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05 नवंबर 2015

इस होटल में हैं चांदी के बेड और सोने के नल, 1 दिन का किराया 48 लाख रु.




इस होटल में हैं चांदी के बेड और सोने के नल, 1 दिन का किराया 48 लाख रु.
जयपुर. राजस्थान में ऐसे कई लग्जरी होटल और पैलेस हैं जो अपनी भव्यता के कारण रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं। उन्हीं में से एक है जयपुर का राज पैलेस।
राजस्थान में 19 व 20 नवंबर को होने जा रहे रिसर्जेंट राजस्थान (आरआर) में देश के 70 बड़े औद्योगिक घरानों समेत 500 से ज्यादा बिजनेसमैन शामिल होंगे। इनके लिए यहां के लग्जरी होटलों में 1500 कमरे बुक हो चुके हैं। इस मौके पर हम बता रहे हैं एक ऐसे महल के बारे में जो अब फाइव स्टार होटल में बदल चुका है, जिसमें लगे हैं सोने के नल।
एक दिन का किराया 48 लाख रुपए, लगे हैं चांदी के बेड और सोने के नल
जयपुर के इस शाही पैलेस में एक ऐसा सुइट तैयार किया जा रहा है जिसका एक दिन का किराया 48 लाख रुपए होगा। ये खास सुइट नवंबर के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा। फिलहाल होटल के सबसे महंगे सुइट का किराया 7 लाख 20 हजार रुपए प्रतिदिन है। इस सुइट में चार अपार्टमेंट हैं और पर्सनल एलिवेटर भी है। बेडरूम में चांदी के बेड और रेस्ट रूम में फेरारी कंपनी की ओर से बनाए गए सोने के खास नल लगाए गए हैं। दीवारों पर गोल्ड वर्क किया गया है।
एक मेहमान के लिए तैनात रहते हैं 25 लोग
इसमें डाइनिंग एरिया से लेकर किचन सभी कुछ पर्सनलाइज्ड हैं। पैलेस में पहुंचने पर मेहमान की शान में शाही रुक्के का पढ़ा जाना, हाथी-घोड़ों के लवाजमे और रेड कारपेट ट्रीटमेंट से मेहमान को खास होने का अहसास होता है। खास मेहमान नवाजी के लिए 25 मैंबर्स की टीम तैनात रहती है। मेहमानों के स्वागत के लिए स्पेशल शैम्पेन बाथ दिया जाता है। इस होटल का एक भी कमरा एक जैसा नहीं है।

करोड़ों रुपए से यूं सजा मंदिर, 10 और 50 के नोटों से बनाई गई लड़ियां

नोट और जेवरात आना हुए शुरू, कल तक दरबार में रख सकते हैं नोट
नोट और जेवरात आना हुए शुरू, कल तक दरबार में रख सकते हैं नोट
रतलाम(इंदौर). दीपोत्सव के चलते माणकचौक स्थित महालक्ष्मी का दरबार सज गया है। नोटों की लड़ियों से इसे सजाया है। मंदिर में नोट आना शुरू हो गए हैं। गुरुवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर में सजाने के लिए नोट रखे। शनिवार तक नोट लिए जाएंगे। इसके बाद इन्हें मंदिर परिसर में सजाया जाएगा। सोमवार से बुधवार तक लक्ष्मी का दरबार करोड़ों रुपए के नोट से सजा रहेगा। इनमें 10 और 50 के नोटों का इस्तेमाल किया गया है। पिछले साल इस मंदिर को 80 करोड़ रुपए के नोटों और सोने से सजाया गया था।
आप भी रख सकते हैं नोट
ऐसा माना जाता है महालक्ष्मी के दरबार में नोट रखने से सालभर घर में समृद्धि रहती है। आप भी मंदिर में नोट की गड्डी या फिर सोने के जेवर रखना चाहते हैं तो 7 नवंबर तक मंदिर में पहुंचकर रख सकते हैं। इसके बाद नोट नहीं लिए जाएंगे। आपके द्वारा दिए जाने वाले नोटों एंट्री होगी। दीपावली बाद श्रद्धालुओं को नोट लौटाए जाएंगे।
महालक्ष्मी महोत्सव एक नजर में
मंदिर सजेगा- धनतेरस से दीपावली तक मंदिर को सजाया जाएगा
शृंगार होगा- नोट, सोना और चांदी से, मंदिर खुला रहेगा- 24 घंटे
सुरक्षा- बंदूकधारी पुलिसकर्मी के साथ 10 कैमरों की निगरानी में मंदिर रहेगा

अब रेल टिकट कैंसिल कराना होगा महंगा, देनी पड़ेगी दोगुनी फीस

अब रेल टिकट कैंसिल कराना होगा महंगा, देनी पड़ेगी दोगुनी फीस
जोधपुर. ट्रेन का कन्फर्म टिकट रद्द करवाना 12 नवंबर से महंगा हो जाएगा। रेलवे ने सभी श्रेणी में कैंसिलेशन फीस दोगुनी कर दी है। आरक्षित टिकट पर लगने वाले क्लर्क चार्ज को भी बढ़ाना तय किया है। रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कन्फर्म टिकट रद्द करवाने पर ज्यादा कटौती करने का फैसला किया है।
टिकट रद्द करवाने के लिए तय अवधि में भी बदलाव किया गया है। नए नियमों में तय किया गया है कि अब ट्रेन चलने से 48 घंटे पहले टिकट रद्द करवाने पर प्रति यात्री फर्स्ट एसी व एग्जिक्यूटिव क्लास में 240, सैकंड एसी व फर्स्ट क्लास में 200, थर्ड एसी में 180, स्लीपर में 120 व सैकंड क्लास में 60 रुपए कटौती की जाएगी। क्लर्क चार्ज अब सैकंड क्लास में 30 और स्लीपर व एसी क्लास में 60 रुपए प्रति यात्री काटा जाएगा।
ट्रेन रवाना होने के पहले 48 से 12 घंटे के दौरान टिकट रद्द करवाया तो किराए में 25 फीसदी कटौती होगी। इसी तरह ट्रेन रवाना से पहले 12 घंटे से 4 घंटे की अवधि में कैंसिलेशन पर 50 फीसदी किराया ही वापस मिलेगा। ट्रेन चलने से पहले चार घंटे के दौरान कोई रिफंड नहीं मिलेगा। आरएसी व प्रतीक्षा सूची के टिकट पर केवल क्लर्क चार्ज की कटौती होगी जो दुगनी कर दी गई है। साथ ही इन्हें अब ट्रेन चलने के 30 मिनट बाद तक ही रद्द करवाया जा सकेगा। पहले यह अवधि दो घंटे थी। सभी श्रेणियों में न्यूनतम कटौती 48 घंटे वाले नियम के तहत ही होगी।

यूथ पर फोकस? स्वयंसेवकों के लिए ड्रेस बदलने की तैयारी में है आरएसएस

यूथ पर फोकस? स्वयंसेवकों के लिए ड्रेस बदलने की तैयारी में है आरएसएस
नई दिल्‍ली. आरएसएस के स्वयंसेवक जल्द ही नई ड्रेस में नजर आ सकते हैं। संघ अपनी शाखाओं में पहने जाने वाली ट्रेडिशनल ड्रेस यानी हाफ खाकी निकर और व्हाइट स्लीव्स शर्ट में बदलाव करने जा रहा है। बताया जा रहा है कि संघ देश के युवाओं से खुद को जोड़ना चाहता है। इसी मकसद से वह ड्रेस में तब्दीली करना चाहता है। सूत्रों का कहना है कि नए ड्रेस कोड में ब्लैक ट्राउजर और व्हाइट टी-शर्ट शामिल किया जा सकता है। ड्रेस कोड पर पिछले हफ्ते रांची में हुई संघ की मीटिंग में चर्चा की गई थी। संघ प्रमुख मोहन भागवत और सह सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ड्रेस कोड में बदलाव के पक्ष में हैं।
इन दो ड्रेस कोड पर हो रहा है विचार
1. व्हाइट टी-शर्ट और ब्लैक ट्राउजर। दोनों में से किसी भी एक कलर की कैप। व्हाइट कैनवास शूज और खाकी सॉक्स।
2. फुल स्लीव्स व्हाइट शर्ट। खाकी, नेवी ब्लू या ग्रे कलर की फुल पैंट। ब्लैक लेदर या रेक्सीन शूज। खाकी सॉक्स। कैनवास बेल्ट और ब्लैक कैप।
ड्रेस कोड में बदलाव पर क्या कहना है संघ नेताओं का?
अब तो बच्चे भी निकर नहीं पहनते-राम माधव
RSS के वरिष्ठ प्रचारक और अब बीजेपी महासचिव राममाधव ने कहा- संघ के ड्रेसकोड में बदलाव वक्त की मांग है। पहले संघ का असर महाराष्ट्र में ज्यादा था अब नॉर्थ इंडिया में हो गया है। वहां सर्दी ज्यादा पड़ती है। संघ की शाखाएं सुबह-सुबह लगती हैं। ऐसे में तीन महीने तक तो कोई भी निकर पहनकर नहीं आता। इसलिए निकर की जगह ट्राउजर करने का विचार है। राम माधव का कहना है कि अब तो बच्चे भी निकर पहनकर स्कूल नहीं जाते इसलिए संघ को ड्रेसकोड बदलना चाहिए। संघ के ड्रेसकोड में बदलाव के बारे में संघ प्रचारक राकेश सिन्हा ने कहा है कि 2010 में लेदर बेल्ट को बदला गया था। बदलाव वक्त-वक्त पर होते रहे हैं। रएसएस से जुड़ रहे हैं।
अगले साल मार्च में होगा बदलाव - मनमोहन वैद्य

आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य का कहना है कि ड्रेस कोड में बदलाव पांच साल पहले ही होना था। लेकिन आम सहमति नहीं बन पाने के चलते इसे टाल दिया गया था। वैद्य का कहना है कि मार्च 2016 में होने वाली संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में इस बारे में फैसला लिया जाएगा। वैद्य ने बताया कि हर तीन साल में यह बैठक नागपुर मुख्यालय में होती है। जबकि बाकी के दो साल नॉर्थ इंडिया और साउथ इंडिया में होती है। इस बार यह बैठक राजस्थान के नागौर जिले में होगी।
कितनी ड्रेस की होगी जरूरत?
> संघ की देशभर में 50,000 शाखाएं हैं और हर शाखा में 10 स्वयंसेवक हैं। ऐसे में 5 लाख नई ड्रेस की जरूरत है।
> आरएसएस के ड्रेस कोड में आखिरी बार 2010 में बदलाव किए गए थे। लेदर बेल्ट की जगह कैनवास बेल्ट लाया गया था। संघ प्रचारक के मुताबिक, कैनवास बेल्ट को इम्प्लीमेंट करने में दो साल का समय लग गया था।
कब-कब हुए ड्रेस कोड में बदलाव?
> संघ के गठन के वक्त साल 1925 से लेकर 1939 तक संघ की ड्रेस पूरी तरह खाकी थी।
> 1940 में व्हाइट फुल स्लीव्स वाली शर्ट लागू की गई।
> 1973 में लेदर शूज की जगह लॉन्ग बूट शामिल किए गए। हालांकि, रेक्सीन के शूज का भी ऑप्शन रखा गया था।
> 2010 में बदलाव हुआ। तब लेदर बेल्ट की जगह कैनवास बेल्ट लाया गया।
बदलाव पर अलग-अलग सुर
रांची में हुई संघ की बैठक में बड़े नेता ड्रेस कोड में बदलाव के समर्थन में नजर आए, वहीं कुछ पुराने प्रचारकों ने इसका विरोध भी किया है। पुराने स्वयंसेवक हाफ पैंट को हटाए जाने के खिलाफ हैं। उनका तर्क है कि संघ की शाखाओं में फिजिकल ट्रेनिंग भी दी जाती है। ऐसे में, फुल पैंट के इस्तेमाल से इसमें परेशानी आएगी। इससे पहले भी संघ के ड्रेस कोड में बदलाव को लेकर विचार किया जा चुका है। लेकिन संघ में खास प्रभाव रखने वाले महाराष्ट्र के नेताओं ने इस बदलाव का विरोध किया था।

क़ुरआन का सन्देश

 
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