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20 अक्तूबर 2015

PAK की धमकी- भारत को जवाब देने के लिए हमने बना लिए छोटे एटमी हथियार

पाकिस्तान के फॉरेन सेक्रेटरी एजाज चौधरी।
पाकिस्तान के फॉरेन सेक्रेटरी एजाज चौधरी।
वॉशिंगटन. पाकिस्तान ने भारत को फिर धमकी दी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ अमेरिकी दौरे पर गए फॉरेन सेक्रेटरी एजाज चौधरी ने कहा है कि हमने भारत को जवाब देने के लिए छोटे एटमी हथियार बना लिए हैं। मंगलवार को वॉशिंगटन में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘भारत के कोल्ड-स्टार्ट डॉक्ट्रिन और हमले के खतरे से निपटने के लिए हमने छोटे एटमी हथियार डेवलप किए हैं।'' बता दें कि इससे पहले भी पूर्व प्रेसिडेंट परवेज मुशर्रफ और आर्मी चीफ राहिल शरीफ जैसे पाकिस्तान के पॉलिटिकल और मिलिट्री लीडर्स ने भारत को उकसाने वाले बयान दिए हैं।
क्या है 'कोल्ड स्टार्ट' डॉक्ट्रिन ?

> 2001 में संसद पर हमले के बाद इंडियन आर्मी ने ऑपरेशन 'पराक्रम' शुरू किया था। बॉर्डर पर इसके लिए स्पेशल प्लान बनाया गया था। लेकिन इसके बाद 2008 में मुंबई अटैक हो गया।
> इसके बाद फ्यूचर में पाकिस्तान की सरजमीं से साजिश के तहत किसी भी तरह का हमला रोकने के लिए इंडियन आर्मी ने नई पॉलिसी अपनाई।
> इस 'कोल्ड स्टार्ट' पॉलिसी के तहत आर्मी ने 'स्विफ्ट रिएक्शन' (तुरंत जवाबी कार्रवाई) की स्ट्रैटजी बनाई।
> कहा जाता है कि भारत ने 8 ऐसे इंडिपेंडेंट बैटल ग्रुप रखे हैं जो कि कभी भी रिस्पॉन्स करने की कैपिसिटी रखते हैं। पाकिस्तान के काउन्टर अटैक को रोकने के लिए कुछ घंटे के भीतर ये ग्रुप उसी की जमीन पर कार्रवाई की कैपिसिटी रखते हैं।
> इस डॉक्ट्रिन के पीछे एक सोच यह भी थी कि इंडियन आर्मी काफी बड़ी है। ऐसे में अगर पाकिस्तान की तरफ से कोई हमला होता है तो तुरंत जवाब देने के लिए छोटे ग्रुप्स होने चाहिए। इसके लिए पॉलिसी ऐसी होनी चाहिए जो जवाबी कार्रवाई के दौरान न तो पाकिस्तान की फौज को तैयार होने का कोई मौका दे, न ही भारत की पॉलिटिकल लीडरशिप को ज्यादा सोचने का वक्त दे।
एजाज ने और क्या कहा?

> एजाज ने कहा कि पाकिस्तान भारत की प्रो-एक्टिव स्ट्रैटजी का मुकाबला करने के लिए तैयार है।

> भारत के किसी भी हमले का जवाब देने के लिए हमने एटमी हथियार बनाए हैं।

> फिलहाल पाकिस्तान अमेरिका के साथ कोई न्यूक्लियर डील नहीं करने जा रहा है।
पाकिस्तान के परेशान होने की क्या ये हैं तीन वजहें?
पाकिस्तानी आर्मी ने अगस्त के आखिर में अपने मुल्क की पार्लियामेंट्री कमेटी के सामने कहा था कि उसके लिए देश के बाहर भारत के अलावा कोई और खतरा नहीं है। पाकिस्तानी आर्मी लगातार भारत की हथियारों की खरीदी से भी परेशान नजर आ रही है।
1. भारत हथियारों की खरीद में सबसे आगे
> भारत ने पिछले कुछ सालों में 6,31,700 करोड़ रुपए (100 बिलियन USD) के हथियार खरीदे हैं।
> अखबार डॉन की खबर के मुताबिक, भारत ने 80% हथियार पाकिस्तान को टारगेट करने के लिए खरीदे हैं।
> पाकिस्तान की मिलिट्री का कहना है कि इंडियन आर्मी 'खरीददारी की होड़' में ऐसा कर रही है। बता दें कि भारत आर्म्स इम्पोर्ट के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
2. भारत का डिफेंस बजट भी पाकिस्तान से तीन गुना ज्यादा
> पिछले 10 साल में भारत ने अपनी मिलिट्री पर खर्च को भी दोगुना कर दिया है। इस साल भारत ने डिफेंस बजट 2.46 लाख करोड़ रुपए (40.07 बिलियन USD) रखा है।
> यह पाकिस्तान से तीन गुना ज्यादा है। पाकिस्तान का डिफेंस बजट 78 हजार करोड़ रुपए है।
> भारत के पास नेवी वॉरशिप और टैंक भी पाकिस्तान से करीब-करीब तीन गुना ज्यादा हैं।
3. हर जंग में पाकिस्तान ने भारत से मुंह की खाई
> पाकिस्तान ने 1947 के संघर्ष, 1965 और 1971 की जंग और 1999 में कारगिल वॉर में भारत से करारी हार का सामना किया है।
> पाकिस्तान जानता है कि वह जंग में कभी भी भारत से नहीं जीत सकता।
तीन साल पहले पाकिस्तान के पास भारत से 10 न्यूक्लियर बम ज्यादा थे
> बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट ने मार्च में जारी अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि किन देशों के पास कितने न्यूक्लियर बम हैं।
> रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के पास 110 न्यूक्लियर बम हैं, जबकि भारत के पास 100 बम हैं। हालांकि, ये आंकड़े 2012 के मुताबिक बताए गए थे। तीन साल में हालात कितने बदले हैं, इस बारे में कोई आंकड़ा नहीं है।
देश न्यूक्लियर बम
भारत 90-100
पाकिस्तान 100-110
चीन 250
अमेरिका 7300
रूस 8000

महानिरीक्षक कोटा रेंज विशाल बंसल ने आज हिंदी पाक्षिक टू डे आई पत्रिका के प्रकाशन स्मार्ट सिटी अजमेर ,,,,,गांधी और स्वच्छता दो अलग अलग पुस्तको का विमोचन किया

पुलिस महानिरीक्षक कोटा रेंज विशाल बंसल ने आज हिंदी पाक्षिक टू डे आई पत्रिका के प्रकाशन स्मार्ट सिटी अजमेर ,,,,,गांधी और स्वच्छता दो अलग अलग पुस्तको का विमोचन किया ,,,टू डे आई,,,के प्रबंध संपादक डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ,,,संपादक एवं विधि सलाहकार एडवोकेट अख्तर खान अकेला ,,,विज्ञापन प्रबंधक के डी अब्बासी सहित कई पत्रकार और सुचना जनसम्पर्क अधिकारी इस कार्यक्रम में मौजूद थे ,,,पुलिस महानिरीक्षक कोटा रेंज विशाल बंसल ने दोनों मेगज़ीन के अवलोकन के बाद प्रकाशन की प्रशंसा करते हुए कहा के वर्तमान में स्वछता अभियान को देखते हुए गांधी से जुडी यह पुस्तक समाज के लिए विशेष प्रेरक रहेगी ,,उन्होंने स्मार्ट सिटी अजमेर पर प्रकाशित पुस्तक के बाद ,,कोटा स्मार्ट सिटी ,,पुस्तक के प्रकाशन का सुझाव भी दिया ,,,,,,,,,,,,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ,,एडवोकेट अख्तर खान अकेला ,,अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष रघु गौतम , संयुक्त ,जनसम्पर्क निदेशक कोटा हरिओम गुर्जर ,,सहायक जनसम्पर्क अधिकारी श्रीमती रचना ,,अखिलेश बेगरी ने विशाल बंसल का स्वागत किया ,,,,,,,,पुलिस महानिरीक्षक कोटा ने दोनों पुस्तक प्रकाशन पर संपादक मंडल ,,प्रकाशक और सभी साथियो को मुबारकबाद देते हुए इसे एक अच्छी पहल बताया ,,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने पूर्व में प्रकाशित पुस्तक ,,पत्रकारिता और समाज ,,,कृषि ,,प्रकाशन भी अवलोकन के लिए आई जी कोटा रेंज को दिए ,,,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल सेवानिवृत्त जनसम्पर्क संयुक्त निदेशक रहे है ,,वोह लेखक भी है ,,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने राजपुताना पुलिस को लेकर ही शोध कार्य करते हुए डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है ,, संपादक एडवोकट अख्तर खान अकेला पत्रकार ,,लेखक ,,वरिष्ठ वकील ,,समाजसेवक ,,मानवाधिकार कार्यकर्ता ,,चिंतक ,,,विश्लेषक ,,सोशल मिडिया एक्टिविस्ट भी है ,,,वरिष्ठ पत्रकार के डी अब्बासी ,,स्वतंत्र पत्रकार और सहारा समाचार पत्र के संवाददाता भी है ,,,,,,,,अनौपचारिक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रसिद्ध चित्रकार अखिलेश बेगरी ,,,पत्रकार शाकिर अली ,,, संयुक्त निदेशक जनसम्पर्क हरी ओम गुर्जर ,,जनसम्पर्क अधिकारी श्रीमती रचना ,,, अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष रघु नंदन गौतम ,,,पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी अब्दुल सलाम अंसारी ,,,पूर्व सुचना जनसम्पर्क अधिकारी हेमंत पाराशर ,,,एडवोकेट रेखा देवी ,,आशा मल्लाह ,,सचिन ओझा ,,सहित कई पत्रकार ,,साहित्यकार शामिल थे ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मेरे खिलाफ,,,,,,

मेरे खिलाफ मेरे दोस्त जब साज़िशें रचते है ,,मेरे अपने मेरे खिलाफ बोलते है ,,मुझे धोखा देते है ,,मेरे पीछे से मेरे खिलाफ मेरे अपने ,मेरे अपनों को भड़काते है ,,बहकाते है ,,,चुगली करते है ,,,,,,मेरा अपमान करते है ,,लेकिन अल्लाह जब कुछ हालत बनाकर उन्हें जब मेरे सामने उनकी उन घिनोनी हरकतों को भुलाकर मेरे पास मदद के लिए भेजता है ,,तो में उनसे नाराज़ नहीं होता ,,उनसे उनकी हरकतों की शिकायते नहीं करता ,,मेरी हैसियत में जो भी है वोह में उनके लिए करने से इंकार नही करता ,,में उन्हें माफ़ कर देता हूँ ,,सच जब यह लोग मेरी बुराई करते है ,,मेरे अपने इनकी आवाज़े टेप कर मुझे सुनाते है ,,,इनकी हरकते बताते है तब भी मुझे गुस्सा नहीं आता ,,तरस आता है और मेरे मुंह से सिर्फ यही निकलता है ,,अल्लाह इन्हे माफ़ करना ,,और जब यह मेरे सामने मदद को आते है ,,,तो में इन्हे माफ़ कर इनकी मदद बिना किसी लालच के करता हूँ ,,तो यक़ीनन मेरे कई दोस्त मेरी बुराई करने वालो के साथ मेरे इस माफ़ी के व्यवहार पर नाराज़ होकर मुझे बेवक़ूफ़ समझते है ,,मुझे उलाहना देते है ,,लेकिन सच और कड़वा सच यह है मेरे दोस्तों के माफ़ी की इस तहज़ीब से अल्लाह मुझे सुकून देता है ,,ऐसा सुकून जो शायद किसी को जन्नत में भी ना मिलता होगा ,,माफ़ कर देने के इस सुकून से मेरा सीना फूल जाता है ,,दिमाग में ठंडक होती है ,,चेहरे पर मुस्कान होती है और मिजाज़ में सुकून ही सुकून होता है ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कभी तुम नहीं मिलते

तुमसे बहुत कुछ कहना है मगर
कभी तुम नहीं मिलते कभी अल्फाज नहीं मिलते
ये दूरी तो मिटा दूँ में इक पल में मगर
कभी कदम नहीं चलते तो कभी रास्ते नहीं मिलते
तुम्हें पाना चाहती हूँ उमर भर के लिए मगर
कभी हालात नहीं मिलते तो कभी जज्बात नहीं मिलते

एक कश्मकश

एक कश्मकश मेरे दिमाग में स्वदेशी और विदेशी के मामले में आदरणीय सम्मानीय प्रधानमंत्री महोदय नरेंद्र मोदी के उस बयांन के बाद मेरे मन में है ,,जिसमे आदरणीय नरेंद्र मोदी सर ने त्योहारो के दौरान किसी भी तरह की विदेशी सामग्री का उपयोग नहीं कर स्वदेशी सामानो के इस्तेमाल की ही अपील की है ,,नरेंद्र मोदी सर की यह अपील स्वागत योग्य है ,,,,लेकिन दूसरी तरफ यही नरेंद्र मोदी सर ,,विदेशियो और विदेशी सामान से नफरत करने वाले कांग्रेस के नेता लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के विचारो के खिलाफ उनकी मूर्ति भारत से दूर ,,भारत की ज़मीन दबाने वाले चीन में बनवाई जा रही है ,,,क्या भारत में अष्ठ धातु नहीं ,,क्या भारत में मूर्ति बनाने वाले कारीगर नहीं ,,क्या भारत में कलाकार नहीं ,,मज़दूर नहीं ,,,भारत में क्या नहीं है ,,जो देश के सिद्धांतो के खिलाफ स्वदेशी आंदोलन के समर्थक वल्ल्भ भाई पटेल की मूर्ति विदेश में बनवाई जा रही है ,,में तो माथा पच्ची करके पच गे मुझे तो कोई जवाब नहीं मिला ,,आपको कोई जवाब मिले तो प्लीज़ मुझे बताइए ज़रूर और दीपावली की सजावट में अगर चाइना की लाइट दिखे तो ऐसे लोगों को समझाइये ज़रूर ,,,,,,,,,,,,,,,,,,दोहरी बात ,,विरोधाभासी बात ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राहे-हक़ की राह दिखा रही हैं बहन फ़िरदौस ख़ान


-अख़्तर ख़ान अकेली
जी, हां फ़िलहाल फ़िरदौस ख़ान क़ुरआन करीम का आम फ़हम ज़ुबान में तर्जुमा कर रही हैं, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग क़ुरआन को पढ़ सकें, समझ सकें और उन तक क़ुरआन का पैग़ाम पहुंच सके. मूल तर्जुमा आलिमों का ही है. इसे उनके रूहानियत से लबरेज़ बलॉग राहे-हक़ पर देखा जा सकता है.

फ़िरदौस ख़ान पेशे से पत्रकार,मिज़ाज से शायरा और लेखिका और दर्शन से सूफ़ी हैं. यही सब पहचान है मेरी बहन फ़िरदौस की, जिसे हम पत्रकार कहें, साहित्यकार कहें, लेखिका कहें, कवयित्री कहें, समाज सुधारक कहें या फिर इंसानियत और हक़ की अलम्बरदार कहें, क्या कहें. कुछ समझ नहीं आता. बस बहन फ़िरदौस अपनी अपनी क़लम लेकर  इस्लाम की एक बेहतरीन सोच के साथ देश में चैन-अमन, एकता और अखंडता, मानवता का पैग़ाम देने निकली हैं. पैसा कमाना इनका मक़सद नहीं. समाज सुधारना, हिन्दुस्तान की नई तस्वीर बनाना इनका अपना मक़सद है. ब्लॉगिंग की दुनिया में मेरे आगमन से ही यह मेरे साथ हैं. इनके समाज सुधार के रवैये से कई लोग इनसे नाराज़ हैं. फिर भी मैं गौरान्वित हूं कि बहन फ़िरदौस एक महिला, मुस्लिम महिला होकर सामाजिक सुधार, इंसानियत की अलमबरदारी में, प्रमुख साहित्यकारों के बीच एक अच्छे इंसान के रूप में अव्वल, सबसे अव्वल हैं.

फ़िरदौस ख़ान अपने बारे में ख़ुद लिखती हैं- "मेरे अल्फ़ाज़ मेरे जज़्बात और मेरे ख़्यालात की तर्जुमानी करते हैं, क्योंकि मेरे लफ़्ज़ ही मेरी पहचान हैं." यह सच भी है. वह लिखती हैं और असमानता, मज़हबी और जातिगत भेदभाव, नफ़रत के ख़िलाफ़. वह एक जीवंत दर्शन देती हैं. फ़िरदौस बहन कहती हैं- "क़ुदरत किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करती. सूरज, चांद, सितारे, हवा, पानी, ज़मीन, आसमान, पेड़-पौधे मज़हब के नाम पर किसी के साथ किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं करते. जब कायनात की हर शय सबको बराबर मानती है, तो फिर ये इंसान क्यों इतना नीचे गिर गया कि इसके गिरने की कोई हद ही न रही. इंसान को ख़ुदा ने अशरफ़ुल मख़लूक़ात बनाकर इस दुनिया में भेजा था, लेकिन इसने अपनी ग़र्ज़ के लिए इंसानों को मज़हबों में तक़सीम करके रख दिया. फिर ख़ुद को आला समझना शुरू कर दिया और दूसरों को कमतर मानने लगा. उनसे नफ़रत करने लगा, उनका ख़ून बहाने लगा.ऐसे इंसानों से क्या जानवर कहीं बेहतर नहीं हैं, जो मज़हब के नाम पर किसी से नफ़रत नहीं करते, मज़हब के नाम पर किसी का ख़ून नहीं बहाते."
वह कहती हैं- "लोग अकसर शिजरे की बात करते हैं. हमारा ताल्लुक़ फ़लां ख़ानदान से है, उसका फ़लां से है. हम आला ज़ात के हैं और फ़लां कमतर ज़ात का है. हमारा एक ही जवाब है- हमारा ताल्लुक़ हज़रत आदम अलैहिस्सलाम है, जो जन्नत में रहा करते थे. हम ही क्या दुनिया के हर इंसान का ताल्लुक़ हज़रत आदम अलैहिस्सलाम है. इसलिए ख़ुद को आला और दूसरे को कमतर समझना अच्छी बात नहीं है."

फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से जाना जाता है. वह पत्रकार, शायरा और कहानीकार हैं. वह कई भाषाओं की जानकार हैं. उन्होंने दूरदर्शन केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं. उन्होंने अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों का संपादन भी किया. ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर उनके कार्यक्रमों का प्रसारण होता रहा है. उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनलों के लिए भी काम किया है. वह देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार व फीचर्स एजेंसी के लिए लिखती रही हैं. उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल संपादन और लेखन के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों ने नवाज़ा जा चुका है. वह कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी वह शिरकत करती रही हैं. कई बरसों तक उन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम भी ली. उर्दू, पंजाबी, अंग्रेज़ी और रशियन अदब (साहित्य) में उनकी ख़ास दिलचस्पी है. वह मासिक पैग़ामे-मादरे-वतन की भी संपादक रही हैं और मासिक वंचित जनता में संपादकीय सलाहकार हैं. वह स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं. 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' नाम से उनके दो न्यूज़ पॉर्टल भी हैं. 
वह रूहानियत में यक़ीन रखती हैं और सूफ़ी सिलसिले से जुड़ी हैं. उन्होंने सूफ़ी-संतों के जीवन दर्शन पर आधारित एक किताब 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' लिखी है, जिसे साल 2009 में प्रभात प्रकाशन समूह ने प्रकाशित किया था. वह अपने पिता स्वर्गीय सत्तार अहमद ख़ान और माता श्रीमती ख़ुशनूदी ख़ान को अपना आदर्श मानती हैं. हाल में उन्होंने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम का पंजाबी अनुवाद किया है. क़ाबिले-ग़ौर है कि सबसे पहले फ़िरदौस ख़ान ने ही कांग्रेस के उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी को ’शहज़ादा’ कहकर संबोधित किया था, तभी से राहुल गांधी के लिए ’शहज़ादा’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है. 

वह बलॉग भी लिखती हैं. उनके कई बलॉग हैं. फ़िरदौस डायरी और मेरी डायरी उनके हिंदी के बलॉग है. हीर पंजाबी का बलॉग है. जहांनुमा उर्दू का बलॉग है और द पैराडाइज़ अंग्रेज़ी का बलॉग है.  राहे-हक़ उनका रूहानी तहरीरों का बलॉग है.    राहे-हक़ रूहानियत पर आधारित है. वह कहती हैं- " इस बलॊग का मक़सद रूहानी सफ़र पर ले जाना है. एक ऐसा सफ़र, जिसकी मंज़िल सिर्फ़ और सिर्फ़ दीदारे-इलाही है. ’राहे-हक़’ कुल कायनात के लिए है. इस बलॊग में सबसे पहले अल्लाह की पाक किताब क़ुरआन को शामिल किया गया है. क़ुरआन का  इंग्लिश तर्जुमा दिया गया है. हमारी कोशिश है कि हम अलग-अलग भाषाओं में क़ुरआन के तर्जुमे को इसमें शामिल करें. हमने क़ुरआन करीम को आम ज़ुबान में पेश करने की कोशिश की है. कुछ सूर: के आसान तर्जुमे को ’राहे-हक़’ पर पढ़ा जा सकता है. हमारी कोशिश है कि अल्लाह के प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद सलल्ललाहु अलैहि वसल्लम, अल्लाह के नबियों और वलियों की ज़िन्दगी के वाक़ियात भी पेश करें. इबादत से वाबस्ता इल्म, मसलन नूरानी रातें, दुआओं की फ़ज़ीलत और सुनहरे अक़वाल भी इसमें शामिल करें. फ़िलहाल यह एक शुरुआत है और सफ़र बहुत लंबा है. "
वाक़ई, राहे-हक़ अपनी तरफ़ खींचता है. 
बहन फ़िरदौस ज्ञान का समुन्दर हैं, तो समझिए उनका व्यवहार कितना पुरख़ुलूस, पुर कशिश होगा. 
वह अनुभव के आधार पर कहती हैं- कुछ लोग यूं ही शहर में हमसे भी ख़फ़ा हैं, हर एक से अपनी भी तबियत नहीं मिलती. यह कड़वा सच उनके दोस्त, उनके दुश्मनों के लिए एक पैग़ाम भी है. 
राहे-हक़ का लिंक

क़ुरआन का सन्देश

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