दोस्तों कांग्रेस को पिछले दिनों एक साज़िश के तहत कांग्रेस संगठन और जिन
राज्यों में कांग्रेस सरकार थी वहा एक साज़िश के तहत कांग्रेस में छुपे कमल
के समर्थक चड्डी छाप लोगों ने एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत कांग्रेस के
कैडर वोटर ,,अल्पसंख्यक ,,दलित ,,वोटर्स को कांग्रेस से अलग करने के लिए
कुछ चड्डी छाप भाजपा के एजेंट कोंग्रेसियो ने हाईकमान और कुछ नेताओ को
भड़काया ,,इतना ही नहीं कहीं गोलिआ चलवाई तो अल्पसंख्यको के आंसू इसलिए नहीं
पोंछे गए के इससे बहुसंख्यक नाराज़ हो जाएंगे ,,,,यह प्रचार किया गया के हम
अल्पसंख्यक और दलितों की बात करते है इसलिए दूसरे वोटर हमसे नाराज़ है
,,खेर कांग्रेस हाईकमान को चड्डी कांग्रेस भाजपा एजेंटो ने अपने नियंत्रण
में रखते हुए कांग्रेस को उसके कैडर वोटर्स उससे अलग कर भाजपा की ताजपोशी
करवाने में कामयाबी हांसिल कर ली ,,,आज भी कांग्रेस में भाजपा के एजेंट
बखूबी कांग्रेस के वोटर्स को कांग्रेस से दूर करने और हाईकमान ,,वरिष्ठ
नेताओ को भड़का कर इन्हे दूर करने की साज़िशों में जुटे है ,,कांग्रेस के
प्रति लोगों में फिर उत्साह बढ़ा है लेकिन कांग्रेस संगठन में आज भी कुछ ऐसे
लोगों की पहचान की गई है जो गुपचुप तरीके से भाजपा के एजेंट के रूप में
कांग्रेस कैडर वोटर्स के खिलाफ सोची समझी साज़िश के तहत उन्हें कांग्रेस के
खिलाफ भड़का कर और कांग्रेस के हाईकमान को यह कहकर भड़काकर के अल्पसंख्यक तो
वार्ड में ,,पंचायत में ,,,विधानसभा में ,,लोकसभा में हार जाएगा इसलिए वोट
मत दो ,,बस इनकी बात हाईकमान मानता है और अल्पसंख्यक दलित वोटर्स कांग्रेस
से फिर दूर चले जाते है नतीजन कांग्रेस जीती हुई बाज़ी हारती है और भाजपा
कांग्रेस में बैठे चड्ड छाप एजेंटो की वजह से हारी हुई बाज़ी जीत कर जश्न
मनाती है ,,,कांग्रेस के चड्डी छाप लोग हाईकमान को कांग्रेस संगठन में
अनुपातिक आधार पर अल्पसंख्यक और दलितों को प्रतिनिधित्व भी नहीं देने दते
है ,,पिछले दिनों राजस्थान में बीस प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए पदाधिकारी
बनाये गए एक पदाधिकारी भी कांग्रेस में शामिल नहीं हुआ ,,,अभी हाल ही में
कांग्रेस के चड्डी छाप भाजपा के एजेंट एक तरफ तो प्रस्तावित विस्तार की
जाने वाली कांग्रेस कार्यकारिणी में अल्पसंख्यक ,,दलितों को पदाधिकारी नहीं
बनाये जाने की वकालत कर रहे है दूसरी तरफ यही लोग अल्पसंख्यकों को
कांग्रेस की वेबसाइट पर ऐ आई सी सी ,,डब्ल्यू सी सी ,,दूसरे संगठन ,,विभाग
,,अग्रिम संगठन ,,सेवादल ,,,युथ कांग्रेस वगेरा के बारे में समझाते है के
देख लोग कहीं कोई अल्पसंख्यक पदाधिकारी नहीं बनाया गया है ,,सिर्फ गिनती के
लोग ही इसमें शामिल है वोह भी पुरानी घिसी पिटी फिल्मे है ,,इतना ही नहीं
चड्डी छाप कोंग्रेसियो के एक शगूफा और है के राजस्थान में सह प्रभारी
मिर्ज़ा इरशाद बेग है लेकिन कांग्रेस की वेबसाइट में गुरुदास कामत प्रभारी
के साथ उनका नाम और फोटु भी अपलोड जानभूझ कर नहीं किया गया है
,,,,,,,,,,,,,,,दोस्तों यह चड्डी छाप कोंग्रेसी एक तरफ तो कांग्रेस के
हाईकमान को अल्पसंख्यक दलितों से दूर रहकर कटटर वोटरो को अपने साथ जोड़ने की
सलाह देकर कांग्रेस की सत्ता भाजपा के हाथो में दिलवा चुके है ,,आब यह
चड्डी छाप कोंग्रेसी कांग्रेस के संगठन विभागों में सेंध लगा रहे है
,,कांग्रेस के एक दर्जन से भी ज़्यादा विभाग है जिनकी जानकारी भी आम
कोंग्रेसी को नहीं है उनका विस्तार तो राज्य और जिला स्तर पर इनकी नालायकी
से नहीं हो पाया है ,,लेकिन यह लोग अब एक षड्यंत्र के तहत कांग्रेस की ताक़त
को बांटने के लिए सो कोल्ड कांग्रेस विचारक संगठन बनाने लगे है ,,बिना
किसी विधान ,,बिना किसी संविधान के इन लोगों ने युथ कांग्रेस हो चाहे मूल
कांग्रेस हो कथित रूस से राजीव गांधी ,,राहुल गांधी ,,सोनिया गांधी
,,,कांग्रेस विचार ,,,सहित कई दर्जन संगठन बना लिए है जो सोशल मीडया सहित
आम वोटर्स के बीच कांग्रेस के प्रति भ्रम फैला रहे है ,,पद बांटे जा रहे
है ,,बधाइयां दी जा रही है ,,विज्ञापन लगाये जा रहे है लेकिन कांग्रेस का
वोट बैंक बढ़ाने और नाराज़ वोटर्स को फिर से कांग्रेस के साथ जोड़ने की दिशा
में इनकी कोई सोच कोई विचार नहीं है ,,,यह सारी गुस्ताखियाँ हाई कमान की
जानकारी में है ,,लेकिन हाईकमान से जुड़े लोग भी इस गुस्ताखी में शामिल होने
से इनके खिलाफ कोई कार्यवाही सम्भवं नहीं लग रही है ,,,कांग्रेस हाईकमान
को एक बार फिर से चड्डी छाप कोंग्रेसियो ,,भाजपा के भेदिये एजेंटो की पहचान
कर अपने कैडर वोटर्स दलित और अल्सपंखयको को अपने साथ जोड़ने के लिए कोई
फार्मूला तय कर इन्हे विश्वास में लेना होगा वरना वही कहावत ,,पूरी के
चक्कर में आधी भी गई सही साबित होगी ,,इसलिए कांग्रेस को ज़िंदाबाद करने के
लिए कांग्रेस के वेबसाइट पर संतुलित अनुपातिक पदाधिकारियों के नाम नज़र आये
,,राजस्थान में अगर सहप्रभारी मिर्ज़ा इरशाद बैग है तो उनका नाम भी राजस्थान
सह प्रभारी के रूप में अपलोड करवाया जाए ,,,,,,,,,,,,,,अग्रिम संगठन
,,,विचार मंच ,,दूसरे सहयोगी संगठन जो एप्रूव्ड है उनकी पहचान राज्य स्तर
और जिला स्तर तक बनाई जाए ,,,बिना किसी विधान ,,बिना किसी विधि नियम के तहत
कोंग्रेस के नाम पर जो फ़र्ज़ी संगठन बनाकर सोशल मिडिया और वोटर्स को भ्रमित
कर रहे है जिसमे कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल है जो राष्ट्रिय
,,राजय और जिला स्तर के सर्टीफिकेट बांटकर वाह वाही लूट रहे है ऐसे
लोगों को भी रोका जाए यह लोग अपनी ताक़त अपना प्रचार मूल कांग्रेस को
ज़िंदाबाद करने में लगाये और कांग्रेस सिर्फ कांग्रेस को कोंग्रेस के विधिक
विभागों ,,अग्रिम संगठनो के साथ मिलकर करे तो निश्चित तोर पर चड्डी छाप
कमल कोंग्रेसियो की जो भाजपा के एजेंट बनकर कांग्रेस में रहकर कांग्रेस के
हाईकमान को भड़काकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे है उनकी साज़िशें नाकामयाब
होनी ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 अक्तूबर 2015
मुझ से रूठ कर
मुझ से रूठ कर
मुझ से बेवफाई करे वाले
देख लेना
ढूँढोगे मुझे तुम चो तरफ
मेरे मर जाने के बाद
फिर भी तुम्हे
कोई वफ़ादार मुझ सा नहीं मिलेगा
अपनी भीगी आँखों से जब तुम
मुझे याद करोगे
में फिर ख्वाब बनकर
यूँ ही तुम्हारे चेहरे पर
मुस्कान लाने के लिए आ जाऊँगा ,अख्तर
मुझ से बेवफाई करे वाले
देख लेना
ढूँढोगे मुझे तुम चो तरफ
मेरे मर जाने के बाद
फिर भी तुम्हे
कोई वफ़ादार मुझ सा नहीं मिलेगा
अपनी भीगी आँखों से जब तुम
मुझे याद करोगे
में फिर ख्वाब बनकर
यूँ ही तुम्हारे चेहरे पर
मुस्कान लाने के लिए आ जाऊँगा ,अख्तर
नान्देड़ महाराष्ट्र के गोल्ड मेडलिस्ट कराटेबाज़ ,,ब्लॅकबेल्टर अरुण चव्हाण बंजारा
नान्देड़ महाराष्ट्र के गोल्ड मेडलिस्ट कराटेबाज़ ,,ब्लॅकबेल्टर अरुण चव्हाण
बंजारा पुरे देश भर में बंजारों के विभिन्न समाजो को एकसाथ जोड़कर उनके
सामजिक ,,आर्थिक ,,शैक्षणिक उत्थान और सुरक्षा के मामले को लेकर
भारतयात्रा पर है ,आज अरुण चव्हाण ने इस मामले में कोटा प्रवास के दौरान
बंजारा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश बंजारा से मुलाक़ात की और विभिन
बंजारा बस्तियों के हालात जानकर सर्वेक्षण किया ,,,,,,,,,,अरुण चव्हाण
बंजारा ने आज यहां एक मुलाक़ात के दौरान बताया के अब तक वोह तेईस राज्यों के
सभी ज़िलों ,,गाँवों का दौरा कर बंजारों को एक साथ जोड़कर आगामी चार ,,पांच
दिसंबर दो हज़ार पन्द्राह को नान्देड़ महाराष्ट्र में गोर बंजारा सम्मेलन का
आयोजन रखा है इस सम्मेलन में सभी राज्यों के दो लाख से भी अधिक बंजारों के
पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है ,,,,,,,,,,बंजारा समाज को एक जुट कर उन्हें
इन्साफ और बराबरी का दर्जा दिलाने का लक्ष्य लेकर भारत यात्रा पर निकले भाई
अरुण चव्हाण बंजारा प्रचारक के रूप में नींव की ईंट बनकर समाज के लिए
समर्पित भाव से काम कर रहे है ,,,,,,अरुण चव्हाण जो भारत की तरफ से जापान
कराटे मार्शल आर्ट प्रतियोगिता में गए और वहां भारत के लिए गोल्ड मेडल जीत
कर भारत का नाम रोशन किया ,,बंजारा अरुण चव्हाण ने लगातार पांच बार मार्शल
आर्ट में ब्लेक बेल्ट जीत कर लोगों को चौंका दिया ,,इनका जब ओलम्पिक के लिए
चयन होने लगा तब इन्हे राजनितिक तोर पर सिफारिश नहीं होने के कारण सिर्फ
बंजारा समाज का होने से चयनित नहीं किया गया और इनके हक़ को दुसरो को दे
दिया गया ,, बस तब से ही सरकारी नौकरी छोड़कर बंजारा अरुण चव्हाण देश भर के
बंजारों को एक जुट कर शैक्षणिक ,,,सियासी ,,,आर्थिक ,,सामाजिक स्तर पर एक
जुट कर मज़बूती देने का संदेश देने के लिए निकल पढ़े ,,,बंजारा अरुण चव्हाण
ग्यारह सालो में तेईस राज्यों का सफर तय कर चुके है और बंजारा समाज की
सत्ताईस जातियों को एक जुट कर महाबंजारा समाज बनाना चाहते है ,,,,उनका
मानना है के बाईस करोड़ से भी अधिक विभिन समाजो के बंजारे है जो अगर एक जुट
हुए तो देश के सभी बंजारों को इंसाफ मिलेगा ,,,बंजारा अरुण का कहना है के
बंजारा समाज के लोग आज़ादी की लड़ाई में अंग्रेज़ो को उखाड़ फेंकने के लिए
प्रयासरत थे लेकिन अंग्रेज़ो के गुलाम बनाए कुछ राजा महाराजाओ ने बंजारा
समाज कको अठारह सो इकत्तर में आपराधिक समाज घोषित करवा दिया लेकिन फिर भी
बंजारा समाज आज़ादी की लड़ाई लड़ा उसने भारत देश ने नवनिर्माण में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई ,,,,,,,,,उनका कहना है के बंजारों का अपना इतिहास और महत्ता
है इसीलिए तो शायर नज़ीर अकबर आबादी ने साफ लिखा है सब ठाठ धरा रह जाएगा जब
लात चलेगी बंजारे की ,,,,,,,,फ़िल्मी गीत आज भी लोग गुनगुनाता है ,,एक
बंजारा गाये जीवन के गीत ,,,ऐसी कई गाथाये है जिनसे बंजारा समाज ने हमारे
देश का गौरव बढ़ाया है और देश का सर गर्व ऊँचा हुआ है ,,,,,,,,,बंजारा अरुण
ने अपने जीवन में समाज की सेवा कार्यो में रहने और आजीवन ब्रह्मचारी रहने
की क़सम खाई है ,,,,,,उन्होंने बताया के गोर वंश को ध्यान में रखकर सतगुरु
सेवालाल का नाम लेकर वोह अलग अलग राज्यों में बिखरे पढ़े बंजारा समाज के
विभिनं समुदायों को एक करने के लिए निकले है ,,,,,,और पुरे देश में गोर
सीक्वाडी मूवमेंट चला रहे है ,,इस मामले में गोर सेना का भी गठन किया गया
है ,,उन्होंने बताया नांदेड महाराष्ट्र स्थित सतगुरु सेवालाल के समाधि स्थल
पर आगामी दिसम्बर के सम्मेलन में देश भर के बंजारे आमनत्रित है
,,,,,,,बंजारा फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश बंजारा ने प्रस्तावित
सम्मेलन में पूरी तरह तन ,,मन ,,धन से मदद देने का वायदा किया
,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कागजों का भी नसीब,
कोई लिखता होगा,
इन कागजों का भी नसीब,
वर्ना ये मुमकिन नहीं कि,
कोई कागज़ रद्दी .....
और कोई कागज़,
गीता और क़ुरान बन जाए..!!
इन कागजों का भी नसीब,
वर्ना ये मुमकिन नहीं कि,
कोई कागज़ रद्दी .....
और कोई कागज़,
गीता और क़ुरान बन जाए..!!
ये मोहब्बत क्या है ?
ये मोहब्बत क्या है ?
मेने सब से पूछा
दोस्तो से
जिंदगी से
जवानी से
सुरज से
चाँद से
सितारो से
फूलों से
खुशबू से
चमन से
सोहरत से
दौलत से
आसमान से
जमीन से
हवा से
अल्लाह के फरिसतो से
अल्लाह के वलीयो से और
एक लाख चौबीस हजार कमोबेस अम्बीया किराम से
हजरत आदम अलयहिस्सलाम से लेकर हजरत ईसा अलयहिस्सलाम तक से
लेकिन कोई तसल्ली के सिवा बख्श जवाब न मिला सका फिर आखीरकार तारीख हाथ पकड़ कर मुझे पीछे ले गई बहोत पीछे 1435 साल पीछे ले गइ।
बोहोत रात हो चुकी थी चाँद छुप गया था तारे भी सो चुके थे।
एक अज़ीम हस्ती निहायत नरम दिल पाकीजा मीजाज एक रेजिस्तान की सरजमीन पर छोटीसी झोपडी मे फळीसी चटाइ पर सजदे में गीली आँखों के साथ भीगी पलको मे आंसु लिये सवाली बनकर अपने रब से एक ही बात बार बार दोहरा रहे थै।
" रब्बे हबले उम्मती "
" रब्बे हबले उम्मती "
" रब्बे हबले उम्मती "
"या अल्लाह मेरी उम्मत को बख्श दे"
"या अल्लाह मेरी उम्मत को बख्श दे"
"या अल्लाह मेरी उम्मत को बख्श दे"
दिल और दिमाग ने झिंझोड़ कर कहा ऐ नादान इनसान अब समजा ये देख ये है "मुहब्बत" मेरे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की अपनी उम्मत से जो अपनी गुनाहगार उम्मत के लिए अल्लाह तआला से रातों को जाग जागकर रोते और बख्शिश की दुआ करते है कया शान हे मेरे आका की मुहब्बत मेरे आका ही जानते है और उन पर ही हम अपनी जान कुरबान कर सकते है ।
" सल्लु अलल हबीब "
"सल्लल्लाहु वाला आले ही मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैयहि वसल्लम"
"सुब्हान अल्लाह
मेने सब से पूछा
दोस्तो से
जिंदगी से
जवानी से
सुरज से
चाँद से
सितारो से
फूलों से
खुशबू से
चमन से
सोहरत से
दौलत से
आसमान से
जमीन से
हवा से
अल्लाह के फरिसतो से
अल्लाह के वलीयो से और
एक लाख चौबीस हजार कमोबेस अम्बीया किराम से
हजरत आदम अलयहिस्सलाम से लेकर हजरत ईसा अलयहिस्सलाम तक से
लेकिन कोई तसल्ली के सिवा बख्श जवाब न मिला सका फिर आखीरकार तारीख हाथ पकड़ कर मुझे पीछे ले गई बहोत पीछे 1435 साल पीछे ले गइ।
बोहोत रात हो चुकी थी चाँद छुप गया था तारे भी सो चुके थे।
एक अज़ीम हस्ती निहायत नरम दिल पाकीजा मीजाज एक रेजिस्तान की सरजमीन पर छोटीसी झोपडी मे फळीसी चटाइ पर सजदे में गीली आँखों के साथ भीगी पलको मे आंसु लिये सवाली बनकर अपने रब से एक ही बात बार बार दोहरा रहे थै।
" रब्बे हबले उम्मती "
" रब्बे हबले उम्मती "
" रब्बे हबले उम्मती "
"या अल्लाह मेरी उम्मत को बख्श दे"
"या अल्लाह मेरी उम्मत को बख्श दे"
"या अल्लाह मेरी उम्मत को बख्श दे"
दिल और दिमाग ने झिंझोड़ कर कहा ऐ नादान इनसान अब समजा ये देख ये है "मुहब्बत" मेरे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की अपनी उम्मत से जो अपनी गुनाहगार उम्मत के लिए अल्लाह तआला से रातों को जाग जागकर रोते और बख्शिश की दुआ करते है कया शान हे मेरे आका की मुहब्बत मेरे आका ही जानते है और उन पर ही हम अपनी जान कुरबान कर सकते है ।
" सल्लु अलल हबीब "
"सल्लल्लाहु वाला आले ही मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैयहि वसल्लम"
"सुब्हान अल्लाह
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना
कमीज के बटन ऊपर नीचे लगाना
वो अपने बाल खुद न काढ पाना
पी टी शूज को चाक से चमकाना
वो काले जूतों को पैंट से पोछते जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो अपने बाल खुद न काढ पाना
पी टी शूज को चाक से चमकाना
वो काले जूतों को पैंट से पोछते जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो बड़े नाखुनो को दांतों से चबाना
और लेट आने पे मैदान का चक्कर लगाना
वो prayer के समय class में ही रुक जाना
पकडे जाने पे पेट दर्द का बहाना बनाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो टिन के डिब्बे को फ़ुटबाल बनाना
ठोकर मार मार उसे घर तक ले जाना
साथी के बैठने से पहले बेंच सरकाना
और उसके गिरने पे जोर से खिलखिलाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
गुस्से में एक-दूसरे की कमीज पे स्याही छिड़काना
वो लीक करते पेन को बालो से पोछते जाना
बाथरूम में सुतली बम पे अगरबती लगा छुपाना
और उसके फटने पे कितना मासूम बन जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो games period के लिए sir को पटाना
unit test को टालने के लिए उनसे गिडगिडाना
जाड़ो में बाहर धूप में class लगवाना
और उनसे घर-परिवार के किस्से सुनते जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो बेर वाली के बेर चुपके से चुराना
लाल –काला चूरन खा एक दूसरे को जीभ दिखाना
जलजीरा , इमली देख जमकर लार टपकाना
साथी से आइसक्रीम खिलाने की मिन्नतें करते जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो लंच से पहले ही टिफ़िन चट कर जाना
अचार की खुशबूं पूरे class में फैलाना
वो पानी पीने में जमकर देर लगाना
बाथरूम में लिखे शब्दों को बार-बार पढके सुनाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो exam से पहले गुरूजी के चक्कर लगाना
लगातार बस important ही पूछते जाना
वो उनका पूरी किताब में निशान लगवाना
और हमारा ढेर सारे course को देख चकराना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो मेरे स्कूल का मुझे यहाँ तक पहुचाना
और मेरा खुद में खो उसको भूल जाना
बाजार में किसी परिचित से टकराना
वो जवान गुरूजी का बूढ़ा चेहरा सामने आना ...
तुम सब अपने स्कूल एक बार जरुर जाना .....
और लेट आने पे मैदान का चक्कर लगाना
वो prayer के समय class में ही रुक जाना
पकडे जाने पे पेट दर्द का बहाना बनाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो टिन के डिब्बे को फ़ुटबाल बनाना
ठोकर मार मार उसे घर तक ले जाना
साथी के बैठने से पहले बेंच सरकाना
और उसके गिरने पे जोर से खिलखिलाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
गुस्से में एक-दूसरे की कमीज पे स्याही छिड़काना
वो लीक करते पेन को बालो से पोछते जाना
बाथरूम में सुतली बम पे अगरबती लगा छुपाना
और उसके फटने पे कितना मासूम बन जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो games period के लिए sir को पटाना
unit test को टालने के लिए उनसे गिडगिडाना
जाड़ो में बाहर धूप में class लगवाना
और उनसे घर-परिवार के किस्से सुनते जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो बेर वाली के बेर चुपके से चुराना
लाल –काला चूरन खा एक दूसरे को जीभ दिखाना
जलजीरा , इमली देख जमकर लार टपकाना
साथी से आइसक्रीम खिलाने की मिन्नतें करते जाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो लंच से पहले ही टिफ़िन चट कर जाना
अचार की खुशबूं पूरे class में फैलाना
वो पानी पीने में जमकर देर लगाना
बाथरूम में लिखे शब्दों को बार-बार पढके सुनाना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो exam से पहले गुरूजी के चक्कर लगाना
लगातार बस important ही पूछते जाना
वो उनका पूरी किताब में निशान लगवाना
और हमारा ढेर सारे course को देख चकराना
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो मेरे स्कूल का मुझे यहाँ तक पहुचाना
और मेरा खुद में खो उसको भूल जाना
बाजार में किसी परिचित से टकराना
वो जवान गुरूजी का बूढ़ा चेहरा सामने आना ...
तुम सब अपने स्कूल एक बार जरुर जाना .....
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