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11 अक्तूबर 2015

इस मंदिर में मिली थी एक लाख करोड़ की दौलत, अभी और निकलेगा खजाना

 

नई दिल्ली. केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम के प्राचीन पद्मनाभस्वामी मंदिर में मौजूद खजाने और इसके तहखानों का केस सुप्रीम कोर्ट के पास है। जिसमें कोर्ट ने कहा है कि भगवान को किस श्लोक से जगाया जाए, यह आस्था का सवाल है। हम इसे कैसे तय कर सकते हैं। मंदिर के सबसे बड़े पुजारी परमेश्वरन नंबूदरी इसका फैसला करें। बता दें कि 2 हजार साल पुराने इस मंदिर की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। 2011 में कैग की निगरानी में पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला गया था। इसे भारत का सबसे अमीर मंदिर भी कहा जाता है।
क्या है मंदिर की कहानी
भगवान विष्णु को समर्पित पद्मनाभस्वामी मंदिर को त्रावणकोर के राजाओं ने बनाया। इसका जिक्र 9 सदी के ग्रंथों में मिलता है, लेकिन मंदिर के मौजूदा स्वरूप को 18वीं शताब्दी में बनाया गया। मान्यता है कि इस जगह भगवान विष्णु की मूर्ति मिली थी, इसके बाद राजा मार्तण्ड ने यहां मंदिर बनवाया। सन् 1750 में महाराज मार्तण्ड ने खुद को पद्मनाभ दास बताया। इसके बाद त्रावणकोर शाही परिवार ने खुद को भगवान के लिए समर्पित कर दिया। माना जाता है कि इसी वजह से त्रावणकोर के राजाओं ने अपनी सारी दौलत पद्मनाभ मंदिर को सौंप दी। हालांकि त्रावणकोर के राजाओं ने 1947 तक राज किया। आजादी के बाद इसे भारत में मिला लिया, लेकिन पद्मनाभस्वामी मंदिर को सरकार ने कब्जे में नहीं लिया। इसे त्रावणकोर के शाही परिवार के पास ही रहने दिया। तब से मंदिर का कामकाज शाही परिवार के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट चलाता आ रहा है।
जानें, मंदिर में जाने के नियम
तिरुअनंतपुरम में मौजूद भगवान विष्णु का मंदिर काफी फेमस है। भारत के वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर केरल के पर्यटन और धर्मिक आस्था का केंद्र है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की बड़ी मूर्ति रखी है। इसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजे हुए हैं। भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है। इसी वजह से मंदिर को पद्मनाभस्वामी और भगवान के 'अनंत' नाग के नाम शहर को तिरुअनंतपुरम नाम मिला था। अपनी भव्यता के लिए मशहूर मंदिर में जाने के लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना जरूरी है।
क्यों खास है यह मंदिर
गौरतलब है कि पद्मनाभस्वामी मंदिर के पांच तहखानों को खोलने के बाद एक लाख करोड़ रुपए का खजाना मिला था। यह सभी तहखाने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खोले गए थे। मगर छठे तहखाने के संबंध में मंदिर प्रशासन का कहना है कि भगवान नहीं चाहते कि छठा तहखाना खुले और मंदिर की संपत्ति बाहर जाए। मंदिर प्रशासन ने संपत्ति और तहखाने को लेकर दैवीय इच्‍छा जानने के लिए देव प्रश्‍नम आयोजित किया था। कुछ लोगों का कहना है कि अगर छठे तहखाने को खोला गया तो प्राकृतिक आपदा आ सकती है।
कैग ने कहा था- मंदिर की कहानियां झूठी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व नियंत्रक लेखा महापरीक्षक (CAG) विनोद राय ने मंदिर के तहखानों की कहानियों को खारिज किया था। 2011 में कैग की निगरानी में पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला गया था। हालांकि उस वक्त कई प्रचलित कहानियों के चलते मंदिर के छठे तहखाने को नहीं खोला गया था। एस कहानी के मुताबिक मंदिर के तहखानों में कोबरा जैसे जहरीले सांप मौजूद हैं, जो इस खजाने की रक्षा करते हैं और किसी को तहखाने में जाने की इजाजत नहीं है।

बिसहड़ा: मुस्लिम बेटियों की शादी में हिंदुओं ने किया इंतजाम, विदाई में रोया पूरा गांव

बिसहड़ा गांव में बरात लेकर पहुंचा दुल्हा।
बिसहड़ा गांव में बरात लेकर पहुंचा दुल्हा।
नोएडा. यूपी के दादरी स्थित जिस बिसहड़ा गांव में बीफ खाने की अफवाह पर मोहम्मद अखलाक नाम के शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, वहां हालात अब सामान्य होने की ओर हैं। इस बात का गवाह बनी रविवार को गांव के ही रहने वाले हाकिम उर्फ हकीमू की दो बेटियों की गांव में ही हुई शादी। पहले दूल्हे बारात लेकर गांव में आने को तैयार नहीं हो रहे थे, लेकिन जब गांव की दूसरी बिरादरी के लोगों ने उन्हें सुरक्षा का पूरा भरोसा दिया तब बरात गांव में पहुंची। हकीमू की एक बेटी की बारात पड़ोस के गांव प्यावाली और दूसरी बेटी की सदुल्लाहपुर गांव से आई थी। बारातियों का स्वागत परंपरागत तरीके से हिंदू और मुस्लिम दोनों ही परिवारों ने मिलकर किया। गांव की मस्जिद में नवाज अता करने के बाद निकाह की रस्म अदा की गई। गांव पहुंचे दूल्‍हे पहले थोड़ा सहमे हुए थे, लेकिन जब गांव वालों ने हंसी-मजाक का दौर शुरू किया तो दूल्‍हे भी अपनी हंसी को रोक नहीं पाए। निकाह की सभी रस्में पूरी होने के बाद विदाई के समय पूरे गांव वालों की आंखें नम थी।
गांव में भारी फोर्स तैनात थी
दोपहर करीब 12 बजे गांव में बरात पहुंची। बरात की सुरक्षा के लिए वहां पुलिस फोर्स तैनात की गई थी। गांव के सरकारी स्कूल में बारात को ठहराने की व्यवस्था की गई थी। बरात का गांववालों ने स्वागत किया। बताया जा रहा है कि बिसाहड़ा गांव में तनाव को देखते हुए कन्‍या और वर पक्ष के लोग निकाह की तारीख को आगे बढ़ाना चाहते थे। दुल्ला मोमिम ने बताया कि इसको लेकर दोनों परिवारों में बातचीत भी हो चुकी थी, लेकिन गांव के लोगों ने दोनों ही परिवारों को समझाकर राजी करवाया।
पूरा गांव मदद को आगे आया
रेशम और जैतून नाम की इन दो बहनों की शादी रविवार हुई। लड़कियों के पिता मोहम्मद हकीमू ने शादी से पहले एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में बताया, ''दामाद बगल के ही पायावली और सदुल्लाहपुर गांव के रहने वाले हैं। हमारे गांव के हर कोने से लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं। अल्लाह से दुआ करता हूं कि सब कुछ ठीक से निपट जाए।'' बता दें कि अखलाक की हत्या के बाद बिगड़े गांव के माहौल के मद्देनजर मोहम्मद हकीमू के परिवार को शक था कि उनके रिश्तेदार शायद शादी में शामिल होने गांव ही न पहुंचें। इसी डर से उनकी दोनों बेटियां मर्डर वाले दिन ही गाजियाबाद स्थित उनकी बहन के घर चली गई थीं। वे आज लौटेंगी।
गांववालों ने मिलकर उठाया खर्च
गांववालों ने कहा कि उन्होंने शादी से जुड़ा हर इंतजाम कर लिया है। शादी का खर्च मिल-बांट कर उठाया जा रहा है। गांव के मुखिया संजय राणा ने बताया, ''हम हर चीज का ख्याल रख रहे हैं। फंक्शन में 1200 लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। हमने उनके खाने-पीने का इंतजाम किया है। ये लड़कियां हमारी बेटियों की तरह हैं। इन लोगों के साथ हमारे रिश्ते पहले की तरह ही हैं। हमारे बीच कुछ भी नहीं बदला है।''
(
परोसा गया वेज खाना
बरातियों को रसगुल्ले, बटर पनीर, जलेबी, चावल, चपाती और छोले परोसे गए। नॉनवेज आइटम्स को मेन्यू में शामिल नहीं किया गया है। इस बारे में पूछे जाने पर हकीमू ने कहा, ''मुझे मेन्यू को लेकर कोई समस्या नहीं है। यह मेरी रजामंदी से तय हुआ है। मैं नॉनवेज खाने के मुद्दे पर गांववालों से किसी तरह का कोई विवाद नहीं चाहता।''

PM ने तोड़ी चुप्पी, कहा-रिजर्वेशन कोई नहीं छीन सकता, झूठ फैलाया जा रहा है

फोटो- जेपी की जयंती के मौके पर हुए प्रोग्राम में पीएम नरेंद्र मोदी।
फोटो- जेपी की जयंती के मौके पर हुए प्रोग्राम में पीएम नरेंद्र मोदी।
मुंबई/नई दिल्‍ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिजर्वेशन के मुद्दे पर कहा है कि यह जारी रहेगा। मुंबई में बाबा साहब से जुड़े एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'आरक्षण कोई छीन नहीं सकता। दलितों-पिछड़ों का विकास बाबा साहब का सपना था। यह सपना पूरा किया जाएगा। इस मुद्दे पर झूठ फैलाया जा रहा है।' आरएसएस चीफ मोहन भागवत के रिजर्वेशन को रिव्यू करने के लिए कमिटी बनाए जाने से जुड़ा बयान सामने आने के बाद बीते कुछ दिनों से नीतीश कुमार, लालू यादव और मायावती बीजेपी पर आरक्षण खत्म करने का आरोप लगा रही थीं। विपक्षी नेता पीएम से इस मुद्दे पर बयान देने की मांग कर रहे थे।
मोदी ने समझाई इमरजेंसी की अहमियत
इससे पहले दिल्ली में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 113वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें इमरजेंसी को डेमोक्रेसी के लिए हमेशा याद रखने की जरूरत है। रविवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में 'Save Democracy Day' प्रोग्राम में उन्होंने कहा , ''आपातकाल में देश का बहुत नुकसान हुआ लेकिन उस दौर में जेपी ने इमरजेंसी के खिलाफ जंग की, जिसने नई राजनीति का जन्म दिया।'' इस दौरान उन्होंने जेपी को श्रद्धांजलि दी। बता दें कि इस प्रोग्राम में इमरजेंसी के दौरान अरेस्ट किए गए, जुल्म सहे नेताओं को सम्मानित किया गया।
मोदी ने कहा- मैं जेपी की उंगली पकड़ कर चला
प्रोग्राम में मोदी ने कहा,'' मैं जयप्रकाश जी की उंगली पकड़कर चला हूं।'' इस मौके पर उन्होंने दो दशक से ज्यादा वक्त जेल में बिताने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को भारत का नेल्‍सन मंडेला करार दिया। अपनी स्पीच में पीएम ने इमरजेंसी के आंदोलन में बीजेपी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी के रोल को भी याद किया। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान ही गुजरात में पहली बार एयरपोर्ट पर उन्होंने आडवाणी को करीब से देखा था।
'इमरजेंसी को भूलो मत पर याद कर रोना ठीक नहीं'
> पीएम ने कहा, '' जेपी में वो प्रेरणा थी कि वे लोगों को जोड़ सकते थे। उन्होंने आपातकाल के दौरान यह कर दिखाया था। संपूर्ण क्रांति का नारा देकर जेपी ने देश को ताकतवर लोगों के खिलाफ खड़ा कर दिया। आपातकाल को भूलना नहीं चाहिए, क्योंकि आपातकाल ने देश के लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला बोला था लोगों को जेल में डाला गया, मीडिया को बैन कर दिया लोकंतंत्र के खंभो को हिला दिया गया, लेकिन इमरजेंसी को याद कर रोना ठीक नहीं।''
>मोदी ने कहा, '' जेपी के आंदोलन ने लोगों को प्रेरणा दी उनके आंदोलन से नई राजनीति की शुरूआत हुई। उनके नेतृत्व में राजनीति की एक नई पीढ़ी तैयार हुई। इमरजेंसी की आग में तपकर भारत का लोकतंत्र और निखरा। ये जेपी के आंदोलन के प्रेरणा ही थी कि चुनावों में जनता ने अपनी ताकत दिखाई और अच्छे-अच्छे ताकतवरों को लोकतांत्रिक तरीके से घर भेज दिया।''
जिन्हें किया गया सम्मानित
इस प्रोग्राम में पीएम ने इमरजेंसी के दौरान अरेस्ट किए गए नेताओं को सम्मानित किया। इनमें बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी सहित 16 नेताओं को सम्मानित किया गया। सम्मान पाने वालों में चार राज्यपाल ओम प्रकाश कोहली(गुजरात), बलरामदास टंडन (छत्तीसगढ़), वजुभाई वाला (कर्नाटक) और कल्याण सिंह (राजस्थान) के अलावा एमपी के पूर्व राज्यपाल भाई महावीर,एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी, बीजेपी नेता करिया मुंडा, विजय मलहोत्रा, पूर्व केंद्रीय मंत्री जयवंतीबेन मेहता, पत्रकार वीरेंद्र कपूर, राम बहादुर राय, पत्रकार कोटमराजू विक्रम राव, गांधीवादी प्रोफेसर रामजी सिंह, ईश्वर दास महाजन और कामेश्वर पासवान शामिल थे।
कौन थे जेपी?
जयप्रकाश नारायण स्वतंत्रता सेनानी और बड़े राजनेता थे। उन्होंने 1970 के दशक में 'सम्पूर्ण क्रांति' का नारा देकर केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ देश भर में एक बड़ा अभियान छेड़ा। इंदिरा को देश में इमरजेंसी लगानी पड़ी। हालांकि, बाद में उन्हें पद भी छोड़ना पड़ा। जेपी को समाजसेवा के लिए 1965 में मैगसेसे अवॉर्ड से नवाजा गया। मौत के बाद 1999 में भारत रत्न भी दिया गया।

कहा हो तुम

कहा हो तुम
किधर हो तुम
किसके साथ
किसके पास
हो तुम ,,
किसकी बाहों में हो
किसकी नज़रों में हो
चेहरे पर
मेरे लिए गुस्सा
दिल में
मेरे लिए नफरत
कुछ भी
सोच लो तुम
फिर भी
हमारा दिल
आपके पास है
हमारे दिल में
तुम सिर्फ तुम
रहते हो ,,
धड़कते भी तुम हो
साँसे भी तुम हो
ख्याल भी तुम
दीदार भी तुम
कहा हो तुम
किधर हो तुम
कुछ फ़र्क़
नहीं पढ़ता
ज़िंदगी बनकर
सीने में धकड़ते हो
तुम सिर्फ तुम ,,,,,अखतर खान अकेला

थू है ऐसी राष्ट्रभक्ति पर

देश से झूंठ बोलना ,,,देश से झूंठे वायदे करना ,,,देश को धोखा देना ,,देश में साम्प्रदायिकता ,,नफरत फैलाना ,,हिंसा भड़काना ,,,मारकाट कर लोगों को डराना धमकाना ,,,,,ऐसे लोगों को समर्थन देना ,,,ऐसे लोगों की अंधभक्ति करना ,,,,,,,,,,,सच से भागना ,,देश के संविधान ,,देश के क़ानून के खिलाफ बाते करना ,,,,,अगर इसे राष्ट्रभक्ति कहते है ,,अगर ऐसा करने वाले को राष्ट्रभक्त कहते है तो थू है ऐसी राष्ट्रभक्ति पर ,,में तो मेरे देश के संविधान का पालक ,,देश के क़ानून का रक्षक ,,देश से किये गए वायदों को नहीं निभाने वालोे की मेरा मुखालिफ मिजाज़ ,,,देश के नवनिर्माण में बाधा पहुंचाने वालों से लड़ाई ,,,,,,,अंधभक्तो को जगाने की मेरी कोशिश ,,,,देश में साम्प्रदायिक सौहार्द ,,सुख ,,शांति ,,,अमन ,,चेन ,,की चाहत ,,इसकी कोशिशें ,,मानवता का परचम ,,तिरंगे का सम्मान ,,कुर्सी से ज़्यादा देश को अहमियत देना,,,,धर्म ,,मज़हब से पहले मानवता देश होना चाहिए ,,,, मेरे अपने यही विचार है ,,हां फिर भी में अगर गद्दार हूँ तो मुझे गर्व है के में उन कथित राष्ट्रभक्तो से कई करोड़ गुना राष्ट्रभक्त देश का मुहाफ़िज़ हूँ ,,मुझे गर्व है ,,मुझे गर्व है और में खुद को ऐसे कथित राष्ट्रभक्तो से अव्वल प्रथम मानता हूँ ,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

,जनता का ज्वलंत मुद्दो से ध्यान बटाने के लिए

दोस्तों हमारे देश में सभी मुद्दो को गौण करने ,,जनता का ज्वलंत मुद्दो से ध्यान बटाने के लिए ,,गांय को राष्ट्रिय पशु की जगह राजनितिक पशु बना दिया गया है ,,केंद्र में तो जो भी नाकामी है उसे छुपाने में इससे मदद मिली है लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार में भी विकास के मुद्दे गौण हो गए ,,खेर सियासत है काठ की हांडी हमारे देश में बार बार नहीं चढ़ती ,,कई आये ,,कई चले गए ,,कई मुद्दे ,,कई शरारतें उठी लेकिन सब खामोश है ,,,उत्तरप्रदेश में अहिंसक पूजनीय गांय के नाम पर हत्या ,,हिंसा ,,नाइंसाफी हुई ,,लोग शाकाहरी की बात करने वाले मांसाहारी बन गए ,,हिंसक बन गए ,,अगर वोह नरभक्षी बन गए ,,कश्मीर में भाजपा के समर्थन से बनी सरकार में ,,विधानसभा हॉल के अंदर जो उत्पात हुआ सभी जानते है ,,केरल में और भी बुरा हुआ ,,लेकिन दोस्तों सच यही है के दादरी में अगर दरिंदो ने दरिंदगी दिखाई है ,,तो दूसरे स्थानो पर बार बार गांय का मांस खाने का ऐलान करना ,,इसके फोटु सार्वजनिक करना एक ज़िद एक विवाद पैदा करने की वजह है ,,,अरे गांय को माता का दर्जा दिलवाना उनका मक़सद नहीं सिर्फ सियासत करना उनका मक़सद है ,,वोह तो देश ,,धर्म ,,समाज ,,जाती ,,,गांय के दोषी है ही सही लेकिन दोस्तों हम जो लोग बीफ खाएंगे का नारा दे रहे है यह ठीक नहीं है वोह शैतान है तो हमे शैतानी से बचना चाहिए वोह स्वार्थो में राष्ट्रविरोधी और जानवर अगर बने है तो हमे जानवर नहीं बनना है ,,हमे इस देश को उनसे आज़ाद कराना है ,,हमे इस देश में सुक्ख शानति क़ायम करना है ,,सभी की भावनाओ का आदर सम्मान हो ,,भावनाओ जज़्बातों के साथ खेलने वाले को कठोर सज़ा मिले ऐसा क़ानून बनाए हम उसके पक्षधर है अगर हमारे रास्ते साफ़ होंगे ,,हमारी नियत साफ़ होगी ,,हमारे तरीकों में विनम्रता होगी तो जनाब जो लोग हिंसा भड़का रहे है ,,जो लोग बेवजह मुद्दे बना कर सियासत से जुड़े लोगों से रूपये लेकर माहोल खराब कर रहे है कल वोह लोग भी सच सामने आने पर आपके साथ खड़े होंगे और आपके सपने ,,भारत के नवनिर्माण के सपने को साकार करने में मददगार होंगे ,,ज़रा सब्र कीजिये खुदा के घर ,,,भगवान के घर देर है अंधेर नहीं ,,,,,,अंधेर नहीं ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नकारात्मक और सकारात्मक सोच

बात नकारात्मक और सकारात्मक सोच की आई तो एक बहुत अच्छी बात याद आई
"अगर आप रास्ते पे चल रहे हे और आपको वहां पड़ी हुई दो पत्थर की मुर्तिया मिले
1) भगवान राम की
और
2)रावण की

और आपको एक मूर्ति उठाने का कहा जाए तो अवश्य आप राम की मूर्ति उठा कर घर लेके जाओगे।
क्यों की राम सत्य , निष्ठा,
सकारात्मकता के प्रतिक हे और रावण नकारात्मक का प्रतिक हे।
और आप रास्ते पे चल रहे हो और दो मुर्तिया मिले
राम और रावण की
पर अगर "राम की मूर्ति पत्थर" की और "रावण की सोने "की
और एक मूर्ति उठाने को कहा जाए तो आप राम की मूर्ति छोड़ कर रावण की सोने की मूर्ति उठाओ गे"
मतलब ये हुआ के
हम सत्य और असत्य
सकारात्मक और नकारात्मक
अपनी सुविधा और लाभ के अनुसार तय करते हे।

पूरी दुनिया मोदी मोदी कर रही है...

● मैं आपके देश की महिला हूँ साहब....
सब्जियां बहुत महंगी हो गयी है, क्या करू ?
* तू टीवी चालू कर,
पूरी दुनिया मोदी मोदी कर
रही है....
● मैं आपके देश का गरीब नागरिक हूँ साहब...
मेरे कैंसर की 8 हज़ार की दवाई, अब 1 लाख 8 हज़ार की हो गई...
* तू टीवी चालू कर,
पूरी दुनिया मोदी मोदी कर
रही है....
● मैं आपके देश का एक आम आदमी हूँ साहब...
रेल में सफर करना मुश्किल हो गया है..
* तू टीवी चालू कर,
पूरी दुनिया मोदी मोदी कर
रही है....
● मैं आपके देश का एक किसान हूँ साहब...
खेत में डालनेवाला यूरिया बहोत महँगा हो गया है...
* तू टीवी चालू कर,
पूरी दुनिया मोदी मोदी कर
रही है...
● मैं आपके देश का एक व्यापारी हूँ साहब..
विदेशी कम्पनिया हमारा धंधा चौपट कर देगी...
* तू टीवी चालू कर,
पूरी दुनिया मोदी मोदी कर
रही है..
● मैं आपके देश की एक बेटी हूँ साहब...
आपके मंत्रालय में बैठे कुछ लोगो से ही मुझे डर लग
रहा है....
* तू टीवी चालू कर बिटिया,
पूरी दुनिया मोदी मोदी कर
रही है...
● मैं आपके देश का एक युवा हूँ साहब....
रोज़गार नहीं है, हमारा इंटरनेट दोगुना महँगा हो गया...
* तू टीवी चालू कर,
पूरी दुनिया मोदी मोदी कर
रही है...
● कालाधन लाने के लिए रामलीला में हमने आधी रात को लाठियां खायी थी...
अन्ना और बाबा को तो अपना फायदा मिल गया, कालाधन कब आएगा ?
* तू टीवी चालू कर,
पूरी दुनिया मोदी मोदी कर
रही है....
और आखिर में....
● बेटा, मैं तेरी भारत माँ हूँ....
मेरे बेटे रोज़ सीमा पर गोलिया खा रहे है....
● टीवी चालू करके क्या देखू ?
तेरे फैके हुए टुकड़ो पे पलने वाले मीडिया का तमाशा... ?

कुत्ते " और " गधे

एक बार " कुत्ते " और " गधे " में शर्त लगी कि,
जो दौड़ कर पहले पहुचेगा
वो " सत्ता के सिंहासन " पर बैठकर राज़ करेगा।
दौड़ शुरु हुई।
कुत्ता खुश था।
उसने सोचा वो तो तेज़ दोडता है,
गधे को तो यु ही हरा देगा।
पर उसे क्या मालूम था की
हर एक मुहल्ले, चौक पर बहुत से कुत्ते हैं
ओर वो उसे आगे जाने ही नही देंगे!
और हुआ भी ऐसा ही।
हर चौक पर स्थानीय कुत्तो ने उस पर जानलेवा हमला किया...
वो बहुत से कुत्तो से लड़ता हुआ जैसे तैसे पहुंच गया।
लेकिन
वहाँ जाकर देखा की गधा सत्ता के सिंहासन पर बैठकर राज़ कर रहा है।
हताश घायल कुत्ता बोला, काश मेरी ही बिरादरी वाले मुझसे लडे न होते तो.....
ये गधा इस सिंहासन तक कभी नही पहुंच पाता।
जरा सोचिए गलती कहाँ हो रही है !!!

नरेंद्र दामोदर मोदी के व्रत पर बीस करोड़ स्वाहा..!


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राजनेताओं की ड्रामेबाजी सरकारी खजाने पर कितनी भारी पड़ती है इसका अंदाजा है तो हम सभी को है पर सूचना के अधिकार से यह कड़वी हकीकत धीरे-धीरे सरकारी तौर पर भी सामने आने लगी है। इस हथियार के उपयोग से यह सच सामने आ ही गया है की मोदीजी जब मुख्यमंत्री थे तब उनके एक सार्वजनिक व्रत आयोजन पर राजकोष को 20 करोड़ की चपत लगी थी। गुजरात सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को तीन साल की टालमटोल के बाद यह जानकारी देनी ही पड़ी।
आरटीआई कार्यकर्ता कीर्ति राठौर ने तीन साल पहले जानकारी मांगी थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साल-2011-12 मे रखे गए सदभावना मिशन व्रत पर कितना खर्च हुआ था।उनके नेत्रत्व मे राजधानी के साथ-साथ जिलों मे भी ऐसे सदभावना व्रत रखे गए थे।तीन साल तक राठौर के आवेदन को लटकाए रखने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग के प्रोटोकाल प्रभाग ने गुजरात के मुख्य सूचना आयुक्त बलवंत के सामने खर्च का ब्योरा पेश किया। इसके मुताबिक 19.96 करोड़ रूपए खर्च हुए थे। जानकारी से यह दिलचस्प तथ्य सामने आया कि जिलों द्वारा इसके लिए आकस्मिक फंड से रकम खर्च की गई। इस फंड का उपयोग अचानक आने वाली आपदा के समय किया जाता है।[यह खबर पत्रिका अखबार ने पहले पेज पर सबसे ऊपर छापी है]

प्रताप के सेनापती हकीम खां सूर ने किया था अकबर पर हमला, भागना पड़ा कोसो दूर

प्रताप के सेनापती हकीम खां सूर ने किया था अकबर पर हमला, भागना पड़ा कोसो दूर
महाराणा प्रताप के बहादुर सेनापति हकीम खां सूर के बिना हल्दीघाटी युद्ध का उल्लेख अधूरा है। 18 जून, 1576 की सुबह जब दोनों सेनाएं टकराईं तो प्रताप की ओर से अकबर की सेना को सबसे पहला जवाब हकीम खां सूर के नेतृत्व वाली टुकड़ी ने ही दिया।
महज 38 साल के इस युवा अफगानी पठान के नेतृत्व वाली सैन्य टुकड़ी ने अकबर के हरावल पर हमला करके पूरी मुगल सेना में आतंक की लहर दौड़ा दी। मुगल सेना की सबसे पहली टुकड़ी का मुखिया राजा लूणकरण आगे बढ़ा तो हकीम खां ने पहाड़ों से निकल कर अप्रत्याशित हमला किया।
मुगल सैनिक इस आक्रमण से घबराकर चार पांच कोस तक भयभीत भेड़ों के झुंड की तरह जान बचाकर भागे। यह सिर्फ किस्सागोई की बात नहीं है, अकबर की सेना के एक मुख्य सैनिक अलबदायूनी का लिखा तथ्य है, जो खुद हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप के खिलाफ लड़ने के लिए आया था।

वीरता ऐसी कि वीरगति प्राप्त करने के बाद भी उनके हाथ में रही तलवार
बहादुर हकीम खां ने हल्दीघाटी के युद्ध में ही वीरगति पाई। उनकी बहादुरी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वीरगति होने के बाद भी उनके हाथ में तलवार रही। उन्हें तलवार के साथ ही दफनाया। युद्ध शुरू हुआ तो सेना के सेनापति वे ही थे। इस सेना के दो हमलावर दस्ते तैयार किए गए। हकीम खां के कद का इसी से पता लगता है कि महाराणा ने एक हिस्से की कमान खुद संभाली और दूसरे का नेतृत्व हकीम खां को सौंपा।
राणा की एक पुकार पर एक हो गए थे हिन्दू-मुस्लिम
हल्दीघाटी के युद्ध के इतिहास के पन्नों पर एक दोहा बहुत चर्चित है : अजां सुणी, मस्जिद गया, झालर सुण मंदरांह। रणभेरी सुण राण री, मैं साथ गया समरांह। यानी अजान सुनकर मुस्लिम मस्जिदों को गए और घंटियों की आवाजें सुनकर हिंदू देवालयों में गए। लेकिन जैसे ही राणा ने युद्ध भेरी बजवाई तो हम सभी मंदिरों और मस्जिदों से संग्राम लड़ने के लिए मुगलों के खिलाफ एक हो गए।

पानी की समस्या को लेकर जलदाय विभाग को चेतवानी

पानी की समस्या को लेकर जलदाय विभाग को चेतवानी
पार्षद हुसैन ने मौके पर बुला कर अधिकारियों को दिखाए नल पानी जी जगह नकलती है हवा
कोटा 11 अक्टूबर वार्ड 45 में पिछले दस महीने से आम जन पिने के पानी के लिए संघर्ष कर रहे है ईस समस्या से पार्षद ने कई बार जलदाय विभाग के आधिकारियों को अवगत कराया पर समस्या जस की तस बनी हुई है अब आलम यह है की पिछले कुछ दिनों से नलों में पानी की बजाय सिर्फ हवा ही निकल रही है पानी सुचारू रूप से नहीं मिलने से आक्रोशित वार्ड 45 के निवासियों ने रविवार को पार्षद मोहम्मद हुसैन के नेतृत में जलदाय विभाग को घेरने की योजना बनाई हुसैन ने फोन पर अधिशाषी अभियंता श्यामवीर सिंह को क्षेत्र की समस्या से अवगत कराया और सोमवार को जलदाय विभाग को घेरने की चेतावनी दी इस पर अधिशाषी अभियंता ने मौके पर एईएन नरेंदर व्यास को भेजा और समस्या का समाधान आठ दिन में कराने का अस्वाशन दिया इस के बाद मौके पर आये नरेंद्र व्यास को महिलाओं ने खरी खरी सुनाई पार्षद ने क्षेत्र में अलग अलग जगहों पर नल खोल कर दिखाया की नालों में पानी नहीं लोग हवा भर रहे हैं विभाग की ओर से आठ दिन का अस्वाशन मिलने के बाद हुसैन ने चेतावनी दी है की यदि आठ रोज में जल्दाय विभाग पानी की सप्लाई सुचारू नहीं करता है तो अधिशाषी अभियंता का घेराव किया जायेगा

ये ‘सफल जीवन’ क्या होता है ?

एक बेटे ने पिता से पूछा – पापा ये ‘सफल जीवन’ क्या होता है ?
पिता, बेटे को पतंग उड़ाने ले गए।
बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था…
थोड़ी देर बाद बेटा बोला,
पापा.. ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें !!
ये और ऊपर चली जाएगी…
पिता ने धागा तोड़ दिया ..
पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आइ और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई…
तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समझाया .,,,,
बेटा..
‘जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं..
हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं
जैसे :
घर,
परिवार,
अनुशासन,
माता-पिता आदि
और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं…
वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं..
इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे
परन्तु
बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो
बिन धागे की पतंग का हुआ…’
“अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना..”
” धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही ‘सफल जीवन’ कहते हैं “.

भारत के बारे में 12 ऐसे तथ्य जो मजाकिया होने के साथ सच भी है।


1. भारत एक ऐसा देश है जो कई स्थानीय भाषाओ द्वारा विभाजित है और एक विदेशी भाषा द्वारा एकजुट।
2. भारत मे लोग ट्रैफिक सिग्नल की रेड लाइट पर भले ही ना रुके लेकिन अगर एक काली बिल्ली रास्ता काट जाए हो हजारो लोग लाइन में खड़े हो जाते है। अब तो लगता है ट्रैफिक पुलिस में भी काली बिल्लियों की भर्ती करनी पड़ेगी।
3. चीन अपनी सरकार की वजह से तरक्की कर रहा है और भारत में तरक्की ना होने का सबसे बड़ा कारण उसकी अपनी सरकारें ही रही हैं।
4. भारत का मतदाता वोट देने से पहले उम्मीदवार की जात देखता है ना की उसकी योग्यता। अब इन लोगों को कौन समझाये की भाई तुम देश के लिए नेता ढूंढ रहे हो ना की अपने लिए जीजा।
5. भारत एक ऐसा देश है जहाँ एक्टर्स क्रिकेट खेल रहे है, क्रिकेटर्स राजनीति खेल रहे है, राजनेता पोर्न देख रहे है और पोर्न स्टार्स एक्टर बन रहे है।
6. भारत में आप जुगाड़ से करीब-करीब सब कुछ पा सकते है।
7. हम एक ऐसे देश में रहते है जहाँ नोबेल शांति पुरस्कार मिलने से पहले लगभग कोई भारतीय नहीं जानता था की कैलाश सत्यार्थी कौन है। लेकिन अगर एक रशियन टेनिस खिलाडी हमारे देश के एक क्रिकेटर को नही जानती तो ये हमारे लिए अपमान की बात है।
8. भारत गरीब लोगो का एक अमीर देश है। भारत की जनता ने दो फिल्मों बाहुबली और बजरंगी भाईजान पर 700 करोड़ खर्च कर दिए।
9. भारत में किसी अनजान से बात करना खतरनाक है, लेकिन किसी अनजान से शादी करना बिलकुल ठीक।
10. हम भारतीय अपनी बेटी की पढ़ाई से ज्यादा खर्च बेटी की शादी पे कर देते है।
11. हम एक ऐसे देश में रहते है जहाँ एक पुलिसवाले को देखकर लोग सुरक्षित महसूस करने की वजाए घबरा जाते है।
12. हम भारतीय हेलमेट सुरक्षा के लिहाज से कम, चालान के डर से ज्यादा पहनते है।

क़ुरआन का सन्देश

  
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