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12 अप्रैल 2011

लायक और नालायक

किसी फिल्म के गीत की तरह लायक हूँ में नालायक नहीं की तर्ज़ पर समाज की इस भागम भाग के माहोल में लायकी और नालायकी की परिभाषा किस कदर बदल गयी हे एक बानगी देखिये ...............
पिता ने 
अपने 
लायक बेटे से 
भविष्य की 
योजना के बारे में पूंछा 
लायक बेटा बोला 
बस पापा 
ट्वेल्थ में हूँ 
आई आई टी करूंगा 
पन्द्रह बीस लाख का पैकेज मिल जाएगा 
विदेश के चांस हुए 
तो वहा 
लाखों कमाऊँगा ..................
पिता ने 
अपने नालायक बेटे से पूंछा 
भविष्य का क्या प्रोग्राम हे 
नालायक बेटे ने कहा 
पापा 
आप बीमार हैं 
मम्मी से घर का काम काज नहीं होता है 
में दूकान में 
आपका हाथ बटाउंगा 
मम्मी बीमार हैं 
इसलियें घर का काम करने वाली 
आप और मम्मी की 
खिदमत करने वाली 
बहु लाऊँगा 
बहु ने घर का कामकाज संभाल 
आपकी खिदमत की तो ठीक 
नहीं तो फिर उसे छोड़ कर 
दूसरी ले आउंगा .......................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मोंटेक सिंह पानी बिजली की कीमते बढाने आये

 
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'पानी-बिजली की कीमतें बढ़ें'
जयपुर। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया का मानना है कि बिजली-पानी के दोहन को नियंत्रित करने के लिए इनकी दरें बढ़ानी चाहिए व कुछ वैधानिक नियंत्रण भी लागू करने चाहिए। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षो में निजी क्षेत्र का दायरा बढ़ेगा और सरकारों को शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे मूल विषयों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। मोंटेक सिंह मंगलवार को जयपुर में राज्य आयोजना बोर्ड की ओर से 12वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिकोण पत्र पर व्याख्यान दे रहे थे। मोंटेक सिंह ने कहा कि कोयला लगातार महंगा होता जा रहा है। ऎसे में बिजली की कीमतें एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई हैं।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह का राजस्थान की जनता पलक पावने बिछा कर इसलियें इन्तिज़ार कर रही थी के वोह राजस्थान को कुछ सोगातें देंगे लेकिन यह किया यह तो मनमोहन सिंह के ही ख़ास मोंटेक सिंह निकले और कीमतें बढाने की बात करके चले गए अब तो कीमतें बढना निश्चित है ............... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वोट डालने नहीं पहुंचे पीएम और उनकी पत्नी

वोट डालने नहीं पहुंचे पीएम और उनकी पत्नी


गुवाहाटी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोमवार को असम विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के चुनाव में वोट देने दिसपुर नहीं पहुंचे। प्रधानमंत्री की पत्नी गुरूशरण कौर भी मतदान करने नहीं आईं। डॉ. सिंह असम से राज्यसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
डॉ सिंह और श्रीमती कौर का नाम दिसपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता के रूप में दर्ज है। प्रधानमंत्री असम के पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया की पत्नी हेमोप्रवा सैकिया के यहां सार मोटोरिया स्थित मकान में 1991 से किरायेदार हैं। डॉ सिंह और उनकी पत्नी को दिसपुर के सरकारी उच्च सेकेन्डरी स्कूल स्थित मतदान केन्द्र क्रमांक 175 पर वोट डालना था।
मतदान सूची में प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी का मतदाता क्रमांक क्रमश: 721 और 722 है। उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनावों में यहां मतदान किया था। उससे पहले डॉ. सिंह और उनकी पत्नी ने यहां कभी मतदान नहीं किया था जिसके लिए उनकी आलोचना भी हुई थी।
देश में एक तरफ तो हर मतदाता को वोट डालने का कानून बनाने की मांग उठ रही है दूसरी तरफ कुर्सी के चक्कर में  जनविरोधी लोग जिन्हें जनता जरा भी पसंद नहीं करती है और उन लोगों में लोकसभा चुनाव जीत कर आने का साहस नहीं है  उन्हें राज्यसभा के माद्दय्म  से चोर दरवाज़े से सरकार में बिठाने के लियें लोकप्रतिनिधित्व कानून में हेर फेर किया जाता है और फिर यही हाल होता है के कभी दिल्ली ,कभी पंजाब कभी दक्षिणी भारत भागने वाले प्रधानमन्त्री जी को यह भी पता   नहीं रहता के उनका कहाँ किस राज्य में मतदाता सूचि में नाम है और वोह वोट डालने नहीं जाते यह इस लोकतंत्र के लियें गम्भीर बात हे जिसे अक्षम्य अपराध बनाना चाहिए .. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मनमोहन को भ्रष्टाचार छिपाने की आदत

मनमोहन को भ्रष्टाचार छिपाने की आदत
Wednesday, 13 Apr 2011 1:15:34 hrs IST

india news

नई दिल्ली। दुनिया भर में भ्रष्ट सरकारों और राजनीतिक नेताओं का भंडाफोड़ करने वाली खोजी इंटरनेट साइट 'विकीलीक्स' के संचालक जूलियन असांजे की राय में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्टाचार के मामलों पर लीपापोती करने के आदी हैं। एक भारतीय अंग्रेजी समाचार पत्र को दिए गए एक लम्बे साक्षात्कार में असांजे ने कहा कि भ्रष्टाचार के बारे में डॉ. सिंह के रवैए से स्पष्ट है कि वह चीजों को दुरस्त करने की बजाय जैेसा चल रहा है, वैसा चलने देने में विश्वास रखते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री यदि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराने और सच्चाई सामने लाने का रवैया अपनाते तो बेहतर होता। संसद में वर्ष 2008 में सांसदों को कथित रिश्वत दिए जाने के बारे में विकीलीक्स के खुलासे पर डॉ. सिंह की प्रतिक्रिया का उल्लेख करते हुए असांजे ने कहा कि विकीलीक्स के संदेशों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करने की बजाय प्रधानमंत्री को चाहिए था कि वह पूरे मामले में खरा रवैया अपनाते। बजाय इसके उन्होंने भारत की जनता को गुमराह करने की कोशिश की, जिससे जाहिर है कि वह चीजों को छिपाने के आदी हैं। इस खुलासे के बाद और अन्ना के खुले आन्दोलन के बाद अगर मनमोहन सिंह कुर्सी पर बेठे हैं जिनसे जनता तो क्या सुप्रीमकोर्ट तक हताश और निराश हो गयी है और फिर भी वोह शख्स देश की सर्वोच्च कुर्सी पर बेठा है तो क्या ऐसी स्थिति में भ्रस्ताचार और अनियमितता के खिलाफ अन्ना को मिला समर्थन बेकार है ऐसा आदमी अगर देश की कुर्सी पर आज भी चिपका हो नेतिकता के नाम पर इस्तीफा नहीं दिया हो तो भाई में तो कहूंगा के अन्ना का आन्दोलन जरा भी सफल नहीं हुआ है इसके लिए अभी और आग की जरूरत है और आन्दोलन की जरूरत है ................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आज़ादी के आंदोलनकारी शहीदों के नाम पर राजनीति

देश में जनगणना २०११ में ज़ाती की हिमायत करने वाले लोग अब शहीदों की ज़ात छुपाने की दलीलें दे रहे हैं और कोंग्रेस की पुस्तिका में प्रकाशित शहीदों की पहचान को उनका अपमान बताकर राजनीति करना चाह रहे हैं. 
सभी जानते हैं कोंग्रेस की प्रकाशित पुस्तक में हाल ही में शहीदों को श्रद्धांजली देते हुए उनका जीवन परिचय दिया है जिसमें शहीदों के बारे में लिखा गया है के उनका नाम उनके माता पिता का नाम उनके गाँव उनके कुल और किस समाज में वोह पैदा हुए अंकित किया गया है , किसी भी व्यक्ति के संस्कार उसके परिवार ,उसकी परवरिश से ही आते हैं और कोई भी व्यक्ति एक नाम लेकर किसी ना किसी जाति परिवार में जन्म लेता है जिसे उजागर करने में शर्म नहीं आना चाहिए ,आंबेडकर दलित थे, गाँधी ब्राह्मण थे सब जानते है लिखते हैं स्कूलों में पाठ पढ़ाया जाता है तो क्या यह उनका अपमान है वोटों के नाम पर जाति के लोगों को इकट्ठा किया जाता है उन्हें बहकाया जाता है तब जनता का अपमान नहीं होता लेकिन भाजपा जेसे राजनितिक दल की सोच देखिये के एक छोटे से जीवन परिचय पर उन्होंने राजीनीति शुरू कर दी है कोंग्रेस की पुस्तक में शहीदों की प्रशंसा उनका गुणगान भाजपा को अच्छा नहीं लगा और भाजपा शहीदों को श्रद्धांजली देने का मुद्दा खुद के हाथ से निकल जाने पर बोखला कर जाति छापने पर आपत्ति जताकर शहीदों का मजाक उढा रही हे क्या राजनीति इसी गंदगी का नाम है क्या राजनीति में बिना किसी मुद्दे को मुद्दा बनाकर जनता को बहकाने का काम क्या जाता है अगर कोई भी पार्टी ऐसी राजनीति करता है तो बदल दालों ऐसे राजनेताओं को ऐसी सोच को ताकि आदर्श देश में आदर्श समाज स्थापित हो सके .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

देश का भ्रस्टाचार किसी कानून से खत्म होगा सम्भव नहीं ,इसके लियें हर शख्स को अपने अन्दर अन्ना हजारे पैदा करना होगा

 दोस्तों देश में कई वर्षों से आओ भ्रस्टाचार भ्रष्टाचार खेले का खेल खेला जा रहा है ,यहाँ हर कोई भ्रष्ट है और भ्रस्टाचार के मामले में आरोप प्रत्यारोप का दोर चल रहा है ,लोग कहते हैं के अन्ना ने भ्रस्टाचार के खिलाफ पुरे देश को यानी एक अरब इक्कीस करोड़ भारतीयों को एक जुट कर दिया है , लोग सोचते हैं के आ गया लोकपाल बिल और अब हो गया भ्रष्टाचार दूर, कुछ लोग अन्ना,योग गुरु और भूषण परिवार के बाद नरेंद्र मोदी की तारीफ पर इस आन्दोलन का दूसरा रुख देख रहे है इस मामले में सभी पहलुओं पर गोर करते हुए मेने यह पोस्ट लिखने की कोशिश की है मेरा इस पोस्ट को पढने वालों से निवेदन है के इसमें एक प्रूफ रीडर की तरह इसे ना पढ़े कोमा, फुलिस्टोप ,इमला के पीछे नहीं पढ़े इसे दिल से पढ़े और दिल से पढ़े भावनाओं को समझें ब्लोगिंग को समझे समालोचक की तरह इसे देखे केवल और केवल आलोचक की तरह इसे ना देखें  ताकि देश में भ्रस्टाचार के कारण और निवारण पर आप और हम मिलकर चिन्तन मंथन कर सकें .....................
१९४७ में भारत आज़ाद हुआ देश में संविधान बना जनता का जनता द्वारा शासन हुआ लेकिन तानाशाही का दोर शुरू हो गया गांधी जो राष्ट्रपिता थे उनकी जान हम नहीं बचा सके ,इंदिरा ,राजीव,सहित कई ऐसे नेता हैं जिनको हम खो चुके हैं ,देश में हर कोई सत्ता की तरफ बढ़ चला भ्रस्टाचार,जमाखोरी,कालाबाजारी,सीनाजोरी सभी देश में चरम सीमा पर पहुंचे आप आदमी का जीना मुश्किल हो गया फिर आपात स्थिति की घोषणा की गयी , आपात स्थिति का दुष्परिणाम है तो सकारात्मक परिणाम भी हमे देखना होगा ,यहाँ सभी सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी वक्ती पर जाने लगे थे ,दफ्तरों में आम जनता के काम होने लगे थे, जो भ्रष्टाचारी थे वोह घर बिठा दिए गए थे ,दफ्तरों में राम राज्य था वक्त पर सभी फाइलों को निपटाया जा रहा था . गुंडे बदमाश जेल में थे ,जनता को बहका कर वोट प्राप्त करने की राजनीती करने वाले लोग या तो  जेल में थे या फिर छुपे छुपे फिर रहे थे , अधिकारी चोपाल लगा कर जनता की सुनवाई कर रहे थे ,सफाई,निर्माण,टेक्स वसूली में कहीं भ्रस्टाचार नहीं था , जमाखोरों के सरे गोदाम जनता के लियें खाली कर दिए गए थे ,मिलावट खोरों की आफत आ गयी थी लेकिन इन सभी ने मिलकर एक माहोल बनाया कानून का राज स्थापित करने के माहोल को आज़ादी के खिलाफ प्रचारित किया खुद इंदिरा जी और उनके कुछ अधिकारीयों ने इस वक्त का फायदा उठा कर निजी दुश्मनियाँ निकाली ,नतीजा आपातकाल जो जनता और इमानदार शरीफ लोगों के लियें वरदान साबित हो रही थी उसे विलेन करार देकर सरकार का तख्ता पलट दिया गया बात भी सही थी मुनाफाखोरों ,जमाखोरों,भ्रष्ट,काहिल कामचोर लोगों के खिलाफ देश में यह पहली मुहीम थी लेकिन उसमें इंदिरा जी के निजी स्वार्थों के कारण नतीजे गम्भीर हो गये और जयप्रकाश को जन्म लेना पढ़ा ...................................
जय प्रकाश जी के आन्दोलन के बाद देश में सरकार आई मोरारजी प्रधानमन्त्री बने केवल दुबारा आपातकाल नहीं लग सके इस मामले में संविधान संशोधित किया गया किसी ने भी देश में भ्रस्टाचार केसे रोकें मुनाफा खोरी ,मिलावटखोरी ,कामचोरी ,कर्मचारियों की लेटलतीफी केसे रोकें इस पर कोई विचार नहीं किया गया देश में आपात काल के नतीजों से जो गोदाम भर गये थे उसका फायदा सरकार ने उठाया और फिर देश में महंगाई खत्म लेकिन निरंकुशता और मोका परस्ती की हदें पार हो गयी देश के नेता भर्स्ट हो गये और सरकार बनाने और कुर्सी पाने के लालच में गठ्बन्धन सरकार टांय टाँय फीस हो गयी , राष्ट्र हित में जो साथ बेठे थे  उन्होंने जिसमे शांति भूषण जो वर्तमान लोकपाल बिल कमेटी के सदस्य है वोह इस सरकार में कानून मंत्री थे लेकिन तब इस देश में भ्रस्टाचार को नियंत्रित करने के लियें कानून या किसी विधेयक की बात नहीं हुई तब सभी को अपनी कुर्सी बचाने , अपनी राजनितिक पार्टी बनाने की लगी थी और उसी के बाद से देश में क्षेत्रीय दल बढ़े चुनावी खर्च बढ़ा मीडिया भ्रस्टाचार की चपेट में आने लगा और जो चोथा  स्तम्भ मिडिया इमाम्दार था उसमें भू रूपये और विज्ञापन लेकर खबरे छपने ,खबरें रोकने की बीमारी आ गयी चुनावी खर्च बढ़ गये देश में हंग लोकसभा ,हंग विधानसभाएँ आने लगी सरकार बनाने के लियें खरीद फरोख्त हुई ,भ्रस्टाचार बढ़ा और चुनावी खर्च आसमान पर पहुंच गया ...........................................................
इस चुनावी खर्च और लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधान लागू करने के लियें टी ऍन शेषन वरदान बन क्र आये और उन्होंने चुनाव का कानून क्या है जनता को पढाया ,नेताओं की कुर्सियां छीन  ली और भ्रष्ट बेईमान अधिकारीयों को बर्खास्त करवा दिया भ्रस्टाचार के खिलाफ शेषन अधिकारी की यह भी एक लड़ाई थी लेकिन नेताओं को यह मंजूर नहीं था और फिर शेषन हटे तो चुनाव आयुक्त के पर कतरे गये एक के स्थान पर तिन चुनाव आयुक्त बनाये गये और बहुमत से फेसला लिया जाएगा कानून बना दिया गया चुनाव आयुक्त सरकार की काफी हद तक कठपुतली बन गये ...................................
राजीव गाँधी जो मिस्त्र क्लीन कहे जाने लगे उन्होंने देश में भ्रस्टाचार की नब्ज़ को समझा और कहा ,खुलेआम कहा ,खुले आम स्वीकार करने का साहस किया के हमारे देश में सरकार जनता के लियें जो एक रुपया भेजती है उसमें से पचासी पेसे ही जनता तक पहुंच पाते है यह सच स्वीकार करने और इसके खिलाफ मुहीम छेड़ने का दंड उन्हें भ्रष्ट लोगों द्वारा चलाए गये आन्दोलन के कारण सरकार गंवा कर मिला . राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स घोटाले का आरोप लगा लेकिन जिन लोगों ने आरोप लगाया था वोह जानते हैं के सत्ता में आने के बाद भी उनके पास राजीव के खिलाफ कोई सबूत नहीं था और इसीलियें वोह राजीव गाँधी के खिलाफ सत्ता में सात साल रहने के बाद भी कुछ नहीं कर सके राजीव के इस सच के बाद जहाँ सत्ता में आने वाले लोगों को भ्रस्टाचार रोकना चाहिए था वहां उन लोगों द्वारा आरक्षण आरक्षण और धर्म साम्प्रदायिकता का नंगा खेल खेला गया फिर देश में चंदे का हिसाब ,चुनाव का हिसाब .जेके,टाटा,बिरला,अम्बानी के हवाई जहाज़ों  में नेताओं के सफर चुनावी प्रचार होने लगे और वाही भ्रस्टाचार के खिलाफ बात करते हुए देखे गये .....................................
देश में नर्सिंग्घा राव के काल में जब मनमोहनसिंह  वित्त मंत्री थे तब सांसदों को रिश्वत लेकर खरीदा गया जिसे स्वीकार किया गया जाँच चली नतीजा सिफर,हवाला मामला हुआ देश में तरुण तेजपाल ने तहलका में खुलेआम भाजपा अध्यक्ष और सपा की सांसद को ताबूत खरीद और रक्षा सोदों में रिश्वत लेते हुए बताया गया इन नेताओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई कार्यवाही हुई तो खुद तरुण तेजपाल के खिलाफ जिसने इस घोटाले को उजागर किया  था जाँच हुई तरुण तेजपाल का कमरा रक्षा अधिकारीयों के कमरे में केसे पहुचा ,स्टिंग ओपरेशन के नाम पर रिश्वत केसे दी गयी और तरुण तेजपाल की बोलीत बंद कर दी गयी जनता का टेस्ट देखिये चुनाव के दिनों में खुलेआम छतीसगढ़ के जूदेव को रिश्वत लेते हुए टी वी पर बताया जाता है और चुनाव के दिनों में जनता को लगातार खुलेआम इस भ्रस्टाचार की कहानी प्रसारित की जाती है लेकिन इस रिश्वतखोर नेता के समर्थक मरने मारने पर उतारू हुए जूदेव को भगवान बताया गया और जिस जूदेव को जनता द्वारा जेल भेजने की बात करना चाहिए थी उसे चुनाव में वोट डालकर जिताया गया .....................
वर्तमान में कोंग्रेस की गठ्बन्धन सरकार में भाजपा के समर्थित ललित मोदी का भ्रस्टाचार सब जानते हैं ,कोंग्रेस का आदर्श सोसाइटी घोटाला,टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला,चीनी घोटाला ,काले धन का घोटाला और घोटाले ही घोटाले सामने आने लगे किसी में नेतिकता नहीं थे प्रधानमन्त्री खुद को बेबस और लाचार बता रहे थे तब एक योग गुरु स्वर्गीय राजीव दीक्षित के विचारों को आगे बढ़ते हुए देश में भ्रस्टाचार के खिलाफ खड़े हुए बाबा रामदेव ने रेली की ,बाबा रामदेव पर खुद भ्रस्टाचार के आरोप लगे लेकिन एक ताकत ,एक शक्ति थी योग गुरु में इसी  लियें   रेली सफल हुई और भ्रस्टाचार के खिलाफ जनता के दिल में बिगुल बजने लगा नतीजा अन्ना उठे और वोह फिर दिल्ली आये उन्होंने सरकार को चेताया केवल एक लोकपाल बिल के मसोदे इसे लागू करने की मांग को लेकर आन्दोलन किया गया अनशन किया गया सरकार हिली जनता अन्ना के साथ हुई पूरी जनता नहीं अगर पूरी जनता अन्ना के साथ होती तो पहले दिन यह मसोदा बन गया होता लेकिन कुछ तो हैं जो भ्रस्टाचार को जिंदा रखना चाहते हैं इसलियें वोह सरकार में दलाली कर रहे थे लेकिन अधिकतम लोग अन्ना की मुहीम के साथ थे बिल ड्राफ्ट करने  के लियें अधिसूचना जरी की गयी और जनता ने ऐसे जश्न मनाया मानो जनता ने देश से भ्रस्टाचार खत्म कर दिया हो लोकपाल विधेयक किया है इसमें किसको केसे सजा मिलने का प्रावधान है एक गाँव ,,एक ढाणी, एक नगरपालिका ,ज़िलाक्लेक्टर के स्तर पर भ्रस्टाचार अंकुश और सज़ा का क्या प्रावधान है सोचा नहीं और जश्न मना दिया अन्ना जिंदाबाद के नारे लगा दिए इसी बीच अन्ना पर भाई भतीजावाद को बढ़ावा देने के आरोप लगे अन्ना पर बेगुना लोगों को एंकाउन्टर करवाने वाले घोषित अपराधी नरेंद्र मोदी को आदर्श मुख्यमंत्री कहने पर अन्ना के खिलाफ अन्ना की सोच के खिलाफ आवाज़ उठने लगी ,योग गुरु ने ड्राफ्टिंग कमेटी में कुनबा परस्ती का आरोप लगाया तो कुनबा परस्तों ने योग गुरु की इस मामले में जरूरत होने से इनकार किया खुद योग गुरु ने बाद में जवाब दिया के योग से सद्बुद्धि आती है इसलियें योग की हर जगह जरूरत है इस लड़ाई को सभी पक्षों ने जिसमे भ्रष्ट पक्ष ,जमाखोर,मिलावटखोर ,बेईमानों ने अपने तरीके से इसका अर्थ निकाला वोह खुद भी इस लड़ाई में शामिल हुए लेकिन नेतिकता किसी में पैदा आज तक नहीं हो पायी है अख़बार में बयां देना फोटू छपवाना और चोपालों पर बाते करने के आलावा कुछ नहीं हो पा रहा हे होगा भी क्या अभी ड्राफ्टिंग चल रही हे इन्तिज़ार तो करने ही होगा .................................................
मुझे इन सब हालातों में एक लेखक की पुस्तक के कुछ अंश याद आ रहे हैं जिसमे उन्होंने लिखा था के अंग्रेजों ने आज़ाद भारत का जब सर्वेक्षण किया तो तीन बातें ख़ास तोर पर देश के हर नागरिक में पाई गयी पहली देश में प्रत्येक व्यक्ति चिक्तिसक है .. आप देख लें कोई भी किसी की तबियत पूंछने जाएगा उसका इलाज चाहे सबसे बढ़ा डोक्टर कर रहा हो लेकिन तीमारदारी करने वाला मरीज़ को कोई न कोई नुस्खा जरुर बता कर आयेगा ..दूसरी बात पूरा भारत कही भी मूत्र और शोच करने के लियें स्वतंत्र है उसे कोई रोकने वाला नहीं है .तीसरी प्रमुख बात यह थी के पूरा देश यानी देश का हर नागरिक का नारा हे में इमानदार  और पूरा देश बेईमान ...बस हर व्यक्ति खुद को ईमानदार  समझ कर दुसरे को बेईमान कहता है और इसी लियें देश में भ्रस्टाचार के कारण निवारण का फार्मूला इसका सच बाहर नहीं आ रहा है ........................................................
अब हम भ्रस्टाचार रोकने के लियें बने कानून लोकपाल बिल की बात करते हैं दोस्तों सब जानते है देश में कानून प्रभावशाली लोगों द्वारा कचरे में डाल दिए जाते हैं आम आदमी की तो छोड़े सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना नहीं होती है ..देश में चोरी करने,हत्या करने,बलात्कार करने ,बेईमानी करने सहित सभी अपराधों के कानून बने हुए है लेकिन फिर भी रोज़ अपराध होते हैं रोज़ हत्या,लुट,बलात्कार होते हैं ,,देश की सुप्रीम कोर्ट प्रधानमन्त्री जी से काले धन रखने वालों की सूची सार्वजनिक करने के लियें दर्जनों बार आदेश देकर कहती है लेकिन देश के सर्वोच्च न्यायलय की सुनवाई प्रधानमन्त्री नहीं करते हैं कहते हैं इससे देश के सम्बन्धो पर गलत असर पढ़ेगा तो दोस्तों कानून से अगर अपराध खत्म होते तो आज देश अपराध मुक्त होता , मुस्लिम कानून में चोरी की सजा हाथ काटना है अपराधी को सरे आम लोगों को एकत्रित  कर चोरी की सज़ा देने के लियें उनके हाथ काटे जाते हैं एक तरफ चोरी के घोषित अपराधी के हाथ काटे जाते हैं और दूसरी तरफ उसी भीड़ में किसी की घड़ी किसी का पर्स चोरी कर लिया जाता है तो जनाब कानून एक अपराध को रोकने और दंड देने का अस्थायी माध्यम है इसे अपराध और भ्रस्टाचार को अगर रोकना है तो इसके लियें हमें खुद अपने जमीर को जगाना होगा नेतिकता को ज़िंदा करना होगा आज में वकील होने के नाते रोज़ देखता हूँ एक व्यक्ति खुद को ईमानदार कह कर एक अधिकारी को दो पांच हजार की रिश्वत लेते हुए पकडाता है लेकिन जब अदालत में बयान देने आता है तो यही फरियादी मुलजिम से मोटी रकम लेकर कहता है के हमने तो ख़ाली कागज़ पर जेसा पुलिस ने कहा ऐसे हस्ताक्षर कर दिए थे और इसीलियें मुलजिम बरी हो जाते हैं ......................
कुल मिलाकर भ्रस्टाचार को खत्म करने के लियें देश में कानून से ज्यादा नेतिकता की जरूरत है और वोह नेतिकता आरोप प्रत्यारोप से जन्म नहीं लेगी हमारी विचारधारा में इमानदार और सारा देश बेईमान से नेतिकता पैदा नहीं होगी , जापान में एक भारतीय ने जापानी महिला से विवाह रचाया महिला का जापान में देरी का व्यवसाय था वहां भारतीय ने दूध में पानी मिलाना शुरू किया तो जापानी पत्नी ते भारतीय पति को टोका और कहा के दूध ताकत देता है और हमारी तुम्हारी राष्ट्रीयता, नेतिकता में फर्क है यहाँ मिलावट बेईमानी नहीं चलेगी लेकिन भारतीय पति तो भारतीय था उसने दुसरे दिन फिर दूध में पानी मिलागा बस इस जापानी पत्नी ने अपने देश को बचाने के लियें इस भारतीय नेतिक्ताविहीन पति से तलाक लेने एक लियें जापान न्यायालय में याचिका दायर की और उसे वहन से तलाक मिली , आज हमारे देश में अगर कर्मचारी दफ्तर से घर पहुंचता है तो पत्नी उसकी जेब यह सोच कर टटोलती है के ऊपर की कमाई कितनी हुई निचे से लेकर ऊपर तक प्रत्येक व्यक्ति में आप सभी लोग कहीं न कहीं किसी ना किसी रूप में भ्रस्टाचार ,बेईमानी में लिप्त है इसलियें दूसरों के गिरेबान में झाँकने से पहले हमें खुद अपने गिरेबान में झांकना होगा पहले खुद को इमादारी का पाठ पढना होगा राष्ट्रभक्ति का पाठ पढना होगा और फिर घर, परिवार,दोस्त से लेकर समाज तक इस संदेश को लेजाना होगा , अन्ना की भ्रस्टाचार के खिलाफ लड़ाई में बहुत बहुत देर से उठाया गया एक अच्छा कदम है और इस चिंगारी को हमें जलाए रखना है ताकि भ्रस्टाचार राख हो जाए लेकिन सावधानीपूर्वक क्योंकि इस सच को भी स्वीकार कर ले के देश में अन्ना की चिंगारी को कुछ लोग आग भभकने से पहले राख कर देने की कोशिशों में जुट गए हैं और सही में अगर हम देश से भ्रस्टाचार दूर करना चाहते हैं तो कानून तो अपनी जगह है ,बिल विधेयक अपनी जगह है लेकिन नेतिकता , राष्ट्रीयता की चिंगारी जो अन्ना ने हमारे दिलों में जलाई है उससे हमें खुद की नेतिकता को जगाना होगा क्योंकि हालातों में एक अन्ना बारबार कुछ नहीं कर सकेगा हमें इस लड़ाई को जितने के लियें हमारे अपने अन्दर अपने सीने में अपने विचारों में एक अन्ना को जन्म देना होगा क्योंकि एक अरब इक्कीस करोड़ लोगों को हमें अन्ना बनाना है हर घर में अन्ना पैदा करना है तब कहीं हमारा देश भ्रस्टाचार से मुक़ाबला कर सकेगा अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर इंदिरा,गाँधी,जयप्रकाश.राजीवगांधी के वक्त पर भ्रस्टाचार के खिलाफ लडी गयी लड़ाई की तरह यह लड़ाई भी राजनीति और अख़बारों के विज्ञापन रूपये लेकर खबर छापने जेसे भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ जायेगी इसलियें दोस्तों खुद उठो दिल में अन्ना की पुकार एक अन्ना समा लोग और भ्रस्टाचार के खिलाफ मशाल लेकर अपने घर ,अपने परिवार से ही निकल चलो इस जद में जो भी आये चाहे वोह अपना बाप हो ,भाई हो ,दोस्त हो सभी को जलाते चलो जलाते चलो और इस देश को बचाने का जो वक्त आया है जो माहोल बना है उसका फायदा उठा कर इस देश को बचा लो इस देश को बचा लो .......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मेडिकल कोलेजों में सीटें नीलाम कर डॉक्टर बन रहे हैं

राजस्थान में कुछ मेडिकल कोलेज ऐसे हैं जहां सभी कायदे कानून ताक में रख कर बिना प्री मेडिकल टेस्ट के एडमिशन देकर लडकियों को डाक्टर बनाया जा रहा है इसके लियें खुली नीलामी बोली लग रही है यह बात ,यह आरोप किसी आम आदमी का नहीं देश के सुप्रीम कोर्ट का राजस्थान सरकार पर है . 
राजस्थान में एक निजी मेडिकल कोलेज द्वारा कुछ छात्राओं को बिना प्रीमेडिकल टेस्ट के प्रावधानों के विपरीत महंगी रिश्वत लेकर एडमिशन दे दिया यह मामला पहले राजस्थान हाईकोर्ट और फिर देश के सरवोछ न्यायालय में पहुंचा   और सुप्रीमकोर्ट ने सभी नियमों को देखने के बाद सरकार के इस निजी मेडिकल कोलेज पर टिप्पणी करते हुए कहा  के राजस्थान में मेडिकल में एडमिशन के लियें नीलामी की जा रही है सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया और भ्रस्टाचार को गम्भीरता से लेते हुए इस पर अंकुश लगाने के निर्देश दिए हैं . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में वसुंधरा के खिलाफ बना माथुर आयोग टांय टांय फिस्स

राजस्थान में वसुंधरा के खिलाफ बना माथुर आयोग टांय टांय फिस्स  हो गया है राजस्थान सरकार इस मामले में अपनी जिद पर अड़ी   थी और राजस्थान हाई कोर्ट ने जब इस आयोग को नाजायज़ गेरकानुनी करार दिया तो आयोग को जायज़ ठहराने के लियें सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी जहां से मुंह की खाकर वापस लोटी है .
राजस्थान में कोंग्रेस की सरकार बनते ही यहाँ भाजपा कार्यकाल में वसुंधरा सिंधिया पर जो आरोप लगे थे उनकी जांच के लियें गहलोत सरकार ने सबसे पहले कानून के खिलाफ निजी विचारधारा के तहत अपने मन पसंद हाईकोर्ट रिटायर्ड जज को लेकर एक कमेटी बनाई जिसमे एक आई ऐ एस और आए आई पी एस रिटायर्ड को नियुक किया गया आयोग ने दो वर्षों में करोड़ों खर्च किये लेकिन नतीजा सिफर रहा मामला हाईकोर्ट पहुंचा हाईकोर्ट ने कहा बिना किसी कानून के ऐसा आयोग वाह भई वाह ऐसा नहीं चलेगा और गेरकानुनी इस आयोग को करार दिया गया , आयोग के अध्यक्ष खुद इस्तीफा देकर चल दिए ,खुद रिटायर्ड आई ऐ एस , आई पी एस का सच सामने आते ही वोह चलते बने ,और आयोग भंग सा हो गया. 
लेकिन सरकार कब मानने वाली थी राजस्थान सरकार ने इस मामले को सभी कानून खिलाफ होने के बाद भी ना जाने क्यूँ किस बेवकूफ की विधिक सलाह पर सुप्रीम कोर्ट में लेजाने का निर्णय लिया काफी रुपया खर्च करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के निर्णय को यथावत रखते हुए माथुर आयोग को विधि विरूद्ध करार दे कर बंद करना सही बताय अब प्रतिपक्ष  नेता राजस्थान  वसुंधरा सिंधिया और समर्थकों के बल्ले बल्ले है वोह सभी जश्न मना रहे हैं जबकि गहलोत सरकार को बेवकूफी की सलाह देने वाले लोग अब बगलें झाँक रहे हैं और इस मामले में उनसे कोई टिप्पणी करते नहीं बन रहा है ................. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अलबेला खत्री के अलबेला मिजाज़ ने देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गोरवान्वित किया

ब्लोगिंग की दुनिया का एक अंतर्राष्ट्रीय नाम ,एक प्यारा सा अलबेला नाम, जो साहित्य और हास्य बांटता है लोगों को हंसाता है ,लोगों को प्यार और अपनापन सिखाता है, जी हाँ आप सही समझ रहे हैं यह वही नाम है जो आपके दिलो दिमाग पर छाया हुआ और यह नाम हे अलबेला खत्री .
दोस्तों आज अलबेला खत्री के लियें मेने कुछ मामूली सा लिखने का प्रयास किया है लेकिन उनके लियें लिखा जाने वाला यह सब सूरज को रौशनी दिखाने के समान है और इसीलियें इस शक्सियत पर उंगलियाँ हिलाने के प्रयास भर में ही उंगलियाँ कांपने लगी हैं सीना गर्व से चोडा हो गया हे के मुझे इस शख्सियत के लियें कुछ लिखने का अवसर मिला है .
नरेंद्र मोदी के गुजरात के सूरत शहर के रहने वाले अलबेला खत्री जी एक अलबेला शख्सियत के मालिक हैं ,सभी को प्यार देना सभी को हंसाना इनकी फितरत है, और इसीलियें यह ब्लोगिंग,साहित्य,एक्टिंग सभी क्षेत्रों के लोगों में हर दिल अज़ीज़ बन गये हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खत्री भाई देश का नाम रोशन कर रहे हैं , निर्विवाद लेखनी , प्यार दो प्यार लो का संदेश देने की रचनाएँ लिखने के धनी जनाब अलबेला खत्री के कई दर्जन ब्लॉग हैं और फरवरी २००९ से विभिन्न शीर्षकों से ब्लॉग बना कर ब्लोगिंग की दुनिया को महका रहे हैं ब्लोगिंग की दुनिया को चहका रहे हैं , हंसा रहे  हैं .
अलबेला खत्री को अपने देश ,अपने राज्य गुजरात से प्यार है लेकिन उससे भी ज्यादा इन्हें अपने शहर सूरत से प्यार है इतना ही नहीं अलबेला जी को इन सभी चीजों से भी ज्यादा मानवता से प्यार है, और इसीलियें इनके हर अलफ़ाज़  में ,हर रचना हर आलेख में सिर्फ प्यार ही प्यार मिलता हे यह गम्भीर लेखनी के माध्यम से .हास्य लेखन के माध्यम से और कला यानी एक्टिंग के माध्यम से सभी को मानवता और साक्षरता का पाठ पढ़ाने के प्रयासों में जुटे हैं ,ब्लोगिंग ,कला.लेखन और अभिनय की अंतर्राष्ट्रीय बुलंदियों पर पहुंचने के बाद भी ब्लोगिंग की दुनिया में यह छोटे से लेकर सभी बढ़े ब्लोगर को टटोलते हैं उनकी रचनाएँ पढ़ते हैं उन्हें टिप्पणियों से नवाज़ते हैं यही इनका बढ़प्पन  है .
सूरत मेरे सपनों  का शहर इनका अंग्रेजी  ब्लॉग है, जबकि मुक्तक दोहे चोपाई ,हास्य व्यंग्य, भजन वन्दन,अर्ज़ किया है ,स्वर्णिम गुजरात , आरोग्य एवं स्वास्थ्य , आपकी महफिल में ,लाया हूँ चंद शेर , पोयम फ्रॉम हर्ट सहित  दर्जनों ब्लॉग अलबेला जी ने लिखे है और सभी ब्लॉग चाव से पढ़े जाते हैं , भाई अलबेला जी खत्री ने अब तक सात पुस्तकें लिखी हैं जो प्रकाशित होकर बाज़ार में पाठकों में प्रसिद्ध हैं ,इनके सोलह ऑडियो वीडियो प्रसारित हैं जिन्हें लोग अपने मनोरंजन के लियें लगातार देख रहे हैं,साहित्य और एक्टिंग के २८ वर्षों के सफर में अलबेला जी ने दर्जनों ड्रामों ,फिल्मों में गीत लिखे है ,एक्टिंग की है और पांच हजार से भी अधिक प्रतिष्ठित रचनाएँ लिखी गयी हैं अलबेला जी की कला ,लोफ्टर शो ने इन्हें विश्व के हर कोने पर मकबूल  कर दिया है अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी छोटे बढ़े देशों में इन्होने अपनी कला और अभिनय के जलवे दिखा कर लोगों को हंसा हंसा कर लोटपोट कर दिया है अलबेला जी अब तक तीस से भी अधिक सम्मान से पुरस्क्रत हो  चुके हैं अलबेला जी को वागेश्वरी सम्मान,टेप पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है . ऐसी प्रतिभा एके धनी जनाब अलबेला जी के लियें कुछ भी लिखने के पहले छोटा मुंह बढ़ी बात का विचार आते ही मेरे हाथ कांपने लगते हैं और अगर इस में गलतिया, गलतियाँ नहीं बहुत सारी गलतियाँ ,कमिया रह गयी हो तो इसके लियें में ज़िम्मेदार नहीं हूँ अलबेला जी का कद ही ब्लोगिंग की दुनिया में इतना उंचा है के इनकी उंचाई देखते देखते मेरे सर की टोपी नीचे गिर गयी है और गर्दन में झटका आ गया है . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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