी : रिपोर्ट

फाइल फोटो।
फाइल फोटो।
न्यूयॉर्क: पीएम नरेंद्र मोदी के अगले हफ्ते अमेरिका दौरे से पहले वहां की पटेल कम्युनिटी ने उनका विरोध करने की तैयारी शुरू कर दी है। कम्युनिटी के लोग लग्जरी बसें हायर करने की योजना बना रहे हैं। इन बसों से प्रदर्शनकारी न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया पहुंचकर पीएम के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करेंगे। कम्युनिटी इन प्रदर्शनकारियों का हर खर्च उठाएगी। पटेल कम्युनिटी बीते 25 अगस्त को अहमदाबाद में रिजर्वेशन की मांग पर प्रदर्शन करने वाले अपने लोगों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई से नाराज है।
होटल करेंगे मेजबानी
फिलाडेल्फिया में रहने वाले पटेल कम्युनिटी के बिजनेसमैन तेजस बखिया ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा, ''हमें उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी का विरोध करने कैलिफोर्निया में 20 हजार लोग, जबकि न्यूयॉर्क में दस हजार लोग पहुंचेंगे।'' उधर, होटल बिजनेस से जुड़े हुए पटेल कम्युनिटी के लोग भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों की मेजबानी की तैयारी कर रहे हैं।
पटेलों ने छोड़ा बीजेपी का साथ
कभी बीजेपी के मुख्य समर्थकों में शुमार पटेल कम्युनिटी के इस ताजा विवाद की वजह से पार्टी को विदेशों में भी नुकसान उठाना पड़ा रहा है। ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (OFBJP) से बहुत सारे पटेल लीडर अलग हो रहे हैं। ये पटेल लीडर काफी वक्त तक पार्टी को फंडिंग करते रहे थे। पार्टी छोड़ने वाले लीडर OFBJP के प्रेसिडेंट चंद्रकांत पटेल पर इस बात का दबाव बना रहे हैं कि वे कम्युनिटी के बाकी बचे लोगों को भी निकाल दें।
पार्टी ने कहा, कोई टेंशन नहीं
चंद्रकांत पटेल ने कहा कि उन पर कोई दबाव नहीं है। वे मोदी के खिलाफ विरोध करने की प्लानिंग करने वालों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदर्शन रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, इस बारे में पूछने पर पार्टी के फॉरेन डिपार्टमेंट चीफ विजय चौथाईवाला ने कहा, ''हम अपने इवेंट पर फोकस कर रहे हैं। हमें पटेल समुदाय के अलावा सभी वर्गों से पूरा समर्थन मिल रहा है। पटेल समुदाय मोदी का बहुत बड़ा समर्थक है। इस वजह से उनके द्वारा विरोध करने का सवाल ही नहीं उठता।''

राहुल ने पहली बार माना-भाषण के लिए कोई और करता है प्वॉइंट नोट, देता है कहानी

यह फोटो पिछले महीने वायरल हुई थी। इसमें लोकसभा में राहुल गांधी के हाथ में नोट देखा जा सकता है।
यह फोटो पिछले महीने वायरल हुई थी। इसमें लोकसभा में राहुल गांधी के हाथ में नोट देखा जा सकता है।
मथुरा (उत्तर प्रदेश). कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी पर लिखा हुआ या पहले से तैयार भाषण पढ़ने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन सोमवार को उन्होंने पहली बार सबके सामने यह मान लिया कि उनके भाषण के प्वॉइंट कोई और तैयार करता है। राहुल ने यह भी कहा है कि उनकी स्पीच के लिए कहानी भी कोई और देता है। मथुरा में कांग्रेस के चिंतन शिविर में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से उन्होंने कहा, 'मुझे भाषण देना था तो मेरे ऑफिस में एक लड़का है, मेरे लिए प्वॉइंट्स नोट करता है। आज के भाषण में उसने मुझे कहानी दी।' (राहुल ने बोला पीएम-आरएसएस पर हमला: कहा- मेरे सामने मोदी को गाली देते हैं किसान)
हाथ में पर्ची लिए हुए राहुल की फोटो हुई थी वायरल
इसी साल 13 अगस्त को राहुल गांधी तब सुर्खियों में आए थे जब एक अंग्रेजी अखबार में छपी फोटो वायरल हो गई थी। फोटो में पार्लियामेंट में खड़े राहुल गांधी के हाथ में एक पर्ची दिख रही थी। फोटो में देखा जा सकता है कि जिन मुद्दों पर राहुल को बोलना था, उनके नोट्स हिंदी में तो थे, लेकिन वे देवनागरी में नहीं, बल्कि रोमन में लिखे थे। तब आरोप लगा था कि राहुल गांधी दूसरे की तरफ से लिखे गए प्वॉइंट्स की बुनियाद पर भाषण देते हैं। उस पर्ची में ये बातें लिखी हुई थीं-

-लोग पीएम मोदी को सुनना चाहते हैं, वो उनकी राय जानना चाहते हैं। मोदीगेट पर, व्यापमं पर।
-लोगों को मोदीजी की जगह मौन जी दिख रहे हैं।
-कागज पर नीचे 'Monkeys of Gandhiji' भी लिखा है।
-लाल स्याही से लिखा है- बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो। बता दें कि राहुल गांधी ने मोदी पर निशाना साधते हुए गांधी जी के तीन बंदरों का उदाहरण दिया था। उस दौरान कई बार वे नीचे देख रहे थे।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तब तंज कसते हुए कहा था, 'जो लिखा हुआ पढ़ते हैं, वे हमेशा एक ही बात रिपीट करते हैं।'
राहुल ने एप्पल पर क्या कहा?
सोमवार को मथुरा में राहुल गांधी ने एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की कहानी सुनाई। उन्होंने कहा, 'स्टीव जॉब्स के बारे में आप जानते होंगे। एप्पल के चीफ थे। जब मैंने देखा तो सोचा यहां उनकी बात क्यों करूं। मैं एप्पल की बात करूंगा तो कुछ लोग सोचेंगे सेब की बात हो रही है। कोई सोचेगा कि अमेरिका की बात क्यों रही है? कोई कहेगा कि कंपनी की बात क्यों कर रहे हैं? फिर भी मैं वह बात कर रहू हूं। एक बार किसी ने स्टीव जॉब्स से पूछा कि भाई आपकी जो कंपनी है, खत्म हो गई थी, कुछ बचा नहीं। तो फिर खड़ी कैसे हुई? आप देखिए आरपीएन सिंह, संजय सिंह (कांग्रेस नेता) की जेब में भी एप्पल का फोन है। उन्होंने (जॉब्स ने) एक कहानी बताई। कहा कि जब मैं छोटा था तो मेरा एक पड़ोसी था। वे बुजुर्ग थे। मैं वहां जाकर खेलता था। एक दिन उन्होंने कहा कि मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूं। तो स्टीव जॉब्स जी गए। पड़ोसी ने स्टीव जॉब्स को एक मोटर दिखाई, वहां एक ड्रम सा था। 20-25 पत्थर दिखाए, अलग-अलग शेप के। स्टीव जॉब्स 6-7 साल के थे। मोटर में उन्होंने पत्थर डाल दिया और ऑन किया। फिर पड़ोसी ने जॉब्स को घर जाने के लिए कहा। जॉब्स ने कहा कि ये क्या जादू है। पड़ोसी ने कहा कि इस जादू में टाइम लगता है। अब कल सुबह आना। स्टीव जॉब्स अगले दिन गए। उसने मोटर को बंद किया, ड्रम खोला और जब स्टीव जॉब्स ने पत्थर निकाले तो सब पत्थर एक शेप के हो गए थे और सब चमक गए थे। स्टीव जॉब्स ने मतलब पूछा तो पड़ोसी ने कहा कि आप सबको एक ड्रम में डाल दो, उनकी सही तरीके से बात करा दो, जगह दे दो तो हर पत्थर के अंदर चमक होती है। वो चमक निकल आएगी। वही मैं चाहता हूं कि आप लोग करें।'

गैरकानूनी होगा 90 दिन के अंदर whatsapp या ऑनलाइन शॉपिंग डेटा डिलीट करना

गैरकानूनी होगा 90 दिन के अंदर  whatsapp या ऑनलाइन शॉपिंग डेटा डिलीट करना
नई दिल्ली. वॉट्सऐप, स्नैपचैट और गूगल हैंगआउट्स जैसे इंटरनेट बेस्ड कम्युनिकेशन से इन्क्रिप्टेड मैसेज डिलीट करना जल्द ही गैरकानूनी करार दिया जा सकता है। हो सकता है कि आपको 90 दिन पुराने सारे रिसीव्ड मैसेज प्लेन टेक्स्ट में सेव करके रखने पड़ें और किसी भी इन्वेस्टिगेशन की स्थिति में पुलिस के कहने पर दिखाने भी पड़ें। लेकिन यह सब कुछ तब होगा जब सरकार की एक नई ड्राफ्ट पॉलिसी लागू हो जाए। अभी इस पर सुझाव मांगे गए हैं। सोमवार शाम यह ड्राफ्ट पॉलिसी सामने आते ही देशभर में इस पर बहस शुरू हो गई।
सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर लॉ एक्सपर्ट विराग गुप्ता और सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी के पॉलिसी डायरेक्टर प्रणेश प्रकाश dainikbhaskar.com के रीडर्स को Q&A के जरिए बता रहे हैं कि अगर यह ड्राफ्ट पॉलिसी आगे बढ़ी तो इसका असर क्या असर हो सकता है? बतौर यूज़र आपको कैसे नुकसान हो सकता है और सरकार को क्या फायदा हो सकता है?
क्यों बदल सकते हैं नियम?
सरकार नेशनल सिक्युरिटी के मकसद से इन्क्रिप्शन पॉलिसी बदलना चाहती है। सरकार किसी भी क्राइम की जांच के दौरान पर्सनल ईमेल, मैसेज और यहां तक कि प्राइवेट बिजनेस सर्वर तक सिक्युरिटी और इंटेलिजेंस एजेंसियों का एक्सेस चाहती है। इसलिए उसने नई पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया है। इन्क्रिप्टेड मैसेजस का इस्तेमाल पहले मिलिट्री या डिप्लोमैटिक कम्युनिकेशन में होता था। लेकिन कई इंटरनेट बेस्ड मैसेजिंग सर्विसेस देने वाली कंपनियां अब आम यूज़र्स के लिए इन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करने लगी हैं।
मुद्दा क्यों है बड़ा?
यह मुद्दा इसलिए बड़ा है क्योंकि वॉट्सएेप, गूगल हैंगआउट, एपल, ब्लैकबेरी मैसेजिंग, अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपचैट और ऑनलाइन बैंकिंग गेटवे चलाने वाली कंपनियां किसी न किसी तरह के इन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करती हैं। इनमें से अधिकतर के सर्वर भारत में नहीं हैं। अधिकतर कंपनियां भारत में रजिस्टर्ड तक नहीं हैं। लेकिन इनका बड़ा यूज़र बेस भारत में है जो ड्राफ्ट पॉलिसी के मंजूर हो जाने पर नए नियमों के दायरे में आ सकते हैं।
आम यूज़र को ऐसे हो सकता है नुकसान?
1. आपको मजबूर कर सकती है सरकार
ड्राफ्ट पॉलिसी कहती है कि यूज़र, ऑर्गेनाइजेशन या एजेंसी को ट्रांजेक्शन या मैसेजिंग के 90 दिन तक प्लेन टेक्स्ट इन्फॉर्मेशन स्टोर कर रखनी होगी ताकि जब कभी सुरक्षा एजेंसियां इसकी मांग करें तो उसे अवेलेबल कराया जा सके। साइबर एक्सपर्ट विराग गुप्ता कहते हैं कि इस ड्राफ्ट में ‘यूज़र’ शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए था। आखिर यूज़र क्यों 90 दिन तक रिकॉर्ड स्टोर रखे? यूजर के लिए मुश्किलें हो सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कई यूज़र्स यह नहीं जानते कि वे कैसे 90 दिन का लॉग प्लेन टेक्स्ट में स्टोर कर रखें।
2. कंपनी ने रिकॉर्ड नहीं रखा तो आपके लिए हो सकती हैं मुश्किलें
साइबर एक्सपर्ट प्रणेश प्रकाश कहते हैं कि मान लीजिए आप किसी ऐसी मैसेजिंग सर्विस के यूज़र हैं जो भारत में रजिस्टर्ड नहीं होना चाहती। ऐसे में अगर वह आपके 90 दिन के मैसेज का इन्क्रिप्टेड रिकॉर्ड नहीं रखेगी तो कानून आप पर लागू हाेगा, विदेश में सर्वर रखने वाली कंपनी पर नहीं। ऐसे में यूज़र की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
3. सर्विसेस हो सकती हैं बंद
साइबर एक्सपर्ट विराग गुप्ता कहते हैं कि मान लीजिए आप वॉट्स ऐप के यूज़र हैं और आपकी इस पर काफी ज्यादा डिपेंडेंसी है। अगर वॉट्सऐप सरकार के नियम नहीं मानती तो उसकी सर्विसेस भारत में डिस्कंटीन्यू भी हो सकती हैं। ऐसे में भी यूज़र को नुकसान है।
आखिर क्या है इन्क्रिप्शन?
1. वॉट्सऐप : जब आप वॉट्सऐप जैसे मीडियम पर मैसेज भेजते हैं तो वह अपने आप इन्क्रिप्टेड हो जाता है या फिर स्क्रैम्बल्ड टैक्स्ट में बदल जाता है। जब वह रिसीवर तक पहुंचता है तो वह फिर नॉर्मल टैक्स्ट में बदल जाता है। वॉट्स ऐप में नॉर्मल मैसेज तो आपकी चैट हिस्ट्री में होते हैं। लेकिन एंड्रॉइड का उदाहरण लें तो उसमें फाइल मैनेजर में वॉट्स ऐप का फोल्डर होता है। उस फोल्डर में डेटाबेस का एक और फोल्डर होता है। इस फोल्डर के अंदर db.crypt8 के साथ इन्क्रिप्टेड चैट हिस्ट्री रोजाना सुबह 3 से 4 बजे के बीच स्टोर हो जाती है। आठ दिन का डेटा आपके फोल्डर में होता है। बाकी डेटा सर्वर में सेव होता जाता है।
2. आई मैसेज : एप्पल के आई मैसेज में भी इन्क्रिप्शन ऑटोमैटिक होता है। बतौर यूजर इसमें आपको कुछ नहीं करना होता।
3. गूगल : जीमेल, जीटॉक, हैंगआउट्स के मैसेजेस में भी एक तरह का इन्क्रिप्शन होता है। यह गूगल के सर्वर पर स्टोर रहता है। गूगल इंडिया तो भारत में रजिस्टर्ड है लेकिन हैंगआउट्स चलाने वाली गूगल इंक यहां रजिस्टर्ड नहीं है।
4. ऑनलाइन बैंकिंग : इस तरह के ट्रांजेक्शन में भी इन्क्रिप्शन कोड्स बैंकिंग गेटवे के सर्वर पर स्टोर हो जाते हैं। इसे अनलॉक करने के लिए यूजरनेम, पासवर्ड और खास एल्गॉरिदम की जरूरत होती है।
5. ब्लैकबेरी : यह कंपनी भी ब्लैकबेरी मैसेंजर के लिए इन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करती है जिसे सिक्युरिटी एजेंसियां ट्रेस नहीं कर सकतीं। ब्लैकबेरी के सर्वर विदेश में हैं और भारत सरकार की इनकी इन्क्रिप्टेड डाटा तक पहुंच नहीं थी। भारत के कड़े रुख के बाद ब्लैकबेरी अपनी ईमेल सर्विस को सरकारी दायरे में लाने को राजी हुआ।

वापस मेरे,,,,,,,,,,,,,


ज्यादा की ख्वाहिश नहीं,बस
वापस मेरे अरमान चाहिए साहब
उड़ना चाहा था कभी मैंने भी,बस
मुझे अब वही उड़ान चाहिए साहब
हक़ ही माँगा है मैंने अपना,बस
मुझे मेरी पहचान चाहिए साहब
घुट कर जीना बहुत हो गया,बस
वापस मेरी अब जान चाहिए साहब
सब सहते सहते खो गई जो,बस
वो ही मेरी मुस्कान चाहिए साहब

अब शराब पीकर मचाया हंगामा तो देना होगा "10 हजार" तक का जुर्माना..

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जयपुर,राजस्थान में वो लोग सावधान हो जाए जो शराब पीकर सरेआम हंगामा करते है ।
जिनकी वजह से लोगों को परेशानी होती है । राजस्थान पुलिस अधिनियम 2007के अधिनियम 14 की धारा 60 में संशोधन करने जा रही है ।
विधानसभा में सोमवार को राजस्थानपुलिस(संशोधन)
अधिनियम-2015बिल पारित किया जाएगा ।
राजस्थान पुलिस(संशोधन) अधिनियम-2015के तहत पुलिस के पास शराब पीकर हंगामा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के कुछ अधिकार और मिलेंगे जिससे की पुलिस समाज में होने वाले कई प्रकार के अपराधों पर लगाम लगाने में समर्थ हो सकेगी ।
पुलिस को मत्त या बलवा करते पाए जाने वाले अभियुक्त पर नई पुलिस अधिनियम की धारा"60-क" के तहत कार्रवाई कर सकेगी,
"60-क" के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो किसी भी कस्बे जिस पर राज्य सरकार द्वारा इस धारा का प्रसार विशेष रुप से किया जाए की सीमाओ के भीतर किसी भी सड़क या खुले स्थान,मार्ग या आम रास्ते में मत्त पाया जाने पर कार्रवाई करती है ।
कस्बे या शहर के निवासियों को बाधा,असुविधाक्षोभ, जोखिम स,संकट नुकसान होता है और मजिस्ट्रेट के सामने दोष सिद्द होने पर प्रथमअपराध के लिए पांच सौ रुपए जुर्माना,
दुसरी बार अपारध कारित करने पर पांच हजार रुपए, तीसरे अपराध के लिए दस हजार और फिर अपराध की पुनरावृति होने के बाद से दस हजार और आठ दिन का कठोर सश्रम या श्रम रहित कारावास का भागी होगा।
इसके अलावा किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकने का अधिकार होगा ।
बदलाव करने का कारण
बलवा,शराब पीकर हंगामा करते पाए जाने पर आमजन की सुरक्षा को देखते हुए पुलिस इस प्रकार की कार्रवाई करती है ।
इससे पहले पुलिस इस प्रकार के आपराधिक कृत्यों के लिए राजस्थान पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 60 के तहत मात्र पचास से सौ रुपए का जुर्मना लेती थी जो कि पर्याप्त नही माना गया ।
इसलिए पुलिस अधिनियम
2007 में एक नई धारा "60-क" को अनंत स्थापित किया जाना प्रस्तावित है।

,,,वायदा याद दिलाओ अभियान के तहत अनूठा आंदोलन छेड़ने की घोषणा

कोटा अभिभाषक परिषद कार्यकारिणी ने अभिभाषक आवासीय योजना की भाजपा नेताओ द्वारा नगर विकास न्यास से दरे कम करवाने के वायदे के बाद भी सत्ता में आने के बाद अब तक कोई कार्यवाही नहीं करने पर ,,,वायदा याद दिलाओ अभियान के तहत अनूठा आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है ,,आंदोलन के मामले में अध्यक्ष रघु नंदन गौतम ,,महासचिव संजीव विजय ने बताया के पिछले दिनों शांती धारीवाल के मंत्रित्व काल में कोटा के वकीलों को नगरविकस न्यास ने भूखंड दिए थे लेकिन नगरविकस न्यास और वकीलों के भूखंड दरों में काफी फ़र्क़ होने के कारन वकील समुदाय में रोष व्याप्त था ,,और आरक्षित दर पर ही भूखंड देने की मांग को लेकर वकीलों ने अदालत से स्थगन आदेश प्राप्त किया और पिछली सरकार के खिलाफ आंदोलन भी किया तब वकीलों के आंदोलन स्थल पर खुद सांसद ओम बिरला ,,,विधायक भवानी सिंह राजावत ,,विधायक चन्द्रकान्ता मेघवाल ,,संदीप शर्मा सहित कई भाजपा नेताओ ने आकर वकीलों की मांग को जायज़ बताते हुए लिखित में ,,बोलकर ,,उच्चारित कर वायदा किया था के भाजपा सरकार अगर आई तो वकील साथियो को एक रूपये दर पर भूखंड दिलवाए जाएंगे ,,खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया ने भी अपनी यात्रा के दौरान प्रतिपक्ष की नेता से पिछली सरकार की इस भूखण्ड दर की आलोचना करते हुए उनकी सरकार आने पर वकीलों को रियायती दर पर भूखंड देने की बात कही थी ,,,रघु गौतम ,,संजीव विजय ने बताया के भाजपा की सरकार को अब डेढ़ साल से भी अधिक हो गया है लेकिन कोटा के सांसद ,,,विधायको ,,मंत्रियो और खुद मुख्यमंत्री को सेकड़ो मांग पत्र देने के बावजूद भी अब तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आये है ,,,रघु गौतम ने कहा के अब वक़्त आ गया है के ऐसे नेताओ को जाकर उनके वायदे याद दिलाये जाए ,,,,,उनकी ऑडियो ,,वीडियो ,,,मोबाइल क्लिपिंग ,,फोटोग्राफ ,,अख़बार की कतरने ,,,अभिभाषक संघर्ष समिति के कार्यवाही रजिस्टर में खुद इन नेताओ द्वारा लिखित बयांन जिसमे इन्होने वकीलों को रियायती दर पर भूखंड दिलवाने का वायदा कर हस्ताक्षर कर रखे है ,,, इन सभी सबूतो को ,,इन भाजपा नेताओ को वायदा याद दिलाओ अभियान आंदोलन ,,के तहत बताये जाएंगे ,,,,,,,रघु गौतम ,,संजीव विजय के नेतृत्व में आज वकीलों की संघर्ष समिति का गठन भी किया गया जो आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी ,,संघर्ष समिति में वक्ताओं ने वर्तमान सांसद ,,,विधायको सहित खुद मुख्यमंत्री के बयानों की अख़बार कटिंग ,,पत्र ,,कार्यवाही रजिस्टर में इन नेताओ का हस्ताक्षरित बयान ,,विडिओ रिकॉर्डिंग जिसमे इनके समर्थित बयानों में वकीलों को एक रूपये में भूखंड देने का वायदा किया गया है जनता की अदालत में ले जाया जाएगा और फ्लेक्स लगाकर सार्वजनिक स्थानो पर लगाये जाएंगे ताकि प्रतिपक्ष में रहकर इनके द्वारा किये गए वायदे इन्हे याद आ सके और खुद इनकी शर्मिंदगी इन्हे इनके वायदे पुरे करने पर मजबूर करे ,,,,आज वकीलों का शिष्ठ मंडल इस मामले में कोटा जिला कलेक्टर डॉक्टर रवि सुरपुर से भी मिला ,, जिला कलेक्टर ने इस मामले में पूर्व में हुई वार्ता को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया और संबंधित आरक्षित दरों में विरोधाभास खत्म करने के प्रस्ताव राजयसरकार को भेजने बाबत भी आश्वस्त किया ,,शिष्ट मंडल में रघु गौतम ,,संजीव विजय ,, रामगोपाल चतुर्वेदी ,,अख्तर खान अकेला ,,दीपक बबलानी ,,नरेदंर गुप्ता सहित कई दर्जन अधिवक्ता शामिल थे ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

रेलवे को पीड़ित का हर्जाना देना होता है।

लखनऊ से जबलपुर लौटते वक्त एसी कोच में जबलपुर की एक
महिला प्रोफेसर का पर्स चोरी हो गया, जिसमें लाखों के जेवर
और रुपए थे। अब तक उस सामान का पता नहीं लग सका है।
चोरी गए सामान की कीमत अब रेलवे को देना होगी।
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने रेल यात्रियों को यह सुविधा
दिला दी है। इसके लिए पीड़ित यात्री को उपभोक्ता फोरम
में रेलवे की सेवा में कमी का मामला दायर करना होगा।
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राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के मुताबिक
रिजर्व कोच में अनाधिकृत व्यक्ति का प्रवेश रोकना टीटीई
की जिम्मेदारी है और अगर वह इसमें नाकाम रहता है तो रेलवे
सेवा में खामी मानी जाएगी।
कैसे मिला अधिकार :-फरवरी 2014 में राष्ट्रीय उपभोक्ता
विवाद निवारण आयोग ने ट्रेन से चोरी गए महिला डॉक्टर के
सामान की राशि का भुगतान रेलवे को करने का आदेश दिया।
रेलवे ने इस पर दलील दी की "ये मामला रेलवे क्लेम टिब्यूनल में ही
सुना जा सकता है", जबकि यात्री के वकील के मुताबिक
टिब्यूनल में सिर्फ रेलवे में बुक पार्सल के मामलों को ही सुना
जाता है।
न्यायमूर्ति सीके प्रसाद और पिनाकी चंद्र घोष की पीठ ने
17 साल पुराने इस मामले में रेलवे की दलील पर खारिज कर
दिया और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के
फैसले में दखल देने से इंकार कर दिया।
.
यह अधिकार यात्रियों के लिए जितना सुविधाजनक है,
उतना ही रेलवे और पुलिस के लिए मुश्किल भरा। इसका दूसरा
पक्ष यह भी है कि इसकी जानकारी यात्रियों को नहीं है और
न ही इस जानकारी को उन तक पहुंचाने के लिए कोई कारगर
कदम उठाए गए हैं।
ट्रेन में चोरी होने के बाद रिपोर्ट दर्ज कराते वक्त पीड़ित को
इस बारे में पुलिस द्वारा जानकारी नहीं दी जाती।
हालांकि जबलपुर जीआरपी का कहना है कि 1 अप्रैल 2014 के
बाद यह आदेश जारी हुआ और 6 माह बाद यानि सितम्बर से अब
तक एक भी मामले नहीं आए। 6 माह करना होगा इंतजार चोरी
गए सामान को तलाशने के लिए जीआरपी के पास 6 माह का
वक्त होगा।
इस दरमियान यदि पुलिस पीड़ित का सामान नहीं तलाश
पाती तो वह उपभोक्ता फोरम जा सकता है|
इसके लिए एफआरआई दर्ज कराते समय पुलिस को पीड़ित से
उपभोक्ता फोरम फार्म भरवाना होगा।
ओरिजनल कॉपी पीड़ित के पास होगी और पुलिस कार्बन
कॉपी अपने पास रखेगी। एफआईआर और फार्म ही यात्री का
मूल दस्तावेज होगा, जिसके आधार वह केस दर्ज कराएगा।
ये हैं आपके अधिकार यह सुविधा सिर्फ स्लीपर या एसी कोच में
रिजर्वेशन कराने वाले यात्रियों के लिए है। उपभोक्ता फोरम के
जानकार एडवोकेट बताते हैं कि रिजर्वेशन के दौरान यात्री से
2 रुपए सुरक्षा शुल्क लिया जाता है। इधर ट्रेन में स्लीपर कोच
यात्री को दिया जाता है, जिसके बाद यह तय होता है कि
आपने उसे ट्रेन में सोने का अधिकार दिया है और इस दौरान जो
भी घटना होती है, उसका जिम्मेदार रेलवे ही होगा। ट्रेन के
स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करते समय यात्री का सामान
चोरी होता है तो शिकायत दर्ज करते वक्त उससे उपभोक्ता
फोरम का फार्म भरवाया जाता है। यदि 6 माह तक पुलिस
उसका सामान नहीं तलाश पाती तो वह फार्म की कॉपी ले
जाकर उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज कर सकता है, जहां पर
रेलवे को पीड़ित का हर्जाना देना होता है।

डाक टिकिट से भले हटा दो दिलों से कैसे हटाओगे ....

डाक टिकिट से भले हटा दो
दिलों से कैसे हटाओगे ।
कम कर दो इस अंहकार को
वरना खुद ही हट जाओगे ।।
इंदिरा और राजीव जी
परिचय के मोहताज नहीं
जन-जन के वो नेता थे
वो कोई हवा बाज नही
सौ-सौ गोली खाई थी
इंदिरा ने अपनी छाती पर
आंच नहीं आने दी उसने
भारत देश की ख्याति पर
विश्व पटल पर भारत का
तब क्यों इतना सम्मान था
दुर्गा रूप कहा अटल ने
यह इंदिरा का मान था
हर बूँद आएगी काम देश के
मेरे तो इस खून की ।
मरने से पहले बोली थी वह
तारीफ़ है उसके जूनून की
मर कर भी नाम अमर है उसका
वह तो इंदिरा गांधी थी ।
नारी रूप होकर भी
वह तूफ़ान और आंधी थी ।
उसी का अंश था राजीव
तुम उसको क्या भुलाओगे
डाक टिकिट से भले हटा दो
दिलों से कैसे हटाओगे
कंप्यूटर , संचार क्रान्ति
वो ही देश में लाया था
वो मासूम सा चेहरा
हर देशवासी को भाया था
जिस दिन हत्त्या हुई थी उसकी आसमान भी रोया था ।
उसके खून के छीठों को
बरस बरस कर धोया था ।।
युगों युगों तक नाम रहेगा
राजीव का इस भारत में
कागज पर छोड़ो, दिलों में है
अंकित स्वर्णिम इबारत में
ऐसी महान विभूतियों को
तुम जैसे क्या भुलाओगे
डाक टिकिट से भले हटा दो
दिलों से कैसे हटाओगे ....

चींटियाँ भारत छोड़कर जाने लगीं....... और टिड्डे झगड़ते रहे ..

👀 एक समय की बात है एक चींटी और एक टिड्डा था . गर्मियों के दिन थे,
चींटी दिन भर मेहनत करती और अपने रहने के लिए घर को बनाती, खाने के लिए
भोजन भी इकठ्ठा करती जिस से की सर्दियों में उसे खाने पीने की
दिक्कत न हो और वो आराम से अपने घर में रह सके, जबकि टिड्डा दिन
भर मस्ती करता गाना गाता और चींटी को बेवकूफ समझता.
मौसम बदला और सर्दियां आ गयीं, चींटी अपने बनाए मकान में आराम से रहने
लगी उसे खाने पीने की कोई दिक्कत नहीं थी परन्तु टिड्डे के पास
रहने के लिए न घर था और न खाने के लिए खाना, वो बहुत परेशान रहने लगा .
दिन तो उसका जैसे तैसे कट जाता परन्तु ठण्ड में रात काटे नहीं कटती.
एक दिन टिड्डे को उपाय सूझा और उसने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई. सभी
न्यूज़ चैनल वहां पहुँच गए . तब टिड्डे ने कहा
कि ये कहाँ का इन्साफ है की एक देश में एक समाज में रहते हुए चींटियाँ तो आराम से रहें
और भर पेट खाना खाएं और और हम टिड्डे ठण्ड में भूखे पेट ठिठुरते रहें ..........?
मिडिया ने मुद्दे को जोर - शोर से उछाला, और जिस से पूरी विश्व बिरादरी के कान खड़े हो गए........ ! बेचारा
टिड्डा सिर्फ इसलिए अच्छे खाने और घर से महरूम रहे की वो गरीब है और जनसँख्या में कम है बल्कि
चीटियाँ बहुसंख्या में हैं और अमीर हैं तो क्या आराम से जीवन जीने का अधिकार
उन्हें मिल गया बिलकुल नहीं ये टिड्डे के साथ अन्याय है
इस बात पर कुछ समाजसेवी, चींटी के घर के सामने धरने पर बैठ गए तो कुछ भूख हड़ताल पर,
कुछ ने टिड्डे के लिए घर की मांग की. कुछ राजनीतिज्ञों ने इसे पिछड़ों के प्रति अन्याय बताया.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने टिड्डे के वैधानिक अधिकारों को याद दिलाते हुए भारत सरकार की निंदा की.
सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर टिड्डे के समर्थन में बाड़ सी आ गयी, विपक्ष के नेताओं ने भारत बंद का एलान
कर दिया. कमुनिस्ट पार्टियों ने समानता के अधिकार के तहत चींटी पर "कर" लगाने और टिड्डे को अनुदान
की मांग की, एक नया क़ानून लाया गया "पोटागा" (प्रेवेंशन ऑफ़ टेरेरिज़म अगेंस्ट ग्रासहोपर एक्ट). टिड्डे के
लिए आरक्षण की व्यवस्था कर दी गयी.
अंत में पोटागा के अंतर्गत चींटी पर फाइन लगाया गया उसका घर सरकार ने अधिग्रहीत कर टिड्डे
को दे दिया .......! इस प्रकरण को मीडिया ने पूरा कवर किया टिड्डे को इन्साफ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की .
समाजसेवकों ने इसे समाजवाद की स्थापना कहा तो किसी ने न्याय की जीत, कुछ
राजनीतिज्ञों ने उक्त शहर का नाम बदलकर "टिड्डा नगर" कर दिया, रेल मंत्री ने "टिड्डा रथ" के नाम से
नयी रेल चलवा दी.........! और कुछ नेताओं ने इसे समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन
की संज्ञा दी.
चींटी भारत छोड़कर अमेरिका चली गयी ......... ! वहां उसने फिर से मेहनत
की और एक कंपनी की स्थापना की जिसकी दिन रात
तरक्की होने लगी........! तथा अमेरिका के विकास में सहायक सिद्ध हुई
चींटियाँ मेहनत करतीं रहीं टिड्डे खाते रहे ........! फलस्वरूप धीरे
धीरे चींटियाँ भारत छोड़कर जाने लगीं....... और टिड्डे झगड़ते रहे ........! एक दिन खबर आई
की अतिरिक्त आरक्षण की मांग को लेकर सैंकड़ों टिड्डे मारे गए.................!
ये सब देखकर अमेरिका में बैठी चींटी ने कहा " इसीलिए शायद भारत आज
भी विकासशील देश है"

प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा (सबक) और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद (आशा)।

एक बेटा अपने वृद्ध पिता को रात्रि भोज के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर गया।
खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया।
रेस्टॉरेंट में बैठे दुसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे लेकिन वृद्ध का बेटा शांत था।
खाने के बाद बिना किसी शर्म के बेटा, वृद्ध को वॉश रूम ले गया। उसके कपड़े साफ़ किये, उसका चेहरा साफ़ किया, उसके बालों में कंघी की,चश्मा पहनाया और फिर बाहर लाया।
सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे।बेटे ने बिल पे किया और वृद्ध के साथ
बाहर जाने लगा।
तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा " क्या तुम्हे नहीं लगता कि यहाँ
अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो ?? "
बेटे ने जवाब दिया" नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ कर
नहीं जा रहा। "
वृद्ध ने कहा " बेटे, तुम यहाँ
छोड़ कर जा रहे हो,
प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा (सबक) और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद (आशा)। "
दोस्तो आमतौर पर हम लोग अपने बुजुर्ग माता पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसँद नही करते
और कहते है क्या करोगो आप से चला तो जाता
नही ठीक से खाया भी नही जाता आपतो घर पर ही रहो वही अच्छा होगा.
क्या आप भूल गये जब आप छोटे थे और आप के माता पिता आप को अपनी गोद मे उठा कर ले जाया
करते थे,
आप जब ठीक से खा नही
पाते थे तो माँ आपको अपने हाथ से खाना खिलाती थी और खाना गिर जाने पर डाँट नही प्यार जताती थी
फिर वही माँ बाप बुढापे मे बोझ क्यो लगने लगते है???
माँ बाप भगवान का रूप होते है उनकी सेवा कीजिये और प्यार दीजिये

भारत में sunday की छुट्टी

भारत में sunday की छुट्टी
किस व्यक्ति ने हमें दिलाई?
और इसके पीछे उस महान व्यक्ति का क्या मकसद था?
क्या है इसका इतिहास?
साथियों, जिस व्यक्ति की वजह से हमें ये छुट्टी हासिल हुयी है, उस महापुरुष का नाम है "नारायण मेघाजी लोखंडे". नारायण मेघाजी लोखंडे ये जोतीराव फुलेजी के सत्यशोधक आन्दोलन के कार्यकर्ता थे। और कामगार नेता भी थे। अंग्रेजो के समय में हफ्ते के सातो दिन मजदूरो को काम करना पड़ता था। लेकिन नारायण मेघाजी लोखंडे जी का ये मानना था की, हफ्ते में सात दिन हम अपने परिवार के लिए काम करते है। लेकिन जिस समाज की बदौलत हमें नौकरिया मिली है, उस समाज की समस्या छुड़ाने के लिए हमें एक दिन छुट्टी मिलनी चाहिए। उसके लिए उन्होंने अंग्रेजो के सामने 1881 में प्रस्ताव रखा। लेकिन अंग्रेज ये प्रस्ताव मानने के लिए तयार नहीं थे। इसलिए आख़िरकार नारायण मेघाजी लोखंडे जी को इस sunday की छुट्टी के लिए 1881 में आन्दोलन करना पड़ा। ये आन्दोलन दिन-ब-दिन बढ़ते गया। लगभग 8 साल ये आन्दोलन चला। आखिरकार 1889 में अंग्रेजो को sunday की छुट्टी का ऐलान करना पड़ा। ये है इतिहास।
क्या हम इसके बारे में जानते है?
अनपढ़ लोग छोड़ो लेकिन क्या पढ़े लिखे लोग भी इस बात को जानते है?
जहा तक हमारी जानकारी है, पढ़े लिखे लोग भी इस बात को नहीं जानते। अगर जानकारी होती तो sunday के दिन enjoy नहीं करते....समाज का काम करते....और अगर समाज का काम ईमानदारी से करते तो समाज में भुखमरी, बेरोजगारी, बलात्कार, गरीबी, लाचारी ये समस्या नहीं होती।
साथियों, इस sunday की छुट्टीपर हमारा हक़ नहीं है, इसपर "समाज" का हक़ है। कोई बात नहीं, आज तक हमें ये मालूम नहीं था लेकिन अगर आज हमें मालूम हुआ है तो आज से ही sunday का ये दिन सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित करें.!!

क़ुरआन का सन्देश

  
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