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26 सितंबर 2015

भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के युवाओं में जान फूंककर उन्हें सरकार के खिलाफ संघर्ष के लिए जंगजू सिपाही बनाने वाले युथ कांग्रेस के राष्ट्रीय कप्तान बने भाई अमरिंदर सिंह राजा बरार

भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के युवाओं में जान फूंककर उन्हें सरकार के खिलाफ संघर्ष के लिए जंगजू सिपाही बनाने वाले युथ कांग्रेस के राष्ट्रीय कप्तान बने भाई अमरिंदर सिंह राजा बरार आगामी अट्ठाइस सितमबर सोमवार को किसानो के मामले में हो रहे कांग्रेस के जंगी प्रदर्शन में दहाड़ेंगे ,,ख़ुशी की बात यह है के इनके इस आंदोलन में पहली बार कोटा के उत्तर दक्षिण कोंग्रेसी गुट भी किसानो के हित संघर्ष के लिए सम्भवत एक मंच पर नज़र आएंगे ,,,,,,अमरिंदर सिंह जब से राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष बने है राजस्थान सहित देश के हर राज्य हर ज़िले में सामजिक सरोकार और आम जनता से जुड़े मुद्दो पर सरकार की विफलताओं के खिलाफ जनता के इन्साफ के लिए संघर्ष कर रहे है ,,इनके इस संघर्ष में युवा शक्ति में कांग्रेस के पक्ष में संचार हुआ है ,,कांग्रेस ज़िंदाबाद हुई है चाहे इस संघर्ष में कमांडर अमरिंदर सिंह बरार को पुलिस की लाठियो ने दर्जनो बार निशाना बनाकर गंभीर चोटिल ही क्यों ना क्या हो लेकिन आम किसान ,,पीड़ित जनता के लिए जान की परवाह किये बगैर संघर्ष करने वाले इस जंगजू सिपाही ने हर लड़ाई जीती है और सरकार को घुटने टेकने को मजबूर होना पढ़ा है ,,,भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ सबसे पहली आक्रामक रैली हो ,,राजस्थान के किसानो के हक़ का संघर्ष हो सभी संघर्ष इनके नेतृत्व से शुरू होकर ,,,,कांग्रेस हाईकमान के समर्थन से कामयाब हुए है ,,,,,,,,,,,,,,,बरार का कोटा संघर्ष यादगार बनाने के लिए उनके साथी जुटे हुए है ,,कोटा में उत्तर दक्षिण कांग्रेस की गुटबाज़ी कैसे खत्म हो इसके लिए भानु प्रताप सिंह कोटा लोकसभा अध्यक्ष कोशिश कर रहे है ,,तो कोटा उत्तर के युथ प्रभारी मक़सूद अहमद अपनी ताक़त दिखा रहे है ,,,प्रदेश युथ कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चंदना युवाओ में शक्ति का संचार भरकर प्रदर्शन को सफल बनाने की कोशिशो में जुटे है ,,,वोह बात और है के अशोक चंदना की अपील केवल युथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओ तक सीमित है ,,दूसरे अग्रिम संगठनो और मूल कांग्रेस के वरिष्ठ लोगों से आयोजक अशोक चांदना ने अभी तक कोई अपील कोई मनुहार नहीं की है ,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन इस प्रदर्शन में प्रदेश युथ कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलेट की उपस्थिति से सभी लोग उत्साह के साथ शामिल हो रहे है ,,,,,,,,,,खुद युथ कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमरिंदर सिंह बरार अपने सम्पर्क से जुड़े लोगों से प्रदर्शन को सफल बनाने का आह्वान कर रहे है ,,,,,,,,,,उन्तीस नवंबर उन्नीस सो सतत्तर को मुक्तसर पंजाब में जन्मे अमरिंदर सिंह बरार का बचपन किसानो के बीच गुज़रा ,बचपन से ही बरार कांग्रेस के पक्ष समर्थन में कांग्रेस ज़िंदाबाद का झंडा बुलंद करते रहे फिर जब होश संभाला तो सीधे कांग्रेस की प्रचार प्रसार टीम में जुड़ गए ,,,,,,,,,,गरीबों ,,किसानो ,, छात्रों ,,,,शोषित उत्पीड़ितों के लिए संघर्ष के जज़्बे के कारन ही अमरिंदर सिंह लोकप्रिय हो गए कांग्रेस हाईकमान के सामने अमरिंदर का जंगजू स्वभाव जब आया तो इन्हे पंजाब की गिदरबाह विधानसभा सीट से टिकिट दिया गया जहाँ विकट परिस्थितियों के चलते अमरिंदर सिंह ने प्रतिपक्ष के मज़बूत उम्मीदवार को हरा कर पंजाब में कांग्रेस को ज़िंदाबाद किया ,,,,अमरिंदर सिंह पंजाब प्रदेश कांग्रेस में महासचिव भी है और युथ कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष भी है ,,,बरार को पढ़ने लिखने का खूब शोक है ,,यह तगारी उठाती मज़दूर महिलाओ के पास पहुंच जाते है उनकी तगारियां खुद उठाते है ,,थकी हुई वृद्ध महिलाओं को खुद स सम्मान रास्ता दिखाते है ,,तो गरीबों पर होने वाले हर ज़ुल्म की लाठी पहले खुद खाते है ,,,,ज़ुल्म के खिलाफ संघर्ष में यह अपनी जान की बाज़ी लगाकर भी ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाते है ,,,,,,,,,,,,,,कोटा में कोंग्रेसियो को घेर कर मारा ,,लाठीवार किया ,,उहे गिरफ्तार किया ,,यह खबर उन तक पहुंची तो उन्होंने कोटा में वही स्थान जहाँ सत्ता के इशारे पर पुलिस ने कांग्रसियो को खदेड़ा था वहीँ एक बढ़े संघर्ष का आह्वान का प्रस्ताव रखा गया ,,,,,,,,,,,,,,अमरिंदर सिंह की कोशिशो से अगर कोटा कांग्रेस के उत्तर दक्षिण बने वरिष्ठ नेता एक मंच पर आते है तो यह कांग्रेस के लिए सकारात्मक पहल होगी क्योंकि सभी जानते है के पिछले दिनों सचिन पायलेट के कोटा आगमन पर भी एक नेता तो ज़मीन पर बैठे थे और पुकारने पर भी मंच पर नहीं आये थे ,,,,,,,,,,फिर भी ऐसे ज़िद्दी नेताओं के खिलाफ जिन्होंने खुलकर सभी कार्यकर्ताओं के सामने प्रदेश अध्यक्ष के फरमान का अपमान किया था उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई थी इसी लिए गुटबाज़ी और बढ़ी और उत्तर दक्षिण गुटो के बीच बेचारा आम कोंग्रेसी पिस्ता चला जा रहा है ,,,,,पिस्ता चला जा रहा है ,,और यह उत्तर ,,दक्षिण गुट खुद को कांग्रेस से ,,संगठन से कार्यकर्ताओ से बढ़ा साबित करने की कोशिशो में जुटे है ,,,जिससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का बटवारा हो रहा है तो कांग्रेस को हर बार जीती हुई बाज़ी हारकर नुकसान उठाना पढ़ रहा है ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा प्रेस क्लब

कोटा प्रेस क्लब अध्यक्ष धीरज गुप्ता ने कहा है के किसी भी पत्रकार के मान ,,सम्मान को ठेस पहुंचाने वालों के खिलाफ पत्रकार एक जुट है ,,जबकि पत्रकारों की आवासीय योजना ,,पत्रकारों की सुरक्षा योजना ,,,चिकित्सा लाभ सहित छोटे ,मंझोले ,,साप्ताहिक पाक्षिक समाचार पत्रो को पूरा लाभ ,,मान सम्मान ,सुविधाये मिले इसके लिए भी प्रेस क्लब वचनबद्ध है और इस संबंध में प्रेस क्लब कोटा की तरफ से विस्तृत मुख्यमंत्री महोदय के नाम मांग पत्र भी दे दिया गया है ,,,,,धीरज गुप्ता आज प्रेस क्लब कोटा की साधारण सभा में सदस्यों को सम्बोधित कर रहे थे ,,उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में पत्रकारों के लिए लाइब्रेरी को हाईटेक करने ,,,,भवन विस्तार करने ,,यूनेस्को के ज़रिये पत्रकारों के लिए एकेडमिक कार्यशालाएं स्थापित करने ,,प्रेस क्लब में संबद्ध सदस्य और मानद सदस्य बनाये जाने का प्रस्ताव भी रखा ,,धीरज गुप्ता ने कहा के राज्य सरकार की दो महत्वपूर्ण पत्रकार समितियों में मुझे यानी धीरज गुप्ता तेज ,,और वरिष्ठ उपाध्यक्ष नीरज गुप्ता को मनोनीत किया है और पत्रकारों से संबंधित कोई भी प्रार्थना पत्र अब सरकार के समक्ष पेंडिंग नहीं रहेगा ,,,,प्रेस क्लब की साधारण सभा की बैठक में महासचिव हरिमोहन शर्मा ने महासचिव प्रतिवेदन पढ़ते हुए साल भर की गतिविधियों का ब्यौरा दिया जिसे सभी ने पारित कर दिया ,,बैठक में कोषाध्यक्ष मालसिंह शेखावत ने वार्षिक आय व्यय का ब्यौरा देते हुए प्रेस क्लब की आमदनी बढ़ाने पर ज़ोर दिया ,,,बैठक को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार बद्री प्रसाद गौतम ने कहा के पत्रकारों खासकर छोटे मंझोले समाचार पत्रों की सुविधाओ का भी ध्यान रखना चाहिए और साधारण सभा में जो फैसले हो उनकी क्रियान्विति सुनिश्चित होना चाहिए ,,बैठक में बोलते हुए पूर्व अध्यक्ष प्रेस क्लब प्रद्युम्न शर्मा ने प्रेस क्लब की आमदनी बढ़ाने ,,रंग रोगन ,,फर्नीचर ,,माइक वगेरा अब तक नहीं लाने के मामले में आपत्ति जताई ,,प्रेस क्लब के अध्यक्ष धीरज गुप्ता ने जब प्रद्युम्न शर्मा द्वारा प्रेस क्लब को सोफे देने के वायदे पर अमल करने के लिए कहा तो प्रद्युम्न शर्मा ने कहा के अब सोफ़ा सही करवा लिया गया है इसलिए में अब सोफ़ा प्रेस क्लब को नहीं दूंगा ,,प्रेसक्लब से सोफे का वायदा कर मुकरने के मामले में नोकझोंक भी हुई ,, प्रद्युम्न शर्मा ने पृथक से वित्त समिति बनाने का सुझाव भी दिया ,,,,प्रद्युम्न शर्मा ने कहा के पत्रकारों के कार्ड बनने से कुछ नहीं होता इस कार्ड को साइकल स्टेण्ड वाले भी नहीं मानते ,,इस पर अध्यक्ष धीरज ग गुप्ता ने कहा के रेलवे साइकल स्टेण्ड या कहीं और अगर ऐसी दिक़्क़त हो तो हमसे बात करे छूट तो मिलेगी ही लेकिन साइकिल स्टेण्ड ठेकेदार के खिलाफ भी कार्यवाही होगी ,,,,,,,बैठक को सम्बोधित करते हुए के एल जेन ने कहा के पत्रकारों के कल्याण के लिए क़दम उठाया जाना चाहिए ,,,उन्होंने कहा के पत्रकारों को तो टैक्स पर छूट देने का नियम है लेकिन इटावा की तरफ के टोल टैक्स पर बोर्ड पर पत्रकारों के लिए छूट अंकित नहीं जिसकी शिकायत कर नियमो के तहत यह छूट दिलवाना चाहिए , के एल जेन ने प्रेस क्लब में मिट द प्रेस कार्यक्रम नियमित करवाने का सुझाव दिया ,,,,बैठक में वरिष्ठ पत्रकार मुनीश जोशी ने पत्रकारों के व्यवसायिक संवर्धन के लिए कार्यशालाएं आयोजित करने का सुझाव दिया ,,पत्रकार मनोहर पारीक ने छोटे मंझोले समाचार पत्रो की समस्याओ के समाधान और पत्रकारों पर होने वाले हमले के मामले में उनका साथ देने के लिए कहा ,, बैठक में वरिष्ठ पत्रकार गजेन्द्र व्यास ने कहा के जार संगठन के लिए जब पांच लाख की मदद मुख्यमंत्री से लाइ जा सकती है तो प्रेस क्लब के लिए यही अध्यक्ष यह मदद क्यों नहीं लाते ,,उन्होंने पत्रकार डी ऍन गांधी को भी आर्थिक मदद देने का सुझाव दिया ,,,,,,,,,,व्यास ने कहा के अध्यक्ष जी ने वर्ष भर कुछ खास नहीं कर पाने के लिए माफ़ी भी मांगी है ऐसे में उन्हें नैतिकता के नाम पर सदन का फिर से विश्वास हांसिल करना चाहिए ,,इस पर अध्यक्ष धीरज गुप्ता ने सभी सदस्यों से कहा के जिसे मुझ पर विश्वास है वोह हाथ उठाकर विश्वास जताए ,,कुछ एक सदस्यों को छोड़कर अधिकतम सदस्यों ने अध्यक्ष पर विश्वास जताया ,, बैठक में सुधीन्द्र गॉड ने भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए जबकि ओम कुमार शर्मा ने लाइब्रेरी के लिए एक सो एक पुस्तके भेंट करने का ऐलान किया ,,,,बैठक को सम्बोधित करते हुए हलीम रेहान ने भवन में लाइट व् दूसरी व्यवस्थाये सुधार का सुझाव दिया जबकि विपिन तिवारी ने बैठक में सदस्यों के कार्ड बनाने के मामले में कई सदस्यों को सुचना देने के बाद भी वक़्त पर नहीं आने की बात कही ,,,बैठक को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार नरेश विजय वर्गीय ने सुझाव दिया के साधारण सभा की बैठक के पहले मुद्दो पर चर्चा के लिए एजेंडा सदस्यों तक पहुंचना चाहिए ताके सदस्य बहस के लिए तय्यार होकर आएं ,,बैठक के अंत में रघुवीर सिंह कौशल ,,ललित चतुर्वेदी ,,ऐ पी जे अब्दुल कलाम ,,श्रीमती कोमल धारीवाल सहित सदस्यों के परिजनों की मृत्यु हो जाने पर दो मिनट का मोन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और राष्ट्रगान से बैठक का समापन किया ,,,बैठक में कार्यकारिणी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नीरज गुप्ता ,,उपाध्यक्ष जितेंद्र शर्मा ,,,,,,,,,,,,,,,सचिव पवन पारीक ,,कोषाध्यक्ष मालसिंघ शेखावत ,,अख़्तर खान अकेला ,,गिरीश गुप्ता ,,अनिता आचार्य ,,प्रताप सिंह तोमर ,,प्रशांत सक्सेना मनोनीत सदस्य योगेश जोशी भी मंच पर उपस्थित रहे और कार्यवाही पर निगरानी रखी ,,बैठक में क़य्यूम अली ,, रविन्द्र शर्मा ,,,,शम्भु लाड़पुरी ,,ओमेन्द्र सक्सेना ,,,सहित सभी सदस्य उपस्थित थे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अहमद खान

कांग्रेस के युवा ,,जुझारू ,,संघर्षशील ,,नेतृत्व करने वाले भाई अहमद खान को अल्पसंख्यक विभाग में ऊर्जा फूंकने के लिए प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष निज़ाम कुरैशी ,, को ऑर्डिनेटर मक़्क़्सूद अहमद की सहमति से कोटा संभाग चेयरमेन एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने कोटा संभाग अल्पसंख्यक विभाग का महासचिव नियुक्त किया है ,,,अहमद खान रुस्तम खान के साथ बूंदी ज़िले में प्रभारी सचिव का कार्य भी देखेंगे ,,,,,,,अहमद खान की नियुक्ति पर कोटा देहात अध्यक्ष सजािद जावेद ,,शहर अध्यक्ष करीम खान ,,,मुख्य सचिव कोटा संभाग तबरेज़ पठान ,,दीदार खान ,,,पंकज मेहता ,,,विनोद लालवानी ,,,शाहनवाज़ खान ,,ज़ीशान अली ,,,जावेद खान ,,सहित लोगों ने उन्हें मुबारकबाद देते हुए कहा है के इनकी नियुक्ति से कोटा संभाग में कांग्रेस की और सक्रियता बढ़ेगी ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्स्थान

अगर मेंढक को गर्मा गर्म उबलते पानी में डाल दें तो वो छलांग लगा कर बाहर आ जाएगा

अगर मेंढक को गर्मा गर्म उबलते पानी में डाल दें तो वो छलांग लगा कर बाहर आ जाएगा और उसी मेंढक को अगर सामान्य तापमान पर पानी से भरे बर्तन में रख दें और पानी धीरे धीरे गरम करने लगें तो क्या होगा ?
मेंढक फौरन मर जाएगा ?
जी नहीं....
ऐसा बहुत देर के बाद होगा...
दरअसल होता ये है कि जैसे जैसे पानी का तापमान बढता है, मेढक उस तापमान के हिसाब से अपने शरीर को Adjust करने लगता है।
पानी का तापमान, खौलने लायक पहुंचने तक, वो ऐसा ही करता रहता है।अपनी पूरी उर्जा वो पानी के तापमान से तालमेल बनाने में खर्च करता रहता है।लेकिन जब पानी खौलने को होता है और वो अपने Boiling Point तक पहुंच जाता है, तब मेढक अपने शरीर को उसके अनुसार समायोजित नहीं कर पाता है, और अब वो पानी से बाहर आने के लिए, छलांग लगाने की कोशिश करता है।
लेकिन अब ये मुमकिन नहीं है। क्योंकि अपनी छलाँग लगाने की क्षमता के बावजूद , मेंढक ने अपनी सारी ऊर्जा वातावरण के साथ खुद को Adjust करने में खर्च कर दी है।
अब पानी से बाहर आने के लिए छलांग लगाने की शक्ति, उस में बची ही नहीं I वो पानी से बाहर नहीं आ पायेगा, और मारा जायेगा I
मेढक क्यों मर जाएगा ?
कौन मारता है उसको ?
पानी का तापमान ?
गरमी ?
या उसके स्वभाव से ?
मेढक को मार देती है, उसकी असमर्थता सही वक्त पर ही फैसला न लेने की अयोग्यता । यह तय करने की उसकी अक्षमता कि कब पानी से बाहर आने के लिये छलांग लगा देनी है।
इसी तरह हम भी अपने वातावरण और लोगो के साथ सामंजस्य बनाए रखने की तब तक कोशिश करते हैं, जब तक की छलांग लगा सकने कि हमारी सारी ताकत खत्म नहीं हो जाती ।
लोग हमारे तालमेल बनाए रखने की काबिलियत को कमजोरी समझ लेते हैं। वो इसे हमारी आदत और स्वभाव समझते हैं। उन्हें ये भरोसा होता है कि वो कुछ भी करें, हम तो Adjust कर ही लेंगे और वो तापमान बढ़ाते जाते हैं।
हमारे सारे इंसानी रिश्ते, राजनीतिक और सामाजिक भी, ऐसे ही होते हैं, पानी, तापमान और मेंढक जैसे। ये तय हमे ही करना होता है कि हम जल मे मरें या सही वक्त पर कूद निकलें।
(विचार करें, गलत-गलत होता है, सही-सही, गलत सहने की सामंजस्यता हमारी मौलिकता को ख़त्म कर देती है)

माँ-बाबूजी, मैं और बचपन...


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वो उम्र निकल गयी, वो हाल बदल गए
जिंदगी गुज़र गयी, कई साल बदल गए...
अब नहीं आएगा वो बचपन का ज़माना
लुट चुका हो वो खिलौनों का ख़ज़ाना...
वो लड़ना झगड़ना वो शिकायतें लगाना...
वो हंसना-हँसाना, वो रोना-रुलाना......
वो दीदी की कॉपी को छुपा कर के रखना
वो भईया की पतंगों का उड़ना, वो कटना..
वो मोहल्ले के बच्चों से लड़ना-झगड़ना
वो अम्मा का चिल्लाना, वो बाबा का डपटना...
वो पड़ोसन का मम्मी को उल्हाने देना
फिर बंद हो जाता घर से बाहर जाने देना...
वो गिल्ली, वो डंडे, वो कंचे वो गुट्टे
वो बेरी, वो चूरन, वो कुल्फी, वो भुट्टे...
कभी बागीचों से वो इमली चुराना
पतंग लूटने किसी घर में घुस जाना...
मैदानों की मिट्टी में कबड्डी का खेला
मोहल्ले के नुक्कड़ पे आईसक्रीम का ठेला...
वो भागा, वो दौड़ी, वो छुपना छुपाना
वो गेंद पकड़ने को ज़मीं पे लोट जाना...
फिर मैले कुचैले कपड़ों में घर आना
माँ का चिल्लाना, डांट के नहलाना...
जब पापा की शाम को घर आमद होती
तो समझो अपनी तो पूरी शामत होती...
मम्मी सुनाती थी रो-रो के किस्सा
हाथ से निकल गया है ये बच्चा...
पता नहीं बड़ा होके क्या ये करेगा
सब्जी बेचेगा कि जूते पोलिश करेगा...
मेरी तो ये बिल्कुल सुनता नहीं है
मुझसे तो बिल्कुल सम्भलता नहीं है...
तुम तो दिन भर घर में रहते नहीं हो
मैं बताती भी हूँ तो तुम कुछ कहते नहीं हो...
तंग आ गयी हूँ बाप-बेटा दोनों से अब तो
इन्हें मतलब नहीं मेरे रोनों से अब तो...
बाबूजी फिर मंद ही मंद मुस्काते
मुझपे चिल्ल्ताते, झूठा गुस्सा दिखाते...
फिर बातें बनाते, अम्मा को मनाते
मुझे भी समझाते, उन्हें भी समझाते...
यूं ही बीत गया जो बचपन था अपना
बचा है तो बस इन आँखों में सपना...
जानता हूँ अब नहीं आयेगा वो ज़माना...
वो उम्र, वो दौर, वो बचपन सुहाना...
लिहाजा अब खुली आँखों से वो सपन ढूंढता हूँ
और अपने बच्चों में अपना बचपन ढूंढता हूँ...
अपने बच्चो में अपना बचपन ढूंढता हूँ...

आज हिन्दुस्तान में ट्वीटर, फेसबुक और व्हाट्सअप अपने पाखंड के प्रचन्ड क्रांतिकारी दौर से गुजर रहा है..

आज हिन्दुस्तान में ट्वीटर, फेसबुक और व्हाट्सअप अपने पाखंड के प्रचन्ड क्रांतिकारी दौर से गुजर रहा है...
हर नौसिखिया क्रांति करना चाहता है जैसे.......
कोई बेडरूम में लेटे लेटे गौहत्या करने वालों को सबक सिखाने कि बातें कर रहा है। रोजाना मांस भक्षण करने वाला किसी धर्म विशेष के द्वारा मांस खाने पर शाकाहार की दुहाई दे रहा है।
कोई सोफे पर बैठे बैठे महंगाई, भ्रस्टाचार को जड से उखाड फेंकने के रास्ते बता रहा है ये अलग बात है कि जिस मोबाईल के माध्यम से वो ये क्रांति की बात कर रहा है वो भ्रष्टाचार के पैसों से ही खरीदा गया है या खुद आवश्यक वस्तुओं का स्टॉक किए बैठा है जिससे मंहगाई में मुनाफा कमा सके।
हफ्ते में एक दिन नहाने वाले और चार दिन तक बिस्तर ना झाड़ने वाले, पान और गुटके की पीक को पिचकारी बना कर दीवार पर फेंकने वाले, खुले में दीवारों पर पेशाब करने वाले लोग स्वच्छता अभियान का समर्थन और राजनीतिक हल्ला कर रहे हैं।
आरक्षण का लाभ लेकर पिताजी सरकार के बड़े नौकरशाह हैं, अरबों की नामी बेनामी संपत्तियों के मालिक हैं लेकिन भाईसाहब, आज भी छात्रवृति उठा रहे हैं और आरक्षण लेने के लिए आतुर हैं ये लोग किसी वास्तविक पीड़ित और वंचित का हक मारकर अपने आपको पिछड़ा बताते हुए आरक्षण के समर्थन में ज्ञान पेल रहे हैं। वहीँ दूसरी और आज भी जातिवाद और जातिवाद के नाम पर अत्याचार करने वाले, आरक्षण का विरोध में अलख जगा रहे हैं।
जिनके माँ बाप वृद्धाश्रम में रह रहे हैं या बेटे बेटियों के समृद्ध होने पर भी अभाव में जीवन बसर कर रहे हैं वो लोग माँ बाप की सेवा कैसे करनी चाहिये इस विषय पर ज्ञान की गंगा प्रवाहित कर रहे हैं।
जिन्होंने आज तक बचपन में कंचे तक नहीं जीते, जो अपने बिस्तर से उठ कर पानी भी नहीँ पीते और माँ को आदेश देते हैं कि माँ पानी लाना, ऐसे लोग बता रहे हैं कि भारत रत्न किसे मिलना चाहिये।
जिसने गाँधी, विवेकानंद, नेहरू, भगतसिंह, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, चंद्रशेखर आजाद सहित किसी महान नेता को ना पढ़ा ना समझा, ना इन कथित राष्ट्रवादियों को ये पता कि ये नेता लोग आजादी के आंदोलन में दस दस साल जेलों में रहे हैं या जान दे दी है, उन पर आलोचनात्मक टिप्पणी कर रहे हैं या कट कॉपी पेस्ट कर अपने आपको राष्ट्रवादी कहलवाने वाले और दूसरों को देशद्रोही कहने वाले बहुतायत में सोशल मीडिया पर दीमक की तरह इन महान नेताओं का चरित्र हनन करने में लगे पड़े हैं।
जिन्हें गली क्रिकेट में इसी शर्त पर खिलाया जाता था कि बॉल कोई भी मारे पर अगर नाली में गयी तो निकालना तुझे ही पड़ेगा वो सचिन तेंदुलकर और कोहली को समझाते पाये जायेंगे की उन्हें कैसे खेलना है।
देश में महिलाओं की कम जनसंख्या को देखते हुये जिन्होनें नकली ID's बना कर महिला और पुरूष का अनुपात सही कर जनसंख्या को बराबर कर रहे हैं, तथा जिन्होंने खुद के पुत्री ना हो इसके लिए जन्म पूर्व गर्भ की जांच कराई हो ऐसे लोग भ्रूण हत्या पर लेख लिख रहे हैं।
जिन्होंने जीवन भर महिलाओं से छेड़खानी की, फब्तियाँ कसी, प्रेम किया, सम्बन्ध बनाए और अबाॅर्शन करा दिया, ऐसे लोग महिला उत्पीड़न और निर्भया काँड में मोमबत्ती जलाकर कर संवेदनाएँ प्रकट कर अपनी फोटो अपलोड कर, वाह वाही लूट रहे हैं।
जिन्हें यह तक नहीं पता कि हुमायूं - बाबर का कौन था जिन्होंने चंदामामा और नंदन तक ना पढ़ी वो आज भारतीय इतिहास की व्याख्या कर रहे हैं तथा बता रहे हैं कि किसने कितनों का कत्लेआम किया था और क्या क्या सितम ढाए थे।
कुछ महानुभाव कालूराम की लिखी चौपाई को ग़ालिब का शेर बता कर बड़े अदबी बने घूम रहे हैं और साहित्य का बलात्कार कर ऐसा महसुस कर रहे हैं जैसे 'गालिब', कालिदास, 'शेक्सपियर' और जयशंकर प्रसाद' के असली उस्ताद तो ये ही रहे हों।
जो नौजवान एक बालतोड़ हो जाने पर रो रो कर पूरे मोहल्ले में हल्ला मचा देते हैं वह देश के लिये सर कटा लेने की बात करते दिख रहे हैं।
ऐसे व्यक्ति जिनके पीछे कभी गलती से किसी गली में कुत्ता पीछे पड़ गया हो और उस दहशत में ये भाईसाहब आज तक उस गली से गुजरते नहीँ हैं लेकिन सोशल मीडिया पर ये भाईसाहब 56 ईंच का सीना लेकर रोजाना पाकिस्तान को युद्ध के लिए ललकारते हुए और पाकिस्तान को नेस्तनाबूद करने की बात करते है।
कॉपी पेस्ट करने वालों के तो कहने ही क्या, किसी की भी पोस्ट चिपका कर एसे व्यवहार करेंगे जैसे वो साहित्य के पुरोधा या मर्मज्ञ हों और साहित्य की गंगा उन्हीं के मुखारविंद या कलम या ऊंगलियों ही बहती हो।
लेकिन समाज के असली जिम्मेदार और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक हैं ये "टैगिये", इन्हें ऐसा लगता है कि जब तक यह गुड़ मॉर्निंग वाली पोस्ट पर टैग नहीं करेंगे तब तक लोगों को पता ही नही चलेगा कि सुबह हो चुकी है बल्कि ये तो छोड़िए ये ऐसा मान कर चलते हैं सूरज ही इनके गुड़ माॅर्निंग के बाद निकलता है ।
जिनकी वजह से शादियों में गुलाबजामुन वाले स्टॉल पर एक आदमी खड़ा रखना जरूरी है वो आम बजट, बजट लीकेज, मितव्ययिता, डायबीटीज पर टिप्पणी करते हुए पाये जाते हैं!
जिनके घर शीशों के हैं वो दूसरों के घरों पर बेनागाह पत्थरबाजी में लगे हैं।
इस तरह अनगिनत पाखंड विचारों से लबरेज सोशल मीडिया बड़ी रफ्तार से दौड़ रहा है। यह पता करना ही मुमकिन नही हैं कि आज कौन नायक हैं और कौन खलनायक हैं।
एक बात जरूर चरितार्थ हो रही है कि पाखंड का बोलबाला है और सादगी तथा सच्चाई का मुहँ काला है। कभी पढ़ा था कि यथा राजा तथा प्रजा " आज महसूस भी कर रहे हैं और व्यवहार में ये चरितार्थ भी हो रहा है।
धन्य है व्हाट्सअप , फेसबुक और ट्वीटर सहित अन्य सोशल मीडिया अथवा नेटवर्किंग युग के क्रांतिकारी भाईयों - बहिनों धन्य है।
शुक्रिया।
द्वारा --
डाॅ विभूति भूषण शर्मा

क़ुरआन का सन्देश

  
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