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22 अक्तूबर 2015

में तो रावण का पुतला हूँ

में तो रावण का पुतला हूँ बेईमानो के हाथो जल गया ,,,तुम ही बताओ मुझे यूँ जलाने से क्या अब ,,बलात्कार ,,व्यभिचार ,,भ्रष्टाचार ,,मुनाफाखोरी ,,ठगी ,,बेईमानी ,,नफरत ,,हिंसा ,, ज़िंदा जलाने ,,निहत्थे निर्दोषो को मारने ,,,की घटनाये नहीं होंगी ,,क्या यह घटनाये बंद हो जाएंगी ,,अरे दीवानो क्यों बेवक़ूब बनते हु ,,क्यों दूसरों को बेवक़ूफ़ बनाते है ,,,,खुद के अंदर का रावण मारो ,,,,खुद के अंदर तो रावण रखते हो और दिखावा राम बनने का करते हो ,,फिर भी शर्म तुम को नहीं आती ,,मुझे जला कर ,,खुद जश्न मनाते हो ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

,इंसान बनाने की सीख देने वाले त्यौहार

इबादत ,,त्याग ,,तपस्या ,,,इंसान बनाने की सीख देने वाले त्यौहार ,,,रमज़ान ,,,ईद ,,क़ुरबानी का त्यौहार बक़राइद ,,नवरात्रा ,,विषयदशमी ,,मोहर्रम सभी त्यौहार हो गए ,,सभी धर्म के लोगों ने इन त्योहारो को त्याग ,,समर्पण भाव से मनाया ,,लेकिन हम हिन्दू के हिन्दू ही रहे ,,हम मुसलमान के मुसलमान ही रहे ,,या यूँ कहें के हम हिन्दू ,,हम मुसलमान भी नहीं रहे ,,,,इंसान बनना तो दूर की बात ,,ऐसी धार्मिक शिक्षा ,,ऐसे धार्मिक त्यौहार मनाने का फिर हम दिखावा क्यों करते है ,,मेरे हिन्दुस्तान को महान बनने के लिए ऐसे लोगों की ज़रूरत नहीं इंसानो की ज़रूरत है ,सो प्लीज़ मर्यादा पुरुषोत्तम राम की शिक्षा से कुछ सीखो ,,हुज़ूर स अ व की इबादत ,,हदीस से कुछ सीखो और इंसान बन जाओ ना प्लीज़ ,,मेरे भारत को महान बनाओ ना प्लीज़ ,,सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा बनाओ ना प्लीज़ ,,प्लीज़ प्लीज़ ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

MP: पूजा के दौरान दबंग ने काटे पुजारी के दोनों हाथ, तड़पता छोड़ भागे लोग; मौत

मृतक पुजारी और कटा पंजा।
मृतक पुजारी और कटा पंजा।
मनासा (इंदौर). नीमच के नजदीक मनासा के मेरियाखेड़ी में बुधवार रात करणीमाता के मंदिर में महा अष्टमी के हवन के समय एक दबंग ने धारदार हथियार से पुजारी के दोनों हाथ काट दिए। घटना के समय मंदिर में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, लेकिन पुजारी की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। इस दौरान पूरे मंदिर में खून ही खून फैल गया। बाद में पुजारी के परिवारवाले उन्हें लेकर अस्पताल पहुुंचे, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। 
 
क्या है मामला?
मेरियाखेड़ी में करणीमाता का एक प्राचीन मंदिर है। बुधवार रात 8 बजे के आसपास मंदिर के पुजारी रवींद्र पिता रामनाथ पांडे (65) हवन करने के लिए अपने गांव चचौर से आए थे। वे हवन करने की तैयारी कर रहे थे। इसी दौरान यहीं का दबंग भंवर सिंह तलवार लेकर मंदिर में दाखिल हुआ और उनसे झगड़ा करने लगा। वे कुछ कह पाते इससे पहले ही उसने तलवार से पुजारी के दाहिने हाथ पर वार किया, जिससे उनका पंजा कटकर जमीन पर जा गिरा। फिर उसने दूसरा वार दूसरे हाथ पर किया, जिससे उनकी उंगलियां कट कर दूर जा गिरी। घटना के बाद पूरा मंदिर परिसर में खून से सन गया। आरोपी भंवर सिंह हमले के बाद वहां से भाग निकला। करीब दो घंटे तक खून से लथपथ पुजारी मंदिर के भीतर ही तड़पते रहे। वे दर्द से कराहते रहे और मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन उनकी मदद को कोई आगे नहीं आया। सूचना पर उनका परिवार मौके पर पहुंचा और उन्हें मनासा के सरकारी अस्पताल ले गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। 
 
क्या था विवाद?
रवींद्र पांडे का परिवार सालों से मेरियाखेड़ी में माता की पूजा करता आ रहा था। उन्हें करीब दो बीघा जमीन मेरियाखेड़ी में मिली थी। भंवर सिंह पिता नाथूसिंह ने इस जमीन पर कब्जा कर लिया था। इसे लेकर पुजारी परिवार के साथ कई सालों ने उसका विवाद चल रहा था। इस दौरान पुजारी परिवार ने कई बार पुलिस को मामले में शिकायत भी दर्ज करवाई थी, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
 
सूचना के बाद भी नहीं पहुंची पुलिस
पुजारी पर हमले की सूचना करीब 9 बजे कुकड़ेश्वर पुलिस को दे दी गई थी, लेकिन उसके बाद भी पुलिस ने मौके पर पहुंचने की जहमत नहीं उठाई। वह सीधे मनासा के सरकारी अस्पताल पहुंची। तब तक पुजारी की मौत हो चुकी थी।

राजस्थान में महिलाओ को इंसाफ और मान सम्मान दिलवाने को लेकर सुमन शर्मा के सामने कड़ी चुनौतियां है

राजस्थान में भाजपा की पूर्व प्रवक्ता श्रीमती सुमन शर्मा को राजयमहिला आयोग का सदस्य बना तो दिया है ,,लेकिन राजस्थान में महिलाओ को इंसाफ और मान सम्मान दिलवाने को लेकर उनके सामने कड़ी चुनौतियां है ,,कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सुमन शर्मा महिला उत्पीड़न के जो मामले उठाती रही है अब उन्हें खुद को महिलाओ की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी मिलने पर वोह कैसे निभा पाएंगी यह वक़्त ही बताएगा ,,सुमन शर्मा यूँ तो सहज ,,सरल ,,प्रबुद्ध ,,खुशमिजाज़ महिला नेत्री है वोह बहुुमुखी प्रतिभा की धनि है ,,एक तरफ तो वोह मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया की विश्वसनीय है दूसरी तरफ उनके दिल में महिला उत्पीड़न का दर्द और उनके निराकरण की पुख्ता कार्य योजना है लेकिन इतीहास गवाह है ,,जो मुख्यमंत्री के निकटतम होता है अव्वल तो प्रमुख पद उसे ही मिलते है ,,लेकिन मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारियो और उत्पीड़न करने वालो के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पाने से वोह हीरो से ज़ीरो हो जाता है ,,,यहां भी सुमन शर्मा को अब शायद पहली बार ज़मीर से समझोता करके कई मामलों में नरम रुख अपनाने से ,,या चुप्पी साधने से अपनी पुरानी साख की किरकिरी होता देखना पढ़े ,,,,,,,,,,,,,सुमन शर्मा अनुभवी महिला है वोह लगातार राजस्थान की महिलाओ से सीधी जुडी रही है ,, भाजपा महिला की अध्यक्ष होने के कारण सुमन शर्मा महिलाओ की समस्याओ और उनके समाधान से खूब परिचित है और उनके पास महिलाओ की सुरक्षा ,,कल्याण के भी महत्वपूर्ण सुझाव है ,,,राजस्थान में दहेज़ प्रताड़ना ,,दहेज़ हत्या ,,महिलाओ का योन उत्पीड़न ,,छेड़छाड़ की तो आम घटनाये है ही सही ,,साथ ही कामकाजी महिलाओ की सुरक्षा उनकी सरकारी ड्यूटी के वक़्त उनसे अनावश्य दूसरे काम लेकर उन्हें प्रताड़ित करने की आम शिकायते है ,,गांव में औरतों को डायन बताकर आज भी पीटा जाता है ,,दहेज़ के लिए कई शादियां नहीं हो पाती है ,,कई बहुए प्रताड़ित होती है ,,महिला थानो में मुक़दमे दर्ज नहीं होते है ,,अगर दर्ज हो जाते है तो तफ्तीश के नाम पर आरोपियों को बचाने की आम शिकायते है ,,राजपूत और मुस्लिम महिलाओ को फरियादी और गवाह होने पर भी थाने पर तफ्तीश के नाम पर अनावश्यक बुला कर प्रताड़ित करने की आम शिकायते है ,,मुस्लिम महिलाओ के महर हड़पने की आम कहानी है ,,,बाल विवाह ,,घरेलु हिंसा रुक नहीं रहे है ,,घरेलू हिंसा क़ानून बन तो गया लेकिन ,,इसे पूरी तरह से आज तक लागू नहीं किया जा सका है ,,दहेज़ प्रतििषेध अधिकारियो की नियुक्ति नहीं है ,,,घरेलू हिंसा क़ानून के तहत प्रोटेक्शन ऑफिसर पृथक से तैनात नहीं किये गए है ,,पृथक से घरेलू हिंसा की अदालते नहीं खोली गई है ,,गाँव में और कई समाजो में आज भी महिलाओ को नाता प्रथा के नाम पर खरीदा बेचा जा रहा है ,,,,,,,,,कुल मिलाकर महिलाओ के न्याय और कल्याण के लिए सरकार को बहुत कुछ करना बाक़ी है ,,,पुलिस में महिला अधिकारियो और महिला सिपाहियों की स्थिति अजमंजस की है ,,,,,,,सियासत के नाम पर महिलाओ के शोषण की बात खुद मंत्री स्वीकारने लगे है ,,,,ऐसे में जब महिला आयोग की एक मात्र अध्यक्ष नियुक्त हुई है ,,पूरी टीम जिसमे महिला समस्याओ की जानकार ,,समाजसेविका ,,कानूनविद हो उनकी नियुक्ति अभी तक नहीं की गई है ,,आयोग अकेली अध्यक्ष से नहीं चलता पुरे सदस्यों और सचिव के गठन के साथ ही आयोग का गठन होता है ऐसे में अकेली सुमन शर्मा कहने को तो राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष है लेकिन विधिक रूप से किसी समस्या को सुनने ,,प्रसंज्ञान लेने ,,सम्मन कर जवाब तलब करने की क़ानूनी स्थिति में नहीं है ,,मंत्री दर्जा ,,भत्ता ,,वेतन ,,सर्किट हाउस सुविधा ,बैठको के नाम पर सेर सपाटे तो खूब मिल जाएंगे लेकिन बिना पूर्ण आयोग के गठन के कुछ भी किया जाना सम्भव नहीं है ,इसलिए कहते है के सुमन शर्मा के समक्ष अभी उनके इस पद को उनकी ख्याति के तहत निर्वहन करने में कढ़ी चुनौतियों का सामना करना पढ़ेगा ,,,और इनकी छवि अगर इस काम में धूमिल हुई तो इनका सियासी भविष्य भी धूमिल होने की संभावना है इसलिए सुमन शर्मा को इस कांटो के ताज को पहनकर सावधानी ,कड़ी महनत ,,ईमानदारी से काम करना है ,,क्योंकि सावधानी हठी और दुर्घटना घाटी ,,राजस्थान में राष्ट्रिय महिला आयोग से जुडी पूर्व अध्यक्ष श्रीमती ममता शर्मा ,,यासमीन अबरार ,,सुश्री गिरजा व्यास की कार्यशैली भी अनुकरणीय है इसलिए आम जनता उनके कार्य से भी इनके कार्य की तुलना कर देखेगी ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मैं भी ढ़ूंढ रहा था कि मेरे पास कोई गाली की डिक्शनरी हो.,,,,

नई दिल्ली: एबीपी न्यूज़ के लाइव शो
साहित्यकार बनाम सरकार के दौरान उर्दू के
सबसे लोकप्रिय शायर मुनव्वर राना ने अपना
साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिया,
जिस वक़्त उन्होंने अवॉर्ड लौटाने का
एलान किया उस समय न्यूज़रूम में देश के 14
बड़े साहित्यकार, लेखक और कवि मौजूद थे
जिनमें कई अपने अवॉर्ड लौटा चुके हैं.
पढ़ें किन शब्दों और दर्द के साथ मुनव्वर
राना ने लाइव शो में अवॉर्ड लौटाने का
एलान किया.
अवॉर्ड लौटाने के दौरान की बातें
मुनव्वर राना की जुबानी:-
मैंने सोचा कि मैं ज़रा सुन लूं लोगों की
बातें, क्योंकि मेरे लिए बोलना बड़ा
मुश्किल काम है, इसलिए कि कोई
कम्युनिस्ट पार्टी का बताया जा रहा
है...कोई कांग्रेस का बताया जा रहा है...
बदकिस्मती से हम मुसलमान भी हैं. हम कुछ
बोलेंगे तो फौरन पाकिस्तानी बता दिये
जाएंगे. फौरन कहा जाएगा कि आप अब
पाकिस्तान चले जाइए. अभी बिजली के
तार इस मुल्क में जुड़ नहीं पाए...मुसलमानों
के तार दाउद इब्राहिम से जोड़ दिए जाते हैं.
मेरे कहने का मतलब यह है कि मैंने आजतक
अवॉर्ड वापस नहीं किया था, लेकिन मैंने
यह बात कही थी कि जो प्रोटेस्ट कर रहे हैं
हम उनके साथ हैं...लेकिन, प्रोटेस्ट का अपना
एक तरीका होता है. मैंने यह शेर भी फेसबुक
पर डाला था कि....
ए शकेब अपने तआरुफ़ के लिए ये बात काफी
है, हम उससे बच के चलते हैं जो रास्ता आम हो
जाए.
मैं शर्मिंदा हूं कि इतने बड़े-बड़े साहित्यकारों
के बीच में मुझे कुछ बोलना पड़ रहा है. मेरा
खयाल तो यह था कि आज ये जो बहस हो
रही है इसमें एक फैसला यह होता कि जैसे
अभी बिहार के चुनाव में लालू जी के पास
एक गाली की डिक्शनरी है. मेरे पास करीब
डेढ़ सौ डिक्शनरी है...तो मैं भी ढ़ूंढ रहा था
कि मेरे पास कोई गाली की डिक्शनरी हो.
लेकिन गाली कोई मिली नहीं. हां एक
डिक्शनरी मुझे जरूर मिली जिसमें आतंक के
मायने क्या हैं ये लिखे हुए हैं.
जिस दिन अखलाक का कत्ल हुआ था, मैं
दोहा के मुशायरे में था. वहां लोगों ने मुझे
बताया...वहां बहुत से पाकिस्तानी भी
थे...सब थे. सब लोगों ने जानना चाहा कि
मेरा इस पर मैं क्या कहना है? लेकिन दाग
देहलवी का शेर है-
नज़र की चोट जिगर में रहे तो अच्छा है... ये
बात घर की है, घर में रहे तो अच्छा है.
वहां मैंने कुछ बात नहीं की. यहां मैं आया
आने के बाद फेसबुक पर मैंने यह लिखा कि ये
एक आतंकी हमला था. मुझ पर इतनी
गालियां पड़ी कि मुझे फेसबुक से अपना
बयान हटाना पड़ा. मैं सिर्फ यह पूछना
चाहता हूं, इतने साहित्याकार बैठे हुए हैं.
अगर और भी साहित्याकार हों किसी
पार्टी के हों. बीजेपी को हों, कम्युनिस्ट
के हों, विदेश से बुला लिए जाए...ये तय
किया जाए कि आतंक के मायने क्या हैं?
आजतक जिस मुल्क में यह फैसला न हुआ हो
कि आंतक के मायने क्या है. अगर एक
पटाखा कोई मुसलमान फोड़ देता है तो वह
आतंकवादी हो जाता है. ऐसे नहीं इंसाफ
हो सकता है. ये साहित्यकारों का मामला
था और मैं साहित्यकारों के साथ था.
सरकार और साहित्यकार का कोई झगड़ा
नहीं है. सरकार बेवजह परेशान है, सरकार से
कोई लेना-देना नहीं है ये तो साहित्यकारों
का अपना मामला है...भाई-भाई का झगड़ा
है. आज की तारीख में मुझे जो अवॉर्ड
मिला था उसे मैं लेकर आया हूं. ये एक लाख
का चेक साथ लेकर मैं आया हूं. आपके सामने मैं
इसे वापस कर रहा हूं. मैंने यह तय कर लिया है
कि ये जो इल्जाम आता है कि इस सरकार के
नहीं उस सरकार के चाटुकार हैं. वहां के हैं, वे
कांग्रेस के दरबार में थे तो माफ कीजिएगा
मैं रायबरेली का रहने वाला हूं. सत्ता हमारे
शहर के नालियों से बहकर दिल्ली पहुंचती
थी.
अगर मुझे ऐसा शौक होता...लिहाजा मैं यह
अवॉर्ड और ये चेक दोनों मैं एबीपी के सामने
वापस करता हूं. ये रखा हुआ है. ये एक लाख
रुपये का चेक है. मैंने इसमें किसी का नाम
नहीं भरा है. ये आप चाहे तो कलबुर्गी को
भेजवा दें या चाहे तो पनसारे को या
अखलाक को या फिर किसी भी ऐसे मरीज़
को जो अस्पताल में मर रहा हो जिसको
हुकूमत वाले न देख पा रहे हो. ये लीजिए
शुक्रिया...
एक चीज और कह रहा हूं आखिरी उम्र में हूं
बंगाल उर्दू अकादमी में मैं बीस साल तक था
मैंने कभी कोई अवॉर्ड नहीं लिया. मैंने
किसी अकादमी में अपनी किताब शामिल
ही नहीं की. मैंने शायद गलती से यह अवॉर्ड
ले लिया हो. मैं यह वादा करता हूं कि मैं
अपनी जिंदगी में कोई सरकारी अवॉर्ड
नहीं लूंगा...नीलकमल की सरकार हो,
हाथी की हो, घोड़े की हो, मर्गी की हो.
इसके अलावा मेरा बेटा भी ग़ैरतदार होगा
तो कोई सरकारी अवॉर्ड नहीं लेगा.
असल बात यह है कि हम लोग यहां जो बैठे
हुए हैं जो मुल्क में हंगामे हो रहे हैं. हमारे छोटे
भाई की तरह हैं ये पात्रा और ये राकेश
सिन्हा. ये लोग फौरन घुम के चले जाते हैं
मोदी जी. भाई मोदी जी से क्या लेना-
देना है. अगर मुल्क के हालात खराब हैं तो
उसमें हम भी शामिल होंगे एक शहरी की
हैसियत से. पूरा मुल्क उसमें शामिल है. हर
वक्त कैमरा घुम करके कहना कि मोदी जी
को बदनाम करने की साजिश है. मोदी जी
से मेरा क्या लेना-देना है. वह हमारे देश के
प्रधानमंत्री हैं.
अभी आप ये सोचिए कि खौफ का यह
आलम है कि 10 तारीख को मुझे
पाकिस्तान मुशायरे में जाना था मैं नहीं
गया...कल को ये बोल दे कि ये पाकिस्तान
से कुछ सीख कर आये हैं...तो इतनी नफरत के
माहौल को दूर करने के लिए हर शहरी भी
जिम्मेदार है और एक शहरी की तरह मोदी
जी भी जिम्मेदार हैं.

क़ुरान का सन्देश

  
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