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19 अक्तूबर 2015

राहे-हक़ की राह दिखा रही हैं बहन फ़िरदौस ख़ान

पेशे से पत्रकार ,,मिजाज़ से लेखिका ,,,दर्शन समाज सुधार का प्रेरणा मज़हब ऐ इस्लाम ,,,और शोख रोज़ सुधारक टिप्पणियॉ की खूबसूरत दर्शन के साथ डायरी लिखना ,,यही सब पहचान है मेरी बहन फ़िरदौस की ,,जिसे हम पत्रकार कहे ,,समाज सुधारक कहे ,,इस्लाम सुधारक या फिर इंसानियत और हक़ की अलम्बरदार कहे ,,साहित्यकार कहे ,,लेखिका कहे ,,कवयित्री कहे ,,मनोवैज्ञानिक सुधारक कहे ,,,,क्या कहे कुछ समझ नहीं आता बस बहन फ़िरदौस अपनी डायरी ,,अपनी क़लम लेकर इस्लाम की एक बहतरीन सोच के साथ देश में अमन ,,एकता ,,अखंडता ,,मानवता का पैगाम देने निकली है ,,,रुपया कमाना इनका मक़सद नहीं ,,देश सुधारना ,,समाज सुधारना ,,हिन्दुस्तान की नई तस्वीर बनाना इनका अपना मक़सद है ,,ब्लॉगिंग की दुनिया में मेरे आगमन से ही यह मेरे साथ है ,,इनके समाज सुधार के रवैये से कई लोग इनसे नाराज़ है ,,,फिर भी में गौरवान्वित हूँ के बहन फ़िरदौस एक महिला ,,मुस्लिम महिला होकर देश सुधारने ,,,समाज सुधारने ,,इंसानियत की अलमबरदारी में ,,,प्रमुख साहित्यकारों में ,,एक अच्छे इंसान के रूप में अव्वल सबसे अव्वल है ,,,,,फ़िरदौस खान अपने बारे में खुद लिखती है ,,,,,,,,,,,,,,,,मेरे अल्फाज़ मेरे जज़्बात और मेरे ख्यालात की तर्जुमानी करते हैं...क्योंकि मेरे लफ़्ज़ ही मेरी पहचान हैं.,,यह सच भी है ,,,वोह लिखती है ,,,,समानता का अधिकार ,,जातिगत भेदभाव नफरत के खिलाफ एक जीवंत दर्शन देती है ,,,,फ़िरदौस बहन कहती है ,,,,कु़दरत किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करती... सूरज, चांद, सितारे, हवा, पानी, ज़मीन, आसमान, पेड़-पौधे मज़हब के नाम पर किसी के साथ किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं करते... जब कायनात की हर शय सबको बराबर मानती है, तो फिर ये इंसान क्यों इतना नीचे गिर गया कि इसके गिरने की कोई हद ही न रही... इंसान को ख़ुदा ने अशरफ़ुल मख़लूक़ात बनाकर इस दुनिया में भेजा था... लेकिन इसने अपनी ग़र्ज़ के लिए इंसानों को मज़हबों में तक़सीम करके रख दिया... फिर ख़ुद को आला समझना शुरू कर दिया और दूसरों को कमतर मानने लगा... उनसे नफ़रत करने लगा, उनका ख़ून बहाने लगा...ऐसे इंसानों से क्या जानवर कहीं बेहतर नहीं हैं, जो मज़हब के नाम पर किसी से नफ़रत नहीं करते, मज़हब के नाम पर किसी का ख़ून नहीं बहाते.,,,,,,,,,,,,,फ़िरदौस ख़ान,,,,,,,,,,,,जो ,, पत्रकार, शायरा और कहानीकार... उर्दू, हिन्दी और पंजाबी में लेखन. उर्दू, हिन्दी, पंजाबी, गुजराती, इंग्लिश और अरबी भाषा का ज्ञान... दूरदर्शन केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं... इन्होने अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों का सम्पादन भी किया... ऑल इंडिया रेडियो, दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर कार्यक्रमों का प्रसारण..हुडा इन्होने . ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनल के लिए एंकरिंग भी की है. देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार व फीचर्स एजेंसी के लिए लेखन. इनका हुनर रहा है . इनके द्वारा लिखित . मेरी 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' नामक एक किताब प्रकाशित.हुई .. इसके अलावा डिस्कवरी चैनल सहित अन्य टेलीविज़न चैनलों के लिए स्क्रिप्ट लेखन...कार्र्य प्रमुख रहा है इन्हे उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल संपादन और लेखन के लिए अनेक पुरस्कारों ने नवाज़ा जा चुका है... फ़िरदौस बहन ने इसके अलावा कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी शिरकत.की है . इन्होने कई बरसों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम भी ली...इनकी उर्दू, पंजाबी, अंग्रेज़ी और रशियन अदब (साहित्य) में ख़ास दिलचस्पी. फ़िरदौस बहन फ़िलहाल 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' में समूह संपादक का दायित्व संभाल रही है वोह अनुभव के आधार पर कहती है ... कुछ लोग यूं ही शहर में हमसे भी ख़फ़ा हैं ,,,हर एक से अपनी भी तबियत नहीं मिलती..यह कड़वा सच उनके दोस्त ,,उनके दुश्मनो के लिए एक पैगाम भी है ,,,,,,,,,,,,बहन फ़िरदौस का लेखन राष्ट्रीय एकता ,,अखंडता ,,न्यायप्रिय ,,सुख ,,शांति ,,अमन का पैगाम देता है तो कई लोग इनसे नाराज़ भी होते है ,,इस्लाम के खिलाफ लिखने वाले का फतवा भी देते है लेकिन कड़वा सच यह है के इस्लाम ही अमन का पैगाम देने वाला मज़हब है और इस मज़हब को हम और हमारे मुस्लिम भाई,,हिंदुस्तानी भाई नहीं जानते इसीलिए बहन फ़िरदौस इस्लाम के खिलाफ भ्रांतियां खत्म करने के लिए ,,हमारे अपनों ,,हमारे परायो में इस्लाम के हक़ का पैगाम देने के लिए पृथक से एक ब्लॉग ,,,,राहे हक़ ,,,बनाकर उसके ज़रिये इस्लाम की तरबियत का काम शुरू किया है इस ब्लॉग ने बहन फ़िरदौस को एक मुल्लानी भी बना दिया है ,,फ़िरदौस ज्ञान का समुन्दर है तो समझिए उनका व्यवहार कितना पुर ख़ुलूस ,,पुर कशिश होगा ,, ज्ञान समुन्दर लहरे मारता है ,,छलकता है और बहन फ़िरदौस का कमोबेश ऐसा ही ज्ञान है ,,,,,,,,,फ़िरदौस के प्रमुख ब्लॉग इस तरह से है
http://www.firdausdiary.blogspot.com/ http://heer-thesong.blogspot.com/
http://firdaus-firdaus.blogspot.com/
http://jahaannuma.blogspot.com /http://raahe-haq.blogspot.in/,,,,,,बहन फ़िरदौस एक औरत है ,,लेकिन दक़ियानूसी नहीं ,,बहन फ़िरदौस एक आदर्श मुस्लिम है लेकिन कट्टरपंथी नहीं ,,बहन फ़िरदौस एक अच्छी लेखिका है ,,लेकिन पक्षपाती नहीं ,,बहन फ़िरदौस निर्भीक पत्रकार है ,,लेकिन गुलाम मानसिकता की नहीं ,,बहन फ़िरदौस ब्लॉगर है लेकिन विशिष्ठ विचारधारा की नहीं ,,,,बहन फ़िरदौस की डायरी से सब डरे हुए है ,,,घबराये है ,,,,इनसे कोई भी नफरत करे ,,इनके लिए कुछ भी कोई लिखे कोई सोचे लेकिन यह सभी का अभिवादन इस्लामिक संस्कृति के तहत आदर सम्मान से करती है और दुश्मन पानी पानी होकर इनको सेल्यूट करता नज़र आता है ,,विनम्रता ,,सहजता ,,सरलता ,,गंभीरता ,,एक विशिष्ठ जीवन शैली ,,,आदर्श विचार ,,,अधिकतम भाषाओ का ज्ञान ,,अपने कड़वी से कड़वी बात मध्रु अल्फाज़ो में सहज और सरल भाव से लोगो तक पहुंचाने का अंदाज़ इनकी पहचाना है ,,,बहुमुखी प्रतिभा की धनी बहन फ़िरदौस अधिकतम भाषाओ में लिखती है ,,पढ़ती है और पुरे देश को एक जुट ,,प्रगति के पथ पर चलते हुए देखना चाहती है बस इसी जूनून के साथ शुद्धिकरन आलेख लिख रही है ,,लिखती रही है ,,लिखती रहेंगी , बहन फ़िरोज़ ज़ात पात ,,उंच नीच से बहुत नाराज़ है वोह इस्लाम का कड़वा सच लिखती है ,,,,,,,,,,,,,,लोग अकसर शिजरे की बात करते हैं... हमारा ताल्लुक़ फ़लां ख़ानदान से है, उसका फ़लां से है... हम आला ज़ात के हैं और फ़लां कमतर ज़ात का है...
हमारा एक ही जवाब है- हमारा ताल्लुक़ हज़रत आदम अलैहिस्सलाम है, जो जन्नत में रहा करते थे...
हम ही क्या दुनिया के हर इंसान का ताल्लुक़ हज़रत आदम अलैहिस्सलाम है... इसलिए ख़ुद को आला और दूसरे को कमतर समझना अच्छी बात नहीं है...
----,एक खास बात ,,बहन फ़िरदौस की योमे पैदायश की तारीख़ एक जून है साल कोनसा है में बता नहीं सकता क्योंकि बहन फ़िरदौस बहतरीन लेखिका के साथ साथ एक महिला भी है और महिला को अगर उसकी उम्र बताएंगे तो वोह नाराज़ हो जाएंगी बस इसीलिए उनके लेखन में प्रबुद्धता है ,,,,एक अनुभव है ,,एक शालीनता का भाव है ,,,,,,साहित्य का पुठ है ,,उम्र में चंचलता है कम उम्र में इतना ज्ञान कहा से आया यह क़ुदरत का करिश्मा ही कहा जा सकता है ,,,बहन फ़िरदौस को बधाई ,,,मुबारकबाद ,,सेल्यूट ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

गुजरात: राष्ट्रद्रोह और तिरंगे के अपमान के आरोप में हार्दिक पटेल अरेस्ट


राजकोट. गुजरात में पाटीदार रिजर्वेशन आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को पुलिस ने सोमवार शाम राजकोट से अरेस्ट किया है। उन पर राष्ट्रद्रोह और तिरंगे के अपमान का आरोप है। पुलिस ने हार्दिक के खिलाफ सूरत में देशद्रोह और तापी जिले में तिरंगे के अपमान का केस दर्ज किया है। इसके पहले रविवार को राजकोट क्रिकेट स्टेडियम में घुसने की कोशिश कर रहे हार्दिक को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
पुलिस के खिलाफ दिया था बयान
हार्दिक ने कुछ दिनों पहले सूरत में कहा था, 'दो-चार पुलिसवालों को मार देना, लेकिन किसी पटेल की जान नहीं जाना चाहिए।' हार्दिक ने यह बयान तब दिया जब वह पटेलों के लिए आरक्षण की मांग के समर्थन में खुदकुशी की धमकी देने वाले एक युवक से मिलने गए थे। गुजरात का पाटीदार समाज जॉब और एजुकेशन में आरक्षण की मांग कर रहा है।
तिरंगे के अपमान का केस क्यों?
रविवार को राजकोट में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच क्रिकेट मैच शुरू होने से पहले हार्दिक ने कार की छत पर तिरंगे को उलटा कर पकड़ा था और उस दौरान कुछ लोगों को धमकाया था। इस दौरान तिरंगे का कुछ हिस्सा उनके पैरों की तरफ था। इस मामले में तिरंगे के अपमान का मामला दर्ज कराया गया है।
क्या है पटेलों की मांग?
पाटीदार-पटेल कम्युनिटी सरकारी नौकरियों और एजुकेशन में आरक्षण की मांग कर रही है। पटेलों की मांग है कि उन्हें ओबीसी कैटेगरी चाहिए। ओबीसी में 146 कम्युनिटी पहले से लिस्टेड हैं।
गुजरात सरकार क्यों नहीं देना चाहती रिजर्वेशन?
गुजरात में इस समय ओबीसी के लिए 27% रिजर्वेशन है। पटेल अपर कास्ट हैं। इकोनॉमिकली और सोशली मजबूत हैं। इसी वजह से गुजरात सरकार ने उन्हें रिजर्वेशन देने से साफ मना कर दिया है।
राजनीतिक तौर पर कितने मजबूत हैं गुजरात के पटेल
गुजरात में पटेलों की आबादी 20% है। गुजरात के 182 विधायकों में से 44 पटेल ही हैं। वहीं, लोकसभा की 26 सीटों में से 6 सांसद भी पटेल ही हैं।

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर कमेंट करने वाले जेटली के खिलाफ केस, समन जारी

 

फाइल फोटो: वित्त मंत्री अरुण जेटली।
फाइल फोटो: वित्त मंत्री अरुण जेटली।
झांसी. सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले के बारे में टिप्पणी करने पर यूनियन फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली के खिलाफ यूपी के एक कोर्ट ने समन जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जजों के अप्वाइमेंट से जुड़े कॉलेजियम सिस्टम को बरकरार रखा था और मोदी सरकार के बनाए एक कानून को खारिज कर दिया था। जेटली ने इस फैसले को ‘कुतर्क’ बताया था। इसी पर उनके खिलाफ एक सिविल जज ने कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट के केस के तहत समन जारी किया। ये वही जज हैं जिन्होंने पिछले दिनों सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को भी एक केस में पेश होने को कहा था।
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को असंवैधानिक बताया था। जब जेटली ने इसके खिलाफ टिप्पणी की तो यूपी के महोबा में जूनियर डिवीजन जज अंकित गोयल ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट की अवमानना (कंटेम्टम्प ऑफ कोर्ट) का केस दर्ज करने का आदेश दिया। जेटली के खिलाफ कुलपहाड़ में केस दर्ज किया गया। अब जज ने 19 नवंबर को पेश होने के लिए जेटली के नाम समन भी जारी किया है। बता दें, अंकित गोयल ने कुछ दिनों पहले रेप के बयान को लेकर मुलायम सिंह यादव को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा था।
जेटली के खिलाफ केस
कोर्ट के आदेश के बाद धारा 124 ए, 505 आईपीसी के तहत महोबा के थाना कुलपहाड़ में केस दर्ज किया गया है। सिविल जज अंकित गोयल ने अरुण जेटली के बयान को कोर्ट की अवमानना बताते हुए कहा है कि भारत के संविधान के आर्टिकल 51 A (A) में प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य बताया गया है कि वह संविधान का पालन करे। उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज, और राष्ट्रगान का आदर करे। जज ने कहा है कि अरुण जेटली द्वारा पूरे भारत में इस बयान को सर्कुलेट किया गया। इसलिए पूरे भारत में न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोई भी कोर्ट मामले पर संज्ञान ले सकती है।
क्या कहा था अरुण जेटली ने?
जेटली ने रविवार को फेसबुक पोस्ट में इस फैसले को ‘कुतर्क’ पर आधारित बताया। जेटली ने लिखा था, ‘भारतीय लोकतंत्र गैर-निर्वाचित लोगों का निरंकुश तंत्र नहीं बन सकता। अगर चुने हुए लोगों को दरकिनार किया गया तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।’ जेटली ने फेसबुक पर 'द एनजेएसी जजमेंट- ऐन ऑल्टरनेटिव व्यू’ शीर्षक से लेख लिखा। इसमें लिखी गई बातों को उन्होंने प्राइवेट बताया है। साथ ही लिखा है कि ऐसा कोई संवैधानिक सिद्धांत नहीं है, जिसमें लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं को निर्वाचित प्रतिनिधियों से बचाने की बात कही गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने एनजेएसी को किया खारिज
जस्टिस जेएस केहर की अगुवाई वाली कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने 1030 पेज के अपने फैसले में पिछले हफ्ते शुक्रवार को इस कानून को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए खारिज कर दिया था। बेंच का कहना था कि यह न्यायपालिका की आजादी में रोड़े अटकाएगा।
मुलायम के खिलाफ भी दर्ज किया था केस
अगस्त में मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि रेप एक व्‍यक्ति करता है तो चार लोगों के खिलाफ क्‍यों केस दर्ज किया जाता है? मुलायम ने यह भी कहा था कि एक लड़की के साथ चार लोग कभी रेप नहीं कर सकते हैं। मुलायम सिंह यादव के विवादित बयान के बाद जज अंकित गोयल ने उनके खिलाफ समन जारी कर दिया था। मुलायम को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया था। मुलायम को 16 सितंबर को पेश होना था। हालांकि, सपा सुप्रीमो ने इस पर स्टे ले लिया था।
2014 से कुलपहाड़ में तैनात हैं जज अंकित गोयल
जज अंकित गोयल जुलाई 2014 से महोबा के कुलपहाड़ में तैनात हैं। इससे पहले वह बरेली, गौतमबुद्ध नगर और फर्रुखाबाद में रह चुके हैं। फर्रुखाबाद में वह सबसे लंबी अवधि तक रहे। अंकित मूल रूप से मेरठ के रहने वाले हैं। 1978 में जन्मे अंकित गोयल ने जुडिशल सर्विस की शुरुआत 2009 में फर्रुखाबाद से की थी।

गऊ' राजनीति पशु नहीं, सियासत खतरनाक: गोविंदाचार्य


वाराणसी: कभी भाजपा के थिंक टैंक रहे गोविंदाचार्य ने गो-हत्या पर हो रही राजनीति पर क्या कहा, जानिये...
राष्ट्रवादी चिंतक एवं अखिल भारतीय गोरक्षा आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक के. एन. गोविंदाचार्य ने गोरक्षा के मुद्दे पर देश में छिड़ी बहस को दुःखदायी बताया है। गोविंदाचार्य जी ने बातचीत में कहा कि गोरक्षा के सवाल पर हो रही राजनीति देश के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि गऊ राजनीतिक पशु नहीं है जिसकी रक्षा के नाम पर राजनीति और सम्प्रदायवाद का खेल खेला जा रहा है। गाजीपुर के ढढ़नी कस्बे में आयोजित गोरक्षा सभा से लौटते हुए गोविंदाचार्य ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर संवाददाता से बात की।
गोविंदाचार्य ने स्पष्ट रूप से कहा कि गोरक्षा का मसला आस्था के साथ सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था से जुड़ा है। गोरक्षा का सवाल राजनीति और सांप्रदायिक बहस के दायरे से परे है, लेकिन वर्तमान में इसको लेकर देश भर में चल रही बहस बेबुनियाद है। गोरक्षा के सवाल पर ताजा बहस के केंद्र में वोट की राजनीति है, जिसका लाभ हर कोई अपने-अपने तरीके से उठाना चाहता है।
गोरक्षा के मुद्दे का राजनीतिकरण और साम्प्रदायिकरण देश के लिए खतरनाक
गोविंदाचार्य ने कहा कि गोरक्षा के सवाल पर राजनीति करने वाले अंग्रेजों की नीति के पोशक हैं। पहली बार देश में गाय के सवाल राजनीति और संप्रदाय से जोड़ने का काम अंग्रेजों ने सन 1860 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद किया। उन्होंने कहा कि 1857 स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दू और मुसलमानों की एकता से अंग्रेज घबरा गए थे। लम्बे समय तक भारत पर राज करने लिए हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ना अंग्रेजों के लिए जरूरी था। इसलिए उन्होंने अपने कत्लखानों में मुसलमानों को जबरदस्ती काम पर लगाया।
भारत में कत्लखानों की शुरुआत अंग्रेजों ने की
इतिहासकार धर्मपाल के हवाले से गोविंदाचार्य ने बताया कि देश में पहला कत्लखाना रॉबर्ट क्लाइव ने 1760 में बंगाल में शुरू किया। जिसमें प्रतिदिन लगभग तीस हजार, वर्ष में लगभग एक करोड़ गौवंश का क़त्ल किया जाता था। इस कत्लखाने की शुरुआत से पहले क्लाइव ने एक अध्ययन कराया था। जिसकी रिपोर्ट के मुताबिक भारतीयों को कृषि कार्य से अलग किये बिना अंग्रेजी कारखानों का माल बिकना संभव नहीं था। और खेती से भारतीय समाज को अलग करने के लिए गौवंश को खेती की व्यवस्था से हटाना जरूरी था। इसी नीति के तहत कत्लखाने खोले गए, जिसमें से निकले गोमांस का सेवन अंग्रेज करते थे।
मुगलकाल में कम होता था गोवंश का क़त्ल
गोकशी और मुसलमानों की संलिप्तता के सवाल पर गोविंदाचार्य ने कहा कि अंग्रजों से पहले भी गोवंश का क़त्ल हुआ लेकिन उसकी मात्रा बहुत कम थी। मुगलकाल में यदा-कदा ही गोवंश का क़त्ल होता था। वर्ष में अधिकतम 20 हजार गोवंश का क़त्ल होता था। ज्यादातर मुस्लिम शासकों ने गोकशी पर प्रतिबन्ध लगा रखा था।
गोरक्षा के लिए करनी होगी सार्थक पहल
गोविंदाचार्य ने कहा कि गोरक्षा के लिए सार्थक पहल की जरूरत है। एक तरफ सरकारी सहयोग चाहिए तो दूसरी ओर सामाजिक प्रयास। सरकार गोवंश की तस्करी, उसकी हत्या पर प्रतिबन्ध तो लगाये ही, साथ ही सामाजिक पहल करते हुए गोपालन पर जोर देना होगा। दैनिक जीवन और खेती में फिर से गो-उत्पादों के उपयोग से गाय का हमारे जीवन में महत्व बढ़ जायेगा।

दिल्ली: स्याही फेंके जाने के बाद PM से मिलने पर अड़े MLA राशिद

 

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के इंडिपेंडेंट एमएलए इंजीनियर राशिद पर सोमवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में स्याही फेंकी गई। यह घटना उस वक्त हुई जब वे बीफ रखने की अफवाह पर मारे गए ट्रक ड्राइवर जाहिद बट की फैमिली के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। इस घटना की जिम्मेदारी हिंदू सेना ने ली है। पुलिस ने स्याही फेंकने वालों को हिरासत में ले लिया है। हालांकि, इस घटना के बाद राशिद दिल्ली के जम्मू-कश्मीर हाउस के बाहर जमीन पर ही धरना देने बैठ गए। वे प्रधानमंत्री से मुलाकात करने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर में बीफ की पार्टी देने पर राशिद की बीजेपी विधायकों ने विधानसभा में पिटाई की थी।
राशिद ने क्या कहा?
हमले के बाद मीडिया से बात करते हुए राशिद ने कहा, 'हम लोग अपनी बात रखना बंद नहीं करेंगे। यह गांधी का नहीं, मोदी का देश है।'
'हिंदुओं की भावनाओं को समझने की जरूरत'
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने  बात करते हुए यह स्वीकार किया कि उनके संगठन के कार्यकर्ताओं ने इंजीनियर राशिद पर स्याही फेंकी है। उन्होंने कहा, 'यह हमारा प्रतीकात्मक विरोध है, हमने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। हम इसके जरिए यह संदेश देना जाते हैं कि हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाए। जिस गाय को हम पूजते हैं अगर उसे कोई खाता है तो हिंदुओं की भावनाएं आहत होती हैं, इसे समझने की जरूरत है।' खुद को हिंदू सेना से जुड़ा होने का दावा करने वाले शख्स ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हमने राशिद पर इसलिए स्याही फेंकी क्योंकि उसने बीफ पार्टी दी थी। हम तो किसी संप्रदाय के खिलाफ ऐसा काम नहीं करते।'
क्या किया था राशिद ने?
राशिद ने जम्मू कश्मीर में एमएलए होस्टल में एक पार्टी दी थी। इस पार्टी में मेहमानों को बीफ से तैयार डिशेज परोसी गई थीं। राशिद के मुताबिक, वे लोगों को यह मैसेज देना चाहते थे कि कोई कोर्ट या विधानसभा किसी को उसकी पसंद का खाना खाने से नहीं रोक सकती। बता दें कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट राज्य में बीफ पर बैन लगा चुका है। इसे लेकर यहां विरोध भी हुआ था। विरोध करने वाले इसे धार्मिक मामलों में दखल बता रहे हैं।

अत्तहिय्यात यह एक बहुत अहम दुआ है।

क्या आप जानते है की अत्तहिय्यात जो हर नमाज
मे
पढा जाता है उसका वजूद कैसे हुआ
अत्तहिय्यात यह एक बहुत अहम दुआ है।
जब मैने इसकी हकीकत जानी तो इसकी हकीकत मेरे
दिल को छू गई ।
अत्तहिय्यात क्या है?
अत्तहिय्यात असल मेँ गुफ्तगु है आसमान मेँ
अल्लाह और
उसके रसूल के दरमियान की मेअराज के वक्त की,
के जब
हमारे नबी हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैही
वस्सल्लम
अल्लाह से मुलाकात के लिए हाज़िर हुए ।
मुलाकात के वक्त रसूलअल्लाह ने सलाम नही
किया,
और अस्सलामु अलैकूम नही कहा ।
अगर कोई अल्लाह से मुलाकात करता है तो उस
शख्स
को क्या केहना चाहीए.. दरअसल हकीकत मे हम
अल्लाह को सलाम नहीँ पेश कर सकते क्यूंकि
तमाम
सलामती अल्लाह की तरफ से है इसलिए
रसूलअल्लाह ने
अल्लाह को सलाम न करते हुए यह फरमाया:
"अत्तहिय्यातू लिल्लाही वस्सलवातू वत्तह्यीबात"
(तमाम बोल से अदा होनेवाली और बदन से अदा
होनेवाली तमाम इबादते अल्लाह के लिए है)
इसपर अल्लाह ने जवाब दिया,
"अस्सलामु अलैका या अय्यूहनबी वरहेमतुल्लाही
वबरकातूहू"
(सलामती हो तूमपर या नबी, और रहेम और बरकत
हो)
फिर नबी ने फरमाया:
"अस्सलामू अलैना वला इबादीस्साॅलेहीन"
(सलामती हो हमपर और अल्लाह आपके नेक
बन्दो पर"
[यहा गौर करो, नबी ने सलामती हो मुझपर ऐसा
नही
कहा बल्की सलामती हो "हमपर" यानी उम्मत पर
ऐसा
कहा]
यह सब वाकेआ "फरिश्तो" ने सूना और ये सब
सुनकर
फरिश्तो न अर्ज कीया:
"अश्हदू अल्लाह इलाहा इल्लल्लाहु व अश्हदु
अन्न मुहम्मदून
अब्दुहू व रसूलूहू"
(हम गवाही देते है की, अल्लाह के सिवाह कोई
इबादत
के लायक नही है और हम गवाही देते है की, हजरत
मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वस्सल्लम अल्लाह
के नेक बन्दे
और रसूल है)
मेरे अजीजों, अब सोचो के हम कितनी अहेम दुआॅ
(अत्तहिय्यात) pdhte hai

क़ुरआन का सन्देश

  
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