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27 नवंबर 2015

संसद में संविधान पर चर्चा: मोदी ने पहली बार नेहरू की खुलकर तारीफ की

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संविधान पर दो दिन चली चर्चा का शुक्रवार को जवाब दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पहली बार खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा- लोहिया ने कुछ आंकड़ों का हवाला देकर नेहरू सरकार की आलोचना की थी, लेकिन यह नेहरू का बड़प्पन था कि उन्होंने लोहिया से कहा था कि मैं आपके आंकड़ों से इनकार नहीं कर सकता।
सरकार का इकलौता धर्म है- इंडिया फर्स्ट
मोदी ने यह भी कहा कि इस सरकार का इकलौता धर्म है- इंडिया फर्स्ट। यह सरकार सिर्फ एक ही पवित्र किताब से चलती है, वह है- संविधान। इस देश में आम सहमति, बहुमत से ज्यादा मायने रखती है। आम सहमति ही हमें आगे ले जाएगी।
मोदी की स्पीच के साथ खत्म हुई लोकसभा में चर्चा

सरकार ने संविधान बनकर तैयार होने के 65 साल पूरे होने के मौके पर संसद में दो दिन की विशेष चर्चा रखी थी। गुरुवार से लोकसभा में चर्चा शुरू हुई थी। शुक्रवार को आखिरी दिन मोदी की स्पीच के साथ चर्चा खत्म हुई। सभी सदस्यों ने आम सहमति से संविधान की हिफाजत करने का प्रस्ताव भी पारित किया। राज्यसभा में यह चर्चा सोमवार को भी होगी।
मोदी के बयान के क्या हैं मायने?
1. सरकार का धर्म
मोदी ने कहा- इस सरकार का इकलौता धर्म है- इंडिया फर्स्ट। यह सरकार सिर्फ एक ही पवित्र किताब से चलती है, वह है- संविधान। कोई भी संविधान नहीं बदल सकता है। इसे लेकर भ्रम जरूर फैलाया जा रहा है। बाबा साहब का दर्द संविधान में शब्द के रूप में उभरा। उन्होंने बहुत कुछ झेला, लेकिन संविधान बनाते समय देश के लिए सबसे अच्छी बातें शामिल कीं। उन्होंने अपमान का जहर पी लिया।
मायने : इन्टॉलरेंस पर देशभर में चल रही डिबेट को लेकर सरकार निशाने पर है। एक दिन पहले ही लोकसभा में कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी ने कहा था- संविधान में जिनकी अास्था नहीं, वे इसका नाम जप रहे हैं। वे इसकी आज बात कर रहे हैं। सोनिया का निशाना मोदी सरकार पर ही था। मोदी का जवाब सोनिया के बयान से ही जोड़कर देखा गया।
2. नेहरू को भी याद किया
मोदी ने अपनी स्पीच में पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा- एक बार डॉ. लोहिया ने नेहरू से कहा था कि तथ्य बता रहे हैं कि आपकी नीतियां काम नहीं कर रही हैं तो नेहरू ने जवाब में कहा था कि हां, मैं आपके बताए तथ्यों से इनकार नहीं कर सकता। पंडित नेहरू ने अपने इस बयान से अपने व्यक्तित्व और इस संसद की ऊंचाई को दर्शाया।
मायने : कांग्रेस यह आरोप लगाती रही है कि नेहरू की बनाई नीतियां मोदी सरकार के निशाने पर रही हैं। कांग्रेस ने मोदी पर नेहरू के सिद्धांतों की अनदेखी करने के आरोप लगाए हैं।
3. भारत में 12 धर्मों के उत्सव
मोदी ने कहा कि भारत में 12 धर्मों के तरह-तरह के उत्सव मनाए जाते हैं। यह इस देश की महानता है। दुनियाभर के धर्म यहां हैं और सद्भाव के साथ हैं।
मायने : मोदी का यह बयान भी देश में कथित तौर पर बढ़ रहे इन्टॉलरेंस के संदर्भ में है। इन्टॉलरेंस को मुद्दा बनाकर कई लेखक, फिल्मकार और वैज्ञानिक अपने पुरस्कार लौटा चुके हैं।
मोदी ने और क्या कहा?
- बाबा साहब का दर्द संविधान में शब्द के रूप में उभरा। उन्होंने बहुत कुछ झेला लेकिन संविधान बनाते समय देश के लिए सबसे अच्छी बातें शामिल कीं। उन्होंने जहर पी लिया।

- देश का एक ही धर्म संविधान है। आइडिया ऑफ इंडिया-पौधे में भी परात्मा होता है, वसुधैव कुटुंबकम, नारी तुम नारायणी, नर करनी करे तो नारायण हो जाए।

- बोनस एक्ट की सीमा 3500 से बढ़ाकर 7 हजार किया जाएगा। एलिजिबिलिटी 10 हजार से बढ़ाकर 21 हजार रुपए की जाएगी।

- पहले कोई नियम नहीं था कि कोई कितने घंटे काम करेगा। बाबा साहब ने तय किया कि 8 घंटे काम होगा।

- एक भ्रम फैलाया जा रहा है। मैं मानता हूं कि कोई संविधान नहीं बदल सकता है। अगर कोई ऐसा करता है तो वह आत्महत्या होगी। समाज का पिछड़ा तबका आरक्षण के सहारे आगे बढ़ेगा तो देश मजबूत होगा।

- मोदी ने गांधी जी के एक बयान को याद करते हुए उन्हें कोट किया, ‘पूंजीपति, जमींदार और किसान अपने हित की बात करते हैं। अगर सभी अपने अधिकारों की बातें करें और कर्तव्यों से मुंह मोड़ लें तो अराजकता का माहौल बन जाएगा। अगर सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें तो कानून का राज कायम हो जाएगा। राजाओं को राज करने का कोई दैवीय अधिकार नहीं है। किसानों और मजदूरों को अपने आकाओं का हुक्म मानने की जरूरत नहीं है।'

- राजनेता ही खुद पर बंदिशें लगाते हैं। चुनाव में खर्च की सीमा जैसी तमाम चीजों के लिए नेता आगे आए।

- राजनेताओं को यह सोचना होगा कि लोग हमारे में बारे में राय बदलें।

- नरसिंह मेहता, महात्मा गांधी, ज्योतिबा फुले और आंबेडकर जैसे लोगों ने समाज को बेहतर बनाने का काम किया। जयप्रकाश नारायण ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई।

- हमारा समाज हजारों साल पुराना है। हमारे यहां भी बुराइयां आई हैं। लेकिन उसी समाज से निकले महापुरुषों ने बड़े काम किए। पीएम ने ईश्वर चंद विद्यासागर, राजा राममोहनरॉय को याद किया।
- प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार एक वोट से गिर गई थी। यह इस बात का उदाहरण है कि संविधान की ताकत क्या होती है और जब वह सही हाथों में होता है तो क्या होता है।

- लोकतंत्र में असली ताकत तब आती है जब सहमति बनती है। लेकिन जब सब फेल हो जाए तो अल्पमत और बहुमत की बात आती है।

- भारत में सिर्फ संविधान ही सर्वोच्च है। यही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को उनकी शक्तियां देता है। इस बात को बार-बार उजागर किया जाना चाहिए।

- सरकार का काम सिर्फ संस्थाएं बनाना ही नहीं, उनकी सीमाएं भी तय करना है।

-बाबा साहब आंबेडकर ने यातनाएं सहीं, शोषण सहा। उनका दर्द संविधान में शब्द के रूप में उभरा। उन्होंने बहुत कुछ झेला लेकिन संविधान बनाते समय देश के लिए सबसे अच्छी बातें शामिल कीं। उन्होंने जहर पी लिया।

-संविधान के 60 साल पूरे होने पर हाथी पर उसकी सवारी गुजरात में निकलवाई थी। मैं खुद उसके आगे-आगे चला था।

-सरल भाषा में कहूं तो हमारे संविधान का मूल भाव डिग्निटी फॉर इंडियन और यूनिटी फॉर इंडियन है। कई लोगों का नाम इतना बड़ा है कि कोई उनका नाम ले या नहीं, उनका नाम मिट नहीं सकता।
-संविधान में भी सभी की भूमिका रही है। इस संविधान की जितनी सराहना करें, कम है।

-लाल किले पर से बोल चुका हूं कि इस देश में सभी सरकारों ने काम किया है। किसी ने उम्मीद से थोड़ा कम किया होगा। इस देश को राजाओं ने नहीं बनाया है। इसे गरीबों, शिक्षकों, मजदूरों और किसानों ने बनाया है।

-यह बात सही है कि हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं। लेकिन 26 नवंबर भी ऐतिहासिक दिन है। इस बात को भी उजागर करना अहम है। 26 जनवरी की ताकत 26 नवंबर में निहित है।
-मैं भी अन्य सदस्यों की तरह एक सदस्य के तौर पर अपने भाव पुष्प अर्पित करने के लिए खड़ा हुआ हूं।

-सदन में इस कार्यक्रम को लेकर जो रुचि दिखाई गई, इसके लिए मैं सभी सदस्यों का हृदय से आभार प्रकट करता हूं।

-लोकसभा अध्यक्ष ने संविधान दिवस के मौके पर भाषण देने के लिए धन्यवाद देता हूं।
मोदी की स्पीच क्यों अहमियत रखती है?

- मोदी की स्पीच इसलिए मायने रखती है क्योंकि सोमवार से लोकसभा में रेगुलर कामकाज शुरू होगा और राज्यसभा में संविधान पर चर्चा का अाखिरी दिन होगा।
- मोदी की स्पीच यह तय करने में अहम भूमिका अदा करेगी कि आने वाले दिनों में इन्टॉलरेंस और जीएसटी जैसे मुद्दों पर सरकार को अपोजिशन से कितना साथ मिलता है।
- अपोजिशन से बातचीत की कोशिश के तहत ही मोदी ने शुक्रवार शाम कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को चाय पर चर्चा के लिए बुलाया है।
- इस पर कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी का कहना है कि जनता के दबाव के चलते मोदी को सोनिया और मनमोहन को न्योता देना पड़ा।
मोदी से पहले संविधान पर इन नेताओं ने रखी अपनी बात

- लोकसभा : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को चर्चा की शुरुआत की थी। उनके बाद कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे और केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत ने स्पीच दी थी।

- राज्यसभा : अपर हाउस में संविधान पर चर्चा शुक्रवार को शुरू हुई। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुरुआती स्पीच दी। उनके अलावा समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, जेडीयू प्रेसिडेंट शरद यादव जैसे नेताओं ने स्पीच दी।
शुक्रवार को संसद में क्या हुआ?
सरकार ने संविधान बनकर तैयार होने के 65 साल पूरे होने के मौके पर संसद में दो दिन की विशेष चर्चा रखी है। गुरुवार को इस पर लोकसभा में चर्चा हुई थी। राज्यसभा में शुक्रवार को चर्चा का पहला दिन है। राज्यसभा में सोमवार को भी इस पर चर्चा होगी।
मोदी ने चाय पर चर्चा के लिए सोना-मनमोहन को बुलाया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को फोन किया। उन्होंने दाेनों नेताओं को शुक्रवार शाम संसद का कामकाज खत्म होने के बाद चाय पर चर्चा के लिए बुलाया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि मोदी दोनों नेताओं से जीएसटी बिल पर चर्चा करना चाहते हैं। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा, "पीएम ने कांग्रेस प्रेसिडेंट और पूर्व प्रधानमंत्री सिंह को चर्चा के लिए बुलाया है। हम चाहते हैं कि संसद ठीक से चले।

इंसानियत बचाने के लिए अपनी जान देते है

तेरी सिर्फ एक निगाह ने
खरीद लिया हमें…
बड़ा गुमान था हमें
की हम बिकते नहीं…,,,,यह किसी शायर का फलसफा है लेकिन सच्चा फलसफा है ,,,,
जी हाँ दोस्तों ,,प्यार हो ,,दुलार हो ,,मोहब्बत हो ,,भाईचारा हो ,,सद्भावना हो ,,अच्छाइयाँ हो ,,खुद ब खुद इंसान को इंसान की तरफ आकर्षित करती है ,,,,हालत यह है के इंसान इंसान से प्यार और जानवर इंसान से ,,इंसानियत से नफरत करते है ,,में उन जानवरों की बात नहीं कर रहा जिन्हे खुदा ने जानवर बनाया है वोह तो फिर भी इन्सान के वफादार होते है ,,,,इंसानियत बचाने के लिए अपनी जान देते है ,,लेकिन वोह लोग जिन्हे खुदा ने इंसान बनाया तो है ,,,लेकिन नफरत की आग में ,,,बदले की आग में ,,गुस्से की आग में ,,सियासत की कुर्सी की ख्वाहिश में ,,लोगों को डरा कर चंदा बटोरने की चाह में ऐसे सभी कथित इंसान जानवर बन गए है ,,,ऐसे लोग खुद को भी तोड़ रहे है ,, देश भी तोड़ रहे है ,,समाज भी तोड़ रहे है ,,,,लेकिन इनकी सोच कितनी घटिया है इसका एक नमूना पेश है ,,यह सोचते है के रूपये से हर चीज़ खरीदी जा सकती है ,,,, मेरे एक भाई ने मेरे साथ कुछ ऐसा ही व्यवहार किया ,,एक पुराना चिरपरिचित साथी ,,,,जो कहने को मेरी लेखनी का प्रशंसक है ,,मेरा पुराना हमदर्द जानकार है ,,,मेरे कई आलेखों का प्रशंसक है ,,कहने को वोह मेरे दैनिक अख़बार के सम्पादन काल से ही आओ बस्ती चले ,,,आओ समस्याएं जाने ,,,आपसे मिलिए ,,जैसे कॉलम का प्रशंसक रहा है ,,लेकिन कुछ दिनों से वोह मुझे किसी एक साथी का ,,,बायो डाटा ,,,देकर उनके लिए लिखने की ज़िद कर रहे थे ,,,में लिखने की कोशिश करता हूँ किसी भी वर्ग ,,किसी भी धर्म ,, किसी भी समाज ,,मेरा अपना ,,मेरा पराया हो ,,मेरा लिखने का स्वभाव है ,,,इसलिए जो हक़ रखता है उसके लिए में उसकी जीवनी कार्यशैली भी लिखता हूँ ,,,दूसरी पार्टियों के लोगों के बारे में लिखने पर कई लोगों को ऐतराज़ भी है लेकिन दोस्तों बस अच्छे है अगर किसी भी पार्टी किसी भी समाज किसी भी धर्म के है तो उनके उत्साहवर्धन के लिए न सही ,,,,ऐसे लोगों का दूसरे लोगों से परिचय कराना ,,,में अपना दायित्व समझता रहा हूँ ,,,खेर ,,,मेरे यह साथी मुझ से कहते रहे ,,कहते रहे ,,में इनकी बताई हुई शख्सियत के खिलाफ कुछ गंभीर मुक़दमे होने से लिखने से बचता रहा ,,कल यह शख्स ,,मेरे पास आये ,,एक लिफाफा दिया ,,कहा लो इसमें उनका बायो डाटा है ,,प्लीज़ नियुक्तियों का दौर है कुछ लिख दीजिये ज़रूरत है ,,इन साहब के जाने के बाद जब लिफाफा खोला तो देखा ,,बायो डाटा के साथ पन्द्राह लाल लाल नोट भी इस लिफ़ाफ़े में है में सन्न रह गया ,,सकते में आ गया ,,,मेने मेरे इस भाई को फोन किये उन्होंने नहीं उठाया ,,लेकिन मेरी आत्मा बेचेंन थी ,,में उनके घर गया ,,,उन्हें जगाया ,,,गुस्से में था ,,लेकिन मेने धैर्य और संयम रखा ,,मेने हाथ जोड़े लिफाफा उनके हाथ में थमाया ,,कहा भाई ,,अगर महंताना लेकर लिखना होता ,,लिखना रोज़गार होता तो में अभी किसी अख़बार में ही नौकरी कर रहा होता ,,,मुझे नहीं पता वोह समझ पाये या नहीं ,,बस वोह माफ़ी मांगते रहे ,,,,माफ़ करने की मिन्नतें करते रहे ,,लेकिन उनका अपराध ऐसा था के में आज भी उन्हें माफ़ नहीं कर सका हूँ ,,,,,, मुझे किसी शायर का यह शेर फिट लगा के प्यार हो तो किसी को भी खरीदने की ताक़त है व्यापार हो तो जो ना बिक सके उसे कोई खरीद सके ऐसी हिमाक़त ,,ऐसी ताक़त किसी में नहीं ,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अजीब है ,,,,मेरे इस ,,,कथित,, स्मार्ट सीटी,,,, कोटा शहर के लोग

अजीब है ,,,,मेरे इस ,,,कथित,, स्मार्ट सीटी,,,, कोटा शहर के लोग ,,, जी हाँ अजीब है ,,पिछली कांग्रेस सरकार में ,,,,अकेले शान्ति धारीवाल ने ,,कोटा को चमकाने में ,,, जितने करोड़ रूपये लगाये है ,,,उसका एक प्रतीशत भी,,, इस शहर की स्मार्टनेस बढ़ाने में ,,,,अब तक नहीं लग पाया है ,,कोटा में एयरपोर्ट नहीं बन पाया है ,,कोटा में रोडवेज का आवागमन भी सही नहीं हो पाया है ,,,कोटा में यातायात व्यवस्था बदहाल है ,,,रोज़ जाम लग रहे है ,,,कोटा में कोचिंग माफ़िया की हठधर्मिता से रोज़ आत्महत्याओं का दौर चल रहा है ,,,कोटा कोचिंग नगरी से ,आत्महत्या नगरी बनता जा रहा है ,,,कोटा से आई एल जा रही है ,,कोटा के सभी उद्योगो में अब ठेके के अधिकारी ,,ठेके के कर्मचारी है ,,यहां रोज़गार के अवसर खत्म कर दिए गए है ,,कोटा में राजस्थान की सरकार बार बार आने का कहकर नहीं आ पाई है ,,,कोटा के अख़बार ,,कोटा के समाज सेवी ,,,टी वी चैनल ,,जनप्रतिनिधि ,,कोटा को स्मार्ट सिटी के नाम पर बढ़ी बढ़ी ढींगे हाँक रहे है ,,कोटा का हमदर्द बता रहे है , फिर वोह इस सच को कैसे और क्यों छुपा रहे है ,,,कोटा में विधायक तो है ,,सभी सत्ता पक्ष के भी है ,,लेकिन अधिकारी उनकी सुनते नहीं ,,,विधायकों को राजस्थान सरकार ने नालायक़ समझा है जो आज तक किसी को यहां मंत्री बनाया नहीं ,,,राजस्थान की पावर कोटा के पास नहीं जबकि पुरे हिंदुस्तान को बिजली की पावर कोटा दे रहा है ,,यहां ,,पानी ,,बिजली ,,,सब कुछ है बस नहीं है तो सियासी मज़बूती ,,सियासत की उपेक्षा ने इस शहर को स्मार्ट तो क्या ,,,गांगिया सिटी बना दिया है ,,अफ़सोस होता है जब एयरपोर्ट होने पर भी फ्लाइट नहीं आती ,,अफ़सोस होता है जब जबप्रिय विधायक होने पर भी उन्हें मंत्री नहीं बनाया जाता ,,अफ़सोस होता है जब उद्योग बंद होने की घोषणा होती है ,,अफसॉस होता है जब उद्योग होते हुए भी यहां लोगों को नौकरियां नहीं मिलती ,,अफ़सोस होता है जब कोटा स्मार्ट सिटी के इस कड़वी सच्चाई को कोई अख़बार ,,कोई टी वी अपनी खबरों में जगह नहीं देता ,,अफ़सोस होता है जब बुद्धिजीवी लोग सियासत की विचारधारा की गुलामी से बाहर निकल कर इस कड़वे सच पर विचार विमर्श नहीं करते ,,अफ़सोस होता है इस झुनझुने के नाम पर स्मार्ट सिटी की घोषणा पर ,,अफ़सोस होता है कोटा के नोजवानो पर जो इस तरफ अपनी सोच नहीं बनाते है ,,,अफ़सोस होता है मुख्यमंत्री पर जो कोटा संभाग की है लेकिन इस कोटा की स्मार्टनेस को दागदार कर रही है ,,अफ़सोस होता है जब कोटा नगर विकास न्यास का चेयरमेन अभी तक नहीं बनाया जाता ,,,अफ़सोस होता है जब कोटा को पुलिस कमिश्नरेट नहीं दिया जाता ,,अफ़सोस होता है जब कोटा नगर निगम में अब तक प्रतिपक्ष का नेता नहीं बिठाया जाता अफ़सोस होता है जब कोटा के लोग ,,बुद्धिजीवी इस तरह के आलेख ,, चिंतन को कोरी बकवास समझ कर बिना पढ़े आगे बढ़ जाते है ,,,,,उससे भी ज़्यादा अफसोस होता है ,, प्रतिपक्ष पर जो इस मुद्दे को ना तो विधानसभा में उठा पाया है ना ही इस मुद्दे को प्रतिपक्ष जनता की अदालत में ले जा पाया है ,,अफ़सोस होता है के में इस शहर का हूँ और में इस शहर के लोगों के लिए यह सब लिख रहा हूँ ,,,अफ़सोस होता है जब ,,आम जनसमस्याओ के बारे में आवाज़ उठाने वाले पार्षद मोहम्मद हुसेन को पुलिस हमले के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है और शहर ,,शहर के लोग हाथ पर हाथ धर कर बैठे रह जाते है ,,,,,,,,,उससे भी ज़्यादा अफ़सोस होता है जब हमारे इस पूर्ण विकसित स्मार्ट कोटा शहर को राजनितिक वैमनस्यता की वजह से स्मार्ट सूचि में अव्वल होने पर भी सबसे पीछे डाल दिया जाता है ,,अफ़सोस होता है जब दुसरो को इस चिंतन पर अफ़सोस नहीं होता ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मेरी चाहत पे

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दुनिया लुटाने वाली
बता अब
मेरी चाहत पे
तू खामोश क्यों है ,,अख्तर

क़ुरआन का सन्देश

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