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02 अक्तूबर 2015

हमारा देश एक गहरी सोची समझी साज़िश का शिकार हो रहा है

हमारा देश एक गहरी सोची समझी साज़िश का शिकार हो रहा है ,,कुछ लोग है जो नरेंद्र मोदी के खिलाफ है ,,कुछ लोग है जो देश में अराजकता चाहते है ,,कुछ लोग है जो देश में कटटरता भड़का कर देश का विकास रोकना चाहते है ,,,देश में साम्प्रदायिकता का ज़हर घोलना चाहते है ,,ऐसे लोग सभी समाजो में शामिल हो गए है ,,,एक पूर्वनियोजित षड्यंत्र के तहत ऐसे लोग मंदिर तोड़ कर ,,मस्जिदो में अफरा तफरी मचा कर ,,,गो माता के नाम पर लोगों को भड़का कर ,,गो माता का मांस अन्यंत्र फिकवाकर देश को नफरत की आग में धकेलने के प्रयासों में जुटे है ,,यह लोग इस कामके लिए ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों और दिमाग से थोड़े विक्षिप्त लोगों का इस्तेमाल कर रहे है अगर वक़्त रहते ऐसे लोगों को बेनक़ाब कर कड़ी सज़ा नहीं दी तो यह लोग मेरे इस महान भारत को कहीं कुछ् कहने सुनने लायक भी नहीं छोड़ेंगे क्योंकि यह वोह लोग है जो हमारे संविधान से नफरत करते है ,,हमारे देश के नवनिर्माण करने वालों से नफरत करते है ,,देश से अंग्रेज़ों को भगाने वाले गांधी से नफरत करते है ,,यह वोह लोग है जो देश के तिरंगे से नफरत करते है ,,यह वोह लोग है जो देश के राष्ट्रगान से नफरत करते है ,,सिर्फ नफरत नफरत नफरत यही इनका ईमान ,,यही इनका धर्म है ,,ऐसे लोग किसी धर्म ,,किसी समाज के नहीं सिर्फ और सिर्फ शैतानी समाज के है ,,इन्हे खोजना ज़रूरी है इनकी कहीं न कहीं विदेशो से फंडिंग है ,,,,कोई साजिशकर्ता मुल्क के यह एजेंट के रूप में काम करते हुए मेरे इस भारत महान की महानता पर ,,मेरे इस सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा ,,,विचार पर बट्टा लगाना चाहते है ,,कुछ लोग है जो कहते है राष्ट्रगान किसी अँगरेज़ की स्तुति में लिखा गया है इसे बदल दो बंद कर दो ,,कुछ लोग है जो कहते है वन्दे मातरम ,है माँ तुझे सलाम ,,देश के लिए नहीं बल्कि अंग्रेज़ो की माँ हुक्मरान क्वीन एलिज़ाबेथ की स्तुति में लिखा गया है इसलिए अंग्रेज़ो की माँ क्वीन एलिज़ाबेथ की स्तुति में लिखा भारत के इस राष्ट्रिय गीत को बदल दो ,,किस किस को बदलोगे ,,किस किस मार्ग का नाम बदलोगे ,,कौन कौनसा इतिहास बदलोगे ,,,किस इमारत को गिराओगे ,,,,,क्या लाल क़िले का नाम पीला क़िला रख सकते हो ,,क्या ताज महल का नाम बदल सकते हो ,,,तुम इतिहास बदल सकते हो ,,सब कुछ बदल सकते हो ,,क्योंकि तुम्हारा दिमाग ,,तुम्हारा दिल ,,तुम्हारे विचार देश से नफरत करने वाले है ,,इसीलिए तो पिछले दिनों कुछ कथित गो माता के समर्थको को मध्यप्रदेश में गो मांस के साथ पकड़ा गया वोह इस मांस को किसी मंदिर में फेंक कर विवाद फैलाना चाहते थे ,,पिछले दिनों बुर्के में एक कथित गो समर्थको के समाज की महिला गणेश जी की मूर्ति खरीदते वक़्त मिडिया को फोटु खिजवाते हुए पकड़ी गई ,,हाल ही में बूंदी के एक मंदिर में शिव जी की प्रतिमा को खंडित करने वाले एक हिन्दू मानसिक रोगी को पकड़ा गया ,,कोन है यह षड्यंत्रकारी ,,कौन है इनके पीछे क्या ऐसे लोगों को समाज के सामने बेनक़ाब नहीं होना चाहिए ,,,,कोन है वोह लोग जो भाजपा समर्थित कश्मीर सरकार में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगा रहे है ,,हमारे तिरंगे झंडे को जला रहे है क्या उन्हें पकड़ना नहीं चाहिए ,,दोस्तों कुछ गिनती के शरारती तत्व जो सभी समाजो में है ,,वोह सिर्फ अफवाहें फैलाकर ,,,झूंठ बोलकर षडंयंत्र रचकर साम्प्रदायिक माहोल गरमाना चाहते है ताके फिर वोह अपनी सियासी और समाजी ,,कटटरपंथी की दूकान चलाये कोई इस नाम पर विधायक बने तो कोई इस नाम पर सांसद बने ,,कोई इस नाम पर पार्षद बने तो कोई इस नाम पर बढ़े बढ़े सरकारी ठेके ले ,,,आम लोगों से समाज की सुरक्षा और मदद के नाम पर मंदिर मस्जिद दरगाह निर्माण के नाम पर करोड़ों करोड़ रूपये का चंदा एकत्रित कर हिसाब भी ना दे ,,,,दोस्तों देश ऐसे लोगों के साथ नहीं है ,,देश का क़ानून ऐसे लोगों के साथ नहीं है ,,देश का प्रधानमंत्री ऐसे लोगों के साथ नहीं है ,,अराजकता फैलाने वाले शरारती तत्वों के राज्यों के मुख्यमंत्री ऐसे नहीं है ,,ऐसे लोगों के समर्थन में हमारी चुप्पी है ,,ख़ामोशी है ,,हमारी सोयी हुई राष्ट्रभक्ति है ,,हमारे प्रतिपक्ष के नेता है जो वोट की सिया की सियासत की वजह से ऐसे गंभीर मामलों में खामोश रहकर सिर्फ तमाशबीन बने है ताकि देश में ज़ुल्म करने वाले ज़ालिमों का उनका वोट बैंक नहीं बिगड़े क्योंकि वोह जानते है के मज़लूम जिसके साथ अयाचार हुआ है वोह वोट बैंक तो हमारा गुलाम था गुलाम है गुलाम रहेगा ,.,,तो दोस्तों नफरत फैलाने वालों के खिलाफ आवाज़ उठाओ ,ऐसे षड्यंत्रकारी गिरोह का पर्दाफाश करो ,,ऐसे सियासी लोगों को बेनक़ाब करो जो वोटों के लिए ऐसे लोगों को हवा दे रहे है या इन मुद्दो पर प्रतिपक्ष में रहकर भी खामोश बैठे है ,,,कुछ करो मेरे इस भारत महान की महानता बचाने के लिए आगे आओ ,,मेरे साथ आओ ,,मेरे जैसे कई करोड़ भाई है उनके साथ मिलजुलकर एक नया सैद्धांतिक इतिहास बनाओ ,,एक नया क़ानून बनाओ ,,,एक नया समाज बनाओ ,,,एक आदर्श हिन्दुस्तान बनाओ ,,आओ आओ आओ प्लीज़ आओ आपका स्वागत है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नदी में हाथी की लाश

नदी में हाथी की लाश बही जा रही थी। एक कौए ने लाश देखी, तो प्रसन्न हो उठा, तुरंत उस पर आ बैठा। यथेष्ट मांस खाया। नदी का जल पिया। उस लाश पर इधर-उधर फुदकते हुए कौए ने परम तृप्ति की डकार ली। वह सोचने लगा, अहा! यह तो अत्यंत सुंदर यान है, यहां भोजन और जल की भी कमी नहीं। फिर इसे छोड़कर अन्यत्र क्यों भटकता फिरूं?
कौआ नदी के साथ बहने वाली उस लाश के ऊपर कई दिनों तक रमता रहा। भूख लगने पर वह लाश को नोचकर खा लेता, प्यास लगने पर नदी का पानी पी लेता। अगाध जलराशि, उसका तेज प्रवाह, किनारे पर दूर-दूर तक फैले प्रकृति के मनोहरी दृश्य-इन्हें देख-देखकर वह विभोर होता रहा।
नदी एक दिन आखिर महासागर में मिली। वह मुदित थी कि उसे अपना गंतव्य प्राप्त हुआ। सागर से मिलना ही उसका चरम लक्ष्य था, किंतु उस दिन लक्ष्यहीन कौए की तो बड़ी दुर्गति हो गई। चार दिन की मौज-मस्ती ने उसे ऐसी जगह ला पटका था, जहां उसके लिए न भोजन था, न पेयजल और न ही कोई आश्रय। सब ओर सीमाहीन अनंत खारी जल-राशि तरंगायित हो रही थी।
कौआ थका-हारा और भूखा-प्यासा कुछ दिन तक तो चारों दिशाओं में पंख फटकारता रहा, अपनी छिछली और टेढ़ी-मेढ़ी उड़ानों से झूठा रौब फैलाता रहा, किंतु महासागर का ओर-छोर उसे कहीं नजर नहीं आया। आखिरकार थककर, दुख से कातर होकर वह सागर की उन्हीं गगनचुंबी लहरों में गिर गया। एक विशाल मगरमच्छ उसे निगल गया।
शारीरिक सुख में लिप्त मनुष्यों की भी गति उसी कौए की तरह होती है, जो आहार और आश्रय को ही परम गति मानता है।

“मेरा वार्ड स्वच्छ वार्ड”45 के पार्षद की पहल

“मेरा वार्ड स्वच्छ वार्ड”45 के पार्षद की पहल
39 सफाई कर्मचारियों को पार्षद हुसैन ने किया सम्मानित
कोटा 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी जयंती एवं लाल बहादुर शास्त्री जयंती के मौके पर सामजिक कार्येकर्ता वार्ड 45 के पार्षद मोहम्मद हुसैन ने उनके वार्ड को स्वच्छ बनाने में सहयोग करने वाले स्थायी व अस्थायी 39 महिला पुरुष साफाई कर्मियों को शाल उड़ाकर व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया सम्मान पाकर सभी सफाई कर्मियों के चेहरे पर खुसी की लहर दौड़ पड़ी शुक्रवार को सीएडी चौराहे पर स्थित अंबेडकर भवन में कार्यकर्म की सुरुआत हुसैन ने महात्मा गाँधी एवं लाल बहादुर शास्त्री की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर के की सफाई कर्मियों को संबोधित करते हुए हुसैन ने कहा की स्वच्छ भारत की कल्पना वाल्मीकि समाज के सहयोग बिना नहीं की जा सकती आज स्वच्छ भारत की बात कई नेता करते है पर भारत को स्वच्छ बनाने में रात दी काम करने वाले वाल्मीकि समाज की अनदेखी की जाती है हुसैन ने बताया की उनके वार्ड में आज घर घर से कचरा लिया जा रहा है जिसका पूरा श्रेय वार्ड के सभी सफाई कर्मियों को जाता है यदि इनका सहयोग नहीं होता तो मेरा वार्ड स्वच्छ वार्ड नहीं बन सकता था वहीँ दूसरी ओर नगर निगम आज भी कचरा डोर टू डोर लेने के लिए नए नए ठेकेदार तलास रही जबके यह काम करने वाले हमारे बिच में ही है बस जरुरत है इन्हें जुम्मेदारी देने की कर्यक्रम को पार्षद ओम गुंजल , कलाकार संघ के अध्यक्ष जूनियर अन्नू कपूर ,विशाल मेडिकल वेलफेयर सोसईटी के अध्यक्ष विशाल उपाध्याय ,देहात अल्पसंख्यक अध्यक्ष साजिद जावेद ,इंडिया अगेन करप्शन के सदस्य विजय सिंह पालीवाल , एडवोकेट आबिद अबासी ,सेक्टर इंचार्ज प्रकाश महाराजा , वाल्मीकि एकता मंच के अध्यक्ष वीरेंद्र खाजोतिया , बेबी आपा , नविन पालीवाल ने भी संबोधित किया और वार्ड 45 के पार्षद मोहम्मद हुसैन की सफाई कर्मियों को सम्मानित कर उनका होसला बढाने की इस पहल की सराहना की इस मौके पर बनास बाई, मीना बाई, गिर्राज बाई, यशोदा बाई , जगदीश नायक , प्रकाश वर्मा ,राजू ,सरवण , विनोद ,सहित 39 कर्मचारियों को सम्मानित किया गया

मोदी दुखी हैं या नहीं, देश को नहीं पता

मोदी दुखी हैं या नहीं, देश को नहीं पता
राजेश प्रियदर्शी
डिजिटल एडिटर, बीबीसी
गाय मारी गई या नहीं, मालूम नहीं, ये मालूम है कि अख़लाक़ मारा गया और उसका बेटा मौत से जूझ रहा है.
अमरीका में फ़ेसबुक के हेडक्वार्टर में नरेंद्र मोदी 'अहिंसा परमोधर्म:' लिखकर भारत लौट आए हैं, और बांका की रैली में अपना बांकपन भी दिखा दिया है.
जब अहिंसा के दूत महात्मा गांधी का जन्मदिन स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, भारत ही नहीं, दुनिया भर के मीडिया में अख़लाक़ की हत्या पर चर्चा हो रही है.
ट्विटर पर सक्रिय प्रधानमंत्री 'बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो' वाली मुद्रा में हैं.
चुप्पी एक राजनीतिक विकल्प
दिल्ली की सड़कों पर भाजपा नेता विजय गोयल ने पोस्टर लगवाए हैं जिन पर लिखा है-'साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल', इस पोस्टर में साबरमती के दो संत दिख रहे हैं, एक पुराने और एक नए.
पिल्ले के मरने पर भी दुखी होने वाले मोदी अभी दुखी हैं या नहीं, यह देश को पता नहीं चल सका है.
दादरी की दर्दनाक घटना के बाद से प्रधानमंत्री पंकज आडवाणी को बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप जीतने पर बधाई दे चुके हैं, वे आशा भोंसले के बेटे के निधन पर दुख भी व्यक्त कर चुके हैं, यानी देश के दुख-सुख में साथ हैं.
मौनमोहन के मुक़ाबले वाकपटुता से वोटरों को मोहने के बाद, अब मोदी चुप रहने के मामले में मनमोहन से नहीं, बल्कि नरसिंहा राव से प्रेरणा लेते दिख रहे हैं जो चुप्पी को राजनीतिक विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करते थे.
मोदी की चुप्पी की आदत डालना इस देश की जनता के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि उसने अब तक गरजते-बरसते, ललकारते-पुकारते मोदी को ही देखा है.
वैसे ये उनकी चुप्पी 2.0 है. ललित गेट और व्यापमं पर उनकी चुप्पी काफ़ी गहरी थी, इन मुद्दों पर उनके 'मन की बात' कई रेडियो प्रसारण सुनकर भी लोग नहीं जान सके.
प्रधानमंत्री के इस मामले में कुछ न बोलने का मतलब यही है कि हर कोई उनके मन की बात अपने ढंग से पढ़ेगा. क्या इसका ये मतलब निकाला जाए कि मोदी चाहते हैं कि मुसलमान जो समझ रहे हैं, वो समझते रहें और इस मामले में उग्र हिंदुओं को कुछ समझाने की ज़रूरत नहीं है.

पढ़िए और तब तक पढ़िए जब तक इसमें कही बात समझ में और अमल मेंना आ जाए ।

पढ़िए और तब तक पढ़िए जब तक इसमें
कही बात समझ में और अमल मेंना आ जाए ।
अपने आखरी हज के समय अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने जो आखरी भाषण (खुतबा) दिया जो अपने
आप में एक ऐसी मिसाल है
की किसी भी धर्मगुरु या नेता ने
ऐसा भाषण न दिया होगा जो की मानवता और
समानता के उपदेश से परिपूर्ण है|
मेरा सभी मुस्लिम और गैर-मुस्लिम
भाइयों से निवेदन है की इसे ज़रूर पढ़ें:
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने
फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो।
ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल
की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त
का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो,
ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म
किया जाय गा. कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना।
ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर
अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर,
न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर
किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार
नहीं है। बड़ाई का आधार अगर
कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ,
वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद
पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और
नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून
खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने
ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने
ख़ानदान का ख़ून–
रबीआ इब्न हारिस का ख़ून– ख़त्म
करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म
किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने
ख़ानदान में से अब्बास इब्न
मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो।
तुम्हारा औरतों पर और
औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत
करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारेuबाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना,
प्रतिदिन पाँचों वक़्त
की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़ेuरखना, खुशी-
खुशी अपने माल की ज़कात देना,
अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने
हाकिमों का आज्ञापालन
करना। ऐसा करोगेतो अपने रब
की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया!
(लोगों की भारी भीड़ एक साथ
बोल उठी–) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल!
(तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार
कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य
धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी".
Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith
1623, 1626, 63 •

ॐ के 11 शारीरिक लाभ :-

ॐ के 11 शारीरिक लाभ :-
👉 ॐ, ओउम् तीन अक्षरों से बना है :- अ उ म् ।
"अ" का अर्थ है उत्पन्न होना,
"उ" का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,
"म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना ।।

🙏 ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है । ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है ।।
👉 जानें, ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक...और अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग.!!!
1. ॐ और थायरायड :-
ॐ का उच्‍चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है, जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है ।।
2. ॐ और घबराहट :-
अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है, तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं ।।
3. ॐ और तनाव :-
यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है ।।
4. ॐ और खून का प्रवाह :-
यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है ।।
5. ॐ और पाचन :-
ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है ।।
6. ॐ लाए स्फूर्ति :-
इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है ।।
7. ॐ और थकान :-
थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं ।।
8. ॐ और नींद :-
नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है । रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी ।।
9. ॐ और फेफड़े :-
कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है ।।
10. ॐ और रीढ़ की हड्डी :-
ॐ के पहले शब्‍द का उच्‍चारण करने से कंपन पैदा होती है । इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है ।।
11. ॐ दूर करे तनाव :-
ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर
तनाव-रहित हो जाता है ।।

पढ़िए गोरक्षा पर महात्मा गांधी की राय

महात्मा गांधी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'हिंद स्वराज’ में गोरक्षा के विषय में अपने विचार स्पष्ट किए थे.
उनसे एक पाठक ने गोरक्षा के बारे में उनका विचार पूछा था.
इसके जवाब में महात्मा गांधी ने कुछ यूँ अपनी राय ज़ाहिर की थी.
पढ़िए गोरक्षा पर महात्मा गांधी की राय
मैं ख़ुद गाय को पूजता हूं यानी मान देता हूं. गाय हिंदुस्तान की रक्षा करने वाली है, क्योंकि उसकी संतान पर हिंदुस्तान का, जो खेती प्रधान देश है, आधार है.
गाय कई तरह से उपयोगी जानवर है. वह उपयोगी जानवर है इसे मुसलमान भाई भी कबूल करेंगे.
लेकिन जैसे मैं गाय को पूजता हूं, वैसे मैं मनुष्य को भी पूजता हूं. जैसे गाय उपयोगी है वैसे ही मनुष्य भी फिर चाहे वह मुसलमान हो या हिंदू, उपयोगी है.
तब क्या गाय को बचाने के लिए मैं मुसलमान से लड़ूंगा? क्या मैं उसे मारूंगा? ऐसा करने से मैं मुसलमान और गाय दोनों का दुश्मन हो जाऊंगा. इसलिए मैं कहूंगा कि गाय की रक्षा करने का एक ही उपाय है कि मुझे अपने मुसलमान भाई के सामने हाथ जोड़ने चाहिए और उसे देश की ख़ातिर गाय को बचाने के लिए समझाना चाहिए.
अगर वह न समझे तो मुझे गाय को मरने देना चाहिए, क्योंकि वह मेरे बस की बात नहीं है. अगर मुझे गाय पर अत्यंत दया आती है तो अपनी जान दे देनी चाहिए, लेकिन मुसलमान की जान नहीं लेनी चाहिए. यही धार्मिक क़ानून है, ऐसा मैं तो मानता हूं.
हां और नहीं के बीच हमेशा बैर रहता है. अगर मैं वाद-विवाद करूंगा तो मुसलमान भी वाद विवाद करेगा. अगर मैं टेढ़ा बनूंगा, तो वह भी टेढ़ा बनेगा.
अगर मैं बालिस्त भर नमूंगा तो वह हाथ भर नमेगा और अगर वह नहीं भी नमे तो मेरा नमना ग़लत नहीं कहलाएगा.
जब हमने ज़िद की तो गोकशी बढ़ी. मेरी राय है कि गोरक्षा प्रचारिणी सभा गोवध प्रचारिणी सभा मानी जानी चाहिए. ऐसी सभा का होना हमारे लिए बदनामी की बात है.
जब गाय की रक्षा करना हम भूल गए तब ऐसी सभा की जरूरत पड़ी होगी.
मेरा भाई गाय को मारने दौड़े तो उसके साथ मैं कैसा बरताव करूंगा? उसे मारूंगा या उसके पैरों में पड़ूंगा? अगर आप कहें कि मुझे उसके पांव पड़ना चाहिए तो मुसलमान भाई के पांव भी पड़ना चाहिए.

क़ुरआन का सन्देश

  
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