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03 नवंबर 2015

बीफ: BJP नेता अरेस्ट, कर्नाटक के CM का सिर कलम करने की धमकी देने का आरोप

फाइल फोटो: अरेस्ट होने वाले बीजेपी नेता एसएन चन्नाबसाप्पा और कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया (दाएं)।
फाइल फोटो: अरेस्ट होने वाले बीजेपी नेता एसएन चन्नाबसाप्पा और कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया (दाएं)।
नई दिल्ली: कर्नाटक बीजेपी के नेता और शिमोगा के पूर्व पार्षद एसएन चन्नाबसाप्पा को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोप है कि उन्होंने राज्य के सीएम सिद्धारमैया का सिर कलम करने की धमकी दी थी। बीजेपी नेता ने यह बयान सीएम के बीफ को लेकर किए गए एक कमेंट पर किया था। चन्नाबसाप्पा के बयान को पुलिस ने भड़काऊ माना है। उन पर दंगे भड़काने की कोशिश करने, क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी और पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ साजिश जैसी धाराएं लगाई गई हैं।
नेता ने क्या कहा था?
बीजेपी नेता ने कथित तौर पर कहा- सीएम तानाशाही वाला रवैया दिखा रहे हैं। अगर सीएम में हिम्मत है तो वे यहां शिमोगा के गोपी सर्कल में आएं और बीफ खाकर दिखाएं। अगर सीएम ने बीफ खाया तो तलवार की धार उनकी गर्दन पर होगी। इस बात में कोई शक नहीं है कि हम उनका सिर कलम कर देंगे। क्या आप हिंदुओं की भावनाओं के साथ खेलना चाहते हैं? ऐसा करके दिखाएं। हम आपको छोड़ेंगे नहीं।
सिद्धरमैया ने क्या कहा था?
सीएम सिद्धरमैया ने केंद्र की बीफ विरोधी नीति का मजाक उड़ाते हुए बीते गुरुवार कहा था- मैंने कभी बीफ नहीं खाया है। लेकिन मैं बीफ खाऊंगा। सवाल करने वाले आप कौन होते हैं? जब कभी मेरे लिए कम्फर्टेबल होगा, मैं बीफ खाऊंगा।'' बाद में चन्नाबसाप्पा के बयान पर सीएम ने कहा, ''बीजेपी नेता ने भड़काऊ बयान दिया है। मैंने पुलिस से जांच करने को कहा है।

नरेंद्र मोदी यह क्या हुआ

नरेंद्र मोदी यह क्या हुआ ,, तुम्हे ,तुम्हारे अपनों ने ही षड्यंत्र कर हरा दिया ,,,तुम्हारे गैरों से ज़्यादा अपने दुश्मन है ,,तुम्हारी आस्तीनों में सांप पलते है ,,जिन्हे तुम राष्ट्रभक्त कहते हो वोह देश और तुम्हारे दोनों के दुश्मन है ,,इसलिए थोड़ा इंदिरा गांधी को पढ़ लो ,,अभी वक़्त है तुम्हारे पास ,,देश में बुराई ,,भ्रष्टाचार ,,अराजकता की जड़ को मूल से पकड़ लो ,,,,,,,वक़्त रहते नहीं सुधरे तो तुम्हारे यह अपने तुम्हे ,,,सफेद कपड़े के दाग की तरह ,,,,ढूंढते रह जाओगे ,,के नारे की तरह ,,देवगौड़ा ,,,वी पी सिंह ,,,,गुलज़ारी नंदा ,,,चंद्रशेखर ,,बना देंगे ,,फिर मत कहना के किसी ने पहले चेताया ही नहीं ,,,अख्तर

सम्मान लोटा कर ज़मीर वालों को जगाया जाता है

सम्मान लोटा कर ज़मीर वालों को जगाया जाता है ,,जो बेगैरत हो जाते है ,,,जिनका ज़मीर मर जाता है ,,,जो चमचो और चापलूसों से घिर जाते है ,,वोह ध्रतराष्ट्र बन जाते है ,,उन्हें इन्साफ ,,देश ,,समाज ,,राष्ट्रीयता से कोई वास्ता नहीं होता वोह पुरस्कार ,,सम्मान लौटाने के साहसिक क़दम के भी आलोचक हो जाते है और एक ज़र खरीद गुलाम की तरह पूपाडी बनकर गुलामी का राग अलाप कर देश को ग़र्क़ में ले जाते है ,,यह लोग ठीक वैसे ही एक कथा के पात्र है ,,जिसमे एक राजा को बिना कपड़ों के नंगा घुमाया जाता है ,,और जब इस राजा को निष्पक्ष लोग नंगा कहते है तो चमचे कहते है ,,नहीं आप ने कपड़े पहन रखे है ,,आपके खूबसूरत कपड़ों से यह लोग ईर्ष्या रखते है इसलिए झूंठ बोल रहे है ,,,नंगा राजा खुद का तन बदन नंगे पन से छुपाने की जगह ,,सच कहने वालों को हंटर की सज़ा देता है और झूंठ बोलकर राजा को नंगा रखने वालों की जेबे इनाम से भर देता है ,,,,उफ्फ्फ ,,,क्या आलम है ,,क्या होगा मेरे इस भारत महान का ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कब जागेगा मेरा हिन्दुस्तान ,,,,अख्तर

कांग्रेस ने निकाला मार्च, कहा-माहौल बिगाड़ रही मोदी सरकार


ऐ ज़मीर बेचने वालों

ऐ ज़मीर बेचने वालों
ऐ देश बेचने वालों
ऐ खून की होली खेलने वालों
ऐ नफरत फैलाने वालो
यह जो खून से सना
ताजो तख़्त तुम्हारे माथे पर है
इसे तो मेने
मेरे ज़मीर के खातिर
मेरे देश के खातिर
मेरे देश में अमन के खातिर
मेरे देश की आज़ादी के खातिर
मेरे देश की अखंडता के खातिर
में तो आज़ाद हिन्द के लिए
ठुकरा कर बैठा हूँ ,,,
,,,, बहादुर शाह ज़फ़र जो देश के पहले
स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने अपने तख़्त ओ ताज को
भारत की एकता अखंडता के लिए ठुकरा दिया
खुद रंगून जेल में क़ैद हुए ,,इनको नाश्ते की थाली में
दस्तरख्वान के नीचे कपड़ा ढ़क कर अंग्रेज़ों ने
आज़ादी के संघर्ष् में हिस्सेदार होने का दंड
इनके जवान बेटों के सर काट कर दिया था
बाद में इन्हे काल कोठरी फिर मोत मिली ,,
बताओ अपने पूर्वजों में से कोई इतिहास
ढूंढ कर बताओ क्या है कोई ऐसा तुम्हारा
जंगे आज़ादी का सिपाही ,,भारत से प्यार करने वाला
अपने बेटों को क़ुर्बान करने वाला सिपाही ,,
तुम्हारी कोई विरासत नहीं
सिर्फ सियासत ही सियासत है
झूंठ है फरेब है मक्कारी है
वोह भी झूंठा इतिहास
किसी की गद्दारी है
तो किसी ने माफ़ी नामा लिखा है
किसी ने आज़ादी के सिपाहियों के खिलाफ
गवाही देकर उन्हें फांसी दिलवाई है
फिर तुम क्यों इतराते हो यार
आओ मुख्य धारा में आओ
नफरत फैलाना ,,झूंठ बोलना
देश के साथ फरेब करना छोडो
हिंसा छोडो ,,,षड्यंत्र छोडो
झूंठा इतिहास लिखना छोडो
प्लीज़ घर वापस आजाओ ना
देश के लिए जीना सीख लो ना
तुम्हारे पूर्वजों ने तो देश के लिए
आज़ादी के आंदोलन की विरासत नहीं छोड़ी
अब तो प्लीज़ देश को खुशहाल बनाओ ना ,,प्लीज़ ,,प्लीज़ सुधर जाओ ना ,,,अख्तर

अदनी सी हेडकोनिस्टेबल को प्रशासनिक आधार बताकर झालावाड़ ज़िले से जोधपुर ट्रांसफर कर दिया

राजस्थान में महिला मुख्यमंत्री और इसी महिला मुख्यमंत्री के चुनावक्षेत्र में इनकी आमसभा के दौरान सिक्योरिटी में लगी महिला हेडकोनिस्टेबल पर महिला सरपंच का हमला हुआ ,,महिला हेडकोनिस्टेबल की पिटाई हुई ,,महिला हेडकोनिस्टेबल ने एक सरकारी ड्यूटी करती हुई कर्मचारी पर हमला करने का मुक़दमा दर्ज करवाया ,,लेकिन पुलिस की पिटाई करने वाली महिला सरपंच की गिरफ्तारी तो दूर की बात रही ,,इस दबंगई सरपंच के रुआब में आकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियो ने एफ आई आर दर्ज करवाने वाली एक अदनी सी हेडकोनिस्टेबल को प्रशासनिक आधार बताकर झालावाड़ ज़िले से जोधपुर ट्रांसफर कर दिया गया है ,,,बात अजीब सी लगती है के एक महिला मुख्यमंत्री के कार्यक्षेत्र में उनकी सभा में सुरक्षा दौरान खाकी पर यह हमला ,,खाकी को इन्साफ मिलने की जगह खाकी अधिकारीयों ने ही खादी के रुआब में बे आबरू कर दिया ,,इंसाफ देना तो दूर की बात ,,काले पानी की सज़ा दे डाली ,,पुलिस अधिनियम के प्रावधानों को अगर हम देखे तो एक हेडकोनिस्टेबल स्तर के कर्मचारी के साथ इस ज़्यादती का प्रावधान नहीं हिअ ,,सस्पेंड ,बर्खास्तगी तो अलग बात है लेकिन ऐसा ट्रांसफर हिंदुस्तान की सभी न्यायलयों के आदेश का उलंग्घन है ,,,एक तरफ विशाखा मामले सहित कई मामलों में कामकाजी महिलाओ को विशेष सुरक्षा व्यवस्था है ,,लेकिन अफ़सोस एक महिला हेड कॉन्स्टेबल को इस नाइंसाफी का शिकार होना पढ़ा है ,,ताज्जुब है पुलिस अधिकारी जो इस महिला के पक्ष में आना चाहिए उन्होंने भी पुलिस का मनोबल तोड़ा है ,,खाकी को ख़ाक में मिलाकर खादी के निर्देशो के पेरो तले रौंदा है ,,,,हाल ही में महिलाओ को इन्साफ का संकल्प लेकर राजस्थान महिला आयोग की चेयरमेन बनी श्रीमती सुमन शर्मा से इस महिला हेडकोनिस्टेबल को काफी उम्मीदे है देखते है ,,महिला आयोग की चेयरमेन इस महिला कॉनिस्टेबल को सो मोटो प्रसंज्ञान लेकर इंसाफ दिलवाती है या नहीं ,,भारत की न्यायायलय ,,उच्च न्यायालय इस महिलाओ को सो मोटो प्रसंज्ञान लेकर इंसाफ देकर अगर नौकरशाहों और खादी मज़ा चखा दे तो सच पुलिस का मनोबल ज़िंदाबाद हो जाए ,,वरना पुलिस तो खाकी के बोझ तले सिसकती नज़र आ रही है ,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मोदी सरकार ने स्वामी पर केस चलाने को सही ठहराया, हेट स्पीच पर सजा की पैरवी की

मोदी सरकार ने स्वामी पर केस चलाने को सही ठहराया, हेट स्पीच पर सजा की पैरवी की
नई दिल्ली: होम मिनिस्ट्री ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करके कहा है कि फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर लोगों को किसी भी समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। इससे अशांति फैलेगी और दंगे होंगे। सरकार का यह रुख बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के उस पिटीशन पर आया है, जिसमें उन्होंने हेट स्पीच से जुड़े आईपीसी के सेक्शन 153, 153A,153B, 295, 295A, 298 और 505 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए थे। केंद्र ने स्वामी के खिलाफ हेट स्पीच के मामले में केस चलाए जाने को भी सही ठहराया है। केंद्र की ओर से दाखिल एफिडेविट में स्वामी की एक बुक पर कहा गया है, ''इस किताब में ऐसा कंटेंट है, जो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत को बढ़ावा देता है। इस तरह से पिटीशन लगाने वाले ने आईपीसी की धाराओं का उल्लंघन किया है।''
क्या है सरकार के हलफनामे में?
स्वामी की पिटीशन पर केंद्र सरकार ने इस साल जुलाई में केंद्र से जवाब मांगा था। केंद्र के हलफनामे में कहा गया है, ''अगर लोगों को भारत के विभिन्न ग्रुप्स के बीच नफरत फैलाने के लिए आजाद छोड़ दिया जाए तो अशांति फैल जाएगी। दंगे या दूसरे अपराध हो सकते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा और विभिन्न वर्गों के बीच कड़वाहट बढ़ेगी। इससे समाज की शांति-व्यवस्था में दिक्कत आएगी।'' केंद्र सरकार के मुताबिक, हेट स्पीच से जुड़े कानूनों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते, क्योंकि संविधान भी नागरिकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर वाजिब कंट्रोल की मंजूरी देता है। इन कानूनों से समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने में मदद मिलती है।
स्वामी ने पिटीशन में क्या कहा था?
बीजेपी नेता स्वामी के खिलाफ दिल्ली, मुंबई, असम, मोहाली और केरल में हेट स्पीच के कई केस चल रहे हैं। उन्होंने आतंकवाद पर अपनी राय जाहिर की थी, जिसके बाद उन पर नफरत फैलाने के आरोप लगे। स्वामी ने अपनी पिटीशन में आरोप लगाया कि हेट स्पीच से जुड़े कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों में दखल देते हैं। इनका इस्तेमाल अपनी राय जाहिर करने वाले लोगों के खिलाफ हो रहा है। स्वामी का यह भी कहना था कि वर्तमान कानूनों की वजह से कोई शख्स लोगों की सोच बदलने के लिए पब्लिक डिबेट नहीं कर सकता क्योंकि इन कानूनों से उसे चुप करा दिया जाएगा।

मोदी सरकार ने स्वामी पर केस चलाने को सही ठहराया, हेट स्पीच पर सजा की पैरवी की

मोदी सरकार ने स्वामी पर केस चलाने को सही ठहराया, हेट स्पीच पर सजा की पैरवी की
नई दिल्ली: होम मिनिस्ट्री ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करके कहा है कि फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर लोगों को किसी भी समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। इससे अशांति फैलेगी और दंगे होंगे। सरकार का यह रुख बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के उस पिटीशन पर आया है, जिसमें उन्होंने हेट स्पीच से जुड़े आईपीसी के सेक्शन 153, 153A,153B, 295, 295A, 298 और 505 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए थे। केंद्र ने स्वामी के खिलाफ हेट स्पीच के मामले में केस चलाए जाने को भी सही ठहराया है। केंद्र की ओर से दाखिल एफिडेविट में स्वामी की एक बुक पर कहा गया है, ''इस किताब में ऐसा कंटेंट है, जो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत को बढ़ावा देता है। इस तरह से पिटीशन लगाने वाले ने आईपीसी की धाराओं का उल्लंघन किया है।''
क्या है सरकार के हलफनामे में?
स्वामी की पिटीशन पर केंद्र सरकार ने इस साल जुलाई में केंद्र से जवाब मांगा था। केंद्र के हलफनामे में कहा गया है, ''अगर लोगों को भारत के विभिन्न ग्रुप्स के बीच नफरत फैलाने के लिए आजाद छोड़ दिया जाए तो अशांति फैल जाएगी। दंगे या दूसरे अपराध हो सकते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा और विभिन्न वर्गों के बीच कड़वाहट बढ़ेगी। इससे समाज की शांति-व्यवस्था में दिक्कत आएगी।'' केंद्र सरकार के मुताबिक, हेट स्पीच से जुड़े कानूनों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते, क्योंकि संविधान भी नागरिकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर वाजिब कंट्रोल की मंजूरी देता है। इन कानूनों से समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने में मदद मिलती है।
स्वामी ने पिटीशन में क्या कहा था?
बीजेपी नेता स्वामी के खिलाफ दिल्ली, मुंबई, असम, मोहाली और केरल में हेट स्पीच के कई केस चल रहे हैं। उन्होंने आतंकवाद पर अपनी राय जाहिर की थी, जिसके बाद उन पर नफरत फैलाने के आरोप लगे। स्वामी ने अपनी पिटीशन में आरोप लगाया कि हेट स्पीच से जुड़े कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों में दखल देते हैं। इनका इस्तेमाल अपनी राय जाहिर करने वाले लोगों के खिलाफ हो रहा है। स्वामी का यह भी कहना था कि वर्तमान कानूनों की वजह से कोई शख्स लोगों की सोच बदलने के लिए पब्लिक डिबेट नहीं कर सकता क्योंकि इन कानूनों से उसे चुप करा दिया जाएगा।

मोदी सरकार ने स्वामी पर केस चलाने को सही ठहराया, हेट स्पीच पर सजा की पैरवी की

मोदी सरकार ने स्वामी पर केस चलाने को सही ठहराया, हेट स्पीच पर सजा की पैरवी की
नई दिल्ली: होम मिनिस्ट्री ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करके कहा है कि फ्रीडम ऑफ स्पीच के नाम पर लोगों को किसी भी समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। इससे अशांति फैलेगी और दंगे होंगे। सरकार का यह रुख बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के उस पिटीशन पर आया है, जिसमें उन्होंने हेट स्पीच से जुड़े आईपीसी के सेक्शन 153, 153A,153B, 295, 295A, 298 और 505 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए थे। केंद्र ने स्वामी के खिलाफ हेट स्पीच के मामले में केस चलाए जाने को भी सही ठहराया है। केंद्र की ओर से दाखिल एफिडेविट में स्वामी की एक बुक पर कहा गया है, ''इस किताब में ऐसा कंटेंट है, जो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत को बढ़ावा देता है। इस तरह से पिटीशन लगाने वाले ने आईपीसी की धाराओं का उल्लंघन किया है।''
क्या है सरकार के हलफनामे में?
स्वामी की पिटीशन पर केंद्र सरकार ने इस साल जुलाई में केंद्र से जवाब मांगा था। केंद्र के हलफनामे में कहा गया है, ''अगर लोगों को भारत के विभिन्न ग्रुप्स के बीच नफरत फैलाने के लिए आजाद छोड़ दिया जाए तो अशांति फैल जाएगी। दंगे या दूसरे अपराध हो सकते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा और विभिन्न वर्गों के बीच कड़वाहट बढ़ेगी। इससे समाज की शांति-व्यवस्था में दिक्कत आएगी।'' केंद्र सरकार के मुताबिक, हेट स्पीच से जुड़े कानूनों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते, क्योंकि संविधान भी नागरिकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर वाजिब कंट्रोल की मंजूरी देता है। इन कानूनों से समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने में मदद मिलती है।
स्वामी ने पिटीशन में क्या कहा था?
बीजेपी नेता स्वामी के खिलाफ दिल्ली, मुंबई, असम, मोहाली और केरल में हेट स्पीच के कई केस चल रहे हैं। उन्होंने आतंकवाद पर अपनी राय जाहिर की थी, जिसके बाद उन पर नफरत फैलाने के आरोप लगे। स्वामी ने अपनी पिटीशन में आरोप लगाया कि हेट स्पीच से जुड़े कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों में दखल देते हैं। इनका इस्तेमाल अपनी राय जाहिर करने वाले लोगों के खिलाफ हो रहा है। स्वामी का यह भी कहना था कि वर्तमान कानूनों की वजह से कोई शख्स लोगों की सोच बदलने के लिए पब्लिक डिबेट नहीं कर सकता क्योंकि इन कानूनों से उसे चुप करा दिया जाएगा।

क़ुरआन का सन्देश

  
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